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भारतीय विमानन क्षेत्र (Indian aviation sector)

Samsul Ansari January 20, 2024 05:02 219 0

संदर्भ

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के अनुसार, सरकार अगले तीन वर्षों में भारत को विश्व के तीसरे सबसे बड़े विमानन क्षेत्र (वर्तमान में पाँचवें स्थान से) के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।

संबंधित तथ्य 

  • बढ़ता घरेलू यात्री बाजार: भारत के विमानन क्षेत्र का घरेलू यात्री बाजार वर्ष 2030 तक बढ़कर ₹30 करोड़ हो जाएगा।
  • विमानन क्षमता बढ़ाना: हैदराबाद में विंग्स इंडिया 2024 के आयोजन के दौरान, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि भारत को वर्ष 2030 तक अपनी मौजूदा विमानन क्षमता को 700 से बढ़ाकर 2000 विमान तक करना चाहिए।
    • इसके अलावा, विंग्स इंडिया 2024 में भारतीय विमानन क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों ने 150 विमानों की खरीद का ऑर्डर दिया था।
  • मानक संचालन प्रक्रियाओं का उल्लंघन: उड्डयन मंत्री के अनुसार, यदि एयरलाइंस यात्री सुविधाओं से संबंधित मानक संचालन प्रक्रियाओं का उल्लंघन करती हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विंग्स इंडिया (Wings India) 2024

  • विंग्स इंडिया: यह एक द्विवार्षिक विमानन कार्यक्रम है, जो बड़े उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं को एक साथ लाता है।
  • उद्देश्य: इस आयोजन का उद्देश्य विमानन क्षेत्र में भारत की क्षमताऔर विश्व के तीसरे सबसे बड़े नागरिक उड्डयन बाजार के रूप में इसके बढ़ते प्रभुत्त्व को प्रदर्शित करना है।
  • आयोजक: नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation-MoCA), भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (Airport Authority of India-AAI) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry-FICCI)।

भारतीय विमानन क्षेत्र की स्थिति

  • भारतीय विमानन उद्योग की स्थिति: नागरिक उड्डयन मंत्री के अनुसार, भारत तीसरा सबसे बड़ा घरेलू नागरिक उड्डयन बाजार और सातवाँ सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन बाजार है। दोनों को मिला दिया जाए तो भारत दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाजार है।
  • भारत में नागरिक उड्डयन उद्योग पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक के रूप में उभरा है और इसे व्यापक रूप से  नियमित और गैर-नियमित (Scheduled & Non-Scheduled) हवाई परिवहन सेवा में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • नियमित सेवाओं में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस शामिल हैं और गैर-नियमित सेवाओं में चार्टर ऑपरेटर और एयर टैक्सी ऑपरेटर, एयर कार्गो सेवा शामिल हैं, जिसमें कार्गो और मेल (Mail) का हवाई परिवहन भी शामिल है।
  • यात्रियों की स्थिति
    • घरेलू यात्री: वर्ष 2014 में कुल संख्या 6 करोड़ थी, जो कि कोविड-19 से पहले वर्ष 2020 में दोगुनी होकर 14.3 करोड़ हो गई।
    • अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या की 4.3 करोड़ से बढ़कर 6.4 करोड़ (लगभग 50% की वृद्धि) हो गई है।
  • विमानों की संख्या: कोविड-19 के प्रभाव के बावजूद यह संख्या वर्ष 2014 में लगभग 400 से बढ़कर वर्ष 2023 में 723 हो गई है।
  • हवाई अड्डे: वर्तमान में, देश में लगभग 148 परिचालन हवाई अड्डे हैं, जिनमें 137 हवाई अड्डे, 2 वाटर एयरडोम्स (Water aerodromes) और 9 हेलीपोर्ट शामिल हैं।
    • इनमें 29 अंतरराष्ट्रीय, 92 घरेलू और 10 कस्टम हवाई अड्डे हैं। 

