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हिंद महासागर के जल के नीचे की भौगोलिक संरचना का नामकरण

Lokesh Pal August 13, 2024 03:58 208 0

संदर्भ

भारत द्वारा प्रस्तावित नामों को अंतरराष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन (International Hydrographic Organization-IHO) और यूनेस्को के अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग (Intergovernmental Oceanographic Commission-IOC) द्वारा हिंद महासागर में जल के नीचे की तीन  भौगोलिक संरचनाओं के नामकरण के लिए चुना गया है। 

  • विश्व भर में महासागरीय आँकड़ों का रखरखाव और प्रावधान IOC और IHO के अंतर्गत संचालित महासागरों के जनरल बैथिमेट्रिक चार्ट द्वारा किया जाता है। 

महासागरीय जल के नीचे संरचनाएँ 

  • दो संरचनाओं का नाम मौर्य वंश के शासकों के नाम पर रखा गया है – अशोक समुद्री पर्वत और चंद्रगुप्त कटक तथा तीसरी संरचना का नाम कल्पतरु कटक है। 
  • खोज: हाल ही में नामित तीनों संरचनाओं की खोज भारतीय दक्षिणी महासागर अनुसंधान कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research-NCPOR), गोवा के समुद्र विज्ञानियों द्वारा की गई थी। 
    • भारतीय दक्षिणी महासागर अनुसंधान कार्यक्रम: यह एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण अन्वेषण कार्यक्रम है, जिसमें NCPOR वर्ष 2004 से नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत है। 
      • इन समुद्री अन्वेषणों का उद्देश्य जैव-भू-रसायन, जैव-विविधता, निचले वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, पुराजलवायु, जलगतिकी, वायु-समुद्र अंतःक्रियाओं तथा अन्य अनुसंधान क्षेत्रों का अध्ययन करना है। 

  • अवस्थिति: ये संरचनाएँ हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिमी  भारतीय रिज क्षेत्र में स्थित हैं।
  • भारत द्वारा प्रस्तावित अन्य संरचनाएँ: हिंद महासागर में वर्तमान में सात संरचनाएँ हैं, जिनका नाम भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया है। 

संरचना

खोज 

अशोक  समुद्री पर्वत 

(Ashok Seamount)

भारतीय अनुसंधान दल ने रूसी समुद्री पोत अकादमिक निकोले स्ट्राखोव (Akademik Nikolay Strakhov) की सहायता से वर्ष 2012 में इस समुद्री पर्वत की खोज की थी। 

  • अंडाकार आकार की यह संरचना 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
कल्पतरु कटक 

(Kalpataru Ridge)

भारतीय अनुसंधान दल ने रूसी समुद्री पोत अकादमिक निकोले स्ट्राखोव (Akademik Nikolay Strakhov)  की सहायता से वर्ष 2012 में इस कटक की खोज की थी। 

  • यह 430 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत क्षेत्र है, जो संभवतः समुद्री जीवन, आवास, आश्रय और विभिन्न प्रजातियों के भोजन का आधार है। 
चंद्रगुप्त कटक (Chandragupt Ridge) वर्ष 2020 में भारतीय महासागर अनुसंधान पोत MGS सागर द्वारा खोजा गया। 

  • यह एक लंबा और अंडाकार आकार का क्षेत्र है, जो कुल 675 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत  है। 
रमन कटक

(Raman Ridge)

इसकी खोज वर्ष 1951 में एक अमेरिकी तेल पोत द्वारा की गई थी।

  • इसका नाम वर्ष 1992 में भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन के नाम पर रखा गया था।
पणिक्कर समुद्री पर्वत (Panikkar Seamount) इसकी खोज वर्ष 1992 में भारतीय रिसर्च पोत सागर कन्या द्वारा की गई थी, इस समुद्री पर्वत का नाम प्रसिद्ध समुद्र विज्ञानी एन.के. पणिक्कर के नाम पर रखा गया है।
सागर कन्या समुद्री पर्वत (Sagar Kanya Seamount) इस संरचना का नाम वर्ष 1991 में रिसर्च पोत सागर कन्या के नाम पर रखा गया, जिसने वर्ष 1986 में अपनी 22वीं सफल यात्रा पूरी की थी, जिसके फलस्वरूप इसकी खोज हुई। 
डीएन वाडिया गयोट 

(DN Wadia Guyot)

गयोट (Guyot) (जल  के नीचे ज्वालामुखी पर्वत) का नाम वर्ष 1993 में भूविज्ञानी डी.एन. वाडिया के नाम पर रखा गया था, जब वर्ष 1992 में सागर कन्या पोत  द्वारा इसकी खोज की गई थी। 

अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन 

(International Hydrographic Organization-IHO)

  • यह वर्ष 1921 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है, कि विश्व के सभी समुद्रों, महासागरों और नौगम्य जल का सर्वेक्षण और मानचित्रण किया जाए। 
  • कार्य: यह राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालयों की गतिविधियों का समन्वय करता है तथा समुद्री चार्टों और दस्तावेजों में एकरूपता को बढ़ावा देता है। 
    • यह सर्वेक्षण की सर्वोत्तम पद्धतियाँ जारी करता है, जल सर्वेक्षण डेटा के उपयोग को अधिकतम करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है तथा सदस्य राज्यों में जल सर्वेक्षण क्षमताओं का विकास करता है। 
  • प्रतिनिधित्व: IHO में राज्यों का प्रतिनिधित्व प्रत्येक सदस्य राज्य में हाइड्रोग्राफिक और समुद्री चार्टिंग सेवाओं के प्रावधान के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।

UNESCO’s का अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग (Intergovernmental Oceanographic Commission-IOC)

  • यह निकाय महासागर, तटों और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन में सुधार के लिए समुद्री विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। 
  • सदस्य राज्य: IOC 150 सदस्य राज्यों का एक निकाय है। 
  • IOC सचिवालय: यह पेरिस, फ्राँस में स्थित है। 
  • फोकस क्षेत्र: IOC क्षमता विकास, महासागर अवलोकन और सेवाओं, महासागर विज्ञान, सुनामी चेतावनी और महासागर साक्षरता में कार्यक्रमों का समन्वय करता है। 
  • उद्देश्य: सतत् महासागर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ, सुनामी और अन्य महासागर संबंधी खतरों के लिए प्रभावी चेतावनी प्रणाली और तैयारी,  जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन और इसके शमन में योगदान,  सतत् महासागर अर्थव्यवस्था के लिए वैज्ञानिक रूप से आधारित सेवाएँ, उभरते महासागर विज्ञान मुद्दों पर दूरदर्शिता आदि। 
  • IOC सतत् विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र महासागर विज्ञान दशक 2021-2030, ‘महासागर दशक (Ocean Decade)’ के समन्वय का प्रभारी है। 

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