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भारतीय सेना AI रोडमैप 2026-27

Lokesh Pal July 22, 2025 02:42 13 0

संदर्भ

पाकिस्तान और PoK में आतंकी ढाँचे को निशाना बनाने वाले सीमा पार अभियान, ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) से सीख लेते हुए, भारतीय सेना AI एकीकरण को तीव्रता से आगे बढ़ा रही है। वर्ष 2026-27 तक AI, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स को लागू करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया गया है।

भारतीय सेना का AI रोडमैप (2025-27)

  • उद्देश्य: युद्ध की तैयारी, दक्षता और रणनीतिक निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय सेना के अभियानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को एकीकृत करना।
  • समय सीमा: वर्ष 2025-27, भारत की व्यापक राष्ट्रीय AI रणनीति और आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप।
  • विज़न: भारतीय सेना को एक तकनीकी रूप से उन्नत, AI-संचालित बल में बदलना, जो आधुनिक युद्ध चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो।

AI रोडमैप के मुख्य उद्देश्य

  • परिचालन संवर्द्धन: वास्तविक समय आधारित खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही (ISR) के लिए AI का उपयोग।
    • AI-आधारित पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण के माध्यम से स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाना।
  • स्वायत्त प्रणालियाँ: युद्ध और गैर-युद्धक भूमिकाओं के लिए AI-सक्षम मानवरहित प्रणालियाँ (ड्रोन, रोबोट, वाहन) विकसित और तैनात करना।
    • समन्वित अभियानों के लिए सामूहिक खुफिया जानकारी पर ध्यान केंद्रित करना।
  • साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: उन्नत साइबर खतरों का मुकाबला करने के लिए AI-संचालित साइबर सुरक्षा को मजबूत करना।
    • सिग्नल जाम करना और खतरे का पता लगाने सहित इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए AI का उपयोग करना।
  • रसद और रखरखाव: पूर्वानुमानित विश्लेषण के लिए AI का उपयोग करके आपूर्ति शृंखलाओं और रसद को अनुकूलित करना।
    • टैंक, विमान और हथियारों जैसी महत्त्वपूर्ण संपत्तियों के पूर्वानुमानित रखरखाव के लिए AI को लागू करना।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: विभिन्न रैंकों के कर्मियों के लिए AI-केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थापित करना।
    • युद्ध खेल और सामरिक प्रशिक्षण के लिए AI-आधारित सिमुलेशन का उपयोग करना।

