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भारत का ब्लैक कार्बन उत्सर्जन

Lokesh Pal October 10, 2024 03:45 56 0

संदर्भ 

द्वितीयक प्रकाश स्रोत के रूप में केरोसिन आधारित लैंप पर भारत की निर्भरता से प्रति वर्ष 12.5 गीगाग्राम (Gg) ब्लैक कार्बन नामक शक्तिशाली जलवायु प्रदूषक उत्सर्जित होता है।

भारत में ब्लैक कार्बन उत्सर्जन

  • भारत में केरोसिन आधारित प्रकाश स्त्रोत के कारण प्रतिवर्ष 12.5 गीगाग्राम (Gg) ब्लैक कार्बन उत्सर्जित होता है।
  • यह कुल आवासीय ब्लैक कार्बन उत्सर्जन (खाना पकाने, अन्य ऊर्जा के लिए और प्रकाश स्त्रोत से) का 10% है।
  • केरोसिन लैंप पर ग्रामीण निर्भरता
    • ग्रामीण क्षेत्रों में 30% परिवार विद्युत कटौती के दौरान केरोसिन वाली लाइट का उपयोग करते हैं।
    • भारत के पूर्वी क्षेत्रों में यह आँकड़ा 70% तक पहुँच जाता है।
  • क्षेत्रीय उत्सर्जन का योगदान
    • पूर्वी भारत द्वितीयक प्रकाश स्रोतों से होने वाले ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में 60% (7.5 गीगावाट) का योगदान देता है।
    • सिर्फ बिहार में केरोसिन प्रकाश व्यवस्था से प्रति वर्ष 3 गीगावाट से अधिक कार्बन उत्सर्जित होता है।
  • त्योहारों का प्रभाव (दिवाली के दौरान)
    • दिवाली के दौरान तिल के तेल के दीये उत्सर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान (2 दिनों में अतिरिक्त 3 गीगाबाइट ब्लैक कार्बन) करते हैं।
    • दिवाली के दौरान दीपकों से होने वाले उत्सर्जन में शीर्ष राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार शामिल हैं।
    • मोम आधारित दीपकों पर स्विच करने से उत्सर्जन में 90% की कमी आ सकती है।

प्रमुख सरकारी पहल

  • सौभाग्य योजना (Saubhagya Scheme): विद्युत की उपलब्धता बढ़ाकर केरोसिन की खपत कम करने में मदद की।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana): गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को LPG कनेक्शन दिए जाने से ब्लैक कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिली।
  • सतत योजना (SATAT Scheme): किफायती परिवहन के लिए सतत (SATAT) विकल्प, 5000 संपीडित बायोगैस (CBG) उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और CBG को उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है।
  • फेम योजना (FAME Scheme): भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने एवं विनिर्माण (फेम इंडिया) योजना चरण/फेज-II  अर्थात् ‘फेम इंडिया’ नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। ‘फेम’ का मुख्य फोकस सब्सिडी प्रदान करके इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme): इस कार्यक्रम के अंतर्गत, सरकार ने वर्ष 2026 तक पहल द्वारा कवर किए गए शहरों में पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता में 40% की कमी हासिल करने के अपने लक्ष्य को संशोधित किया है, जो वर्ष 2024 तक 20-30% की कमी के पिछले लक्ष्य से अधिक है।

ब्लैक कार्बन के बारे में

  • ब्लैक कार्बन एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक है, जो एक सप्ताह से भी कम समय तक वातावरण में विद्यमान रहता है, लेकिन यह अत्यधिक शक्तिशाली प्रदूषक होता है।
  • यह ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण में योगदान देता है।
  • स्रोत: ब्लैक कार्बन विभिन्न स्रोतों से उत्सर्जित होता है, जिनमें शामिल हैं:- वाहन, मशीनरी, जहाज, कोयला या लकड़ी जलाने वाले स्टोव, जंगल की आग, कृषि अपशिष्ट जलाना।
  • हालाँकि केरोसिन की जलने की दर बायोमास की तुलना में कम है, लेकिन पूर्व के उत्सर्जन कारक बाद वाले की तुलना में अधिक हैं।

ब्लैक कार्बन के प्रभाव

  • जलवायु परिवर्तन
    • ब्लैक कार्बन जलवायु परिवर्तन में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, जो सौर विकिरण को अवशोषित करता है और वायुमंडल में ऊष्मा को उत्सर्जित करता है।
    • यह कार्बन डाइऑक्साइड के बाद ग्लोबल वार्मिंग में दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता है।
    • ग्लोबल वार्मिंग की संभावना: ब्लैक कार्बन की 20 वर्ष की क्षमता CO2 उत्सर्जन की तुलना में 700-4,000 गुना है।
    • ब्लैक कार्बन उत्सर्जन बर्फ एवं हिम के पिघलने की गति को भी तेज कर सकता है, जिससे आर्कटिक में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव बढ़ सकते हैं।
  • वायु प्रदूषण
    • ब्लैक कार्बन, पार्टिकुलेट मैटर (PM) का एक घटक है, जो स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक वायु प्रदूषक है।
    • ब्लैक कार्बन के कण बहुत महीन होते हैं और मानव के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और अन्य अंगों तक पहुँच सकते हैं।
    • PM2.5, एक प्रकार के महीन कण हैं, जो फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुँचा सकता है।

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