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भारत का कैंसर मानचित्र

Lokesh Pal September 04, 2025 03:22 240 0

संदर्भ

जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्री (Population Based Cancer Registries- PBCR) 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (2015-2019) में भारत की 10-18% आबादी को कवर करती है, जो घटनाओं, मृत्यु दर और भौगोलिक असमानताओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है।

संबंधित तथ्य

  • अनुमानित आँकड़े: 15.6 लाख मामले, 8.74 लाख मौतें।
  • आँकड़ों से सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना, नीतिगत हस्तक्षेप और संसाधन आवंटन को जानकारी मिलती है।

जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्री (PBCR) के बारे में

  • PBCR एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में एक सुपरिभाषित जनसंख्या में होने वाले कैंसर के सभी नए मामलों पर व्यवस्थित रूप से डेटा एकत्र करते हैं।
  • यह पंजीकरण के विभिन्न स्रोतों (Sources of Registrations- SoR) से डेटा एकत्र करता है, जैसे- सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डायग्नोस्टिक लैब, इमेजिंग केंद्र, धर्मशालाएँ और जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार।

अध्ययन के बारे में

  • डेटा स्रोत: 43 कैंसर रजिस्ट्रियों का विश्लेषण (2015-2019)।
  • निष्कर्ष: 7.08 लाख कैंसर के मामले और 2.06 लाख मौतें दर्ज की गईं।
    • भारत में कैंसर होने का आजीवन जोखिम 11% रहा है।
  • संचालनकर्ता: AIIMS दिल्ली, टाटा मेमोरियल और अड्यार कैंसर संस्थान के शोधकर्ता।
  • बहिष्करण: स्वास्थ्य प्रणालियों पर COVID-19 के प्रभाव के कारण वर्ष 2020 के डेटा को छोड़ दिया गया।

प्रमुख रुझान

  1. लैंगिक प्रवृत्तियाँ

मानदंड महिला पुरुष विवरण
मामलों का % 51.1% 48.9% महिलाओं में यह रोग अधिक होता है, लेकिन मृत्यु दर कम होती है।
मृत्यु का % 45% 55% पुरुषों में कैंसर (फेफड़े, पेट, मुँह) का पता देर से चलता है; रोग का निदान खराब होता है।
सामान्य कैंसर स्तन, ग्रीवा मुख, फेफड़े, यकृत, आमाशय, ग्रासनली महिलाओं में शीघ्र पहचान से जीवन रक्षा में सुधार

  • महिलाओं में प्रचलित कैंसर के प्रकारों के कारण असमानता: स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का शीघ्र पता लगाना संभव है; स्क्रीनिंग कार्यक्रमों द्वारा समर्थित, बेहतर रोगनिदान और जीवन रक्षा।
  • पुरुषों में होने वाले कैंसर: मुख, फेफड़े, यकृत, आमाशय, ग्रासनली, आमतौर पर देरी से निदान, खराब परिणाम।
  1. ओरल कैंसर के मामलों में वृद्धि
  • व्यापकता: पुरुषों में सबसे आम कैंसर के रूप में मुख कैंसर ने फेफड़ों के कैंसर को पीछे छोड़ दिया है।
  • जोखिम कारक: यद्यपि वर्ष 2009–2017 के दौरान तंबाकू के उपयोग में 34.6% से 28.6% की कमी दर्ज की गई है, किंतु लगभग 20 वर्ष की लंबी अवधि तथा शराब का सेवन घटनाओं की वृद्धि में सहायक कारक बने हुए हैं।
  • संयुक्त जोखिम: शराब और तंबाकू मिलकर ओरल, गैस्ट्रिक, कोलोरेक्टल और यकृत कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

  1. क्षेत्रीय विविधताएँ
  • आइजोल में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए:
    • पुरुष:4/100,000
    • महिलाएँ:5/100,000
  • योगदान देने वाले कारक
    • तंबाकू और सुपारी का अत्यधिक सेवन।
    • आहार संबंधी आदतें: ‘सा-अम’ (किण्वित सूअर की चर्बी), स्मोक्ड मीट और मछली, बहुत मसालेदार भोजन, गर्म पेय पदार्थ, सोडा।
    • पर्यावरणीय/संक्रामक जोखिम: एच. पाइलोरी, हेपेटाइटिस, साल्मोनेला टाइफी, HPV
    • हीटिंग प्रथाओं से घर के अंदर प्रदूषण।
  • जीवनशैली और पर्यावरणीय जोखिम कारकों के कारण पूर्वोत्तर में कैंसर का बोझ बहुत अधिक है।
  1. प्रमुख कैंसरों का भौगोलिक प्रसार
  • स्तन कैंसर: हैदराबाद – 54/100,000।
  • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर: आइजोल – 1/100,000।
  • फेफड़ों का कैंसर: पुरुष – श्रीनगर 5; महिला – आइजोल 33.7।
  • मुख कैंसर: पुरुष – अहमदाबाद 6; महिला – पूर्वी खासी हिल्स 13.6।
  • प्रोस्टेट कैंसर: श्रीनगर – 7/100,000।
  • फेफड़ों का कैंसर दक्षिणी/महानगरीय शहरों में प्रचलित है: विशाखापत्तनम, बेंगलुरु, कोल्लम, तिरुवनंतपुरम, मालाबार क्षेत्र, चेन्नई और दिल्ली।
  • ओरल कैंसर पश्चिमी, मध्य और उत्तरी क्षेत्रों (जैसे- अहमदाबाद, भोपाल, मुंबई, प्रयागराज) में प्रचलित है।

