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भारतीय प्रधानमंत्री का रूस दौरा

Lokesh Pal July 12, 2024 04:35 120 0

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे कार्यकाल की पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए रूस का चयन कर भारत के नए प्रधानमंत्री द्वारा किसी पड़ोसी देश की पहली यात्रा करने की परंपरा को तोड़ दिया है।

प्रधानमंत्री की रूस यात्रा का महत्त्व

  • यूक्रेन युद्ध के बाद प्रथम यात्रा: 22वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक यूक्रेन युद्ध के बाद मोदी-पुतिन की पहली मुलाकात है।
    • 21वाँ शिखर सम्मेलन: यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन पर ‘विशेष अभियान’ शुरू करने से ठीक पहले दिसंबर 2021 में दिल्ली में आयोजित किया गया था।
  • समझौते और MOU पर हस्ताक्षर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा के दौरान, नई दिल्ली और मॉस्को ने व्यापार, जलवायु और अनुसंधान सहित कई क्षेत्रों में 9, MOU और समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल सम्मान प्रदान किया गया

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस की यात्रा के दौरान वहाँ के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया गया।
  • प्रधानमंत्री के लिए पुरस्कार की घोषणा वर्ष 2019 में ‘रूस और भारत के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने और रूसी और भारतीय लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में असाधारण सेवाओं’ के लिए की गई थी।
  • पृष्ठभूमि: इसका नाम सेंट एंड्रयू से आया है, जो यीशु के धर्म प्रचारकों  या 12 मूल अनुयायियों में से एक माना जाता है।
    • ऐसा कहा जाता है कि मसीह के क्रूस पर चढ़ने के बाद, उनके संदेश को फैलाने के लिए उनके प्रचारकों ने लंबी दूरी की यात्रा की थी।
    • सेंट एंड्रयू ने रूस, ग्रीस, यूरोप और एशिjया के अन्य स्थानों की यात्रा की, एवं कॉन्स्टेंटिनोपल चर्च की स्थापना की, जिसके कारण बाद में रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च की स्थापना हुई।
  • अतीत में सम्मानित अन्य विदेशी नेता: इसमें वर्ष 2017 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कजाखस्तान के पूर्व राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव शामिल हैं।

22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदु

रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में विकसित करने की योजना है:

  • वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का व्यापार: भारत और रूस ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें निवेश, व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्रा का उपयोग, ऊर्जा, कृषि और बुनियादी ढाँचे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • भारत द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करेगा: इसमें द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने के लिए भारत से वस्तुओं की आपूर्ति में वृद्धि करना तथा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रिजीम के अंतर्गत निवेश गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल है।
  • कृषि और ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देना
    • कृषि क्षेत्र: समझौते में कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने की योजना शामिल है।
      • दोनों पक्षों का लक्ष्य पशुचिकित्सा, स्वच्छता और पादप-स्वच्छता संबंधी प्रतिबंधों और निषेधों को हटाने के लिए गहन वार्ता जारी रखना है।
    • ऊर्जा क्षेत्र: दोनों देश  परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोरसायन में सहयोग करने और ऊर्जा बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकियों और उपकरणों में सहयोग और साझेदारी के रूपों का विस्तार करने पर सहमत हुए।

भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ व्यापार और वस्तु समझौते को आगे बढ़ाने की आवश्यकता 

भारत और पांच देशों के यूरेशियन आर्थिक संघ (Eurasian Economic Union- EAEU) ब्लॉक के वरिष्ठ अधिकारी इस वर्ष के प्रारंभ में आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौते पर औपचारिक रूप से वार्ता प्रारंभ करेंगे।

  • यूरेशियन आर्थिक संघ (Eurasian Economic Union- EAEU) एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संघ और मुक्त व्यापार क्षेत्र है, जिसमें मध्य और उत्तरी एशिया और पूर्वी यूरोप के देश सम्मलित हैं।
  • सदस्य देश: रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाखस्तान और किर्गिस्तान