प्रमुख रक्षा AI परियोजनाएँ

  • युद्धक सूचना निर्णय समर्थन प्रणाली (Combat Information Decision Support System- CIDSS): भारतीय सेना द्वारा विकसित एक कमांड और नियंत्रण उपकरण है।
    • स्थितिजन्य जागरूकता, सामरिक योजना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित खतरे के पूर्वानुमान के लिए विभिन्न युद्धक्षेत्र इनपुट को एकीकृत करता है।
    • मुख्य उद्देश्य: कमांडरों को लगभग वास्तविक समय में डेटा आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाना।
  • परिचालन डेटा संलयन परियोजना: इसका उद्देश्य जमीनी, हवाई और उपग्रह स्रोतों से प्राप्त सेंसर इनपुट को एकीकृत करना है।
    • उच्च दबाव युक्त स्थितियों में सूचना अधिभार को कम करने और स्पष्टता में सुधार के लिए AI-आधारित संलयन एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
    • मल्टी-डोमेन संचालन के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है।
  • निगरानी और छवि विश्लेषण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता: DRDO और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के अंतर्गत परियोजनाएँ हैं:-
    • UAV/ड्रोन फुटेज व्याख्या के लिए कंप्यूटर विजन का उपयोग।
    • वस्तु पहचान, लक्ष्य वर्गीकरण और स्वचालित गतिविधि ट्रैकिंग।
    • सीमा सुरक्षा और आंतरिक आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहायता।
  • AI-आधारित लॉजिस्टिक्स प्रबंधन प्रणाली
    • अनुकूलन हेतु AI उपकरण: सैन्य गतिविधियों, गोला-बारूद और ईंधन आपूर्ति शृंखलाओं, वाहनों और विमानों के लिए पूर्वानुमानित रखरखाव आवश्यक है।
    • मैनुअल अपडेट और देरी पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से इसका उपयोग किया जा रहा है।
  • साइबर रक्षा AI परियोजनाएँ: CERT-IN और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) निम्नलिखित के निर्माण में संलग्न हैं:-
    • AI-संचालित पहचान प्रणालियाँ।
    • थ्रेट मॉडलिंग’ और हमले की भविष्यवाणी करने वाले उपकरण।
    • एन्क्रिप्टेड खतरे का पता लगाने के लिए डीप पैकेट निरीक्षण।
  • सैन्य उपयोग के लिए स्पीच और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Natural Language Processing- NLP) अनुप्रयोग: परीक्षणाधीन AI-आधारित स्पीच-टू-टेक्स्ट और बहुभाषी अनुवाद उपकरण।
    • सहायता के लिए निर्मित
      • भाषायी रूप से विविध क्षेत्रों में क्षेत्रीय कार्यवाहियाँ।
      • रक्षा बलों और खुफिया इकाइयों के बीच अंतर-संचालन।
  • स्वायत्त लड़ाकू ड्रोन (R&D चरण में): DRDO और निजी रक्षा स्टार्ट-अप द्वारा AI-नेतृत्व वाले ड्रोन का विकास।
    • लक्ष्यों में स्वायत्त नेविगेशन, लक्ष्य पहचान और संलग्नता, स्वार्म समन्वय (अमेरिकी/इजरायली सिद्धांतों से प्रेरित) शामिल हैं।
    • स्वार्म ड्रोन में AI क्षमता: आक्रामक और रक्षात्मक कार्यों के दौरान हवाई युद्धाभ्यास क्षमता प्रदान करता है।
    • प्रोजेक्ट स्टॉर्म ड्रोन: घातक और सामान्य पेलोड वाले AI-सक्षम स्वचालित कक्ष हस्तक्षेप ड्रोन सिस्टम का उपयोग GPS निषिद्ध क्षेत्रों में भवन निकासी और शहरी निगरानी के लिए किया जाता है।
  • परिचालन दक्षता के लिए AI उपकरण: खुफिया रिपोर्टों के लिए LLM आधारित टेक्स्ट समरी
    • परिचालन सहायता के लिए चैटबॉट, फेस रिकॉगनिशन, वॉइस-टू-टेक्स्ट प्रणालियाँ।
  • सिमुलेशन और वॉरगेमिंग प्लेटफॉर्म: प्रशिक्षण के लिए युद्धक्षेत्र की स्थितियों का अनुकरण करने हेतु AI का उपयोग।