भारतीय विमानन क्षेत्र में संभावित अवसर

  • लाभदायक सेक्टर: IATA के अनुसार, एयरलाइन क्षेत्र वर्ष 2023 में लाभप्रदता पर लौट आया, जिसका शुद्ध लाभ 2.6% मार्जिन के साथ $23.3 बिलियन होने और अगले वर्ष 2.7% मार्जिन के साथ $25.7 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। एयरलाइन उद्योग का परिचालन लाभ इस वर्ष में $40.7 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2024 में $49.3 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
    •  वर्ष 2024 में, कुल राजस्व वर्ष 2023 की तुलना में 7.6% बढ़कर $964 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
  • बुनियादी ढाँचे में वृद्धि : हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिए सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक 100 हवाई अड्डों को विकसित (उड़ान योजना के तहत) करने का है, जिसमें से 74 हवाई अड्डे पहले ही विकसित किए जा चुके हैं।
  • रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (Maintenance, Repair & Overhaul-MRO) सेवाओं को बढ़ावा: भारत में हवाई यात्रा में अनुमानित वृद्धि MRO सेवाओं की माँग को और बढ़ा रही है। भारतीय नागरिक उड्डयन MRO बाजार के वर्ष 2025 तक $4.33 बिलियन  तक बढ़ने का अनुमान है।
    • सरकार ने भारत में MRO सुविधाएँ स्थापित करने वाली संस्थाओं के लिए भूमि आवंटन की अवधि को सितंबर 2021 में 3-5 वर्ष से संशोधित करके 30 वर्ष कर दिया गया है क्योंकि सरकार का लक्ष्य भारत को ‘ग्लोबल MRO हब’ बनाना है।
  • बढ़ते मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicles-UAV): भारतीय ड्रोन (UAV) उद्योग का वर्ष 2026 तक कुल कारोबार $1.8 बिलियन तक होने की उम्मीद है। जून 2023 में, अमेरिका ने भारत में उच्च स्तरीय ड्रोन के लिए MRO का एक वैश्विक केंद्र बनाने की प्रतिबद्धता जताई थी। 
  • यात्री यातायात में तीव्र वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (International Transport Association-IATA) के अनुसार, भारत का वार्षिक यात्री यातायात वर्ष 2017 में 14.1 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2037 तक लगभग 50 करोड़ पहुँचने की उम्मीद है।
  • हवाई जहाजों का बढ़ता बेड़ा:  विमानन मंत्री के अनुसार,  वर्ष 2028 तक भारतीय एयरलाइनों के बेड़े में सामूहिक रूप से 1,500-2,000 विमान होंगे, जो इनकी वर्तमान संख्या से 185% अधिक है।
    • भारतीय एयरलाइनों ने कुल मिलाकर 1,120 विमानों का ऑर्डर दिया है, एयर इंडिया और इंडिगो ने वर्ष 2023 में 970 विमानों का ऑर्डर दिया है।
  • घरेलू विनिर्माण: इस क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ, यह अनुमान लगाया गया है कि उच्च खरीद लागत को काफी कम किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए, गुजरात के वडोदरा में C-295 विमान निर्माण केंद्र ने अक्टूबर 2022 में भारत की पहली परिवहन विमान निर्माण केंद्र की नींव रखी।

भारत के विमानन क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियाँ

  • अवसंरचना: भारत के हवाई अड्डों के पुराने होने या उनकी भौगोलिक अवस्थिति के कारण आधुनिकीकरण की आवश्यकता है, जिससे भीड़भाड़ और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ पैदा हो रही हैं। अपर्याप्त रनवे क्षमता और पुरानी हवाई यातायात प्रबंधन प्रणाली देरी और भीड़भाड़ में योगदान करती है।
    • मुंबई और नई दिल्ली हवाई अड्डों में रात्रि पार्किंग स्टैंड की कमी अक्सर एयरलाइंस को अहमदाबाद और लखनऊ जैसे छोटे शहरों के लिए  दिन की आखिरी उड़ान भरने पर विवश करती है।
  • विनियमन: भारत के विमानन उद्योग का नियामकीय ढाँचा बहुत ही जटिल है जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय, DGCA, AAI जैसी एजेंसियाँ ​​शामिल हैं जिसके कारण अस्पष्ट नीतियों और परमिट प्राप्त करने में देरी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं।

