100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारतीय सेना के आधुनिकीकरण हेतु महत्त्वाकांक्षी रोडमैप

Lokesh Pal July 09, 2025 02:15 11 0

संदर्भ

फिक्की के “न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज” सम्मेलन में, भारतीय सेना ने एक व्यापक आधुनिकीकरण रोडमैप का अनावरण किया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं में परिवर्तन करना है।

संबंधित तथ्य

  • इससे पहले, रक्षा मंत्रालय (MoD) ने भी सशस्त्र बलों को बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन में सक्षम तकनीकी रूप से उन्नत युद्ध के लिए तैयार बल में परिवर्तित करने के लिए वर्ष 2025 को ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।

भारतीय सेना के आधुनिकीकरण रोडमैप की मुख्य विशेषताएँ

आत्मनिर्भरता के लिए रणनीतिक तालमेल
  • तीना  प्रकार का सहयोग: सैन्य (परिचालन संबंधी आवश्यकताओं), नीति निर्माता (सक्षम ढाँचे), उद्योग (अभिनव डिलीवरी)।
  • रक्षा तकनीक त्वरण निधि, तीव्र विनियामक मंजूरी, सरलीकृत खरीद के लिए आह्वान।
  • प्रौद्योगिकी केंद्रों, इन्क्यूबेशन केंद्रों और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्रयास करना।
उन्नत हथियार प्रणालियाँ और सामरिक निवारण
  • अति तीव्र, गतिशील हथियारों का विकास
    • हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs)
    • हाइपरसोनिक एयर-ब्रीदिंग इंजन (HEBs)
    • चौथी, पाँचवीं और छठी पीढ़ी की मिसाइलें
  • पारंपरिक गोला-बारूद से बदलाव
    • स्मार्ट PGM (सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री)
    • लक्षित, संपार्श्विक हमलों के लिए संचलनीय युद्ध सामग्री
निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapons- DEWs)
  • उच्च ऊर्जा लेजर और माइक्रोवेव प्रणालियों की तैनाती
    • ड्रोन विरोधी अभियान
    • मिसाइल रक्षा
    • एंटी-सैटेलाइट (ASAT) क्षमताएँ
साइबर एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW)
  • उद्देश्य: स्पेक्ट्रम प्रभुत्व के माध्यम से
    • अगली पीढ़ी के साइबर रक्षा उपकरण।
    • स्वायत्त EW समाधान।
    • सुरक्षित संचार के लिए लचीले उपग्रह नेटवर्क।
सैन्य केंद्रित आधुनिकीकरण
  • सेना को अधिक स्मार्ट एवं घातक बनाने पर ध्यान केंद्रित करना:
    • एक्सोस्केलेटन, मानव वृद्धि प्रणाली।
    • स्मार्ट बॉडी आर्मर, AR-आधारित युद्धक्षेत्र प्रणाली।
    • AI-संचालित हेलमेट, स्मार्ट परिधान और वास्तविक समय स्वास्थ्य निगरानी।
स्मार्ट लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर
  • सतत्, साइबर-लचीले सिस्टम के लिए लॉजिस्टिक्स की मरम्मत
    • AI, ब्लॉकचेन, IoT एकीकृत आपूर्ति शृंखला का निर्माण करना।
    • हरित लॉजिस्टिक्स और भविष्य के लिए तैयार बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करना।

रक्षा आधुनिकीकरण के बारे में

  • एक सतत् और रणनीतिक प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य किसी राष्ट्र के हथियारों, निगरानी प्रणालियों और सैन्य प्रौद्योगिकी को उन्नत करना है।
  • निर्देशित: खतरे की अवधारणा, परिचालन आवश्यकताएँ और तकनीकी प्रगति।
  • महत्त्व: एक मजबूत रक्षा बुनियादी ढाँचा न केवल आक्रामकता को रोकने और राष्ट्रीय संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

