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भारतीय रेलवे: मुद्दे और प्रस्तावित सुधार

Lokesh Pal January 30, 2025 02:07 50 0

संदर्भ 

हाल ही में महाराष्ट्र के जलगाँव में हुई रेल दुर्घटना ने भारतीय रेलवे में यात्री सुरक्षा और लापरवाही से जुड़े गंभीर मुद्दों को प्रकाश में ला दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • रेलवे संबंधी स्थायी समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारतीय रेलवे की परिचालन और वित्तीय स्थिति के संबंध में कई चिंताओं को उजागर किया है।

भारतीय रेलवे: एक संक्षिप्त परिचय

  • भारतीय रेलवे का इतिहास 160 वर्ष से भी प्राचीन है।
  • 16 अप्रैल, 1853 को बोरीबंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच पहली यात्री ट्रेन संचालित की गई थी, जो 34 किलोमीटर की दूरी तय करती थी।
  • नेटवर्क का आकार: भारतीय रेलवे, देश भर में 67,000 किलोमीटर से ज्यादा ट्रैक का संचालन करता है, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क बनाता है (संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद)।
  • स्टेशनों की संख्या: देश भर में 7,300 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं।
  • यात्री यातायात: भारतीय रेलवे वार्षिक रूप से 8 बिलियन से अधिक यात्रियों के परिवहन में सहायक  है।
  • माल यातायात: भारतीय रेलवे प्रत्येक वर्ष लगभग 1,200 मिलियन टन माल का संचालन करता है, जिससे यह विश्व के सबसे बड़े मालवाहकों में से एक बन गया है।

भारतीय रेलवे का संगठनात्मक ढाँचा

  • भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है और इसकी संगठनात्मक संरचना जटिल है, जिसमें इसके विशाल संचालन को प्रबंधित करने के लिए कई परतें निर्मित की गई हैं।
  • रेल मंत्रालय: पदानुक्रम के शीर्ष पर रेल मंत्रालय है।
    • रेल मंत्रालय का नेतृत्व रेल मंत्री करते हैं तथा रेल राज्य मंत्री उनकी सहायता करते हैं।
  • रेलवे बोर्ड: रेलवे बोर्ड, भारतीय रेलवे में नीतियों को तैयार करने और कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की देख-रेख करने के लिए जिम्मेदार शीर्ष निकाय है।
    •  रेलवे बोर्ड रेल मंत्रालय के माध्यम से संसद को रिपोर्ट करता है। 
    • बोर्ड की संरचना में अध्यक्ष और कई सदस्य शामिल हैं, जिनके पास जिम्मेदारी के विशिष्ट क्षेत्र हैं।

रेलवे संबंधी स्थायी समिति द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे

  • मालगाड़ियों की कम औसत गति
    • पिछले 11 वर्षों में मालगाड़ियों की औसत गति केवल 25.14 किमी./घंटा रही है।
    • यह धीमी गति भारतीय रेलवे की आय बढ़ाने में एक बड़ी बाधा के रूप में देखी जाती है।
      • माल ढुलाई सेवाएँ 8 भारतीय रेल के राजस्व में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।

मालगाड़ियों की कम औसत गति में सुधार के लिए उठाए गए कदम

  • दो समर्पित माल गलियारों (DFC) का निर्माण
    • पूर्वी DFC (लुधियाना से सोननगर – 1,337 किमी) का निर्माण पूरा हो चुका है।
    • पश्चिमी DFC (JNPT, मुंबई से दादरी – 1,506 किमी.) का निर्माण आंशिक रूप से पूरा हो चुका है, जबकि 102 किमी. का कार्य बाकी है, जो दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
  • समिति ने रेल मंत्रालय से नये DFC पर कार्य तेज करने का आग्रह किया।

