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डिजिटल मुद्रा के प्रति भारत का संतुलित दृष्टिकोण

Lokesh Pal October 09, 2025 02:41 16 0

संदर्भ

हाल ही में वित्त मंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर के बयानों ने यह संकेत दिया है कि भारत डिजिटल वित्तीय परिसंपत्तियों पर एक संतुलित लेकिन प्रगतिशील दृष्टिकोण अपना रहा है।

संबंधित तथ्य 

  • वित्त मंत्री ने सभी देशों से स्टेबलकॉइन को अपनाने के लिए तैयारी करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • वहीं RBI ने संकेत दिया कि भारत अन्य देशों द्वारा अपने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) लॉन्च करने के बाद ही अपने खुदरा स्तर पर इसके प्रसार को बढ़ाएगा।
  • राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 के दौरान UPI भुगतान के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण शुरू किया।

स्टेबलकॉइन क्या है? 

  • स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती हैं, जिनका मूल्य किसी संदर्भ परिसंपत्ति जैसे फिएट मुद्रा (अमेरिकी डॉलर, यूरो) या सोने के सापेक्ष स्थिर रखा जाता है।
  • इनका उद्देश्य क्रिप्टोकरेंसी के लाभ (जैसे- गतिशीलता, सीमा पार उपयोग) को पारंपरिक मुद्रा की स्थिरता के साथ जोड़ना है।
  • वैश्विक सहमति: वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB), बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संस्थान स्टेबलकॉइन को वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) के रूप में परिभाषित करते हैं, जो पारदर्शी भंडार द्वारा समर्थित होती हैं।
  • भुगतान दक्षता: स्टेबलकॉइन तत्काल, कम लागत वाले सीमा-पार लेनदेन संभव बनाती हैं।
    • वीजा (Visa) की ‘मेकिंग क्रिप्टो रियल’ रिपोर्ट, 2025 के अनुसार, 220 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की स्टेबलकॉइन प्रचलन में हैं, जो केवल $0.01 प्रति लेन-देन में भुगतान निपटान करती हैं,  जबकि पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली में यही लागत लगभग $44 होती है।

स्टेबलकॉइन के प्रकार

  1. फिएट-समर्थित स्टेबलकॉइन: ये किसी फिएट मुद्रा भंडार (Reserve) द्वारा समर्थित होती हैं।
    • प्रत्येक टोकन एक इकाई फिएट मुद्रा के बराबर होता है।
    • उदाहरण: टेथर (USDT), USD Coin (USDC)
  2. क्रिप्टो-समर्थित स्टेबलकॉइन: अन्य क्रिप्टोकरेंसी को गिरवी (Collateral) रखकर जारी की जाती हैं। सामान्यतः अधिक-गिरवीकृत (Over-Collateralised) होती हैं।
    • उदाहरण: DAI (MakerDAO), जो इथेरियम जैसी संपत्तियों द्वारा समर्थित है।
  3. एल्गोरिदम आधारित स्टेबलकॉइन: किसी परिसंपत्ति द्वारा समर्थित नहीं होतीं, एल्गोरिदम माँग के अनुसार मुद्रा आपूर्ति को बढ़ा या घटा कर स्थिरता बनाए रखते हैं।
    • उदाहरण: टेरा USD (UST), जिसका मूल्य वर्ष 2022 में कम हो गया, इससे इनके जोखिम का पता चलता है।

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा क्या है? 

  • केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) एक देश की सार्वभौमिक मुद्रा का डिजिटल रूप है, जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और नियंत्रित किया जाता है।
  • यह कानूनी मुद्रा (Legal Tender) होती है, जिसका मूल्य कागजी मुद्रा के समान होता है।
  • उदाहरण: भारत का डिजिटल रुपया (Digital Rupee – e₹), जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किया गया है।

स्टेबलकॉइन और CBDC के बीच अंतर

विशेषता

स्टेबलकॉइन

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC)