  • व्यापार बैरियर का उन्मूलन: गैर-टैरिफ बैरियर को कम करने और EAEU- भारत, मुक्त व्यापार क्षेत्र की खोज पर ध्यान केंद्रित करना।
    • रूसी सुदूर पूर्व में द्विपक्षीय सहयोग: भारत और रूस ने वर्ष 2024 से वर्ष 2029 तक रूसी सुदूर पूर्व में व्यापार, आर्थिक और निवेश क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रूसी संघ के आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग के सिद्धांत भी शामिल हैं।

नोस्त्रो एवं वोस्त्रो अकाउंट  (Nostro & Vostro Account)

  • रूस रुपया आधारित निर्यात-आयात लेनदेन की सुविधा देने वाला प्रथम देश बन गया है।
  • नोस्ट्रो अकाउंट : नोस्ट्रो अकाउंट : यह एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक में खोला गया अकाउंट  है।
    • यह ग्राहकों को एक बैंक के खाते में दूसरे बैंक में पैसा जमा करने की सुविधा देता है। यदि किसी बैंक की किसी विदेशी देश में कोई शाखा नहीं है तो इसका उपयोग अक्सर किया जाता है।
  • वोस्ट्रो अकाउंट: यह उस  बैंक द्वारा खोला जाता है, जो ग्राहकों को दूसरे बैंक की ओर से धन जमा करने की अनुमति देता है।
    • नोस्ट्रो अकाउंट  उस बैंक के लिए वोस्ट्रो अकाउंट  है, जो अकाउंट  खोलता है।

  • द्विपक्षीय मुद्रा निपटान प्रणाली का विकास: यह संयुक्त वक्तव्य का एक प्रमुख हिस्सा है।
    • लेनदेन को सरल बनाने के लिए व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं को लागू किया गया। यह व्यवस्था भारत को कच्चे तेल जैसे रूसी आयात के लिए भारतीय रुपये में भुगतान करने की अनुमति देती है। 
    • इसके बाद रूस इन रुपयों का उपयोग भारतीय निर्यात के भुगतान के लिए कर सकता है। 
  • नए व्यापार मार्ग: दोनों देश के प्रतिनिधियों  ने उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारा, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री लाइन जैसे नए मार्गों को प्रारंभ कर कार्गो व्यापार बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। यह भारत-रूस व्यापार और लोगों के मध्य संपर्क के लिए एक वृहद परिवर्तन होगा।
    • व्यापार को बढ़ावा देने में मदद: पूर्वी समुद्री गलियारे और उत्तरी समुद्री मार्ग जैसे नए व्यापार मार्गों का विकास भी व्यापार संबंधों को बढ़ावा देगा। 
    • दोनों देश उत्तरी समुद्री मार्ग पर ट्रांस-आर्कटिक कंटेनर शिपिंग लाइन और प्रसंस्करण सुविधाएँ शुरू करने की संभावना पर भी चर्चा कर रहे हैं।
  • रक्षा एवं प्रौद्योगिकी सहयोग
    • मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम: दोनों पक्ष प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत रूसी मूल के हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए भारत में स्पेयर पार्ट्स, घटकों और अन्य उत्पादों के संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए।

सैन्य तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग (Inter-Governmental Commission on Military Technical Cooperation- IRIGC-MTC)

  • वर्ष 2000 में स्थापित सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-MTC), इस संरचना के शीर्ष पर हैं। 
  • दोनों रक्षा मंत्री प्रतिवर्ष चक्रीय क्रम में रूस और भारत में बैठक आयोजित करते हैं, ताकि चल रही परियोजनाओं की स्थिति और सैनिक एवं सैन्य तकनीकी सहयोग के अन्य मुद्दों पर चर्चा और समीक्षा की जा सके।

