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भारत की हाइपरलूप प्रौद्योगिकी

Lokesh Pal March 19, 2025 04:42 5 0

संदर्भ

हाइपरलूप परिवहन परियोजना के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स घटक प्रौद्योगिकी अब इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई में विकसित की जाएगी।

  • इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई ने वंदे भारत हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए भी बड़ी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली सफलतापूर्वक विकसित की है।

हाइपरलूप प्रौद्योगिकी के बारे में

  • हाइपरलूप को सड़क, रेल, वायु और जल परिवहन के बाद परिवहन का पाँचवाँ साधन माना जाता है।
  • यह यात्री एवं माल के लिए एक ‘अल्ट्रा-फास्ट ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम’ है, जिसमें ट्यूबों का एक नेटवर्क होता है, जिसमें पॉड्स एक वैक्यूम में अल्ट्रा-हाई स्पीड (1000 किमी. प्रति घंटे से अधिक) पर यात्रा करते हैं।
  • प्रस्तुतकर्ता: इस अवधारणा को उद्यमी एलन मस्क ने वर्ष 2013 में एक श्वेत-पत्र: ‘हाइपरलूप अल्फा’ के माध्यम से प्रस्तावित किया था।
    • हाइपरलूप पॉड प्रतियोगिता: यह स्पेसएक्स द्वारा प्रायोजित एक वार्षिक प्रतियोगिता है, जिसमें हाइपरलूप प्रोटोटाइप को डिजाइन एवं निर्मित किया जाता है।
  • आवश्यकता: हाइपरलूप प्रौद्योगिकी का उद्देश्य पृथ्वी से जुड़े वाहन पर वायुगतिकीय कर्षण (Aerodynamic Drag) को व्यावहारिक रूप से समाप्त करने के लिए इस वाहन को कम वायु दाब (लगभग 100 Pa दाब पर अर्द्ध-वैक्यूम में) में लगभग घर्षण-मुक्त ट्यूब में चलाया जाता है।
  • घटक
    • कम दाब वाली ट्यूब: पॉड एक सीलबंद, कम दाब वाली ट्यूब (अक्सर एक सुरंग) में यात्रा करते हैं, जिससे ऊर्जा-कुशल संचालन सुनिश्चित होता है क्योंकि यह कम वायुगतिकीय प्रतिरोध बनाता है।
    • पॉड (या कैप्सूल): यात्री-वाहक वाहन, जो ट्यूब के भीतर यात्रा करता है।
      • एक कैप्सूल में आगे की तरफ एक एयर कंप्रेसर, बीच में पैसेंजर कंपार्टमेंट और पीछे की तरफ बैटरी कंपार्टमेंट होता है।
    • मैग्नेटिक लेविटेशन (मैग्लेव): चुंबकों की एक प्रणाली जो पॉड को ट्रैक के ऊपर ले जाती है, जिससे घर्षण कम होता है और सुचारू, उच्च गति वाली यात्रा संभव होती है।
      • इस तकनीक में चुंबकों के दो सेट का उपयोग किया जाता है, एक सेट ट्रेन को पटरी से हटाने एवं ऊपर धकेलने के लिए होता है, और दूसरा सेट घर्षण की कमी का लाभ उठाते हुए एलिवेटेड ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए होता है।
    • इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन: इलेक्ट्रिक मोटर्स की एक प्रणाली, जो ट्यूब के माध्यम से पॉड को आगे बढ़ाती है, अक्सर रैखिक प्रेरण मोटर्स का उपयोग करती है।
    • कंप्रेसर: यह ट्यूब की दीवारों और कैप्सूल के बीच विचरण करने वाले वायु प्रवाह को रोके बिना कैप्सूल को कम दाब वाली ट्यूब से गुजरने की अनुमति देता है।
    • संचार प्रणाली: हाइपरलूप संचार प्रणाली को हाइपरलूप पॉड्स, स्टेशनों और अन्य नेटवर्क एंडपॉइंट्स के बीच उच्च गति, कम विलंबता और सुरक्षित संचार प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

हाइपरलूप प्रौद्योगिकी के लाभ

  • गति: यह तकनीक पॉड्स को 1000 किमी./घंटा से अधिक की गति से आगे बढ़ाती है, यानी हाई-स्पीड रेल से 3 गुना और विमान से दोगुनी।
  • कम कार्बन उत्सर्जन: यह बिजली और सौर ऊर्जा पर चलने वाली कम ऊर्जा वाली लंबी दूरी की यात्रा प्रदान करता है। ट्यूब बैटरी की मदद से बिजली भी स्टोर कर सकते हैं।
  • परिवहन के अन्य साधनों के लिए उपयुक्त: हाइपरलूप का आकार उड़ने वाली टैक्सियों, ऑटोनोमस व्हीकल्स, मूविंग साइडवाक्स, पैदल मार्गों और ई-स्कूटर और साइकिल पथों जैसे अन्य परिवहन को एकीकृत करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • निर्बाध: यह एक हवाई जहाज की गति, एक ट्रेन की ऊर्जा दक्षता और एक टैक्सी के लचीलेपन को जोड़ती है।
  • जुड़ाव: हाइपरलूप मोबिलिटी हब को सीधे जोड़कर डोर-टू-डोर यात्रा के समय को कम करता है और लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयुक्त है।

भारत की हाइपरलूप परियोजना

  • भारतीय रेल मंत्रालय ने 40 किलोमीटर लंबे हाइपरलूप ट्रैक के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके लागू होने पर यह दुनिया की पहली बड़ी हाइपरलूप परियोजना बन जाएगी।
  • विकसितकर्ता: भारत, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मद्रास) और आईआईटी-मद्रास में इनक्यूबेट किए गए डीप-टेक स्टार्टअप TuTr हाइपरलूप के सहयोग से एक हाइपरलूप ट्यूब विकसित कर रहा है।
  • वित्तपोषण: रेल मंत्रालय ने हाइपरलूप प्रणाली और इसकी उप-प्रणालियों को स्वदेशी रूप से विकसित करने और मान्य करने के लिए आईआईटी मद्रास को ₹8.34 करोड़ के वित्तपोषण को मंजूरी दी है।
  • लंबाई: भारतीय हाइपरलूप ट्यूब की लंबाई 410 मीटर होगी, जो इसे एशिया की सबसे लंबी ट्यूब बनाएगी।
  • स्थान: 410 मीटर लंबी हाइपरलूप टेस्ट ट्यूब आईआईटी मद्रास डिस्कवरी कैंपस में स्थित है।
  • स्वदेशी प्रौद्योगिकी: हाइपरलूप परिवहन के लिए संपूर्ण परीक्षण प्रणाली स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके विकसित की गई है।
  • इस परियोजना के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी ICF में विकसित की जाएगी।

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