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भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध: रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना

Lokesh Pal February 19, 2025 02:35 308 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका की दो दिवसीय राजकीय यात्रा की, इस यात्रा ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को नई गति प्रदान की है।

भारत-अमेरिकी संबंधों का कालानुक्रम

  • वर्ष 1947: भारत स्वतंत्र हुआ; गुटनिरपेक्ष विदेश नीति अपनाई।
  • वर्ष 1971: भारत-सोवियत मैत्री संधि; अमेरिका ने भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान का समर्थन किया।
  • वर्ष 1974: भारत ने पोखरण-I परमाणु परीक्षण किया; अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए।
  • वर्ष 1991: भारत ने आर्थिक सुधार शुरू किए; अमेरिका-भारत संबंधों में सुधार होने लगा।
  • वर्ष 2008: भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता हस्ताक्षरित।
  • वर्ष 2016: भारत को अमेरिका द्वारा प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में नामित किया गया।
  • वर्ष 2020: भारत-अमेरिका ने BECA पर हस्ताक्षर किए, जिससे आधारभूत रक्षा समझौते पूर्ण हुए।

बैठक के मुख्य बिंदु

  • द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA): भारत तथा अमेरिका ने वर्ष 2025 के अंत तक एक बहु-क्षेत्रीय BTA पर वार्ता करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें समग्र व्यापार उदारीकरण के बजाय विशिष्ट वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • भारत-अमेरिका ट्रस्ट पहल: महत्त्वपूर्ण खनिजों और फार्मास्यूटिकल्स के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के लिए ट्रस्ट पहल शुरू की गई।
  • सहयोग के प्रमुख स्तंभों में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए ’21वीं सदी के लिए यूएस-इंडिया कॉम्पैक्ट (सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना)’ का शुभारंभ किया गया। 

भारत तथा अमेरिका के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र

रक्षा एवं सुरक्षा

  • रक्षा बिक्री: अमेरिका भारत को अरबों डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिसमें F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों का संभावित प्रावधान भी शामिल है।
    • भारत ने अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टरों और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों सहित उन्नत अमेरिकी रक्षा उपकरण खरीदे हैं।
    • अमेरिका और भारत रक्षा व्यापार को सुव्यवस्थित करने के लिए हथियार हस्तांतरण विनियमों [जैसे– इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशन (ITAR)] की समीक्षा करेंगे।
  • रक्षा समझौते की रूपरेखा: रक्षा अंतर-संचालन, रसद और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ाने के लिए अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी के लिए एक नए 10-वर्षीय ढाँचे पर हस्ताक्षर किए जाएँगे।
  • सह-उत्पादन: भारत में जैवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों तथा स्ट्राइकर इन्फैंट्री कॉम्बैट वाहनों का सह-उत्पादन करने की योजना है।
  • समुद्री निगरानी: हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री निगरानी को मजबूत करने के लिए छह अतिरिक्त P-8I समुद्री गश्ती विमानों की खरीद की जाएगी।
  • उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी: AI तथा स्वायत्त प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन (Autonomous Systems Industry Alliance- ASIA) का शुभारंभ।
    • नई अमेरिका-भारत साझेदारियाँ
      • एन्दुरिल इंडस्ट्रीज तथा महिंद्रा ग्रुप – उन्नत समुद्री और AI-सक्षम काउंटर-ड्रोन सिस्टम का सह-विकास।
      • L3 हैरिस तथा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स – सक्रिय टोड ऐरे सोनार सिस्टम का विकास।
  • सैन्य अभ्यास तथा समझौते: भारत और अमेरिका रक्षा समन्वय को बढ़ाने के लिए मालाबार (नौसैनिक अभ्यास), युद्ध अभ्यास (सेना), कोप इंडिया (वायु सेना) और टाइगर ट्रायंफ जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करते हैं।
    • ‘टाइगर ट्रायंफ’ त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास का स्तर तथा जटिलता बढ़ाई जाएगी।
  • आतंकवाद निरोध और खुफिया जानकारी साझा करना: वैश्विक सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए दोनों देश आतंकवाद निरोध, साइबर सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने पर सहयोग करते हैं।
    • अमेरिका ने 26/11 मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दी।
    • दोनों देशों ने पाकिस्तान से 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आह्वान किया।