  • माल ढुलाई सेवाओं से राजस्व
    • माल ढुलाई सेवाएँ भारतीय रेलवे की आय का प्रमुख स्रोत हैं।
    • वर्ष 2023-24 में, भारतीय रेलवे ने 1,68,293 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जबकि वित वर्ष 2024-25 के लिए 1,80,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।
    • राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए माल ढुलाई की उच्च गति और बेहतर लॉजिस्टिक्स आवश्यक हैं।
  • ‘कवच-Kavach’ सुरक्षा प्रणाली के कार्यान्वयन में धीमी प्रगति
    • कवच एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है, जो लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाने में विफल रहने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर टकराव को रोकने में सहायता करती है।
  • अनुसंधान एवं विकास निधि का कम उपयोग
    • अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) भारतीय रेलवे के अनुसंधान एवं विकास के लिए जिम्मेदार है। 
    • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुसंधान एवं विकास का बजट आवंटन 72.01 करोड़ रुपये है, जो अपेक्षाकृत कम है। 
    • पिछले वर्षों में वित्तीय उपयोग में कमी आई है:
      • वित्तीय वर्ष 2022-23: 107 करोड़ रुपये में से केवल 39.12 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।
      • वित्तीय वर्ष 2023-24: 66.52 करोड़ रुपये में से केवल 28.34 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।
    • समिति ने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान एवं विकास एक दीर्घकालिक निवेश है और रेलवे को धन का उचित उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
  • भारतीय रेलवे के शुद्ध राजस्व में गिरावट
    • समिति ने कहा कि हाल के वर्षों में भारतीय रेलवे का शुद्ध राजस्व नगण्य रहा है:
      • वर्ष 2022-23 और 2023-24: शुद्ध राजस्व न्यूनतम था।
      • वर्ष 2024-25: शुद्ध राजस्व का बजट अनुमान सिर्फ 2,800 करोड़ रुपये है।
    • इसका मुख्य कारण यात्री वर्ग, विशेषकर AC क्लास से कम राजस्व प्राप्त होना है।
    • समिति ने यात्री किराए की समीक्षा करने तथा इस वर्ग में घाटे को कम करने की रणनीति बनाने की सिफारिश की है।

रेलवे में यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK): महत्त्वपूर्ण सुरक्षा परिसंपत्तियों को बदलने, नवीनीकृत करने और उन्नत करने के लिए पाँच वर्ष के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कोष के साथ वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया।
  • इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम: मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्टेशनों पर लगाए गए।
  • रेट्रो-रिफ्लेक्टिव सिग्मा बोर्ड: कोहरे के मौसम के दौरान लोको पायलट को आगे के सिग्नल के बारे में चेतावनी देने के लिए लगाए गए।
  • मानव रहित लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन: जनवरी 2019 तक सभी ब्रॉड गेज (BG) यूएमएलसी को समाप्त कर दिया गया।
  • रोलिंग ब्लॉक अवधारणा: नवंबर 2023 में शुरू की गई, यह प्रणाली रोलिंग आधार पर 52 सप्ताह पहले तक रखरखाव, मरम्मत और प्रतिस्थापन कार्य की योजना बनाती है।
  • कवच-स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली: कवच एक अत्यधिक उन्नत ATP प्रणाली है, जो लोको पायलट द्वारा ऐसा करने में विफल होने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाती है।

रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए गठित समितियाँ

  • काकोदकर समिति (2001): भारतीय रेलवे के सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए वर्ष 2001 में भारत सरकार द्वारा काकोदकर समिति की स्थापना की गई थी।
    • समिति का ध्यान रेल दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने तथा सुरक्षा में सुधार के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने पर था।
  • विनोद राय समिति (2012): विनोद राय समिति का गठन रेल दुर्घटनाओं की एक शृंखला के बाद किया गया था और इसका उद्देश्य रेलवे परिचालन की सुरक्षा में सुधार करना था।
  • बिबेक देबरॉय समिति (2014): बिबेक देबरॉय समिति को भारतीय रेलवे के लिए सुधारों की सिफारिश करने का कार्य सौंपा गया था, जिसमें दक्षता और सुरक्षा में सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया था।

