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भारत-श्रीलंका संबंध

Lokesh Pal December 18, 2024 02:39 25 0

संदर्भ

हाल ही में श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने अपनी तीन दिवसीय भारत यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।

संबंधित तथ्य 

  • यात्रा का राजनीतिक महत्त्व: यह यात्रा भारत-श्रीलंका संबंधों की मजबूती को दर्शाती है क्योंकि राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके की यह पहली विदेश यात्रा है।

  • संयुक्त वक्तव्य: विदेश मंत्रालय ने ‘भारत-श्रीलंका संयुक्त वक्तव्य: साझा भविष्य के लिए साझेदारी को बढ़ावा देना’ जारी किया है।

श्रीलंकाई संविधान में 13वाँ संशोधन

  • उद्देश्य: भारत-श्रीलंका समझौते के तहत वर्ष 1987 में अधिनियमित, इस संशोधन का उद्देश्य प्रांतीय परिषदों को सत्ता के हस्तांतरण के माध्यम से तमिल मुद्दों का समाधान करना था।
  • मुख्य प्रावधान: प्रांतीय परिषदों की शुरुआत करना, तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में प्रस्तुत करना और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि जैसी शक्तियों का हस्तांतरण करना।
  • भारत का रुख: सुलह प्रयासों के हिस्से के रूप में तमिल अधिकारों तथा सार्थक हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन का समर्थन करता है।
  • मुद्दे: राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए भूमि और पुलिस शक्तियों को हस्तांतरित करने के लिए श्रीलंकाई सरकारों का प्रतिरोध, संशोधन की क्षमता में बाधा डालता है।

यात्रा के मुख्य निष्कर्ष

  • इस वार्ता में भारतीय प्रधानमंत्री के ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास’ (Security and Growth for All in the Region) अर्थात सागर (SAGAR) दृष्टिकोण तथा भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति को बढ़ावा देने पर बल दिया।
  • इससे हिंद महासागर में चीन की सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के प्रयासों को रोकने में मदद मिलेगी। उदाहरण: चीनी मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज ‘युआन वांग’ की हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉकिंग।
  • विकास सहयोग: भारतीय आवास परियोजना के चरण III और IV, 3 द्वीप हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना तथा श्रीलंका में उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएँ।
  • राजनीतिक आदान-प्रदान: लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए नियमित संसदीय स्तर के आदान-प्रदान के महत्त्व को रेखांकित किया गया।
  • प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण: पाँच वर्ष की अवधि में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के 1500 श्रीलंकाई सिविल सेवकों के लिए केंद्रीय प्रशिक्षण आयोजित करने पर सहमति हुई।
  • ऋण पुनर्गठन: श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए भारत द्वारा 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आपातकालीन वित्तपोषण और विदेशी मुद्रा सहायता।
  • सांस्कृतिक एवं पर्यटन विकास: चेन्नई और जाफना के बीच सफल उड़ानों की शुरुआत।
  • सामरिक एवं रक्षा सहयोग: श्रीलंका को समुद्री निगरानी के लिए डोर्नियर विमान का प्रावधान।
  • तमिल अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर चर्चा: भारत को उम्मीद है कि प्रांतीय परिषद के चुनाव कराने के लिए वह श्रीलंका के संविधान को लागू करेगा।
  • मछुआरों की चिंताओं पर चर्चा की गई: दोनों पक्षों के मछुआरों के समक्ष आने वाली समस्याओं तथा उनकी आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, दोंनों देशों ने मानवीय तरीके से इनका समाधान जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
  • डिजिटल बुनियादी ढाँचे में प्रगति
    • श्रीलंका विशिष्ट डिजिटल पहचान (Sri Lanka Unique Digital Identity- SLUDI परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाना, दोनों देशों के लाभ के लिए यूपीआई डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ाकर डिजिटल वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देना।
  • ऊर्जा सहयोग
    • भारत और श्रीलंका बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी तथा एक बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित करेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच निवेश और वाणिज्यिक संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा।
    • समपुर में सौर ऊर्जा परियोजना का कार्यान्वयन और श्रीलंका की आवश्यकताओं के अनुसार इसकी क्षमता में और वृद्धि।
  • पर्यटन के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना
    • एक दूसरे के देशों में पर्यटन के लिए रामायण सर्किट तथा बौद्ध सर्किट पर चर्चा की गई।
    • दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए रामेश्वरम (तमिलनाडु) और तलाईमन्नार (श्रीलंका) के बीच फेरी सेवा की घोषणा की गई।

श्रीलंका के हालिया आर्थिक संकट में भारत की भूमिका

  • मानवीय सहायता और वित्तीय सहायता
    • श्रीलंका के आर्थिक संकट (वर्ष 2022) के प्रत्युत्तर में, भारत ने ईंधन, खाद्य और आवश्यक वस्तुओं के लिए ‘क्रेडिट लाइन’ सहित 4 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की।
    • भारत ने ईंधन शिपमेंट प्रदान किया, जिससे श्रीलंका की ऊर्जा की कमी दूर हुई और आबादी की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए दवा और खाद्य आपूर्ति के आयात की सुविधा मिली।
  • ऋण सहायता तथा ऋण राहत
    • भारत ने श्रीलंका को अपने विदेशी भंडार को स्थिर करने में मदद करने के लिए अल्पकालिक ऋण प्रदान किया।
    • भारत ने श्रीलंका की सहायता के लिए आईएमएफ के साथ वार्ता को सुविधाजनक बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत-श्रीलंका: द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलू

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
    • सांस्कृतिक और नृजातीय संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं।
      • उदाहरण: बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और प्राचीन व्यापार संबंधों के माध्यम से।
    • औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक काल: औपनिवेशिक काल के दौरान, दोनों देशों के बीच आर्थिक आदान-प्रदान हुआ।
      • लोकतंत्र और क्षेत्रीय सहयोग के साझा मूल्य।
  • आर्थिक 
    • द्विपक्षीय व्यापार: वित्त वर्ष 2022- 2023 में भारत-श्रीलंका व्यापार 5.45 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारत ने पेट्रोलियम, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य पदार्थों सहित 4.9 बिलियन डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया।
    • मुख्य निवेश: भारत श्रीलंका के शीर्ष निवेशकों में से एक है, जिसमें IOC, टाटा तथा एयरटेल जैसी कंपनियाँ बुनियादी ढाँचे, खुदरा और ऊर्जा क्षेत्रों में योगदान दे रही हैं।
    • संकट सहायता: श्रीलंका के वर्ष 2022 के आर्थिक संकट के दौरान, भारत ने मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाते हुए आवश्यक आयातों के लिए 4 बिलियन डॉलर से अधिक की ऋण रेखाएँ और सहायता प्रदान की।
  • बहुपक्षीय समूहों में सहयोग: सार्क (SAARC), बिम्सटेक (BIMSTEC)
    • भारत और श्रीलंका क्षेत्रीय स्थिरता, व्यापार और विकास को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) तथा बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation- BIMSTEC) जैसे क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं।
      • उदाहरण: श्रीलंका ने इन मंचों के माध्यम से महामारी प्रतिक्रिया और आपदा प्रबंधन के लिए भारत के नेतृत्व वाली पहलों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
  • भारत के लिए श्रीलंका का सामरिक महत्व
    • हिंद महासागर सुरक्षा: हिंद महासागर में श्रीलंका का स्थान इसे भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाता है, खासकर समुद्री सुरक्षा और इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए।
      • उदाहरण: हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को पट्टे पर दिए जाने से भारत की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
  • रक्षा सहयोग: दोनों राष्ट्र संयुक्त अभ्यास, समुद्री निगरानी तथा रक्षा वार्ता एवं आदान-प्रदान के माध्यम से रक्षा सहयोग पर एक रूपरेखा समझौते पर पहुँचने की संभावना तलाशने पर सहमत हुए।

 भारत-श्रीलंका संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ

  • कच्चातीवु द्वीप विवाद: भारतीय मछुआरों को अक्सर इस क्षेत्र में कथित अवैध शिकार के लिए श्रीलंकाई नौसेना द्वारा पकड़ लिया जाता है या उन पर हमले किए जाते हैं।
    • तमिलनाडु कच्चातीवु को वापस लेने की मांग कर रहा है, उसका दावा है कि यह ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा था।
  • तमिल मुद्दा- भारत का समर्थन: प्रांतीय परिषदों के माध्यम से तमिल स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन की वकालत की
  • चीनी जहाजों का डॉकिंग: युआन वांग 5 जैसे चीनी सैन्य और अनुसंधान जहाजों का कोलंबो या हंबनटोटा बंदरगाहों में डॉकिंग करना, भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ाता है।
  • ऋण कूटनीति: हंबनटोटा बंदरगाह जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए श्रीलंका की चीनी ऋणों पर निर्भरता ने रणनीतिक परिसंपत्तियों पर चीन के नियंत्रण को जन्म दिया है, जिससे भारत के क्षेत्रीय हितों को चुनौती मिल रही है।

श्रीलंका पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव

  • श्रीलंका के गृहयुद्ध के अंतिम चरण में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने श्रीलंकाई सेना द्वारा कथित युद्ध अपराधों की जवाबदेही और जाँच के लिए प्रस्ताव पारित किए।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का समर्थन किया, लेकिन श्रीलंका की संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए अधिक संतुलित दृष्टिकोण पर जोर दिया, साथ ही विश्वसनीय जाँच और निराकरण की मांग की, तथा ऐसी किसी भी कार्रवाई से परहेज किया जो तनाव को बढ़ा सकती है।

भारत का दृष्टिकोण (वर्ष 2015 के बाद)

  • राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व में श्रीलंका की नई सरकार (2015) के बाद, भारत ने कथित युद्ध अपराधों की घरेलू जाँच के प्रस्ताव का समर्थन किया, तथा सुलह और युद्ध के बाद के उपचार की दिशा में श्रीलंका के प्रयासों को समर्थन दिया।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र की बहसों में श्रीलंका की संप्रभुता का सम्मान करने की स्थिति को बनाए रखते हुए 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन तथा तमिलों को राजनीतिक हस्तांतरण का आग्रह करना जारी रखा है।

आगे की राह

  • आर्थिक एकीकरण को गहन करना: द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) को अंतिम रूप देना।
  • मछुआरों के विवादों को सुलझाना: एक मजबूत निगरानी तंत्र विकसित करना और वैकल्पिक आजीविका को प्रोत्साहित करना।
  • रणनीतिक चुनौतियों से निपटना: चीनी प्रभाव को संतुलित करने के लिए समुद्री साझेदारी को मजबूत करना।
  • तमिल मुद्दों का समाधान निकलना: उत्तरी प्रांत में तमिलों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और हस्तांतरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए श्रीलंका के साथ सहयोग करना।
  • सतत ऊर्जा सहयोग: पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार करना।
  • भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति: भारत के सबसे करीबी पड़ोसियों में से एक श्रीलंका भू-रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष

भारत-श्रीलंका संबंध आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक आयामों में सहयोग की अपार संभावनाएँ प्रदान करते हैं। संतुलित और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से चुनौतियों का समाधान करने से हिंद महासागर क्षेत्र में एक मजबूत साझेदारी सुनिश्चित होगी।

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