रक्षा आधुनिकीकरण की आवश्यकता

  • युद्ध क्षमताओं में वृद्धि: युद्ध की तत्परता को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक हथियारों, उन्नत सेंसर और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री के साथ सैन्य प्लेटफॉर्मों को उन्नत करना।
  • ऑपरेशनल दक्षता में सुधार: तीव्र लामबंदी, वास्तविक समय में निर्णय लेने और खतरे की प्रतिक्रिया को सक्षम करने के लिए रसद, संचार और कमांड सिस्टम का आधुनिकीकरण करना।
  • एकीकरण और संयुक्त संचालन: एकीकृत थिएटर कमांड, सामान्य सिद्धांतों और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं के माध्यम से सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच अंतर-सेवा तालमेल को बढ़ावा देना।
  • हाइब्रिड युद्ध का उदय: आधुनिक खतरे बहुआयामी हैं और इनमें शामिल हैं:
    • सूचना युद्ध: अपनी सुरक्षा करते हुए दुश्मन की सूचना प्रणाली को बाधित, चुराकर या उसमें हस्तक्षेप करके लाभ प्राप्त करना।
    • साइबर युद्ध: सैन्य नेटवर्क, उपग्रह और कमांड सिस्टम जैसे महत्त्वपूर्ण डिजिटल बुनियादी ढाँचे पर हमला करना या उनका बचाव करना।
    • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: दुश्मन की प्रणालियों को बाधित करने के लिए विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम उपकरणों (जैसे- जैमिंग) का उपयोग करना।
    • अंतरिक्ष का शस्त्रीकरण: उपग्रहों, अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) और यहाँ तक कि जमीनी परिसंपत्तियों को भी निशाना बनाने में सक्षम हथियारों की बाह्य अंतरिक्ष में तैनाती की जा रही है।
  • इसके लिए उच्च तकनीक समाधानों की आवश्यकता होती है, जैसे कि AI-आधारित प्रणालियाँ, क्वांटम संचार, एंटी-सैटेलाइट (ASAT) क्षमताएँ और अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता उपकरण।

भारत में रक्षा का स्वदेशीकरण

एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Programme -IGMDP) (1983)

  • भारत ने प्रमुख मिसाइल प्रणालियों को विकसित करके आयात पर निर्भरता कम करने के लिए IGMDP की शुरुआत की:
    • पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल
    • आकाश: सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल
    • त्रिशूल: कम दूरी की नौसैनिक मिसाइल
    • नाग: एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
    • अग्नि: बैलिस्टिक मिसाइल शृंखला
  • प्रगति के बावजूद, ये प्रयास सशस्त्र बलों की पूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने में असफल रहे हैं।

सह-विकास की ओर बदलाव

  • भारत विदेशी साझेदारों के साथ संयुक्त विकास और उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ा।
  • मुख्य उदाहरण: ब्रह्मोस – एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जिसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

स्वदेशीकरण की प्रमुख पहल

  • रक्षा खरीद नीति (DPP 2016): खरीद (भारतीय-IDDM) को सर्वोच्च प्राथमिकता श्रेणी के रूप में प्रस्तुत किया गया।
    • प्राथमिकता दी गई
      • खरीद (भारतीय स्रोत से)
      • खरीद और निर्माण (भारतीय स्रोत से)
      • नया रूप देकर खरीदना (वैश्विक स्रोत से)।
  • डिजिटल सुधार
    • ई-बिज पोर्टल: औद्योगिक लाइसेंस (Industrial License- IL) और औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन (Industrial Entrepreneur Memorandum- IEM) आवेदनों को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया।
    • औद्योगिक लाइसेंसों में वार्षिक क्षमता पर प्रतिबंध हटा दिए गए।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी
    • रक्षा उत्पादन में लघु विनिर्माण उद्यमों (Small Manufacturing Enterprises- SME) को शामिल करने के लिए विक्रेता विकास दिशा-निर्देश जारी किए गए।
    • रक्षा PSU तथा आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board- OFB) द्वारा आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दिया गया।
  • आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board- OFB) का निगमीकरण
    • दक्षता, चपलता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए।
  • समान अवसर
    • सार्वजनिक और निजी अभिकर्ताओं के बीच एक समान सीमा शुल्क लागू किया गया।