टोक्यो की हानेडा हवाई अड्डा (Haneda Airport) दुर्घटना

  • टोक्यो के हानेडा हवाई अड्डे के रनवे पर जापान एयरलाइंस का एयरबस A350 विमान जापान तट रक्षक के एक विमान से टकरा गया। इससे दोनों विमानों में आग लग गई और पाँच लोगों की मौत हो गई। 
  • बचाव: टक्कर के बाद एयरबस A350 से 367 यात्रियों का बचाव आपातकालीन-निकासी प्रोटोकॉल की प्रभावकारिता और 90-सेकंड नियम (90-Seconds Rule) के महत्त्व को दर्शाता है।
  • हवाई सुरक्षा में प्रमुख मुद्दे: हानेडा घटना ने हवाई सुरक्षा को खतरे में डालने वाले चार प्रमुख मुद्दों को ध्यान में लाया है:
    • अनुचित चालक दल प्रशिक्षण।
    • यात्री शिक्षा का अभाव।
    • आधुनिक विमानों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों में परिवर्तन।
    • हवाई यातायात नियंत्रण (Air Traffic Control-ATC) और पायलटों के बीच गलत संचार।
  • भारत के लिए निहितार्थ: भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार है और इस घटना से सीख लेते हुए भारत के प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानों की संख्या में वृद्धि के साथ सतर्कता एवं सुरक्षा मापदंडों को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे भारत में हानेडा जैसी घटना न हो

  • कुशल कार्यबल: विमानन क्षेत्र को कुशल पेशेवरों की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे सुरक्षा प्रभावित होती है और देरी होती है। भारत में उच्च प्रशिक्षण लागत और पुरानी प्रशिक्षण सुविधाएँ कौशल असंतुलन में योगदान करती हैं।
    • उदाहरण के लिए, मुंबई हवाई अड्डे पर गोवा-दिल्ली की डायवर्टेड उड़ान के उतरने पर इंडिगो के एक विमान से कई लोग बाहर निकल आए, जिनमें से कुछ लोग टरमैक (Tarmac) पर बैठकर खाना खा रहे थे। 
  • डॉलर पर निर्भरता: भारतीय रुपये के मुकाबले डॉलर की दर में उतार-चढ़ाव मुनाफे पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है क्योंकि विमान अधिग्रहण, रखरखाव और पट्टे की लागत जैसे प्रमुख व्यय डॉलर पर आधारित हैं।
  • प्रतिस्पर्द्धा: यात्रियों को आकर्षित करने के लिए, भारत में एयरलाइंस अक्सर टिकट की कीमतों में भारी कमी का सहारा लेती हैं, जिससे लागत को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, खासकर जब परिचालन लागत अधिक रहती है।
    • उदाहरण के लिए, गो फर्स्ट (जिसे गो एयर के नाम से भी जाना जाता है) को हाल ही में धन की कमी और कलपुर्जों की आपूर्ति की कमी का हवाला देते हुए बंद कर दिया गया है। जेट एयरवेज, किंगफिशर और कई अन्य एयरलाइंस के साथ भी ऐसा ही हुआ है जो कभी भारत में संचालित होती थीं और अब बंद हो चुकी हैं।
  • आपूर्ति शृंखला के मुद्दे: सेंटर फॉर एविएशन (Centre for Aviation-CAPA) इंडिया के अनुसार, विभिन्न भारतीय वाहकों के 100 से अधिक विमान आपूर्ति शृंखला और गैर-आपूर्ति शृंखला मुद्दों के कारण जमीन पर हैं। चार प्रमुख एयरलाइनों- एयर इंडिया, स्पाइसजेट, गोएयर, इंडिगो के लगभग 110 विमान या भारत के कुल बेड़े का 15% रखरखाव या इंजन प्रतिस्थापन के अभाव में बंद हैं।
  • पहुँच: यात्री यातायात में तेजी से वृद्धि देखी जाने के बावजूद, वैश्विक औसत की तुलना इसकी प्रति व्यक्ति पहुँच अभी भी काफी कम है।
    • विश्व बैंक और जेफ्रीज (Jeffries) द्वारा संकलित आँकड़ों के अनुसार, चीन के 0.49 और ब्राजील के 0.57 के मुकाबले भारत में प्रति व्यक्ति (घरेलू हवाई यात्रा प्रवेश) 0.13 सीटें उपलब्ध हैं।
  • उच्च ईंधन लागत: भारत में, विमान टरबाइन ईंधन (Aircraft Turbine Fuel-ATF) की लागत किसी एयरलाइन के परिचालन खर्च का 50-70% हो सकती है।
  • सुरक्षा तैयारी
    • मॉक ड्रिल की आवृत्ति: एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जापान एयरलाइंस के चालक दल के सदस्यों को प्रत्येक वर्ष विभिन्न परिदृश्यों के तहत 90 सेकंड के अंदर  यात्रियों को निकालने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन भारत में इस तरह की मॉक ड्रिल की आवृत्ति हर 3 वर्ष में होती है।
    • गलत प्राथमिकताएँ: भारत में चालक दल प्रशिक्षण ग्राहक सेवा और अनियंत्रित यात्रियों से निपटने पर केंद्रित है।