व्यापार एवं निवेश

  • द्विपक्षीय व्यापार: अमेरिका, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
    • वित्त वर्ष 2024 में भारत का अमेरिका के साथ 36.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष था।
  • ‘मिशन 500’- द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना: वर्ष 2030 तक अमेरिका-भारत व्यापार को 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना एक नया लक्ष्य है।
  • व्यापार घाटा: भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा वर्ष 2023 में लगभग 100 बिलियन था, जबकि भारत के पास 35 बिलियन का माल व्यापार अधिशेष था।
  • द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA): बाजार पहुँच में सुधार, व्यापार बाधाओं को कम करने और आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर वर्ष 2025 में बातचीत किये जाने की संभावना है।
  • प्रमुख व्यापार घटनाक्रम
    • टैरिफ में कटौती: भारत ने मोटरसाइकिल, कृषि उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों जैसे अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने के लिए कदम उठाए हैं।
      • भारत ने बोरबॉन व्हिस्की पर शुल्क 150% से घटाकर 100% कर दिया है।
    • अमेरिका भारतीय आमों, अनार और विनिर्मित वस्तुओं के लिए बाजार पहुँच बढ़ाएगा।
    • ग्रीनफील्ड उद्योगों में निवेश में वृद्धि, भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 7.35 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI): गूगल, अमेजन, एप्पल और टेस्ला जैसी अमेरिकी कंपनियों ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, विनिर्माण और खुदरा क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण निवेश किया है।
    • इसी तरह, इन्फोसिस, विप्रो और टाटा जैसी भारतीय फर्मों ने अमेरिका में परिचालन का विस्तार किया है, जिससे नौकरियों ले अवसरों में वृद्धि हुई है।

प्रौद्योगिकी एवं नवाचार

  • अंतरिक्ष सहयोग: NASA और ISRO NISAR (पृथ्वी अवलोकन उपग्रह) जैसी परियोजनाओं पर एक साथ काम कर रहे हैं।
  • सेमीकंडक्टर तथा AI विकास: महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर अमेरिका-भारत पहल (iCET) के तहत, दोनों देश AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर और 5G/6G प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे  हैं।
  • असैन्य परमाणु सहयोग: भारत में अमेरिका द्वारा डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टर निर्माण को सुविधाजनक बनाने के लिए अमेरिका-भारत 123 असैन्य परमाणु समझौते को लागू करने की योजना है।
    • भारत, अमेरिका-भारत परमाणु उद्योग सहयोग को बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (Civil Liability for Nuclear Damage Act- CLNDA) में संशोधन करने की योजना बना रहा है।
  • ट्रस्ट पहल का शुभारंभ: रक्षा, AI, अर्द्धचालक, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक और अंतरिक्ष में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक प्रौद्योगिकी (Transforming the Relationship Utilizing Strategic Technology- TRUST) का उपयोग करके संबंधों को प्रगाढ़ करने पर बल दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य एवं फार्मास्यूटिकल्स

  • दवा और वैक्सीन विकास: भारत, अमेरिका को जेनेरिक दवाओं और टीकों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
    • फार्मास्यूटिकल्स अमेरिका और भारत की नई शुरू की गई TRUST पहलों के फोकस क्षेत्रों में से एक है।
    • कोविड-19 वैक्सीन उत्पादन (कोवैक्स पहल) में सहयोग ने स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत किया है।
  • जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा अनुसंधान: भारत-अमेरिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम (IUSSTF) जैसी पहलों के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी, कैंसर उपचार और संक्रामक रोग नियंत्रण में संयुक्त अनुसंधान लगातार बढ़ रहा है।

बहुपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा

  • इंडो-पैसिफिक और हिंद महासागर क्षेत्र: भारत और अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक स्वतंत्र, खुला और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए क्वाड गठबंधन में सहयोग करते हैं।
    • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप वर्ष 2025 में क्वाड लीडर्स समिट के लिए भारत आएँगे।
  • मध्य पूर्व और बुनियादी ढाँचे का विकास: दोनों देश आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Corridor-IMEC) और I2U2 समूह (भारत, इजरायल, यूएई, अमेरिका) को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।
    • भारत वैश्विक कनेक्टिविटी में सुधार के लिए अंडरसी केबल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रहा है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता और खतरों का मुकाबला करना: दोनों देश दक्षिण एशिया को स्थिर करने, चीनी प्रभाव का को संतुलित करने और वैश्विक शांति प्रयासों को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करते हैं।

अमेरिका-भारत कॉम्पैक्ट (US-India COMPACT) क्या है?

  • उद्देश्य: COMPACT पहल का उद्देश्य रक्षा, वाणिज्य तथा प्रौद्योगिकी सहित सहयोग के प्रमुख स्तंभों में परिवर्तनकारी बदलाव लाना है।
  • रणनीतिक फोकस: इस पहल का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को संतुलित करना और भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है।

भारत-अमेरिका TRUST पहल

  • ट्रांसफॉर्मिंग रिलेशनशिप यूटिलाइजिंग स्ट्रैटेजिक टेक्नोलॉजी (Transforming Relationship Utilizing Strategic Technology- TRUST) पहल भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच महत्त्वपूर्ण खनिजों और फार्मास्यूटिकल्स के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के लिए एक द्विपक्षीय प्रयास है।
  • इस पहल का उद्देश्य चीन पर निर्भरता कम करना और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।

अमेरिका-भारत कॉम्पैक्ट पहल का शुभारंभ

  • नेताओं ने 21वीं सदी के लिए US-इंडिया कॉम्पैक्ट (सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना) का शुभारंभ किया।