रक्षा में AI के अनुप्रयोग

  • खुफिया, निगरानी और टोही (Intelligence, Surveillance, and Reconnaissance- ISR)
    • वास्तविक समय डेटा विश्लेषण: AI वास्तविक समय में खतरे का पता लगाने और स्थितिजन्य जागरूकता के लिए उपग्रह इमेजरी, ड्रोन फीड और सिग्नल इंटेलिजेंस को संसाधित करता है।
      • उदाहरण: भारत की सीमाओं पर संभावित खतरों की पहचान के लिए सीमा निगरानी डेटा का AI-आधारित विश्लेषण।
    • पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण: दुश्मन की गतिविधियों का पूर्वानुमान लगाने, खतरों का आकलन करने और स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है।
      • उदाहरण: वास्तविक समय युद्धक्षेत्र खुफिया जानकारी के लिए C4ISR ढाँचे के अंतर्गत भारतीय सेना की AI-संचालित ISR प्रणालियाँ।
    • स्वचालित लक्ष्य पहचान: AI एल्गोरिदम दृश्य या सेंसर डेटा से लक्ष्यों की पहचान और वर्गीकरण करते हैं, जिससे मानवीय त्रुटि कम होती है।
      • उदाहरण: DRDO के नेत्र UAV जैसे ड्रोन निगरानी प्रणालियों में एकीकरण।
  • स्वायत्त प्रणालियाँ
    • मानवरहित हवाई वाहन (UAV): टोही, निगरानी और लक्षित अभियानों के लिए AI-संचालित ड्रोन।
    • मानवरहित जमीनी वाहन (UGV) और नौसेना प्रणालियाँ: खतरनाक क्षेत्रों में रसद, बारूदी सुरंगों का पता लगाने और युद्ध सहायता के लिए AI-संचालित रोबोट वाहन।
      • उदाहरण: जगुआर रोबोट, एक अर्द्ध-स्वायत्त मानवरहित जमीनी वाहन (UGV), मुख्य रूप से इजरायल रक्षा बलों (IDF) द्वारा गाजा पट्टी सीमा पर सीमा गश्ती अभियानों के लिए उपयोग किया जाता है।
    • स्वार्म इंटेलिजेंस: क्षेत्र पर प्रभुत्व या हमले जैसे कार्यों के लिए AI का उपयोग करके कई स्वायत्त इकाइयों का समन्वित संचालन।
      • स्वार्म ड्रोन रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे संघर्षों में सफल सिद्ध हुए हैं।
  • साइबर सुरक्षा
    • घुसपैठ का पता लगाना और प्रतिक्रिया: AI प्रणालियाँ मैलवेयर और हैकिंग प्रयासों सहित साइबर खतरों का वास्तविक समय में पता लगाती हैं और उन्हें अप्रभावी करती हैं।
      • उदाहरण: भारतीय सेना की साइबर शील्ड’ पहल, सैन्य नेटवर्क को AI-संचालित साइबर हमलों से बचाने के लिए उपयोग की जाती है।
    • प्रतिकूल AI का मुकाबला: AI तकनीकों का लाभ उठाकर दुश्मन के साइबर हमलों की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए AI उपकरण।
    • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: सिग्नल जाम करना, अवरोधन और दुश्मन इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों का मुकाबला करने के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है।
  • रसद और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन
    • आपूर्ति शृंखला अनुकूलन: कुशल संचालन के लिए AI संसाधन आवंटन, इन्वेंट्री प्रबंधन और आपूर्ति शृंखला रसद को अनुकूलित करता है।
      • उदाहरण: वास्तविक समय आपूर्ति ट्रैकिंग के लिए भारतीय सेना के AI रोडमैप के अंतर्गत स्मार्ट लॉजिस्टिक्स सिस्टम।
    • पूर्वानुमानित रखरखाव: AI उपकरणों की खराबी (जैसे- टैंक, विमान) का पूर्वानुमान लगाकर डाउनटाइम और रखरखाव लागत को कम करता है।
      • उदाहरण: बेड़े के रखरखाव को अनुकूलित करने, विमान की उपलब्धता बढ़ाने और डाउनटाइम को कम करने के लिए अमेरिकी वायु सेना का कंडीशन-बेस्ड मेंटेनेंस प्लस (CBM+) कार्यक्रम।
    • संसाधन आवंटन: AI-संचालित प्रणालियाँ युद्ध और गैर-युद्ध परिदृश्यों में संसाधनों का इष्टतम वितरण सुनिश्चित करती हैं।
  • निर्णय समर्थन प्रणाली
    • वास्तविक समय में निर्णय लेना: AI कमांडरों को गतिशील युद्ध वातावरण में त्वरित निर्णय लेने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
      • उदाहरण: वास्तविक समय में युद्धक्षेत्र रणनीति निर्माण के लिए AI-आधारित C4ISR प्रणालियाँ।
    • जोखिम मूल्यांकन और मॉडलिंग: AI मॉडल जोखिमों का आकलन करने और रणनीतियों की योजना बनाने के लिए परिदृश्यों का अनुकरण करते हैं।
    • कमान और नियंत्रण संवर्धन: AI केंद्रीकृत कमान और नियंत्रण का समर्थन करने के लिए कई स्रोतों से डेटा को एकीकृत करता है।
  • प्रशिक्षण और सिमुलेशन
    • इमर्सिव ट्रेनिंग: यथार्थवादी प्रशिक्षण वातावरण के लिए AI-संचालित वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR)
    • वॉर-स्पोर्ट’ सिमुलेशन: AI रणनीतिक और सामरिक प्रशिक्षण के लिए जटिल परिदृश्य तैयार करता है, जिससे तैयारी में सुधार होता है।
    • व्यक्तिगत प्रशिक्षण: AI व्यक्तिगत सैन्य प्रदर्शन और कौशल अंतराल के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करता है।
  • स्वास्थ्य निगरानी और चिकित्सा सहायता
    • सैनिक स्वास्थ्य निगरानी: AI-संचालित प्रणालियाँ, वास्तविक समय में सैनिकों के स्वास्थ्य की निगरानी करती हैं, विशेष रूप से दूरस्थ या युद्ध क्षेत्रों में।
      • उदाहरण: AI-आधारित स्वास्थ्य निदान और निगरानी के लिए प्रोजेक्ट भीष्म और भीष्म 2.0
    • चिकित्सा निर्णय सहायता: AI, क्षेत्रीय अस्पतालों में चोटों के निदान और उपचार की सिफारिश करने में सहायता करता है।
      • उच्च-तीव्रता वाले संघर्ष क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार और चिकित्सा रसद के लिए AI उपकरण।