जारीकर्ता  निजी संस्थाएँ या विकेंद्रीकृत प्रोटोकॉल केंद्रीय बैंक
समर्थन  फिएट, क्रिप्टो, वस्तुएँ या एल्गोरिदम संप्रभु सरकार द्वारा पूर्ण समर्थन
कानूनी स्थिति कानूनी मुद्रा नहीं कानूनी मुद्रा
स्थिरता तंत्र पार्श्विक या एल्गोरिदम  पर आधारित  मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा सुनिश्चित
नियमन  प्रायः सीमित विनियमन या विनियमन नहीं केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित
उदाहरण USDT, DAI, USDC डिजिटल रुपया (भारत), e-Yuan (चीन), e-Naira (नाइजीरिया)।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य 

  • संस्थागत विस्तार: ब्लैकरॉक, फिडेलिटी और सोसायटी जनरल जैसी वित्तीय दिग्गज कंपनियों ने स्टेबलकॉइन परियोजनाएँ शुरू की हैं, जो मुख्यधारा में स्वीकार्यता दर्शाती हैं।
  • नियामक ढाँचा
    • यूरोपीय संघ (EU) का मार्केट्स इन क्रिप्टो-एसेट्स रेगुलेशन (MiCA) और अमेरिका का जीनिअस एक्ट (GENIUS Act) अब स्टेबलकॉइन के लिए भंडार मानक, उपभोक्ता संरक्षण, और शासन संबंधी मानदंड निर्धारित करते हैं।
    • स्टेबलकॉइन अब सट्टा परिसंपत्तियों (Speculative Assets) से आगे बढ़कर नियामित वित्तीय उपकरण बन चुकी हैं।
  • वैश्विक CBDC समन्वय: RBI की सावधानीपूर्ण नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न देशों की डिजिटल मुद्राएँ पारस्परिक रूप से संगत हों ताकि रियल टाइम व्यापार और सीमा-पार भुगतान संभव हो सकें।
  • तीन-स्तरीय प्रणाली का विकास
    • ब्लॉकचेन लेयर: विकेंद्रीकृत और ऑडिट योग्य।
    • रिजर्व परत: विनियमित संस्थानों द्वारा रखे गए ‘फिएट’ या ‘ट्रेजरी’ भंडार द्वारा समर्थित।
    • इंटरफेस लेयर: कार्ड, वॉलेट और API, जो स्टेबलकॉइन को दैनिक भुगतानों में जोड़ते हैं।

भारत की परिवर्तित नीतिगत स्थिति

  • नीतिगत परिवर्तन: भारत का दृष्टिकोण नियामक सतर्कता से सक्रिय भागीदारी की ओर बढ़ रहा है।
    • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को क्रिप्टो परिसंपत्तियों, विशेषकर स्टेबलकॉइन के साथ जुड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि वह तेजी से बदलते वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिस्पर्द्धी बना रहे।
  • RBI का दृष्टिकोण
    • RBI शीघ्रता में CBDC का व्यापक प्रसार नहीं करना चाहता, बल्कि वैश्विक साझेदार देशों के साथ तालमेल  में आगे बढ़ना चाहता है।
    • CBDC का सबसे उपयुक्त उपयोग सीमा-पार लेनदेन के मामले में है,  जिससे दक्षता और संगतता सुनिश्चित हो सके।
  • रणनीतिक संदर्भ
    • स्टेबलकॉइन, जो कभी प्रयोगात्मक मानी जाती थीं, अब संस्थागत वित्त और सीमा-पार भुगतान प्रणालियों का हिस्सा बन चुकी हैं।
    • विकासशील देशों में ये वित्तीय समावेशन में सहायक हैं,  जबकि विकसित देशों में ये प्रभावशीलता बढ़ाती हैं।
  • संभावित एकीकरण:  भारत का UPI, आधार और अकाउंट एग्रीगेटर इकोसिस्टम, स्टेबलकॉइन नेटवर्क के साथ सामंजस्य स्थापित कर अंतर-संचालित, प्रोग्राम योग्य वित्त का सृजन कर सकता है।
  • रणनीतिक संतुलन: भारत का “ट्विन-ट्रैक” दृष्टिकोण नवाचार को अपनाते हुए सतर्कता बनाए रखने का प्रयास करता है, ताकि डिजिटल वित्त के लाभों का उपयोग करते हुए मौद्रिक स्थिरता की रक्षा की जा सके।

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