भारतीय रेलवे के समक्ष अन्य मुद्दे 

  • पटरियों पर अत्यधिक भार: लगभग 60% मार्ग 100% से अधिक क्षमता पर संचालित होते हैं, जिसके कारण देरी और दुर्घटनाएँ होती हैं।
  • ट्रेन दुर्घटनाएँ: सुरक्षा उपायों के बावजूद रेलगाडियों के पटरी से उतरने, टक्कर और लेवल-क्रॉसिंग दुर्घटनाएँ जारी हैं।
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 में 40 रेल दुर्घटनाओं में 313 यात्रियों की मृत्यु हुई तथा चार रेलवे कर्मचारियों की मृत्यु हुई।
  • पुरानी सिग्नलिंग प्रणाली: कई सेक्शन में अभी भी मैनुअल सिग्नलिंग का उपयोग किया जाता है, जिससे अकुशलताएँ पैदा होती हैं।
  • AI और ऑटोमेशन को अपनाने में देरी: वैश्विक रेल नेटवर्क के विपरीत, भारतीय रेलवे AI-आधारित पूर्वानुमानित प्रबंधन पीछे है।
    • Shift2Rail कार्यक्रम, जो रेल परिवहन को आधुनिक बनाने की यूरोपीय संघ की पहल का हिस्सा है, ने ट्रेन के घटकों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए पूर्वानुमानित रखरखाव, रेल बुनियादी ढाँचे की वास्तविक समय निगरानी और ट्रेन समय-निर्धारण तथा मार्ग नियोजन को अनुकूलित करने के लिए एआई का उपयोग किया है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: विस्तार परियोजनाओं से प्रायः पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है।
    • उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक पर स्थानीय वनस्पतियों और जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण पर्यावरणविदों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
  • परियोजना में देरी और नौकरशाही की बाधाएँ: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को अक्सर भूमि अधिग्रहण में देरी, मुकदमेबाजी और नौकरशाही की अक्षमताओं का सामना करना पड़ता है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: निर्णय लेने की प्रक्रिया राष्ट्रीय हित के बजाय क्षेत्रीय और चुनावी विचारों से प्रभावित होती है।

कवच: भारत की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली

  • कवच स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है, जिसे भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा डिजाइन किया गया है।
  • भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन में सुरक्षा बढ़ाने के लिए दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) द्वारा इसका परीक्षण किया गया था।

भारतीय रेलवे का निजीकरण

लाभ

हानि

बढ़ी हुई दक्षता: निजीकरण से प्रतिस्पर्द्धा के कारण बेहतर प्रबंधन, बेहतर सेवाएँ और परिचालन दक्षता प्राप्त हो सकती है।

पहुँच में कमी: निजी कंपनियाँ लाभदायक मार्गों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं तथा कम लाभदायक, दूरस्थ या ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा कर सकती हैं।

बेहतर बुनियादी ढाँचा: निजी कंपनियाँ आधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश कर सकती हैं और सुविधाओं को उन्नत कर सकती हैं, जिससे बुनियादी ढाँचे और यात्री अनुभव में सुधार होगा।

उच्च किराया: निजीकरण से किराया बढ़ सकता है, जिससे समाज के कुछ वर्गों के लिए यात्रा कम किफायती हो जाएगी।

नवप्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी: निजी ऑपरेटर नवीन प्रौद्योगिकियों को लागू कर सकते हैं, जैसे उच्च गति वाली रेलगाड़ियाँ, आधुनिक टिकट प्रणाली और बेहतर रखरखाव प्रोटोकॉल।

रोजगार में कटौती हो सकती है या श्रम स्थितियों में परिवर्तन हो सकता है, जिससे वर्तमान रेलवे कर्मचारियों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।

आर्थिक विकास को बढ़ावा: उन्नत दक्षता और बुनियादी ढाँचे के परिणामस्वरूप व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है।