रक्षा AI परिनियोजन में चुनौतियाँ

  • रक्षा-विशिष्ट डेटा पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव: AI प्रणालियों के लिए बड़े, स्वच्छ और मिशन-उन्मुख डेटासेट की आवश्यकता होती है, लेकिन भारत में सैन्य डेटा खंडित, प्रायः वर्गीकृत और मानकीकृत होता है।
    • यह वस्तु पहचान, खतरे की भविष्यवाणी या युद्धक्षेत्र सिमुलेशन के लिए AI प्रशिक्षण को सीमित करता है, विशेषतः भारतीय भू-भाग और संघर्ष स्थितियों में।
  • पुराने प्लेटफॉर्म के साथ एकीकरण की चुनौतियाँ: अधिकांश भारतीय रक्षा प्लेटफॉर्म AI को ध्यान में रखकर नहीं बनाए गए थे, जिससे रेट्रोफिटिंग जटिल और महंगी हो गई।
    • टैंक, विमान और तोपखाने जैसी पुरानी प्रणाली को पूर्वानुमानित रखरखाव या सेंसर फ्यूजन के लिए AI मॉड्यूल एम्बेड करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • युद्ध क्षेत्र में उपयोग में नैतिक और कानूनी अस्पष्टता: घातक बल का उपयोग करने वाली स्वायत्त प्रणालियों के लिए कोई स्पष्ट कानूनी ढाँचा या जवाबदेही मानदंड नहीं हैं।
    • लक्ष्यीकरण के लिए AI का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत चिंताएँ उत्पन्न करता है, विशेषतः यदि नागरिकों की गलत पहचान की जाती है या संपार्श्विक क्षति होती है।
  • पारदर्शिता और व्याख्यात्मकता का अभाव: कई AI प्रणालियाँ, विशेष रूप से गहन शिक्षण मॉडल, निर्णय लेने में व्याख्यात्मकता और पारदर्शिता का अभाव रखती हैं।
    • यह कमांडरों के बीच महत्त्वपूर्ण अभियानों के दौरान AI पर विश्वास करने में संशय उत्पन्न करता है, जहाँ मानवीय निर्णय और पता लगाने की क्षमता आवश्यक होती है।
  • साइबर और प्रतिकूल हमलों की कमजोरियाँ: AI को स्पूफिंग, डेटा पॉइजनिंग और प्रतिकूल इनपुट के माध्यम से हेर-फेर किया जा सकता है, जिससे इसकी विश्वसनीयता से समझौता होता है।
    • ड्रोन या निगरानी प्रणालियों को परिवर्तित दृश्य इनपुट द्वारा गुमराह किया जा सकता है या खतरों को गलत वर्गीकृत करने या लक्ष्यीकरण प्रोटोकॉल को गलत तरीके से लागू करने के लिए हैक किया जा सकता है।
  • कुशल AI-तैयार रक्षा कार्यबल की कमी: सैन्य परिस्थितियों में AI उपकरणों को विकसित करने, उनकी व्याख्या करने या उन्हें तैनात करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है।
    • ऑपरेशनल कमांडरों में प्रायः एल्गोरिदम की जानकारी का अभाव होता है, जिससे AI-सक्षम प्रणालियों की प्रभावी तैनाती और निगरानी में कमी आती है।
  • विदेशी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर निर्भरता: भारत आयातित AI चिप्स, प्रोसेसर और एल्गोरिदम पर बहुत अधिक निर्भर है, जिससे रणनीतिक कमजोरियों का खतरा बना रहता है।
    • भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति में, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान या अंतर्निहित मैलवेयर के कारण प्रमुख AI बुनियादी ढाँचे तक पहुँच प्रतिबंधित या प्रभावित हो सकती है।

