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भारत-अमेरिका समुद्री समझौता

Lokesh Pal May 03, 2025 02:40 19 0

संदर्भ

हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने IPMDA पहल के तहत समुद्री निगरानी के लिए भारत को 131 मिलियन डॉलर मूल्य की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री (Foreign Military Sale-FMS) को मंजूरी दी है।

PW OnlyIAS विशेष

विदेशी सैन्य बिक्री (Foreign Military Sales-FMS)

  • FMS कार्यक्रम अमेरिकी सरकार की G2G हथियार हस्तांतरण प्रक्रिया है, जिसका प्रबंधन रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (Defense Security Cooperation Agency- DSCA) द्वारा किया जाता है।
  • यह पारदर्शिता, जवाबदेही और अमेरिकी विदेश नीति के अनुपालन को सुनिश्चित करती है, जिससे अमेरिका के सहयोगी अमेरिकी सैन्य उपकरण और सेवाएँ खरीद सकें।

समुद्री क्षेत्र में भारत-अमेरिका समझौते के बारे में

  • इस सौदे में सीविजन सॉफ्टवेयर, अनुरोधित सॉफ्टवेयर संवर्द्धन, तकनीकी सहायता फील्ड टीम (TAFT) प्रशिक्षण, दूरस्थ विश्लेषण सहायता, दस्तावेजीकरण पहुँच और रसद शामिल हैं।
  • शामिल पक्ष: हॉकआई 360, एक US-आधारित फर्म, प्रमुख निविदाकर्ता है।
  • रणनीतिक प्रासंगिकता: यह बिक्री भारत की “प्रमुख रक्षा भागीदार” और इंडो-पैसिफिक में स्थिरता और प्रगति के एक ‘एंकर’ के रूप में भूमिका का समर्थन करने के लिए अमेरिकी विदेश नीति के साथ संरेखित है।

इंडो-पैसिफिक समुद्री डोमेन जागरूकता (IPMDA) पहल के बारे में

  • वर्ष 2022 में टोक्यो शिखर सम्मेलन के दौरान क्वाड देशों द्वारा लॉन्च किया गया।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण-आधारित पहल के रूप में डिजाइन किया गया।
  • उद्देश्य
    • “डार्क शिपिंग” की निगरानी करना और साझेदार देशों को वास्तविक समय समुद्री परिचालन परिदृश्य प्रदान करना।
    • तीन प्रमुख क्षेत्रों में निगरानी प्रयासों को एकीकृत करना: प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR)।
  • प्रयुक्त प्रौद्योगिकी
    • वाणिज्यिक उपग्रह-आधारित रेडियो आवृत्ति (RF) डेटा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और एकीकृत सूचना प्रणालियों का उपयोग करता है।
    • इसमें सीविजन जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जिनका उपयोग जहाज की गतिविधियों की निगरानी करने और संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • परिचालन क्षेत्र
    • इसमें भागीदारों के बीच डेटा साझाकरण और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय सूचना केंद्र स्थापित करना शामिल है।
    • शुरुआत में चयनित क्वाड देशों में इसका परीक्षण किया गया और अब यह पूर्ण पैमाने पर परिचालन शुरू करने की ओर बढ़ रहा है।

IPMDA पहल का महत्त्व

  • समुद्री सुरक्षा में वृद्धि: क्षेत्रीय देशों की निगरानी करने की क्षमता में सुधार:
    • अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मत्स्यन
    • समुद्री तस्करी
    • अनधिकृत नौसैनिक गतिविधियाँ।
      • “डार्क शिप”, जो स्वचालित पहचान प्रणाली (Automatic Identification System-AIS) संबंधी ट्रांसपोंडर को बंद कर देते हैं, अब अधिक सटीकता से ट्रैक किए जा सकेंगे।

भारत-अमेरिका रक्षा सौदे

  • नया 10 वर्षीय रक्षा ढाँचा समझौता: भारत और अमेरिका रणनीतिक रक्षा संबंधों को गहरा करने के लिए अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी के लिए एक नए दस वर्षीय ढाँचे पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं।
  • प्रमुख रक्षा प्लेटफॉर्म एकीकरण: भारत ने परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए C-130J सुपर हरक्यूलिस, P-8I पोसिडॉन, AH-64E अपाचे और MQ-9B ड्रोन जैसे अमेरिकी रक्षा उपकरण शामिल किए हैं।
  • आगामी खरीद और सह-उत्पादन: योजनाओं में स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की खरीद और ‘स्ट्राइकर इन्फैंट्री कॉम्बैट’ वाहनों का सह-उत्पादन शामिल है।
  • हथियारों के हस्तांतरण और प्रौद्योगिकी विनिमय को सुव्यवस्थित करना: दोनों देश अंतरराष्ट्रीय शस्त्र यातायात विनियमन (International Traffic in Arms Regulations- ITAR) की समीक्षा करेंगे और पारस्परिक रक्षा खरीद (Reciprocal Defense Procurement-RDP) समझौते पर वार्ता करेंगे।
  • स्वायत्त रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग: अमेरिका और भारत ने स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन (Autonomous Systems Industry Alliance-ASIA) की शुरुआत की, जिसमें एआई-आधारित समुद्री और एंटी-UAS प्रणालियों का सह-विकास शामिल है।

  • क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना: समान विचारधारा वाले इंडो-पैसिफिक देशों के बीच सहयोगात्मक समुद्री शासन को बढ़ावा देता है।
    • एक आम परिचालन तस्वीर स्थापित करने में मदद करता है, समुद्री प्रतिक्रिया संचालन में समन्वय में सुधार करता है।
  • चीनी समुद्री उपस्थिति का मुकाबला करना: कई इंडो-पैसिफिक देशों ने चीन के आक्रामक मत्स्यन नीति के संबंध में चिंता जताई है, जो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) का उल्लंघन करते हैं।
    • IPMDA इन कार्रवाइयों की निगरानी और समाधान के लिए एक तकनीक-संचालित प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
  • रणनीतिक महत्त्व: हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण भारत की समुद्री सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है।
    • यह पहल SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) कार्यक्रम के तहत भारत के मौजूदा प्रयासों की पूरक है और ब्लू इकोनॉमी संबंधी महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देती है।

निष्कर्ष

IPMDA के तहत भारत-अमेरिका सहयोग एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के साझा दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। यह समुद्री सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करता है और प्रौद्योगिकी एवं सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाता है।

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