प्रमुख स्वदेशी परियोजनाएँ

  • INS विक्रांत (IAC-1): भारतीय नौसेना के लिए पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत।
  • प्रोजेक्ट 75 (कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियाँ)
    • मझगाँव डॉक लिमिटेड द्वारा निर्मित, फ्राँस के नौसेना समूह (DCNS) द्वारा डिजाइन किया गया।
    • इसमें INS कलवरी, खंडेरी, वेला, S53–S55 शामिल हैं।
  • अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक: DRDO द्वारा तीसरी पीढ़ी के मुख्य युद्धक टैंक के रूप में विकसित।
  • धनुष: भारत की पहली स्वदेशी लंबी दूरी की तोप (‘देसी बोफोर्स’)।
  • पिनाका: आर्मामेंट रिसर्च डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (पुणे) द्वारा विकसित मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम।
  • अग्नि शृंखला (अग्नि V सहित): सामरिक मिसाइल शस्त्रागार के हिस्से के रूप में विकसित।
  • निर्भय, आकाश, पृथ्वी मिसाइल: DRDO के तहत स्वदेशी विकास।
  • ब्रह्मोस: भारत-रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, एक वैश्विक सफलता की कहानी।

सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए भारत की पहल

  • 10-वर्षीय एकीकृत क्षमता विकास योजना (Integrated Capability Development Plan- ICDP): भविष्य की खरीद को उभरते खतरों के साथ संरेखित करना।
    • अंतरिक्ष, साइबर और विशेष संचालन डोमेन में क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देना।
  • विशिष्ट सैन्य संरचनाओं को सक्रिय रूप से एकीकृत करना: डोमेन-विशिष्ट युद्ध तत्परता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, रक्षा साइबर एजेंसी और सशस्त्र बल विशेष संचालन प्रभाग (Armed Forces Special Operations Division – AFSOD) जैसी विशिष्ट सैन्य संरचनाओं का सक्रिय रूप से एकीकरण किया जा रहा है।
    • सेवाओं के बीच संयुक्तता और अंतर-संचालन को बढ़ावा देना।
    • रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी – सैन्य अंतरिक्ष-आधारित संचालन को मजबूत करना।
    • रक्षा साइबर एजेंसी – साइबर युद्ध और साइबर रक्षा क्षमताओं का निर्माण करना।
    • सशस्त्र बल विशेष संचालन प्रभाग (Armed Forces Special Operations Division- AFSOD)- तीव्र प्रतिक्रिया, अंतर-सेवा विशेष संचालन पर केंद्रित है।
  • स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना: सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची का विस्तार करके और आयात को घरेलू विकल्पों से बदलने के लिए सृजन पोर्टल का लाभ उठाकर स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना।
    • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची: घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 400 से अधिक वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध।
  • रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचारों के माध्यम से नवाचार (iDEX): महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों पर कार्य करने वाले अधिक स्टार्ट-अप और MSME को निधि देने के लिए iDEX को बढ़ाना।
    • सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए मेक-I और मेक-II परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना।
    • होनहार तकनीकी नवाचारों के लिए ₹1.5 करोड़ तक का वित्तपोषण।
    • सैन्य उपयोगकर्ताओं और नवप्रवर्तकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
  • सैनिक प्रणालियों का आधुनिकीकरण: सैनिकों को एक्सोस्केलेटन, AI-संचालित हेलमेट, AR-आधारित कमांड सिस्टम और स्मार्ट बॉडी आर्मर से युक्त करना।
    • वास्तविक समय पर स्वास्थ्य निगरानी और एकीकृत युद्धक्षेत्र जागरूकता सुनिश्चित करना।
  • रक्षा रसद को डिजिटाइज करना: हरित, साइबर अनुकूल और कुशल तंत्र निर्माण के लिए रसद और आपूर्ति शृंखलाओं में AI, ब्लॉकचेन और IoT को एकीकृत करना।
    • रखरखाव और परिचालन तत्परता के लिए पूर्वानुमानित विश्लेषण का उपयोग करना।
  • एकीकृत थिएटर कमांड (Integrated Theatre Commands- ITCs): एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में एक कमांडर के तहत सेना, नौसेना और वायु सेना के एकीकृत नियंत्रण के लिए एक प्रस्तावित संरचना।
    • इसका उद्देश्य निर्बाध अंतर-सेवा समन्वय और संयुक्त संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सक्षम करके परिचालन दक्षता को बढ़ाना है।

