100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत के वर्तमान कानून: बैलास्ट वाटर

Lokesh Pal August 16, 2024 03:18 113 0

संदर्भ

तमिलनाडु जल संसाधन विभाग (Water Resources Department- WRD) ने तमिलनाडु के एन्नोर (Ennore) में कामराजार बंदरगाह (Kamarajar Port) के पास से आक्रामक मसल्स (Invasive Mussels) को हटाने के लिए 160 करोड़ रुपये का अनुरोध किया है।

संबंधित तथ्य

  • आक्रामक मसल्स के प्रसार का कारण (Reason for Proliferation): जल संसाधन विभाग ने कामराजार बंदरगाह पर जहाजों से निकलने वाले बैलास्ट वाटर के निर्वहन को उचित रूप से विनियमित न करके आक्रामक चारु मसल्स (माइटेला स्ट्रिगाटा- Mytella Strigata) के प्रसार में योगदान देने का आरोप लगाया है। 

मसल्स (Mussels)

  • मसल्स एक प्रकार का शंख है जिसके खोल के दो भाग होते हैं। 
    • वे समुद्री माइटिलिडे (Mytilidae) परिवार या मीठे जल के यूनियोनिडे (Unionidae) परिवार से संबंधित हैं। 
    • शारीरिक संरचना: वे कैल्शियम कार्बोनेट खोल वाले नरम शरीर वाले अकशेरुकी हैं। 
  • निवास स्थान: सामान्यतः विश्व भर में ठंडे समुद्रों में पाए जाते हैं। 

चारु मसल्स (Charru Mussels)

  • वैज्ञानिक नाम: माइटेला स्ट्रिगाटा (Mytella Strigata)
  • मूल क्षेत्र: मूलतः दक्षिण और मध्य अमेरिका के तटों से। 
  • रंग: इनका रंग काले से लेकर भूरा, बैंगनी या गहरा हरा तक हो सकता है। 
  • पर्यावरणीय सहनशीलता (Environmental Tolerance): वे विभिन्न लवणता और तापमान में रह सकते हैं, लेकिन 36°C से अधिक तापमान में जीवित नहीं रह सकते हैं। 

आक्रामक प्रजातियाँ (Invasive Species) 

  • आक्रामक प्रजातियाँ ऐसे जीव हैं, जो किसी विशेष क्षेत्र के मूल निवासी नहीं हैं और नुकसान पहुँचाते हैं।

भारत में आक्रामक प्रजातियाँ

  • भारत में प्रसार: जहाजों से निकलने वाले बैलास्ट वाटर के कारण भारत में लगभग 30 आक्रामक प्रजातियों की पहचान की गई है। इनमें से सबसे अधिक हानिकारक चारु मसल्स (Charru Mussels) है। 
  • चारु मसल्स प्रभाव: चारु मसल्स ने तमिलनाडु के पुलिकट झील (Pulicat Lake) और केरल के अष्टमुडी झील (Ashtamudi Lake) में आबादी के मामले में अधिकांश अन्य प्रजातियों को पीछे छोड़ दिया है। 
    • इस प्रजाति की जीवित रहने की दर बहुत अधिक है और यह अधिक संख्या में अंडे देती है, जिससे यह मीठे जल वाले वातावरण में भी पनप सकती है। 
  • आक्रामक प्रजातियों की समस्या
    • मछुआरों पर प्रभाव: इन मसल्स की वृद्धि से मछली पकड़ने वाली नौकाओं का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है, जिससे मछुआरों की आजीविका को नुकसान पहुँच रहा है। 

बैलास्ट वाटर (Ballast Water) के बारे में

  • बैलास्ट वाटर वह जल है, जिसका उपयोग जहाज यात्रा के दौरान संतुलन एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  • जहाज इस जल का उपयोग तब करते हैं जब उनके पास पर्याप्त माल नहीं होता या उन्हें समुद्र में तूफान के दौरान अतिरिक्त स्थिरता की आवश्यकता होती है।
  • यह जहाज को जल में नीचे जाने में भी मदद करता है ताकि वह पुलों या अन्य अवरोधों के नीचे से निकल सके।

बैलास्ट वाटर मैनेजमेंट (Ballast Water Management) की प्रक्रिया

  • बैलास्ट जल भरना: जब कोई जहाज बंदरगाह पर माल पहुँचाता है और कम माल या बिना माल के रवाना होता है, तो स्थिरता के लिए टैंकों में बैलास्ट वाटर (Ballast Water) डाला जाता है।
  • परिवहन और निर्गमन: इस जल को जहाज के अगले बंदरगाह पर ले जाया जाता है, जहाँ जहाज द्वारा अधिक माल ले जाने पर इसका निर्गमन कर दिया जाता है। 

बैलास्ट जल उपचार प्रणाली कैसे कार्य करती है?