मानव पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus- HPV) वैक्सीन

  • HPV संक्रमणों से बचाव करता है जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, अन्य कैंसर या जननांग संबंधी कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  • HPV 200 से अधिक संबंधित विषाणुओं का एक समूह है, जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के 95% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है।

विश्लेषण का महत्त्व

  • लक्षित कैंसर कार्यक्रम: स्क्रीनिंग, जागरूकता, शीघ्र पहचान और समय पर उपचार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • स्तन कैंसर का भार: 30% महिला कैंसर के मामलों को देखते हुए, सेंट्रल स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
  • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर नियंत्रण: विभिन्न रजिस्ट्री में HPV के उच्च प्रसार के कारण टीकाकरण और नियमित जाँच पर जोर दिया गया।
  • क्षेत्रीय फोकस – पूर्वोत्तर: क्षेत्र में मजबूत स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे, सामुदायिक भागीदारी और जीवनशैली में सुधार का आह्वान किया गया।
  • रोकथाम की संभावना: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जीवनशैली में बदलाव और शीघ्र पहचान के माध्यम से 30-50% कैंसर की रोकथाम संभव है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों की भूमिका को रेखांकित करता है।

कैंसर मुक्त भारत की दिशा में पहल

  • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) (2010)
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( NHM) के अंतर्गत एक प्रमुख पहल है।
    • कैंसर सहित गैर-संचारी रोगों (NCD) के नियंत्रण पर केंद्रित।
    • तीन सबसे सामान्य कैंसर: ओरल, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को लक्षित करता है।
    • स्वास्थ्य संवर्धन, शीघ्र पहचान और उपचार के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने पर जोर देता है।
  • कैंसर के लिए तृतीयक देखभाल योजना का सुदृढ़ीकरण (2019)
    • राज्यों में विशेष कैंसर देखभाल सुविधाओं का विस्तार।
    • बेहतर पहुँच के लिए कैंसर उपचार का विकेंद्रीकरण करना।
  • आयुष्मान भारत योजना (2018)
    • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए एक ऐतिहासिक स्वास्थ्य पहल, विशेष रूप से ग्रामीण और कमजोर समूहों के लिए; 30 दिनों के भीतर कैंसर का उपचार सुनिश्चित करती है।
    • आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी को कवर करती है।
  • स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि (Health Minister’s Cancer Patient Fund- HMCPF) (2009)
    • राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) के तहत संचालित होता है।
    • BPL रोगियों के लिए ₹5 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (National Cancer Grid- NCG), 2012
    • पूरे भारत में मानकीकृत, उच्च-गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल सुनिश्चित करता है।
    • वहनीय, साक्ष्य-आधारित उपचार प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत-PMJAY के तहत सहयोग करता है।
  • केंद्रीय बजट 2025-26 के प्रावधान
    • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को लगभग ₹1 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं।
    • डे केयर कैंसर केंद्र: तीन वर्षों के भीतर सभी जिला अस्पतालों में स्थापित किए जाएँगे।
    • सीमा शुल्क छूट: कैंसर, दुर्लभ और दीर्घकालिक बीमारियों के लिए 36 जीवनरक्षक दवाओं को लागत कम करने हेतु ‘मूल सीमा शुल्क’ (BCD) से छूट दी गई है।

जागरूकता कार्यक्रम

  • सामुदायिक जागरूकता एवं मीडिया: आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सोशल/प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कैंसर जागरूकता दिवसों का आयोजन निवारक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
  • स्वस्थ भोजन – FSSAI का ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान पौष्टिक आहार संबंधी आदतों को प्रोत्साहित करता है।
  • स्वास्थ्य एवं कल्याण – फिट इंडिया अभियान और आयुष-आधारित योग कार्यक्रम शारीरिक गतिविधि और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

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