भारत के रक्षा क्षेत्र में प्रमुख घटनाक्रम

  • स्वदेशी रक्षा को बढ़ावा
    • रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन: ₹1.46 लाख करोड़ (वित्त वर्ष 25)
    • रक्षा निर्यात सर्वकालिक उच्च स्तर पर: ₹24,000 करोड़
    • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ: 346+ वस्तुओं के आयात पर रोक।
  • बड़े रक्षा सौदे
    • ₹1.05 लाख करोड़ के अनुबंध: बख्तरबंद वाहन, मिसाइल, EW सिस्टम।
    • 156 LCH हेलीकॉप्टरों के लिए ₹62,700 करोड़।
    • 26 नौसैनिक राफेल जेट के लिए $7.4 बिलियन का सौदा।
  • मेक-इन-इंडिया को बढ़ावा
    • निजी क्षेत्र द्वारा लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Light Combat Aircraft- LCA) तेजस MK1A फ्यूजलेज।
    • टाटा-एयरबस JV द्वारा C-295 परिवहन विमान का उत्पादन।
    • उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारे: ₹8,658 करोड़ का निवेश।
  • उन्नत स्वदेशी हथियार: हाइपरसोनिक हथियार, अगली पीढ़ी के ब्रह्मोस का विकास हो रहा है।
  • प्रोजेक्ट कुशा: स्वदेशी लंबी दूरी की SAM प्रणाली।
    • ATAGS हॉवित्जर, VSHORDS वायु रक्षा परीक्षण चल रहे हैं।
  • ड्रोन और यूएवी विकास: घरेलू ड्रोन बाजार वर्ष 2030 तक 23 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • पाकिस्तान संघर्ष के बाद 234 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन।
  • रुद्रास्त्र वीटीओएल यूएवी: 170 किमी रेंज, 1.5 घंटे की क्षमता।
  • अंतरिक्ष और निगरानी: सैन्य उपग्रह समूह का तीसरा चरण (वर्ष 2027-28 तक 52 उपग्रह)।
    • भारत-ऑस्ट्रेलिया समझौता अंडरसी सर्विलांस तकनीक पर।
  • साइबर और निर्देशित ऊर्जा प्रौद्योगिकी: स्पेक्ट्रम प्रभुत्व, स्वायत्त ईडब्ल्यू, उपग्रह लचीलापन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • ड्रोन-रोधी/एंटी-सैटेलाइट (ASAT) भूमिकाओं में निर्देशित ऊर्जा हथियार (लेजर, माइक्रोवेव)।
  • नौसेना विस्तार: स्टील्थ फ्रिगेट, मिसाइल बार्ज, पनडुब्बियों का कमीशन।
  • स्वदेशी सोनार और समुद्र के अंदर निगरानी क्षमताएँ बढ़ रही हैं।
  • आरएंडडी और इनोवेशन: iDEX, प्रौद्योगिकी विकास निधि (Technology Development Fund- TDF) द्वारा समर्थित 619+ स्टार्ट-अप (AI, रोबोटिक्स, युद्ध सामग्री)।
    • DRDO उद्योग अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र (DIA-CoE) का विस्तार 82 वर्टिकल (लेजर, क्रिप्टोग्राफी, सेमीकंडक्टर) तक हो गया।
    • रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) क्षेत्र वर्ष 2031 तक $4 बिलियन तक पहुँच जाएगा।