भारत-अमेरिका संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ

  • व्यापार असंतुलन: अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा काफी अधिक है, जो वर्ष 2024 में लगभग 36 बिलियन डॉलर था। इसके कारण अमेरिका ने भारत की व्यापार प्रथाओं की आलोचना की है।
  • टैरिफ विवाद: अमेरिका ने मोटरसाइकिल, कृषि वस्तुओं और चिकित्सा उपकरणों जैसे उत्पादों पर भारत के उच्च टैरिफ की आलोचना की है। बदले में भारत ने भारतीय उत्पादों के संबंध में बाजार पहुँच पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बारे में चिंता जताई है।
  • डेटा स्थानीयकरण: अमेरिकी तकनीकी कंपनियों ने भारत की डेटा स्थानीयकरण नीतियों का विरोध किया है, जिसके तहत विदेशी फर्मों को भारत के भीतर डेटा संगृहीत करने की आवश्यकता होती है।
  • रूस पर भारत की निर्भरता: रूस के साथ भारत के लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों, जिसमें S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद भी शामिल है, ने अमेरिका के साथ टकराव पैदा किया है, जिसने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act- CAATSA) के तहत प्रतिबंधों की धमकी दी है।
  • रणनीतिक स्वायत्तता: रणनीतिक स्वायत्तता के लिए भारत की प्रतिबद्धता कभी-कभी वैश्विक मुद्दों, जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष पर संरेखण की अमेरिकी अपेक्षाओं से टकराव का सामना करती है।
  • चीन कारक: दोनों देश चीन की रणनीतियों के बारे में चिंताएँ साझा करते हैं किंतु उनके दृष्टिकोण भिन्न हैं। अमेरिका अधिक आक्रामक दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जबकि भारत चीन के साथ आर्थिक संबंध बनाए रखते हुए संतुलित दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है।
  • इंडो-पैसिफिक रणनीति: हालाँकि भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाली इंडो-पैसिफिक रणनीति में एक प्रमुख भागीदार है, लेकिन आसियान और क्वाड के दायरे जैसे अन्य क्षेत्रीय खिलाड़ियों की भूमिका को लेकर मतभेद बने हुए हैं।
  • आव्रजन और वीजा संबंधी मुद्दे: अमेरिका ने H1B वीजा कार्यक्रम पर प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं, जो भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • अवैध आव्रजन: अमेरिका ने भारत से अवैध आव्रजन के बारे में चिंता जताई है।
  • निर्वासन: हाल ही में अमेरिका ने भारतीय प्रवासियों को निर्वासित करना शुरू कर दिया है, जिससे भारत के लिए चिंता पैदा हो गई है।

आगे की राह 

  • द्विपक्षीय व्यापार समझौता: टैरिफ विवादों को हल करने और बाजार पहुँच बढ़ाने के लिए हाल ही में घोषित व्यापार समझौते की दिशा में कार्य करना।
  • टैरिफ युक्तीकरण: दोनों देशों को कृषि, ऑटोमोबाइल और चिकित्सा उपकरणों जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए आपसी टैरिफ कटौती पर बातचीत करनी चाहिए।
  • विविध रक्षा खरीद: भारत को मेक इन इंडिया पहल के तहत अमेरिका के साथ सह-उत्पादन और प्रौद्योगिकी साझाकरण को बढ़ाकर धीरे-धीरे अपने रक्षा आयात में विविधता लानी चाहिए।
  • CAATSA छूट वार्ता: भारत को CAATSA के तहत दीर्घकालिक छूट की माँग करनी चाहिए, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और रूसी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • संयुक्त सैन्य अभ्यास में वृद्धि: सामान्य सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए क्वाड, मालाबार अभ्यास और इंडो-पैसिफिक समुद्री सहयोग को मजबूत करना।
  • इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूत करना: भारत और अमेरिका को इंडो-पैसिफिक में बुनियादी ढाँचे के विकास, समुद्री सुरक्षा और आपूर्ति शृंखला लचीलेपन पर नीतियों को संरेखित करना चाहिए।
  • रूस-यूक्रेन संघर्ष कूटनीति: अमेरिका को भारत के तटस्थ रुख को स्वीकार करना चाहिए, जबकि भारत शांति प्रयासों का समर्थन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मध्यस्थता कर सकता है।
  • वीजा नीति में सुधार: भारत को उच्च H1B वीजा कोटा और भारतीय पेशेवरों के लिए प्रतिबंधों को कम करने के लिए वार्ता करनी चाहिए।
  • आतंकवाद-विरोधी समन्वय को मजबूत बनाना: भारत और अमेरिका को खुफिया जानकारी साझा करने और संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभियानों में सहयोग को बढ़ाना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत-अमेरिका संबंध वैश्विक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन व्यापार, रक्षा और भू-राजनीतिक चुनौतियों को हल करने के लिए आपसी सामंजस्य तथा संरचित संवाद की आवश्यकता है। एक संतुलित दृष्टिकोण – जिसमें व्यापार उदारीकरण, रणनीतिक सहयोग और वीजा नीति समायोजन पर जोर दिया जाता है, भारत-अमेरिका साझेदारी को एक व्यापक वैश्विक गठबंधन में बदल सकता है।

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