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भारत का पहला ‘टील कार्बन’ अध्ययन

Lokesh Pal October 25, 2024 01:41 72 0

संदर्भ

हाल ही में ‘टील कार्बन’ पर भारत का पहला अध्ययन, राजस्थान के भरतपुर जिले के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park- KNP) में किया गया था। 

सहयोग और अनुसंधान

  • यह अध्ययन अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) एवं केनियन कॉलेज के अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के सहयोग से राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था।
  • KNP में अनुसंधान जलवायु परिवर्तन से निपटने में टील कार्बन की स्थिति एवं भूमिका का आकलन करने पर केंद्रित है।

टील कार्बन के बारे में  

  • टील कार्बन का तात्पर्य गैर-ज्वारीय मीठे जल वाली आर्द्रभूमि में संगृहीत कार्बन से है, जिसमें वनस्पति, माइक्रोबियल बायोमास एवं कार्बनिक पदार्थ शामिल हैं।
  • यह काले एवं भूरे कार्बन से भिन्न है, जो कार्बनिक पदार्थों के अर्द्ध-दहन से आते हैं तथा ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं।
  • कार्बन का रंग आधारित वर्गीकरण
    • वैज्ञानिक कार्बन को उसके कार्य, विशेषताओं एवं कार्बन चक्र में स्थान के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत करते हैं। 
    • रंग के आधार पर कार्बन के प्रकार
      • बैंगनी कार्बन: वायु या औद्योगिक उत्सर्जन से प्राप्त होने वाला कार्बन।
      • ब्लू कार्बन: समुद्री पौधों एवं तलछट में संगृहीत कार्बन।
      • टील कार्बन: मीठे जल एवं आर्द्रभूमि वातावरण में संगृहीत कार्बन।
      • ग्रीन कार्बन: स्थलीय पौधों एवं जंगलों में संगृहीत कार्बन।
      • ब्लैक कार्बन: जीवाश्म ईंधन जलाने से उत्सर्जित कार्बन।
      • ग्रे कार्बन: औद्योगिक उत्सर्जन से निकलने वाला कार्बन।
      • ब्राउन कार्बन: कार्बनिक पदार्थों के अधूरे दहन से उत्पन्न कार्बन।
      • लाल कार्बन: बर्फ एवं बर्फ पर जैविक कणों के माध्यम से छोड़ा गया कार्बन, यह एल्बिडो के प्रभाव को कम करता है।
  • टील कार्बन संबंधी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चुनौतियाँ
    • मानवजनित गतिविधियाँ: प्रदूषण, निर्माण एवं भूमि उपयोग परिवर्तन से आर्द्रभूमि को खतरा है।
    • मेथेन उत्सर्जन: आर्द्रभूमियाँ मेथेन उत्सर्जित कर सकती हैं, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।
    • जल-वैज्ञानिक विखंडन: कई आर्द्रभूमियों का क्षरण एवं विखंडन हो रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन शमन में टील कार्बन की भूमिका
    • प्रभावी कार्बन भंडारण
      • आर्द्रभूमियाँ, विशेष रूप से पीटलैंड, जंगलों की तुलना में अधिक कुशलता से कार्बन का भंडारण करती हैं।
      • पीटलैंड उष्णकटिबंधीय जंगलों की तुलना में 40 गुना अधिक कार्बन जमा कर सकते हैं।
      • इससे वातावरण में CO2 के स्तर को कम करने में मदद मिलती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग में कमी आती है।
  • ग्रीनहाउस गैसों का विनियमन
    • आर्द्रभूमियाँ CO2 को अवशोषित करती हैं एवं मेथेन उत्सर्जित करती हैं, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।
    • समग्र प्रभाव आर्द्रभूमि के प्रकार एवं स्थिति पर निर्भर करता है।
    • उचित रूप से प्रबंधित आर्द्रभूमियाँ कार्बन सिंक के रूप में कार्य करती हैं, जिससे जलवायु शमन में सहायता मिलती है।
  • जलवायु लचीलापन बढ़ाना
    • आर्द्रभूमियाँ तापमान, वर्षा एवं आर्द्रता को प्रभावित करती हैं, जिससे स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
    • वे प्राकृतिक बफर के रूप में कार्य करते हुए बाढ़ एवं सूखे से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
    • आर्द्रभूमि संरक्षण से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति लचीलापन बढ़ता है।
    • जैव विविधता का समर्थन करना
      • आर्द्रभूमियाँ विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जीवों का आवास हैं।
      • आर्द्रभूमियों के संरक्षण से जैव विविधता की रक्षा करने में मदद मिलती है एवं पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ रहता है।
    • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करना
      • आर्द्रभूमियाँ जल निस्पंदन, बाढ़ नियंत्रण एवं पोषक चक्रण जैसी सेवाएँ प्रदान करती हैं।
      • आर्द्रभूमियों की रक्षा करना मानव एवं प्रकृति के लिए इन महत्त्वपूर्ण सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करता है।

वैश्विक टील कार्बन भंडारण

  • वैश्विक टील कार्बन भंडारण का अनुमान 500.21 पेटाग्राम कार्बन (Petagrams of Carbon- PgC) है।
    • इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान पीटलैंड, ‘फ्रेशवाटर स्वाम्प’ और ‘नेचुरल फ्रेशवाटर मार्श’ का होता है।
    • लाभ: कार्बन भंडारण के अलावा, आर्द्रभूमि भूजल स्तर, बाढ़ नियंत्रण एवं गर्मी में कमी में मदद करती है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

मेथेन उत्सर्जन

  • अध्ययन में KNP में आर्द्रभूमि में मेथेन उत्सर्जन का उच्च स्तर पाया गया।
  • विशेष बायोचार, एक प्रकार का चारकोल, का उपयोग इन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है। बायोचार एक कार्बन युक्त सामग्री है, जो लकड़ी एवं पौधों जैसे जैविक स्रोतों से बनाई जाती है। इसे ‘पायरोलिसिस’ नामक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। 
    • पायरोलिसिस कार्बनिक पदार्थों को कम तापमान पर गर्म करने की एक प्रक्रिया है। 
  •  पर्यावरणीय खतरे
    • नष्ट हो चुकी आर्द्रभूमियाँ मेथेन एवं कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैंसों का उत्सर्जन कर सकती हैं।
    • इन आर्द्रभूमियों में हो रही गिरावट को रोकने के लिए तत्काल संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।
  • संरक्षण सिफारिशें
    • टील कार्बन पूल को बनाए रखने के लिए प्रभावी जल प्रबंधन एवं उपयुक्त वनस्पति का रोपण आवश्यक है।
    • उचित संरक्षण से भूजल स्तर, बाढ़ नियंत्रण में भी लाभ होगा एवं शहरी ऊष्मा द्वीपों को कम करने में मदद मिलेगी।

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