उन्नत प्रौद्योगिकी के लिए उद्योग साझेदारी

  • स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को बढ़ावा देना: iDEX, DRDO-TDF और रक्षा इनक्यूबेटर के माध्यम से दोहरे उपयोग वाली तकनीक और प्रोटोटाइपिंग का समर्थन करना।
    • तेज तैनाती के लिए उद्योग-DRDO-सशस्त्र बलों के बीच सहयोग का निर्माण करना।
  • रक्षा गलियारों का विस्तार: उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों में निवेश में तेजी लाकर मजबूत विनिर्माण आधार विकसित किया जाएगा।
    • वैश्विक OEMs को भारतीय फर्मों के साथ साझेदारी करने के लिए कर और विनियामक प्रोत्साहन प्रदान किए जाएँगे।
  • FDI और IP ढाँचे को उदार बनाया जाएगा: स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास में 74% तक FDI की अनुमति दी जाएगी।
    • IP संरक्षण और तकनीकी हस्तांतरण के लिए एक मजबूत ढाँचा तैयार किया जाएगा।

रक्षा आधुनिकीकरण की चुनौतियाँ

  • वित्तीय बाधाएँ और खरीद संबंधी अड़चनें: ₹6.81 लाख करोड़ के रक्षा बजट (वित्त वर्ष 2025-26) के बावजूद, केवल 26.4% राशि नए अधिग्रहणों के लिए निर्धारित की गई है, जबकि 50% से अधिक राशि राजस्व व्यय (वेतन और पेंशन) में व्यय हो जाती है।
    • पूँजी निधि का कम उपयोग: पूंजी आवंटन का बार-बार कम खर्च होना खरीद योजना में क्रियान्वयन की अक्षमताओं की ओर इशारा करता है।
    • धीमी खरीद और लालफीताशाही: DAP-2020 सुधारों के बावजूद, नौकरशाही में देरी और लंबे अनुमोदन चक्र जारी हैं, जो तेजस एलसीए और प्रोजेक्ट 75 (I) पनडुब्बियों जैसी महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को प्रभावित कर रहे हैं।
    • आयात पर अत्यधिक निर्भरता: भारत शीर्ष हथियार आयातक (वर्ष 2019- वर्ष 2023) बना हुआ है, जो विदेशी तकनीक (जैसे तेजस के लिए जेट इंजन, एस-400 सिस्टम) पर निर्भर है, जिससे आपूर्ति शृंखला में व्यवधान का खतरा है।
  • तकनीकी अंतराल और स्वदेशीकरण बाधाएं: प्रगति के बावजूद, भारत अभी भी AI, क्वांटम और सेंसर तकनीक में पीछे है, कुछ अनुमानों के अनुसार कुछ रक्षा क्षमताओं में 30 वर्ष का अंतराल है।
    • उत्पादन बाधाएँ: वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू उत्पादन बढ़कर ₹1.27 लाख करोड़ हो गया, लेकिन लड़ाकू जेट इंजन जैसे महत्त्वपूर्ण घटक विनिर्माण कमजोर बना हुआ है।
    • साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare- EW) कमज़ोरियाँ: नेटवर्क संचालन बढ़ने के साथ, रक्षा बुनियादी ढाँचा साइबर खतरों के संपर्क में है। EW तथा साइबर लचीलेपन को और मजबूत करने की जरूरत है।
    • कम शोध व्यय: DRDO को केवल ₹26,816 करोड़ (रक्षा बजट का 3.94%) प्राप्त हुआ, जबकि भारत का कुल शोध व्यय GDP का केवल 0.8% है, जो वैश्विक मानकों से बहुत कम है।
    • विदेशी सौदों से सीमित प्रौद्योगिकी अवशोषण: लाइसेंसिंग मुद्दे, IPR सीमाएँ और अपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण वैश्विक साझेदारी के लाभों को सीमित करते हैं।
  • संरचनात्मक और संगठनात्मक चुनौतियाँ: यद्यपि निजी अभिकर्ताओं ने वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा उत्पादन में 21% का योगदान दिया, फिर भी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (Defence Public Sector Undertakings- DPSU) अभी भी प्रभावी हैं, जिससे नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा सीमित हो रही है।
    • थिएटर कमांड एकीकरण में देरी: वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किए जाने के बावजूद, एकीकृत थिएटर कमांड का पूर्ण कार्यान्वयन अधूरा है।
    • मानव पूँजी में कौशल अंतराल: AI, साइबर, ड्रोन तकनीक और इंजीनियरिंग में विशेषज्ञ कर्मियों की कमी। अग्निवीर के दीर्घकालिक कौशल प्रतिधारण पर प्रभाव को लेकर चिंताएँ।
    • भू-राजनीतिक अनिश्चितता: LAC पर चीन का निर्माण और वैश्विक गठबंधनों में बदलाव, अनुकूली, तकनीक आधारित बल संरचनाओं की माँग।

