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भारतीय नौसेना ने 3 जहाजों को शामिल किया

Lokesh Pal January 03, 2025 04:37 51 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय नौसेना ने मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में तीन फ्रंटलाइन प्लेटफॉर्मों को सेवा में शामिल किया।

  • कमीशन किए गए जहाज हैं:-
    • वाग्शीर (Vagsheer): छठी और आखिरी स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी।
    • सूरत: प्रोजेक्ट-15B स्टील्थ विध्वंसक का चौथा और अंतिम जहाज।
    • नीलगिरि: प्रोजेक्ट-17A स्टील्थ फ्रिगेट्स का प्रमुख जहाज।

3 प्लेटफॉर्मों के बारे में

  • वाग्शीर (Vagsheer)
    • यह प्रोजेक्ट 75 स्कॉर्पीन श्रेणी की छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों में से अंतिम है।
    • निर्मित किया गया है: यह पनडुब्बी पूरी तरह से भारतीय शिपयार्ड मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा फ्राँस के नेवल ग्रुप के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और साझेदारी के माध्यम से बनाई गई है।
    • विशेषताएँ
      • यह एक ‘साइलेंट’ एवं बहुउद्देश्यीय डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है।
      • प्रौद्योगिकी: इसमें मॉड्यूलर निर्माण की सुविधा है, जो भविष्य में एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन (AIP) तकनीक के एकीकरण जैसे उन्नयन की अनुमति देता है।

      • मिशनों की सीमा: पनडुब्बी सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, क्षेत्र की निगरानी और विशेष अभियान संचलित कर सकती है। 
      • हथियार: यह वायर-गाइडेड टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइलों और उन्नत सोनार प्रणालियों से युक्त है।
  • नीलगिरि
    • यह प्रोजेक्ट-17A गाइडेड स्टील्थ फ्रिगेट का प्रमुख जहाज है और शिवालिक-क्लास फ्रिगेट की तुलना में यह एक बड़ी उपलब्धि है।
    • निर्माणकर्ता: जहाज का निर्माण भारतीय शिपयार्ड मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा किया गया है और इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है।
    • विशेषताएँ
      • स्टील्थ: इस प्लेटफॉर्म में अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से महत्त्वपूर्ण स्टील्थ विशेषताएँ और कम रडार सिग्नेचर शामिल हैं।
      • मल्टी रोल प्लेटफॉर्म: नीलगिरि एक मल्टी-रोल एसेट है, जो किसी भी सतह, उप-सतह या हवाई खतरे का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

      • जहाज में उन्नत सेंसर हैं और दिन एवं रात दोनों समय MH-60R सहित विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टरों को संचालित करने की क्षमता है। 
      • संचालन: रेल-रहित हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग सिस्टम और एक दृश्य सहायता एवं लैंडिंग सिस्टम सभी परिस्थितियों में निर्बाध परिचालन सुनिश्चित करता है।
  • सूरत
    • यह विशाखापत्तनम श्रेणी प्रोजेक्ट-15B का चौथा जहाज है।
      • विशाखापत्तनम क्लास प्रोजेक्ट-15B कोलकाता-श्रेणी (प्रोजेक्ट-15A) विध्वंसक का अनुवर्ती वर्ग है।
    • पूर्ववर्ती: INS विशाखापत्तनम (वर्ष 2021 में कमीशन किया गया), INS मोर्मुगाओ (वर्ष 2022 में) एवं INS इंफाल (वर्ष 2023 में)।
    • निर्माणकर्ता: जहाज का निर्माण भारतीय शिपयार्ड मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा किया गया है और इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है।
    • विशेषताएँ
      • INS सूरत, गुजरात के शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला नौसैनिक जहाज है।
      • सूरत पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सक्षम युद्धपोत है, जो स्वदेशी रूप से विकसित एआई समाधानों का उपयोग करके अपनी परिचालन दक्षता को बढ़ाता है।

      • हथियार: यह अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है, जिसमें सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलें, जहाज रोधी मिसाइलें और टॉरपीडो शामिल हैं।
      • संचालित: सूरत को संयुक्त गैस और गैस (COGAG) प्रणोदन सेट द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें चार गैस टर्बाइन शामिल हैं।