सार्वजनिक हित की अपेक्षा लाभ को प्राथमिकता: निजी ऑपरेटर यात्री कल्याण की अपेक्षा लाभ को प्राथमिकता देते हैं, जिससे सेवा की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता हो जाता है।

सरकारी बोझ में कमी: सरकार रखरखाव और विकास की जिम्मेदारी निजी संस्थाओं को सौंपकर वित्तीय बोझ को कम करने में सक्षम हो सकती है।

सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: यदि उचित रखरखाव और विनियमन की कीमत पर लागत में कटौती के उपाय किए जाते हैं, तो निजीकरण से सुरक्षा संबंधी जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।

वर्तमान परिदृश्य

भारत सरकार ने भारतीय रेलवे के भीतर कुछ सेवाओं के आंशिक निजीकरण और निगमीकरण की दिशा में कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए:

  • भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC): भारतीय रेलवे की एक सहायक कंपनी, IRCTC खानपान, पर्यटन और ऑनलाइन टिकटिंग का काम सँभालती है। इसका आंशिक रूप से निजीकरण किया गया है और यह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है।
  • निजी ट्रेनें: सरकार ने सेवा की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार के लिए कुछ मार्गों पर निजी ट्रेन ऑपरेटरों की शुरुआत की है।
    • लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रेस, जिसका उद्घाटन किया गया, निजी ऑपरेटरों, आईआरसीटीसी द्वारा संचालित भारत की पहली ट्रेन है।
  • स्टेशन आधुनिकीकरण: रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और विकास में भाग लेने के लिए निजी खिलाड़ियों को आमंत्रित किया गया है।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: समर्पित माल गलियारा (DFC) और हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं को लागू करना।
    • जापान की शिंकानसेन तकनीक द्वारा समर्थित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, शहरों के बीच यात्रा के समय को 8 घंटे से घटाकर 2 घंटे कर देगी।
  • वित्तीय सुधार: किराए को तर्कसंगत बनाना, PPP मॉडल की खोज करना और परिचालन दक्षता में सुधार करना।
    • ब्रिटेन के नेटवर्क रेल ने बुनियादी ढाँचे के विकास और स्टेशन उन्नयन के लिए कई PPP को लागू किया है, जिससे रेल क्षेत्र में दक्षता और निवेश में सुधार हुआ है।
  • सुरक्षा संवर्द्धन: कवच (टकराव रोधी प्रणाली) का विस्तार, आधुनिक सिग्नलिंग और बेहतर स्टाफ प्रशिक्षण।
    • यूरोप का ETCS (यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली) दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वास्तविक समय गति नियंत्रण और स्वचालित ब्रेकिंग प्रदान करता है, जो दुनिया के सबसे सुरक्षित रेल नेटवर्क में से एक है।
  • यात्री-केंद्रित सुधार: स्वच्छता, टिकट प्रणाली और स्टेशन सुविधाओं में सुधार।
    • स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छता पर केंद्रित है और इसके अंतर्गत ट्रेनों और स्टेशनों में सफाई निरीक्षकों की नियुक्ति की गई है। 
    • अमृत भारत स्टेशन योजना का लक्ष्य 500 से अधिक स्टेशनों को बेहतर बनाना है, जिसमें प्रतीक्षालय, मुफ्त वाई-फाई और स्वच्छ शौचालय जैसी बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: विद्युतीकरण, सौर ऊर्जा से संचालित स्टेशनों और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • भारतीय रेलवे ने वर्ष 2030 तक सभी रेलवे ट्रैकों का विद्युतीकरण पूरा करके ‘नेट जीरो’ इकाई बनने का लक्ष्य रखा है।

निष्कर्ष

हालाँकि भारतीय रेलवे भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, आधुनिकीकरण, वित्तीय पुनर्गठन और तकनीकी प्रगति के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करना इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और दक्षता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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