बैलास्ट वाटर से संबंधित चुनौतियाँ

  • आक्रामक प्रजातियों का प्रसार: बैलास्ट वाटर गैर-देशज प्रजातियों को नए क्षेत्रों में ले जा सकता है। एक बार छोड़े जाने के बाद, ये प्रजातियाँ स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर आक्रमण कर सकती हैं और उसे बाधित कर सकती हैं, जिससे देशज प्रजातियों को नुकसान पहुँच सकता है। 
  • पर्यावरणीय क्षति: जल के माध्यम से आक्रामक प्रजातियों के प्रवेश से समुद्री आवासों को क्षति पहुँच सकती है, जैव विविधता में कमी आ सकती है तथा प्राकृतिक खाद्य शृंखला बाधित हो सकती है।
  • आर्थिक परिणाम: आक्रामक प्रजातियाँ स्थानीय मत्स्य पालन, पर्यटन और अन्य उद्योगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जो स्वस्थ समुद्री वातावरण पर निर्भर हैं, जिससे वित्तीय नुकसान हो सकता है। 
  • स्वास्थ्य जोखिम: बैलास्ट वाटर हानिकारक बैक्टीरिया और रोगाणुओं को भी ले जा सकता है, जिससे संभावित रूप से बीमारियाँ फैल सकती हैं तथा नए क्षेत्रों में स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
  • नियामक चुनौतियाँ: शिपिंग कंपनियों को बैलास्ट वाटर मैनेजमेंट (Ballast Water Management- BWM) कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय नियमों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए महंगे उपकरण एवं सख्त प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। 
  • तकनीकी कठिनाइयाँ: जहाजों पर प्रभावी बैलास्ट वाटर उपचार प्रणालियों को स्थापित करना और उनका रखरखाव करना अक्सर जटिल एवं महंगा होता है, विशेष रूप से पुराने जहाजों के लिए जिन्हें अपग्रेड करने की आवश्यकता हो सकती है। 

बैलास्ट वाटर विनियमन पर भारत की स्थिति

  • वर्तमान स्थिति: 97 देशों ने बैलास्ट वाटर मैनेजमेंट (BWM) कन्वेंशन को अपनाया है, लेकिन भारत उनमें शामिल नहीं है। 
  • दायित्व का अभाव: चूँकि भारत ने BWM कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, इसलिए भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश करने वाले जहाजों को बैलास्ट जल से संबंधित इसके नियमों का पालन करना आवश्यक नहीं है। 
    • मौजूदा नियम: हालाँकि अन्य मुद्दों, जैसे तेल उत्सर्जन, के लिए नियम हैं, भारतीय बंदरगाहों में उत्सर्जित होने वाले बैलास्ट वाटर के लिए कोई विशिष्ट जाँच या नियम नहीं हैं। 
  • कानूनी परिप्रेक्ष्य (Legal Perspective): भारतीय बंदरगाह बैलास्ट जल संबंधी मुद्दों के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, क्योंकि वे केवल जहाज यातायात को सुविधाजनक बनाते हैं। 

वैश्विक विनियम (Global Regulations)

  • BWM कन्वेंशन: वर्ष 2017 के IMO कन्वेंशन के अनुसार, जहाजों को बैलास्ट वाटर को छोड़ने से पहले उसे उपचारित करना होगा, ताकि हानिकारक जीवों के प्रसार को रोका जा सके। 
  • कार्यान्वयन: नए जहाजों में बैलास्ट वाटर को रासायनिक रूप से उपचारित करने की प्रणाली होती है, जबकि पुराने जहाजों को समुद्र में बैलास्ट वाटर का आदान-प्रदान करना पड़ता है। 
  • ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड: ये देश ग्रेट बैरियर रीफ जैसे संवेदनशील समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए सख्त बैलास्ट वाटर संबंधी नियम लागू करते हैं। 

आगे की राह

  • BWM कन्वेंशन पर हस्ताक्षर: भारत को औपचारिक रूप से बैलास्ट वाटर मैनेजमेंट (BWM) कन्वेंशन को अपनाना चाहिए। 
    • इससे जहाजों को बैलास्ट वाटर के प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना अनिवार्य हो जाएगा, जिससे आक्रामक प्रजातियों के प्रवेश को रोकने में मदद मिलेगी। 
  • राष्ट्रीय विनियमों को लागू करना (Implement National Regulations): भारतीय बंदरगाहों पर स्थिर जल प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय विनियमों को विकसित करना और लागू करना। 
    • इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी जहाज, चाहे वे कहीं से भी आए हों, निर्वहन से पहले बैलास्ट वाटर के प्रबंधन और उपचार के नियमों का पालन करेंगे। 
  • बंदरगाह अवसंरचना का उन्नयन: भारतीय बंदरगाहों पर बैलास्ट वाटर की निगरानी और उपचार के लिए सुविधाओं और प्रौद्योगिकी में निवेश करना। 
    • उन्नत बुनियादी ढाँचे से बैलास्ट वाटर विनियमनों के प्रभावी कार्यान्वयन एवं प्रवर्तन को सहायता मिलेगी।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.