उच्च स्तरीय विजय राघवन समिति की सिफारिशें

  • ध्यान पुनर्केंद्रित करना: DRDO को रक्षा के लिए अपने मूल अनुसंधान एवं विकास लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • अन्य कार्यों में संलग्न होने से बचना: DRDO को उत्पादीकरण, उत्पादन चक्र और उत्पाद प्रबंधन में खुद को शामिल करने से बचना चाहिए।
  • रक्षा प्रौद्योगिकी परिषद (Defence Technology Council- DTC) की स्थापना: देश की रक्षा प्रौद्योगिकी रोडमैप निर्धारित करने और प्रमुख परियोजनाओं और उनके निष्पादन पर निर्णय लेने के लिए।
    • रक्षा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार विभाग की स्थापना की जानी चाहिए।

शेकतकर समिति की सिफारिश

  • विशिष्ट कार्मिकों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना: इससे सरकार को रक्षा क्षेत्र के अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे अनुसंधान एवं विकास तथा बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करने के लिए संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

विजय केलकर समिति की सिफारिश

  • रक्षा उत्पादन में भारत की अग्रणी निजी कंपनियों को शामिल करना: उनकी विशेषज्ञता और विनिर्माण क्षमताओं का लाभ उठाना रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।

रक्षा आधुनिकीकरण के लिए आगे की राह

  • बजट और खरीद को अनुकूलित करना: वित्त वर्ष 2025-26 में घरेलू पूँजी खरीद के लिए निर्धारित ₹1.12 लाख करोड़ का प्रभावी ढंग से उपयोग करना।
  • डीएपी को डिजिटाइज और सरल बनाना: वास्तविक समय डिजिटल निगरानी शुरू करके ‘भारतीय खरीद’ श्रेणियों को प्राथमिकता देकर रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में और सुधार करना।
  • आधुनिकीकरण को दीर्घकालिक योजनाओं से जोड़ना: वित्त पोषण निरंतरता के लिए वार्षिक बजट को 10-वर्षीय एकीकृत क्षमता विकास योजना (Integrated Capability Development Plan- ICDP) के साथ संरेखित करना।
  • स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार में तेजी लाना: हाइपरसोनिक्स, DEW, एआई, स्वायत्त प्रणालियों और क्वांटम तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना। अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी (Acing Development of Innovative Technologies- ADITI) जैसी योजनाओं का विस्तार करना।
    • iDEX और TDF आउटरीच का विस्तार करना: iDEX का लाभ उठाना, जिसमें पहले से ही 619 स्टार्ट-अप और 430 से अधिक अनुबंध हैं। अधिक नवाचार केंद्र स्थापित करना और फंडिंग तक पहुँच को आसान बनाना।
    • रक्षा गलियारों और स्वदेशीकरण को मजबूत करना: स्वदेशी क्षमता बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु रक्षा गलियारों (₹8,658 करोड़+ निवेश) का उपयोग करना। सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (5,500+ आइटम) का विस्तार जारी रखना।