    • तकनीकी सहयोग पर एक नए कार्य समूह की स्थापना: भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त उद्यमों की स्थापना करना तथा इसके बाद दोनों पक्षों की स्वीकृति से पारस्परिक रूप से अन्य सहयोगी देशों को उत्पादों का निर्यात करना। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने तकनीकी सहयोग पर एक नया कार्य समूह स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
    • IRIGC-M&MTC की 21वाँ बैठक: दोनों पक्ष वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में मास्को में IRIGC-M&MTC की 21वीं बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग
    • भारत  की UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए माँग: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के वर्ष 2021-22 कार्यकाल और भारत की UNSC प्राथमिकताओं और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना और आतंकवाद विरोधी प्रयासों की सराहना की।
      • बैठक में इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की उपस्थिति संयुक्त राष्ट्र में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय स्थापित करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करती है।
    • ब्रिक्स (BRICS): दोनों पक्षों ने ब्रिक्स के भीतर अपनी रणनीतिक साझेदारी और करीबी समन्वय को मजबूत करने के महत्त्व पर जोर दिया और जोहान्सबर्ग में XV शिखर सम्मेलन में लिए गए ब्रिक्स की सदस्यता का विस्तार करने के निर्णय का स्वागत किया।
    • SCO: दोनों पक्षों ने आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद, मादक पदार्थों की तस्करी, सीमा पार संगठित अपराध और सूचना सुरक्षा खतरों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में SCO के भीतर अपने महत्त्वपूर्ण सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।
      • उन्होंने SCO के नए सदस्यों के रूप में ईरान और बेलारूस का स्वागत किया।
    • जी-20: दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की जी-20 अध्यक्षता की महत्त्वपूर्ण व्यावहारिक विरासत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय सहयोग के मुख्य मंच के एजेंडे में ग्लोबल साउथ  के देशों की प्राथमिकताओं को समेकित करना है।
      • अफ्रीकी संघ का G20  के पूर्ण सदस्यों की श्रेणी में प्रवेश का अनुमोदन किया।
      • वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ: दोनों पक्षों ने वर्ष 2023 में भारतीय राष्ट्रपति के तत्त्वावधान में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ वर्चुअल शिखर सम्मेलन के आयोजन का भी स्वागत किया, जिसने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण और वैश्विक मामलों में विकासशील देशों की स्थिति को मजबूत करने के पक्ष में एक महत्त्वपूर्ण संकेत है।

कैसे INSTC भारत के व्यापार में क्रांति ला सकता है

  • BRI का विकल्प: यह कॉरिडोर और भी अधिक आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व रखता है, खासकर तब जब भारत इसे चीन की महत्त्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में देखता है।
  • आसान और अधिक लागत प्रभावी: INSTC भारतीय व्यापारियों को अधिक आसान और अधिक लागत प्रभावी तरीके से मध्य एशिया तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • व्यापार विशेषज्ञ के अनुसार, ईरान, रूस, अजरबैजान और बाल्टिक तथा नॉर्डिक देशों तक कुशल पहुँच सुनिश्चित हो सकेगी ,न कि केवल मध्य एशिया के 11 देशों तक।
  • ट्रांजिट समय कम होगा: INSTC स्वेज नहर मार्ग के माध्यम से ट्रांजिट समय को सामान्य 45 दिनों से घटाकर लगभग 25 दिन कर देता है और माल ढुलाई लागत को 30% तक कम कर देता है।
  • उच्च ऊर्जा निर्भरता: एक बार जब भारत INSTC मार्ग के लिए चाबहार बंदरगाह का लाभ उठाना शुरू कर देता है तो ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, कृषि, कपड़ा और रत्न और आभूषण को काफी लाभ हो सकता है।
    • चोक पॉइंट्स से व्यापार पर विश्वसनीयता (Reliability on Trade from Choke points): INSTC भारत को मध्य एशियाई देशों से ऊर्जा स्रोत प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है। लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य के व्यापार चोक पॉइंट्स के माध्यम से मध्य एशियाई देशों से भारत के विशाल ऊर्जा आयात को बढ़ावा मिलेगा। 

नए व्यापार मार्ग (New Trade Routes)

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North–South Transport Corridor- INSTC) 

  • यह भारत, रूस, ईरान, यूरोप और मध्य एशिया के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग है। 
  • INSTC का प्राथमिक लक्ष्य इन क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाना और व्यापार तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। 

उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route- NSR)

  • NSR, यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच माल परिवहन के लिए सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है, जो आर्कटिक महासागर के चार समुद्रों (बैरेंट्स, कारा, लाप्टेव और पूर्वी साइबेरियाई सागर) में फैला हुआ है।
    • उत्तरी सागर ग्रेट ब्रिटेन, डेनमार्क, नॉर्वे, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्राँस के बीच स्थित है।

