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वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण रैंकिंग में भारत शीर्ष पर

Lokesh Pal September 06, 2024 04:58 186 0

संदर्भ

भारत प्रतिवर्ष 9.3 मिलियन टन (Mt) प्लास्टिक उत्सर्जित कर शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषक बन गया है। यह विश्व के कुल प्लास्टिक उत्सर्जन का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है।

अन्य शीर्ष प्रदूषक

  • नाइजीरिया 3.5 मीट्रिक टन उत्सर्जन के साथ दूसरे स्थान पर है।
  • इंडोनेशिया 3.4 मीट्रिक टन के साथ तीसरे स्थान पर है।
  • चीन, जो पहले प्रथम स्थान पर था, अब चौथे स्थान पर है। इसका कारण भस्मीकरण और नियंत्रित लैंडफिल के माध्यम से बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन है।

प्लास्टिक उत्सर्जन के बारे में

  • प्लास्टिक उत्सर्जन से तात्पर्य प्लास्टिक के प्रबंधित या नियंत्रित प्रणालियों से अप्रबंधित अथवा अनियंत्रित वातावरण में जाने से है।
    • ये उत्सर्जन प्लास्टिक के जीवन चक्र के दौरान, उत्पादन से लेकर निपटान तक होता रहता है।
  • प्लास्टिक उत्सर्जन के कारण
    • अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन: खराब अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों के परिणामस्वरूप प्लास्टिक कचरे को लैंडफिल, महासागरों और अन्य स्थानों पर फेंक दिया जाता है।
    • औद्योगिक एवं शहरी अपवाह: कारखानों और शहरों से निकलने वाला प्लास्टिक अपशिष्ट अक्सर जल अपवाह के कारण नदियों और महासागरों में बह जाता है।
    • खुले में जलाना: खुले क्षेत्रों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक अपशिष्ट को जलाना, जो ग्रीन हाउस उत्सर्जन में योगदान देता है। 

अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC)

  • इस समिति की स्थापना वर्ष 2022 में की गई थी।
  • संस्था: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण पर एक वैश्विक बाध्यकारी संधि विकसित करना है।
  • यह प्लास्टिक के संपूर्ण चक्र को संबोधित करने पर केंद्रित है।
  • INC सत्र
    • INC-1 – पुंटा डेल एस्टे, उरुग्वे (नवंबर) 2022
    • INC-2- पेरिस, फ्राँस में हुआ (मई – जून 2023)
    • INC-3 – नैरोबी में हुआ (दिसंबर 2023)
    • INC-4 – ओटावा, कनाडा (2024)
    • INC-5 – दक्षिण कोरिया के लिए निर्धारित (2024 नवंबर)

भारत में अपशिष्ट उत्पादन की स्थिति

  • कम अपशिष्ट उत्पादन अनुमान: भारत में आधिकारिक तौर पर प्रति व्यक्ति प्रति दिन 0.12 किलोग्राम अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
    • भारत में अपशिष्ट संग्रहण की रिपोर्ट की दरें वास्तविक आँकड़ों से अधिक होने की संभावना है। 
  • आधिकारिक आँकड़ों में शामिल न किए गए कारक: आधिकारिक रिपोर्टों में ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त अपशिष्ट शामिल नहीं है।
    • अनौपचारिक क्षेत्रों द्वारा पुनर्चक्रित अपशिष्ट का हिसाब नहीं रखा जाता।
    • खुले में एकत्रित न किए गए अपशिष्ट को जलाने का विवरण भी आधिकारिक आँकड़ों में नहीं है।

ग्लोबल नॉर्थ: ये दुनिया के विकसित देश हैं।

ग्लोबल साउथ: ये दुनिया के विकासशील देश और सबसे कम विकसित देश हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण में वैश्विक रुझान

  • प्लास्टिक प्रदूषण के मुख्य स्रोत
    • ग्लोबल नॉर्थ में कूड़ा-कचरा फैलाना प्लास्टिक उत्सर्जन का सबसे बड़ा कारण है। 
    • ग्लोबल साउथ में, एकत्रित न किया गया कचरा प्लास्टिक प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। 
  • सर्वाधिक प्रदूषणकारी देश
    • विश्व के 69% प्लास्टिक अपशिष्ट उत्सर्जन 20 देशों से आते हैं।
    • इनमें से अधिकांश देश निम्न एवं मध्यम आय वाले राष्ट्र हैं।
  • उच्च आय वाले देश
    • उच्च आय वाले देश अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करते हैं।
    • हालाँकि, वे शीर्ष 90 प्रदूषकों में नहीं हैं क्योंकि उनके पास अपशिष्ट संग्रहण और निपटान की बेहतर व्यवस्था है।

भारत में प्लास्टिक कचरे पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदम

  • एकल-उपयोग प्लास्टिक (SUP) पर प्रतिबंध: भारत सरकार ने कठिन संग्रहण और पुनर्चक्रण वाली एकल-उपयोग प्लास्टिक (SUP) वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। 
    • 120 माइक्रोन से पतले प्लास्टिक बैगों का निर्माण, आयात, बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम: प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 ने प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) की शुरुआत की।
  • इन नियमों में निम्नलिखित के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं:-
    • प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट का पुनर्चक्रण।
    • कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग का पुनः उपयोग।
    • पैकेजिंग में पुनर्चक्रित प्लास्टिक का उपयोग।
  • स्वच्छ भारत मिशन: वर्ष 2014 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य खुले में शौच को समाप्त करना और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना है।
  • भारत प्लास्टिक समझौता: इस पहल का उद्देश्य प्लास्टिक के जीवन चक्र को बदलना है।
  • प्रोजेक्ट रिप्लान (Project REPLAN): ‘रिप्लान’ (Replan) का मतलब है ‘प्रकृति में प्लास्टिक को कम करना’ (REducing PLastic in Nature)।
  • अन-प्लास्टिक कलेक्टिव: ‘अन-प्लास्टिक’ का अर्थ ‘सभी प्लास्टिक को एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित करना और अनावश्यक प्लास्टिक को समाप्त करने से है।
    • इस पहल का उद्देश्य पृथ्वी के कल्याण पर नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।
  • गोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट (GoLitter Partnerships Project): यह पहल मत्स्यपालन और शिपिंग से समुद्री प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिए की गई थी। 

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक पहल

  • ‘क्लोजिंग द लूप’: यह परियोजना एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग की है।
    • इसका उद्देश्य प्लास्टिक अपशिष्ट से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए नीति समाधान बनाने में शहरों की मदद करना है।
  • वैश्विक पर्यटन प्लास्टिक पहल: इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2025 तक पर्यटन उद्योग से प्रदूषण के स्तर को कम करना है।
    • एकल उपयोग प्लास्टिक: यह वर्ष 2021 में लागू की गई यूरोपीय संघ की योजना का एक हिस्सा है।
  • इस निर्देश का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण में प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करना है।

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