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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) INSAT-3DS

Lokesh Pal February 16, 2024 04:47 110 0

संदर्भ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी पूर्वानुमान क्षमता को मजबूत करने के लिए 17 फरवरी को इनसैट-3डीएस (INSAT-3DS ) का प्रक्षेपण करने का निर्णय लिया है।

संबंधित तथ्य 

  • यह INSAT 3D उपग्रहों की शृंखला में तीसरा है।
  • इसके पूर्ववर्ती INSAT-3D (वर्ष 2013 में लॉन्च), और INSAT-3DR (वर्ष 2016) थे।

  • इनसैट (INSAT) या भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली,  बहुउद्देशीय भू-स्थैतिक उपग्रहों की एक शृंखला है।
  • ये उपग्रह भारत की दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान, खोज और रक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसरो (ISRO) द्वारा प्रक्षेपित किए जाते हैं।
  • इनसैट (INSAT) एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सबसे बड़ी घरेलू संचार प्रणाली है।

इन्सैट-3DS के संदर्भ में

  • इसे मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए उन्नत मौसम संबंधी अवलोकन और भूमि एवं  महासागर सतहों की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है।
  • लॉन्च विवरण: INSAT-3DS मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC)  श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से लॉन्च किया जाना है।
  • फंडिंग: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences-MoES) द्वारा वित्तपोषित।
  • सहयोग: इसरो (ISRO)  और भारत मौसम विज्ञान संगठन (IMD)।
  • प्रक्षेपण यान: जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Geosynchronous Launch Vehicle: GSLV-F14)।
  • संवर्द्धन: उपग्रह वर्तमान में चालू INSAT-3D और INSAT-3DR उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre -SDSC): 

  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) शार (SHAR), श्रीहरिकोटा  भारत का स्पेस पोर्ट (Space Port) है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए प्रक्षेपण आधार संरचना प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।
  • इस केंद्र में दो प्रक्षेपण पैड हैं, जहाँ से पीएसएलवी (PSLV ) और जीएसएलवी ( GSLV) के रॉकेट लॉन्चिंग ऑपरेशन किए जाते हैं।
  • इसमें साउंडिंग रॉकेट (Sounding Rockets) लॉन्च करने के लिए एक अलग लॉन्च पैड है।

मिशन का उद्देश्य

  • पृथ्वी की सतह की निगरानी करने के लिए, मौसम संबंधी महत्त्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में महासागरीय अवलोकन और उसके पर्यावरण का संचालन करने के लिए।
  • वायुमंडल के विभिन्न मौसमी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल प्रदान करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। यह मापदंड वायुमंडल के विभिन्न स्तरों पर तापमान, आर्द्रता, वायु दाब, वायु गति और अन्य मौसमी घटकों की जानकारी प्रदान करता है।
  • डेटा संग्रह प्लेटफार्म (DCP) से डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताएँ प्रदान करना।

इनसैट 3डीएस पेलोड (INSAT 3DS Payload):

  • इमेजर पेलोड: INSAT-3DS एक ‘मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजर’ (ऑप्टिकल रेडियोमीटर) है, जो छह तरंगदैर्ध्य बैंड में पृथ्वी और उसके पर्यावरण की छवियाँ प्रदान करने में सक्षम है।
  • साउंडर पेलोड: वायुमंडल के ऊर्ध्वाधर  गुणों, जैसे तापमान, आर्द्रता आदि पर जानकारी प्रदान करेगा।
  • डेटा रिले ट्रांसपोंडर (DRT):  यह विश्वभर में फैले स्वचालित डेटा संग्रह प्लेटफॉर्मों /स्वचालित मौसम स्टेशनों (AWS) से मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और महासागरीय डेटा प्राप्त कर उपयोगकर्ता टर्मिनल पर वापस भेजता है।
  • सैटेलाइट-सहायता प्राप्त खोज और बचाव (एसए एंड एसआर) ट्रांसपोंडर: खोज और बचाव उद्देश्यों के लिए बीकन ट्रांसमीटरों से एक संकट संकेत/अलर्ट का पता लगाता है।

जीएसएलवी-एफ14 (GSLV-F14):

  • GSLV एक तीन चरण वाला प्रक्षेपण यान है, जिसका भार 420 टन है।
  • जीएसएलवी का उपयोग संचार, नेविगेशन, पृथ्वी संसाधन सर्वेक्षण और किसी अन्य स्वामित्व मिशन को करने में सक्षम विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष यान लॉन्च करने के लिए किया जा सकता है।

भू-स्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (Geostationary Transfer Orbit): 

  • स्थानांतरण कक्षाएँ एक विशेष प्रकार की कक्षा होती हैं, जिनका उपयोग उपग्रह को एक कक्षा से दूसरी कक्षा में ले जाने के लिए किया जाता है।
  • जीटीओ (GTO) उपग्रहों को उनकी गंतव्य कक्षा में स्थापित करने से पहले एक पड़ाव प्रदान करता है।
  • प्रक्षेपकों को किसी उपग्रह को सीधे भू-स्थैतिक पृथ्वी कक्षा (GEO) में स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अतरिक्त यह पहली स्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) का उपयोग कर सकता है।

पृथ्वी की भूस्थैतिक कक्षा (GEO): 

  • इससे प्रक्षेपित किए गए उपग्रह ‘स्थिर’ दिखाई देते हैं, क्योंकि उनकी कक्षीय अवधि पृथ्वी की घूर्णन अवधि के समान होती है।
  • इसरो की भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली [INSAT] को GEO में रखा गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी पर स्थापित एंटीना के लिए बिना घूर्णन वाले संचार उपग्रहों का पता लगाना आसान है।

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