समर्थन हेतु सरकारी नीतियाँ

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment-FDI) बढ़ाना: स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक एफडीआई की अनुमति है:
    • गैर-नियमित हवाई परिवहन सेवाएँ, हेलीकाप्टर सेवाएँ और समुद्री विमान।
    • रखरखाव और मरम्मत संगठनों के लिए MRO; उड़ान प्रशिक्षण संस्थान; और तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान।
    • क्षेत्रीय नियमों और सुरक्षा मंजूरी के अधीन ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएँ।
    • ब्राउनफील्ड हवाई अड्डा परियोजनाएँ।

  • राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति-2016 (National Civil Aviation Policy 2016-NCAP): यह व्यापार करने में आसानी, विनियमन में कमी, सरलीकृत प्रक्रियाओं और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देती है। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2020 में, स्थानीय स्तर पर प्रदान की जाने वाली MRO सेवाओं के लिए GST 18% से घटाकर 5% कर दिया गया था।
  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना या उड़ान (‘उड़े देश का आम नागरिक’): यह NCAP,2016 का एक महत्त्वपूर्ण घटक है और भारत के अछूते और कम सेवा वाले हवाई अड्डों के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने की योजना है और जिसमें हवाई यात्रा को किफायती और व्यापक बनाने की परिकल्पना की गई है।
    • सरकार ने वर्ष 2024 तक 1,000 उड़ान मार्गों को चालू करने और 100 अछूते और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्टों/जल हवाई अड्डों को पुनर्जीवित/विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
  • डिजी यात्रा नीति: यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य  हवाई अड्डों पर यात्रियों को कई संपर्क बिंदुओं पर टिकट और आईडी के सत्यापन की आवश्यकता के बिना निर्बाध और परेशानी मुक्त अनुभव प्रदान करना है।
  • परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण: भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (Airport Authority of India-AAI) ने सात हवाई अड्डों में संयुक्त उद्यम स्थापित किया है और छह हवाई अड्डों-अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और बंगलूरू को 50 वर्ष की अवधि के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public–Private Partnership-PPP) के तहत संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए प्रदान किया गया है।
    • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline-NMP) के अनुसार, वर्ष 2022 से वर्ष 2025 के बीच संपत्ति मुद्रीकरण के लिए 25 AAI हवाई अड्डे निर्धारित किए गए हैं।
  • राष्ट्रीय वायु खेल नीति (National Air Sport Policy-NASP) 2022: यह भारत में एक सुरक्षित, किफायती, सुलभ, आनंददायक और टिकाऊ वायु खेल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करके वर्ष 2030 तक भारत को शीर्ष खेल देशों में से एक बनाने का दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
    • हवाई खेलों में विभिन्न खेल शामिल हैं जिनमें एयर-रेसिंग, एयरोबेटिक्स, एयरो मॉडलिंग, हैंग ग्लाइडिंग, पैराग्लाइडिंग, पैरामोटरिंग और स्काईडाइविंग आदि जैसे खेल प्रमुख हैं।
  • ड्रोन का प्रसार: भारत सरकार ने भारत को विश्व का ड्रोन हब बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने आगामी ड्रोन क्षेत्र में विकास को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021 के अनुसरण के रूप में ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए PLI  योजना को मंजूरी दे दी है।
    • कुल प्रोत्साहन 120 करोड़ रुपये और कुल PLI प्रति निर्माता 30 करोड़ रुपये तय की गई है।
    • इसके अलावा, ग्रामीण विमानन कौशल को मजबूत करने के उद्देश्य से दस हजार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मुफ्त ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और ड्रोन पर पर्याप्त सब्सिडी दी जाएगी।
  • एयर इंडिया का विनिवेश: भारत सरकार ने एयर इंडिया (AI) में अपनी 100% हिस्सेदारी के साथ ही एयर इंडिया एक्सप्रेस (Air India Express-AIXL) और AISATS में इक्विटी शेयरहोल्डिंग के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है।
  • कार्बन तटस्थता पहल: भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने भारतीय हवाई अड्डों के कार्बन लेखांकन और रिपोर्टिंग ढाँचे को मानकीकृत किया है। MoCA संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के डेवलपर्स को उनकी विकास योजनाओं में कार्बन तटस्थता और शुद्ध शून्य उत्सर्जन को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
    • दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बंगलूरू जैसे हवाई अड्डों ने स्तर 4+ के साथ-साथ उच्च हवाईअड्डा अंतरराष्ट्रीय परिषद (Airports International Council-ACI) मान्यता प्राप्त कर ली है और कार्बन तटस्थ बन गए हैं। इसके अतिरिक्त, 66 भारतीय हवाई अड्डे 100% हरित ऊर्जा पर काम कर रहे हैं।