रक्षा में AI के लिए सरकारी समर्थन और पहल

  • रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX 2018): रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रमुख पहल, जिसका उद्देश्य स्टार्ट-अप्स, MSME और नवप्रवर्तकों को शामिल करके रक्षा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है।
    • AI में भूमिका
      • स्वायत्त प्रणालियों, साइबर सुरक्षा और ISR प्रौद्योगिकियों सहित AI-आधारित रक्षा समाधानों के विकास का समर्थन करता है।
      • AI परियोजनाओं पर कार्यरत स्टार्ट-अप्स को वित्तपोषण, मार्गदर्शन और बाजार पहुँच प्रदान करता है।
  • रक्षा AI परिषद (2019): रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा अभियानों में AI को अपनाने के लिए मार्गदर्शन हेतु स्थापित एक सलाहकार निकाय।
    • कार्य
      • सैन्य अनुप्रयोगों में AI एकीकरण हेतु नीतियाँ तैयार करना।
      • रोडमैप कार्यान्वयन हेतु भारतीय सेना, DRDO और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय स्थापित करना।
  • AI टास्क फोर्स (2018): रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में AI को अपनाने हेतु रणनीतियों की सिफारिश करने हेतु भारत सरकार द्वारा गठित।
    • मुख्य सिफारिशें
      • ISR, साइबर सुरक्षा और स्वायत्त प्रणालियों में AI का एकीकरण।
      • रक्षा कर्मियों के लिए AI अनुसंधान केंद्रों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की स्थापना।
      • AI नवाचार के लिए सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • रक्षा AI परियोजना एजेंसी (DAIPA 2019): रक्षा संगठनों में AI को अपनाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और कार्यान्वयन ढाँचा प्रदान करने हेतु DAIPA की स्थापना की गई थी।
    • यह भारतीय सेना में AI परियोजनाओं और पहलों के लिए केंद्रीय निष्पादन निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • DRDO में AI अनुसंधान एवं विकास
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं रोबोटिक्स केंद्र (CAIR), बंगलूरू (1986): रक्षा प्रणालियों के लिए DRDO वैज्ञानिकों को AI में प्रशिक्षित करने हेतु कार्यशालाएँ आयोजित करता है और नवाचार एवं सहयोग को बढ़ावा देकर स्टार्ट-अप्स का समर्थन करता है।
    • DRDO युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ (DYSL)
      • DYSL-AI: AI-संबंधित अनुसंधान और अनुप्रयोगों पर केंद्रित।
      • DYSL-CT (संज्ञानात्मक प्रौद्योगिकी): रक्षा के लिए संज्ञानात्मक प्रौद्योगिकी प्रगति पर केंद्रित।
    • रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान (DIAT): AI और मशीन लर्निंग में प्रमाणित पाठ्यक्रम प्रदान करता है।