  • 5,600 किलोमीटर तक चलने वाला यह मार्ग बैरेंट्स और कारा समुद्र (कारा जलडमरूमध्य) के बीच की सीमा से शुरू होता है और बेरिंग जलडमरूमध्य (प्रोविडेनिया खाड़ी) में समाप्त होता है।
  • स्वेज या पनामा नहरों के माध्यम से पारंपरिक मार्गों की तुलना में यह 50% तक की संभावित दूरी की बचत प्रदान करता है।

चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री लाइन (Chennai-Vladivostok Sea Line)

  • व्लादिवोस्तोक-चेन्नई समुद्री मार्ग एक समुद्री व्यापार मार्ग है, जो चेन्नई के भारतीय बंदरगाह को सुदूर पूर्व में व्लादिवोस्तोक के रूसी बंदरगाह से जोड़ता है। 
  • यह पूर्वी समुद्री गलियारे का हिस्सा है और इसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच निर्यात-आयात व्यापार को लागत प्रभावी पहुँच प्रदान करना है।

  • बुनियादी ढाँचा और औद्योगिक सहयोग: दोनों देश बुनियादी ढाँचा विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल उत्पादन, जहाज निर्माण, अंतरिक्ष और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को मजबूत करेंगे।
    • दोनों देश  सहायक कंपनियों और औद्योगिक समूहों का निर्माण करके भारतीय और रूसी कंपनियों को एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहे हैं।
  • मानवीय सहयोग: शिखर सम्मेलन में शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य सेवा और अन्य क्षेत्रों में मानवीय सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। 
    • दोनों पक्षों ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर रूसी-भारत अंतर सरकारी आयोग को इन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का अध्ययन करने और अपनी अगली बैठक में प्रगति का आकलन करने का निर्देश दिया।
  • MOU पर हस्ताक्षर 
    • जलवायु परिवर्तन और निम्न-कार्बन विकास समझौता ज्ञापन: भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन और निम्न-कार्बन विकास पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की और सूचना विनिमय और अनुसंधान की सुविधा प्रदान की।
    • ध्रुवीय अनुसंधान और रसद समझौता ज्ञापन: भारत के राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र और रूस के आर्कटिक और अंटार्कटिक अनुसंधान संस्थान ने ध्रुवीय क्षेत्रों में अनुसंधान और रसद में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
    • भौगोलिक सर्वेक्षण समझौता ज्ञापन: भारतीय सर्वेक्षण विभाग और रूसी संघ के राज्य पंजीकरण, कैडस्ट्रे और कार्टोग्राफी के लिए संघीय सेवा ने भौगोलिक सर्वेक्षणों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
    • प्रसारण सहयोग समझौता ज्ञापन: प्रसार भारती और ANO ‘टीवी-नोवोस्ती’ (रूस टुडे टीवी चैनल) ने प्रसारण में सहयोग और सहभागिता पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

