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भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र

Lokesh Pal January 01, 2025 03:26 132 0

संदर्भ

चूँकि भारत वर्ष 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, इसलिए परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र इस यात्रा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। 

लॉजिस्टिक्स क्या है?

  • लॉजिस्टिक्स से तात्पर्य संसाधनों को प्राप्त करने, संगृहीत करने और उनके अंतिम गंतव्य तक परिवहन के प्रबंधन की समग्र प्रक्रिया से है। 
  • लॉजिस्टिक्स प्रबंधन में संभावित वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना और उनकी प्रभावशीलता तथा पहुँच का निर्धारण करना शामिल है।

लॉजिस्टिक्स का महत्त्व 

  • आर्थिक योगदान: लॉजिस्टिक्स भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 13-14% का योगदान देता है, जो आर्थिक विकास को गति देने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • व्यापार और वाणिज्य को सुगम बनाता है: एक मजबूत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र माल की निर्बाध आवाजाही को सक्षम करके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का समर्थन करता है।
  • नौकरी सृजन और रोजगार: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ताओं में से एक है, जो भारत में 22 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
    • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2027 तक 10 मिलियन नौकरियों को जोड़ने का अनुमान है, जो आर्थिक सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
  • लागत कम करता है और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाता है: कुशल लॉजिस्टिक्स संचालन परिवहन और भंडारण लागत को कम करता है, जिससे व्यवसायों को प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण की पेशकश करने की अनुमति मिलती है।
    • उदाहरण के लिए, GST की शुरुआत ने राज्य की सीमाओं पर ट्रकों के प्रतीक्षा समय को कम कर दिया, लॉजिस्टिक्स लागत कम कर दी और आपूर्ति शृंखला दक्षता बढ़ा दी।
  • ई-कॉमर्स विकास का समर्थन करता है: ई-कॉमर्स के उदय ने अंतिम-मील डिलीवरी और सीमा पार व्यापार सहित कुशल लॉजिस्टिक्स समाधानों की माँग को बढ़ा दिया है।
    • उदाहरण के लिए, अमेजनऔर फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म तेज और विश्वसनीय डिलीवरी के लिए ग्राहकों की माँगों को पूरा करने हेतु उन्नत लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पर निर्भर करते हैं।
  • आपूर्ति शृंखला दक्षता को बढ़ावा देता है: एक अच्छी तरह से कार्य करने वाला लॉजिस्टिक्स क्षेत्र सुचारू और समय पर आपूर्ति शृंखला संचालन सुनिश्चित करता है, लीड टाइम को कम करता है और उत्पादन को अनुकूलित करता है।
    • उदाहरण के लिए, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) के विकास ने माल ढुलाई में सुधार किया है, जिससे समग्र आपूर्ति शृंखला लागत कम हुई है।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र