सैन्य और रक्षा में AI का वैश्विक उपयोग

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: स्वायत्त प्रणालियों और निर्णय प्रभुत्व के लिए AI
    • अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) अपने संयुक्त कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र (JAIC) और प्रोजेक्ट मावेन के माध्यम से AI एकीकरण का नेतृत्व कर रहा है।
    • AI का उपयोग ड्रोन निगरानी (जैसे, अफ़गानिस्तान में), युद्धक्षेत्र डेटा संलयन, स्वायत्त नौसैनिक जहाजों और पूर्वानुमानित रसद के लिए किया जाता है।
    • DARPA का OFFSET कार्यक्रम शहरी युद्ध सिमुलेशन के लिए ड्रोन स्वॉर्मिंग को सक्षम बनाता है।
  • चीन: सैन्य-नागरिक संलयन और AI-संचालित रणनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ
    • चीन की वर्ष 2017 की AI रणनीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक उसे वैश्विक AI नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करना है, जिसमें इंटेलिजेंस वॉर’ के माध्यम से सैन्य श्रेष्ठता भी शामिल है।
    • PLA चेहरे की पहचान, उपग्रह ट्रैकिंग, साइबर संचालन और निर्णय लेने के उपकरणों के लिए AI का उपयोग करता है।
    • बाइडू और अलीबाबा जैसी तकनीकी दिग्गजों के साथ सहयोग सैन्य-नागरिक संलयन” सिद्धांत के तहत सैन्य-स्तरीय AI अनुप्रयोगों में सहायता करता है।
  • रूस: इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और मानवरहित प्रणालियों में AI
    • रूस इलेक्ट्रॉनिक प्रतिवाद, युद्धक्षेत्र सिमुलेशन और यूरेन-9 जैसे स्वायत्त जमीनी वाहनों के लिए AI का उपयोग करता है।
    • AI साइबर अभियानों, दुष्प्रचार अभियानों और हाइपरसोनिक हथियारों की निर्णय-समर्थन प्रणालियों में अंतर्निहित है।
    • रूस संयुक्त अभ्यासों में AI-आधारित कमांड-एंड-कंट्रोल का भी परीक्षण करता है।
  • इजरायल: AI-एकीकृत सटीक युद्ध
    • इजरायल युद्धक्षेत्र AI में अग्रणी है, विशेष रूप से आयरन डोम और हार्पी स्वायत्त लोइटरिंग हथियारों में इसके उपयोग के माध्यम से।
    • AI का उपयोग इमेज प्रोसेसिंग, निगरानी ड्रोन और पूर्वानुमानित सीमा निगरानी में किया जाता है।
    • ऑपरेशन गार्जियन ऑफ द वॉल्स (2021) में, इजरायल ने कथित तौर पर त्वरित लक्ष्यीकरण डेटाबेस बनाने के लिए AI का प्रयोग किया था।
  • यूनाइटेड किंगडम: सामरिक कमान और ISR में AI
    • ब्रिटेन की सामरिक कमान खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) और खतरे के आकलन को बेहतर बनाने के लिए AI के साथ प्रयोग कर रही है।
    • नाटो द्वारा AI-संचालित साइबर रक्षा प्रणालियों का परीक्षण किया जा रहा है।
    • ब्रिटेन घातक प्रणालियों में AI के लिए नैतिक ढाँचे में भी निवेश कर रहा है।

कुछ पारंपरिक हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (CCW) – LAWS (घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों) पर सरकारी विशेषज्ञों का समूह (GGE)

  • वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था।
  • कार्यादेश: घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से संबंधित प्रणालियाँ भी शामिल हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) नियमों का एक समूह है, जो मानवीय कारणों से सशस्त्र संघर्ष के प्रभावों को सीमित करने का प्रयास करता है।