आगे की राह

  • तकनीकी प्रोत्साहन और अवसर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), AR/VR, ब्लॉकचेन, बिग डेटा और मशीन लर्निंग (ML) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियाँ परिचालन प्रभावशीलता को अधिकतम करेंगी और लागत में कटौती करेंगी।
    • इन प्रौद्योगिकियों द्वारा ही उन्नत निगरानी प्रणालियाँ, त्वरित चेक-इन प्रक्रियाएँ, प्रभावी सामान प्रबंधन और बेहतर उड़ान सेवाएँ तथा रखरखाव सभी संभव हो पाएँगे।
  • विलंबित उड़ानों के लिए नया यात्री-हैंडलिंग मैनुअल: उड़ान मेंविलंब के कारण होने वाली समस्याओं से बचने के लिए नियमों और मैनिअल को संशोधित करने की आवश्यकता है।
  • चालक दल और यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करना
    • चालक दल का प्रशिक्षण: विमान में यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चालक दल को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करना और नियमित रूप से अभ्यास करना आवश्यक है। अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (Federal Aviation Administration-FAA) के नियमों के अनुसार, विमान निर्माताओं को यह प्रदर्शित करना आवश्यक है कि सभी यात्री और चालक दल के सदस्य 90 सेकंड के भीतर विमान को खाली कर सकें।
    • शिक्षा: भारतीय एयरलाइंस अनिवार्य सुरक्षा घोषणाएँ करती हैं, लेकिन पूरी प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए, और संदेश को अधिक सरल बनाने की आवश्यकता है।
  • कुशल नियामक प्रणाली: एक अधिक स्पष्ट, सुसंगत और कुशल नियामक प्रणाली की आवश्यकता है। उद्योग की वृद्धि और विकास के लिए अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही, तेज सुधार और उद्योग हितधारकों के साथ बढ़ी हुई सहभागिता हासिल करना महत्त्वपूर्ण है।
  • कुशल कार्यबल: उद्योग की आवश्यकताओं के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संरेखित करने के लिए उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच समन्वय महत्त्वपूर्ण है।
    • इसके लिए, प्रशिक्षण सामर्थ्य में सुधार, सुविधाओं को अद्यतन करने, उद्योग हितधारकों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

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