भारत-रूस संबंध: हाल की चुनौतियाँ

  • रूस के साथ रक्षा संबंध
    • ऐतिहासिक रूप से: रूस भारत को सैन्य-हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। 1990 के दशक की शुरुआत में, सोवियत संघ ने भारत के सैन्य शस्त्रागार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा प्रदान किया था।
    • इसमें 70 प्रतिशत थलसेना के हथियार, 80 प्रतिशत वायुसेना प्रणालियाँ और 85 प्रतिशत नौसैनिक प्लेटफार्म शामिल हैं।
      • भारत का पहला विमानवाहक पोत: INS विक्रमादित्य, जिसे वर्ष 2004 में रूस से खरीदा गया था, इस मजबूत रक्षा संबंध का उदाहरण है।
      • महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय परियोजनाएँ: इसमें S-400 की आपूर्ति, T-90 टैंकों और Su-30 MKI का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति, भारत में AK-203 राइफलों का उत्पादन और ब्रह्मोस मिसाइलें आदि शामिल हैं।
    • यूक्रेन संघर्ष: इसने रूस की रक्षा आपूर्ति शृंखला को बाधित कर दिया है, जिससे भारत को अपनी सैन्य खरीद में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल, फ्राँस और इटली के साथ नई रक्षा साझेदारी रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने की दिशा में भारत के रणनीतिक बदलाव को दर्शाती है।
  • त्रिकोणीय संबंध की जटिलता: भारत और रूस के बीच साझेदारी नई चुनौतियों का सामना कर रही है, क्योंकि रूस भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है।
    • SCO बैठक: इस त्रिकोणीय संबंध की जटिलता तब स्पष्ट हो गई जब भारत के प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization- SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया, जो रूस और चीन के नेतृत्व वाला एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा गठबंधन है।
    • प्रधानमंत्री ने कजाखस्तान के अस्ताना में आयोजित बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपने विदेश मंत्री को भेजा, जिसमें पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों ने भाग लिया था।
  • व्यापार असंतुलन: दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन चिंता का विषय रहा है।
    • उदाहरण के लिए: वित्त वर्ष 2023 में 49.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ, रूस भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है। वर्ष 2022-23 में रूस को भारत का निर्यात 1.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि कच्चे तेल के आयात में वृद्धि के कारण आयात 46.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • रुपया-रूबल व्यापार में चुनौतियाँ: रूबल में भुगतान भी एक चुनौती है क्योंकि इस मुद्रा के लिए कोई निश्चित विनिमय दर नहीं है।
    • रिफाइनरियाँ संयुक्त अरब अमीरात की मुद्रा दिरहम में भुगतान करना पसंद करती हैं, जो डॉलर से जुड़ा हुआ है।
    • रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण: भारत डॉलर की माँग को कम करने और वस्तुओं तथा सेवाओं में व्यापार के सबसे व्यापक उपाय, चालू अकाउंट  घाटे के बाद वैश्विक उतार चढ़ाव के प्रति अपनी अर्थव्यवस्था को कम संवेदनशील बनाने के लिए रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण को प्रोत्साहन दे रहा है।
  • रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती: विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में रूसी सेना में कार्यरत दो और भारतीय नागरिक मारे गए, जिससे इस तरह मरने वालों की संख्या चार हो गई।
    • रूस ने मोटे तौर पर भारत के उस आह्वान पर ध्यान दिया है जिसमें रूसी सेना में सहायक कर्मचारियों के रूप में भारतीयों की भर्ती समाप्त करने और सेना में अभी भी कार्यरत लोगों की वापसी सुनिश्चित करने की बात कही गई है।

आगे की राह

  • व्यापार असंतुलन को संबोधित करना: रूस के प्रति व्यापार में भारी असंतुलन रुपया-रूबल व्यापार में एक मुद्दा है।
    • इस समस्या को हल करने के लिए रूस भारत से मशीनरी सहित विनिर्माण उपकरण आयात करने का इच्छुक है। 
    • हाल ही में रूसी राष्ट्रपति ने फार्मेसी, विनिर्माण और उद्योग में आपसी निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।
  • चीन का मुकाबला: भारत को रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि वह चीन पर पहले से अधिक निर्भर न हो जाए।
  • रुपया-रूबल व्यापार में सुधार: रूस में भारतीय मुद्रा के संचय से निपटने के लिए, भारत और रूस दोनों के लिए समान तीसरे देशों के साथ रुपया व्यापार को बढ़ाने से, जहाँ भारत का व्यापार अधिशेष है, समस्या का समाधान करते हुए निर्बाध धन प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
    • इसके लिए, भारत ने भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण पर जोर देते हुए व्यापार को डी-डॉलरीकृत करने के लिए कदम उठाए हैं। 
    • रूस ने भी द्विपक्षीय व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं के अधिक उपयोग की सिफारिश की है और भारत तथा रूस के बीच सुचारू वित्तीय लेनदेन सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
  • रूस के लिए चीन का विकल्प भारत: रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से, चीन को रूसी कच्चे माल के निर्यात और चीनी वस्तुओं के आयात में तेजी से वृद्धि हुई है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने रूस को कमजोर बना दिया, जिसने चीन को अपने आर्थिक लाभ का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया, जिससे अपमानजनक और एकतरफा रियायतें देने पर बाध्य होना पड़ा।

निष्कर्ष

भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा इस बात का केंद्र बिंदु होगी, कि भारत किस प्रकार अपने बहुध्रुवीय और गुटनिरपेक्ष रुख का लाभ वार्ता एवं कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए करता है, जो संभवतः रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान में योगदान देगा।

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