आगे की राह

  • स्पष्ट कानूनी ढाँचा विकसित करना: स्वायत्त कार्यों के लिए जवाबदेही को परिभाषित करते हुए, AI-संचालित रक्षा प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियम तैयार करना।
    • घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों (LAWS) को विनियमित करने के लिए UNCCW (पारंपरिक हथियारों पर अभिसमय) की चर्चाओं में बाध्यकारी समझौतों का समर्थन करना, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
  • AI की व्याख्यात्मकता बढ़ाना: निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने और कमांडरों का विश्वास और जवाबदेही बढ़ाने के लिए व्याख्यात्मक AI (XAI) में निवेश करना।
    • DRDO का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स केंद्र (CAIR) कमांड सूचना और निर्णय समर्थन प्रणाली (CIDSS) तथा निगरानी उपकरणों जैसी प्रणालियों के लिए XAI अनुसंधान को प्राथमिकता देगा।
  • एल्गोरिथ्म संबंधी पूर्वाग्रहों को कम करना: भारत-विशिष्ट भू-भागों और संघर्ष परिदृश्यों को शामिल करते हुए, AI प्रशिक्षण के लिए विविध, मानकीकृत डेटासेट का उपयोग करना।
    • उच्च गुणवत्ता वाले, निष्पक्ष डेटा सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेशनल डेटा फ्यूजन परियोजना के तहत एक केंद्रीकृत रक्षा डेटा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना।
  • IHL अनुपालन को मजबूत बनाना: IHL सिद्धांतों को AI एल्गोरिदम में शामिल करना, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रणालियाँ विभेद, आनुपातिकता और आवश्यकता को प्राथमिकता देना।
    • अनिवार्य ह्यूमन-इन-द-लूप’ प्रोटोकॉल के माध्यम से AI परियोजनाओं (जैसे- स्वायत्त ड्रोन, C4ISR) को IHL के साथ संरेखित करना।
  • मानव निरीक्षण को बढ़ावा देना: नैतिक निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिए सभी AI-संचालित घातक प्रणालियों के लिए ह्यूमन-इन-द-लूप’ प्रोटोकॉल को अनिवार्य करना।
    • प्रोजेक्ट स्टॉर्म ड्रोन और स्वार्म ड्रोन जैसी परियोजनाओं में मानव निरीक्षण प्रोटोकॉल को शामिल करना।
  • सुरक्षित डेटा गोपनीयता: सुरक्षितडेटा लेक्स’ का निर्माण करना और AI-संसाधित सैन्य डेटा के लिए सख्त पहुँच नियंत्रण लागू करना।
    • संवेदनशील डेटा (जैसे- ISR, रसद) की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा उपायों के साथ ऑपरेशनल डेटा फ्यूजन प्रोजेक्ट को मजबूत बनाना।
  • नैतिक AI के लिए क्षमता निर्माण: कौशल अंतराल को पाटने और विश्वास निर्माण के लिए AI के नैतिक उपयोग तथा कानूनी निहितार्थों पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना।
    • नैतिक AI प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए AI उत्कृष्टता केंद्रों और उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (DIAT) का लाभ उठाना।
  • वैश्विक सहयोग और वकालत: नैतिक AI मानदंडों को आकार देने और AI हथियारों की होड़ को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र CCAC जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों में भाग लेना।
    • मानव-केंद्रित AI दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव करना, जिससे रक्षा क्षेत्र में जिम्मेदार AI के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को बल मिले।

निष्कर्ष 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तीव्र निर्णय लेने, स्वायत्त संचालन और बेहतर परिस्थितिजन्य जागरूकता को सक्षम बनाकर रक्षा क्षेत्र में बदलाव ला रही है। भारत का वर्ष 2025-27 का AI रोडमैप उसे नैतिक, अवसंरचनात्मक और रणनीतिक चुनौतियों का समाधान करते हुए अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने की स्थिति में रखता है। इसकी सफलता स्वदेशीकरण, अंतर-संचालन और क्षमता निर्माण पर निर्भर करती है।

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