प्रोजेक्ट 15B

  • इसे विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक के रूप में भी जाना जाता है, यह भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे निर्देशित मिसाइल युद्धपोतों की एक शृंखला है।
  • ये जहाज कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक का उन्नत संस्करण हैं, जिनमें बेहतर स्टील्थ, ऑटोमेशन और आयुध क्षमताएँ हैं।
  • जहाजों की शृंखला: इसमें 4 जहाज हैं, जिनमें से इस वर्ग का प्रमुख जहाज, INS विशाखापत्तनम नवंबर 2021 में पहले ही कमीशन किया जा चुका है। 
    • दूसरा जहाज, INS मोरमुगाओ और तीसरा जहाज INS इंफाल पहले ही कमीशन किया जा चुका है।
  • डिजाइन: इनमें एक स्लीक हुल डिजाइन (Sleek Hull Design), रडार-पारदर्शी डेक फिटिंग और चालक दल की सुरक्षा के लिए एक संपूर्ण वायुमंडलीय नियंत्रण प्रणाली है।
  • विशेषताएँ: जहाजो में कई फायर जोन, युद्ध क्षति नियंत्रण प्रणालियाँ और वितरण शक्ति प्रणालियाँ हैं। इनमें एक संलग्न हेलीकॉप्टर हैंगर और उड़ान डेक भी है, जो दो बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टरों को समायोजित कर सकता है।

प्रोजेक्ट 75

  • इसे स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ भी कहा जाता है, यह फ्राँस के नौसेना समूह और मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) के बीच भारतीय नौसेना के लिए छह उन्नत डीजल इलेक्ट्रिक पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए एक संयुक्त उद्यम है।
    • प्रोजेक्ट 75 के तहत पनडुब्बियाँ: INS कलवरी, INS वाग्शीर, INS वेला, INS खंडेरी, INS करंज एवं INS वागीर।
  • विशेषताएँ: उन्नत ध्वनिक अवशोषण तकनीक; लंबी दूरी के निर्देशित टारपीडो; ट्यूब से प्रक्षेपित एंटी-शिप मिसाइल; सोनार और सेंसर सूट।

प्रोजेक्ट 17A

  • यह भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट की एक शृंखला है।
  • डिजाइन: इन फ्रिगेट को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और इनका निर्माण मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा किया जा रहा है।
  • जहाजों की शृंखला: इन जहाजों के नाम भारत की पर्वत शृंखलाओं जैसे नीलगिरि, उदयगिरि, तारागिरि, महेंद्रगिरि, हिमगिरि, दुनागिरि और विंध्यगिरि के नाम पर रखे गए हैं।
  • उपकरण: फ्रिगेट्स उन्नत हथियारों, सेंसर और प्लेटफॉर्म-मैनेजमेंट सिस्टम से लैस हैं। इनमें ‘रेल-लेस हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग सिस्टम’ और विजुअल एड एंड लैंडिंग सिस्टम भी है।

एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन (Air Independent Propulsion)

  • यह एक समुद्री प्रणोदन तकनीक है, जो वायुमंडलीय ऑक्सीजन तक पहुँच के बिना (सतह पर आकर या स्नोर्कल का उपयोग करके) गैर-परमाणु पनडुब्बी की मजबूती और सहनशक्ति को बढ़ाती है।
  • स्वदेशी AIP तकनीक: DRDO की नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (NMRL) की ईंधन सेल-आधारित एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन (AIP) प्रणाली जल्द ही INS कलवरी पर लगाई जाएगी।
  • महत्व
    • एनड्योरेंस: AIP मॉड्यूल एक बल गुणक के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह पारंपरिक पनडुब्बियों को लंबे समय तक जल में डूबे रहने में सक्षम बनाता है, जिससे उनकी सहनशक्ति बढ़ जाती है और पता लगने की संभावना कम हो जाती है।
    • अपग्रेड: AIP को मौजूदा पनडुब्बी पतवारों में एक अतिरिक्त हुल सेक्शन (Hull Section) डालकर फिर से लगाया जा सकता है।

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