    • रक्षा निर्यात को बढ़ावा देना: ₹21,083 करोड़ (वित्त वर्ष 2023-24) से वर्ष 2029 तक ₹50,000 करोड़ के लक्ष्य की ओर वृद्धि को बनाए रखना। निर्यात सफलताओं में ब्रह्मोस, आकाश, पिनाका और निजी UAV सिस्टम शामिल हैं।
    • महत्त्वपूर्ण घटक स्वदेशीकरण पर ध्यान देना: विदेशी निर्भरता को कम करने और रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए जेट इंजन, सेमीकंडक्टर और एवियोनिक्स को प्राथमिकता देना।
  • मानव पूँजी को मजबूत करना: कुशल संयुक्त संचालन के लिए तीनों सेनाओं और यहाँ तक ​​कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (Central Armed Police Forces- CAPF) को एकीकृत करते हुए एकीकृत थिएटर कमांड के गठन में तेजी लाना।
    • कुशल रक्षा कार्यबल का निर्माण: वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (Original Equipment Manufacturers- OEM) और शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी में रक्षा तकनीक में विशेष रूप से उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना। अग्निपथ और उसके बाद पुनः कौशल विकास का विस्तार करना।
    • साइबर और EW क्षमताओं को बढ़ाना: स्वदेशी EW सुइट्स, स्वायत्त साइबर उपकरण और संभावित राष्ट्रीय रक्षा साइबर कमांड (National Defence Cyber Command – NDCC) का विकास करना।
      • संजय (वास्तविक समय युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली) जैसी हालिया प्रणालियाँ प्रगति का प्रतीक हैं।
    • रणनीतिक तकनीकी साझेदारी को गहन बनाना: पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण के साथ सह-विकास समझौतों पर ध्यान केंद्रित करना, विशेष रूप से मिसाइल प्रणालियों, एयरोस्पेस और एआई प्लेटफॉर्मों में।
  • कार्यान्वयन और रणनीतिक सुधार: संयुक्तता, शिकायत निवारण, मुकदमेबाजी और आधुनिकीकरण में देरी से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए रक्षा मंत्री समिति की रिपोर्ट (2022) को पूरी तरह से अपनाना।
    • प्रशिक्षण अवसंरचना का आधुनिकीकरण करना: प्रशिक्षण मॉड्यूल में AI, VR और रोबोटिक्स को एकीकृत करना। भविष्य के युद्ध परिदृश्यों को प्रतिबिंबित करने के लिए सिमुलेशन-आधारित उपकरणों का उपयोग करना।
    • हाइब्रिड और मल्टी-डोमेन खतरों के अनुकूल बनना : हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने के लिए उच्च लागत वाली रणनीतिक प्रणालियों और कम लागत वाले AI/रोबोटिक समाधानों के बीच निवेश को संतुलित करना।

निष्कर्ष

भारत का रक्षा आधुनिकीकरण अभियान महत्त्वाकांक्षी और बहुआयामी है, लेकिन इसके लिए संरचनात्मक, वित्तीय और तकनीकी बाधाओं को दूर करना होगा। सेना, उद्योग और नीति निर्माताओं के बीच मजबूत तालमेल के साथ सरकार का समग्र दृष्टिकोण भविष्य के लिए तैयार, आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो उभरते वैश्विक खतरों का जवाब देने में सक्षम हो।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.