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भारत की विमानन क्रांति

Lokesh Pal April 24, 2025 03:40 5 0

संदर्भ

भारत के विमानन क्षेत्र में वर्ष 2024 में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई, जिसमें घरेलू हवाई यात्री यातायात पहली बार एक दिन में 5 लाख को पार कर गया, जो कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

भारत के विमानन क्षेत्र की स्थिति

  • यात्री यातायात में तीव्र वृद्धि: घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या वर्ष 2024 में 228 मिलियन तक पहुँच गई, जो वर्ष 2014 के स्तर से दोगुनी से भी अधिक है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में 11.4% की वृद्धि हुई, जो 64.5 मिलियन तक पहुँच गई।
  • वैश्विक रैंकिंग: भारत अब वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार है, जहाँ 350 मिलियन से अधिक कुल वार्षिक यात्री हैं।
  • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: वर्ष 2014 से 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे प्रारंभ हो गए हैं, जिनमें नवी मुंबई और नोएडा जैसे प्रमुख हवाई अड्डे वित्त वर्ष 2025-26 में शुरू होने की संभावना है।
  • एयर कार्गो क्षमता में सुधार: वित्त वर्ष 2024 में 8 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुँच गई, जो वार्षिक रूप से 10% से अधिक की दर से बढ़ रही है।

विमानन विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

विधायी सुधार

  • वायुयान संरक्षण विधेयक, 2025: पट्टे की लागत कम करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और घरेलू लीजकेंद्रों को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप है।
  • भारतीय वायुयान अधिनियम, 2024: वर्ष 1934 के विमान अधिनियम का स्थान लेता है, ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करता है और लाइसेंसिंग एवं विनियामक अनुपालन को सरल बनाता है।

बुनियादी ढाँचे का विकास

  • बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत 91,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिबद्धता, जिसमें से 82,600 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।
  • हवाई अड्डों का विस्तार: राष्ट्रव्यापी कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए अगले दशक में 50 नए हवाई अड्डे और 120 नए गंतव्यों को लक्षित किया गया है।

समावेशी क्षेत्रीय संपर्क

  • RCS-उड़ान भारत को जोड़ रहा है: क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) – उड़े देश का आम नागरिक (UDAN) ने वर्ष 2016 में अपनी शुरुआत के बाद से 619 मार्गों को चालू किया है और देश भर में 88 हवाई अड्डों को जोड़ा है।
    • वर्ष 2024 में, 102 नए RCS मार्ग शुरू किए गए, जिनमें पूर्वोत्तर राज्यों में 20 शामिल हैं।
  • वहनीय हवाई यात्रा: उड़ान ने 1.5 करोड़ यात्रियों के लिए यात्रा की सुविधा प्रदान की है और अगले 10 वर्षों में 4 करोड़ और यात्रियों तक पहुँचने का लक्ष्य है।
  • उड़ान यात्री कैफे: कोलकाता और चेन्नई जैसे हवाई अड्डों पर कम लागत वाले खाद्य आउटलेट, जहाँ ₹10 में चाय और ₹20 में समोसे मिलते हैं।

प्रौद्योगिकी और सुरक्षा

  • डिजी यात्रा का विस्तार: 24 हवाई अड्डों पर शुरू किया गया है, जिससे 4 करोड़ से अधिक यात्राएँ पूरी होने के साथ निर्बाध, संपर्क रहित यात्रा की सुविधा मिली।
  • सुरक्षा में वृद्धि: दुर्घटना जाँच क्षमताओं को बढ़ाने और विमानन सुरक्षा मानकों को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली में ₹9 करोड़ की लागत से डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया।

स्थिरता और मानव संसाधन विकास

  • हरित ऊर्जा परिवर्तन: 80 हवाई अड्डे 100% हरित ऊर्जा पर कार्य करते हैं; 100 से अधिक हवाई अड्डों को इसी तरह के परिवर्तन के लिए लक्षित किया गया है।
  • पायलट प्रशिक्षण विस्तार: 30,000-34,000 पायलटों की अनुमानित आवश्यकता, FTO का विस्तार किया जा रहा है और पायलट लाइसेंस जारी करने की संख्या बढ़ाई जा रही है।
  • कॅरियर मार्गदर्शन कार्यक्रम: स्कूली छात्रों को विमानन कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित करने, घरेलू प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया।
  • उच्च परिचालन लागत
    • भारत में विमान पट्टे की लागत कमजोर कानूनी प्रवर्तन के कारण वैश्विक मानदंडों की तुलना में 8-10% अधिक थी।
      • इसे वर्ष 2025 विमानन वस्तु विधेयक के माध्यम से संबोधित किया गया है।
    • भारत में विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) की कीमतें विश्व स्तर पर सर्वाधिक हैं, जो परिचालन व्यय में लगभग 40% का योगदान देती हैं, जबकि वैश्विक औसत 20-25% है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: 148 चालू हवाई अड्डों में से कई टियर-2 और टियर-3 सुविधाओं में रात में लैंडिंग की क्षमता, इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) और पर्याप्त कार्गो हैंडलिंग बुनियादी ढाँचे की कमी है।
  • कुशल कार्यबल की कमी: भारत को अगले 10-15 वर्षों में 30,000-34,000 पायलटों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में पायलट लाइसेंस जारी करने की वार्षिक दर लगभग 1,200-1,500 है, जिससे प्रतिभा की कमी बढ़ती जा रही है।
  • विनियामक बाधाएँ: भारतीय वायुयान अधिनियम, 2024 के तहत सरलीकरण प्रयासों के बावजूद, जटिल भूमि अधिग्रहण और विलंबित पर्यावरणीय मंजूरी प्रायः हवाई अड्डे की परियोजनाओं को रोक देती हैं।

आगे की राह

  • घरेलू विनिर्माण पर ध्यान देना: ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत विमान के पुर्जों और घटकों के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
  • क्षेत्रीय पहुँच में वृद्धि: हेलीकॉप्टर, सीप्लेन और छोटे विमानों के माध्यम से अंतिम मील की कनेक्टिविटी को मजबूत करना।
  • डिजिटल और हरित विमानन: संपूर्ण क्षेत्र में स्मार्ट हवाई अड्डों, हरित ईंधन और संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: हवाई अड्डे के संचालन, कार्गो लॉजिस्टिक्स और MRO सेवाओं में निजी निवेश को आकर्षित करना।
  • वैश्विक सहयोग: भारत को वैश्विक विमानन मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारी का लाभ उठाना।

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