  • वैश्विक स्थिति: भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक, 2023 में 139 देशों में 38वें स्थान पर है, जो दक्षता और बुनियादी ढाँचे में निरंतर सुधार दर्शाता है।
  • परिवहन के साधन
    • सड़क परिवहन: माल ढुलाई में 66% योगदान देता है, लेकिन खराब सड़क की स्थिति और भीड़भाड़ जैसी चुनौतियों का सामना करता है।
    • रेल परिवहन: माल ढुलाई में 26% योगदान देता है, लेकिन आधुनिकीकरण और क्षमता में वृद्धि की आवश्यकता है।
    • वायु और जलमार्ग: क्रमशः 1% और 3% योगदान देते हैं, लेकिन सागरमाला​​ जैसी सरकारी पहलों के माध्यम से विकास की संभावना रखते हैं।
  • तकनीकी अपनाना: भारत AI, IoT, ब्लॉकचेन और ऑटोमेशन जैसी तकनीकों के साथ डिजिटल रूप से एकीकृत लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम में बदल रहा है।
    • हालाँकि, वैश्विक मानकों की तुलना में अपनाने की दर अभी भी कम है।
  • ई-कॉमर्स और व्यापार वृद्धि: ई-कॉमर्स और सीमा पार व्यापार के बढ़ने से लॉजिस्टिक्स सेवाओं की माँग में तेजी आई है।
    • अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियाँ तीव्र डिलीवरी के लिए ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्नत लॉजिस्टिक्स पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • उच्च रसद लागत: भारत में रसद लागत सकल घरेलू उत्पाद का 13-14% है, जबकि वैश्विक बेंचमार्क 8-10% है। 
    • इससे भारतीय वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कम प्रतिस्पर्द्धी हो जाती हैं।
    • उदाहरण के लिए, परिवहन और गोदाम में अक्षमताएँ इन उच्च लागतों में महत्त्वपूर्ण रूप से योगदान देती हैं।
  • विखंडित उद्योग संरचना: रसद क्षेत्र अत्यधिक विखंडित है, जिसमें छोटे, असंगठित खिलाड़ी 80% बाजार पर हावी हैं। इसका परिणाम खराब संसाधन अनुकूलन और अक्षमता है।
    • उदाहरण के लिए, अधिकांश ट्रकिंग कंपनियाँ पाँच से कम ट्रकों के बेड़े के साथ काम करती हैं, जिससे स्केलेबिलिटी सीमित हो जाती है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: सड़क, रेलवे, बंदरगाह और गोदामों सहित भारत का रसद बुनियादी ढाँचा बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
    • केवल 31% माल रेल के माध्यम से जाता है, जबकि यह सड़क परिवहन की तुलना में अधिक लागत-कुशल है, जो 66% माल की आपूर्ति में सहायक है।
  • कौशल की कमी: इस क्षेत्र में आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और रसद प्रौद्योगिकियों में कुशल श्रमिकों की महत्त्वपूर्ण कमी है। सीमित व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्योग-विशिष्ट शिक्षा इस मुद्दे को और बढ़ा देती है।
    • उदाहरण के लिए, उन्नत वेयरहाउसिंग और प्रौद्योगिकी-सक्षम रसद की बढ़ती माँग के बावजूद, प्रशिक्षण कार्यक्रम विरल बने हुए हैं।
  • नियामक जटिलता: जटिल और असंगत नियामक ढाँचे, जिसमें कई कर संरचनाएँ और अनुपालन आवश्यकताएँ शामिल हैं, परिचालन बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।
    • वस्तु और सेवा कर (GST) की शुरूआत ने कुछ प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद की है, लेकिन आगे सामंजस्य की आवश्यकता है।
  • अंतिम-मील कनेक्टिविटी के मुद्दे: अंतिम-मील डिलीवरी को खराब सड़क बुनियादी ढाँचे, यातायात की भीड़ और शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त पता मानचित्रण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए, अंतिम-मील कनेक्टिविटी में देरी ई-कॉमर्स डिलीवरी को प्रभावित करती है, जिससे ग्राहक असंतुष्ट होते हैं।
  • तकनीकी अंतराल: जबकि यह क्षेत्र डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है, वैश्विक मानकों की तुलना में AI, IoT और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाना अभी भी सीमित है।

लॉजिस्टिक्स सेक्टर के सर्वोत्तम वैश्विक उदाहरण

सिंगापुर: एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स केंद्र

  • अपने कुशल बंदरगाह बुनियादी ढाँचे, उन्नत प्रौद्योगिकी और निर्बाध व्यापार सुविधा के कारण विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में लगातार शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में स्थान प्राप्त किया।
  • सर्वोत्तम अभ्यास: वास्तविक समय पर निगरानी रखने के लिए IoT और AI जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का एकीकरण और व्यापार दस्तावेजीकरण के लिए एकल खिड़की प्लेटफॉर्म।
  • सिंगापुर दुनिया के प्रमुख बाजारों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जहाँ से हर प्रमुख बंदरगाह के लिए प्रतिदिन नौवहन होता है और 60 देशों के 280 शहरों के लिए 6,500 से अधिक साप्ताहिक उड़ानें होती हैं।

नीदरलैंड: यूरोप का प्रवेशद्वार

  • यूरोप का सबसे बड़ा बंदरगाह, रॉटरडैम, सालाना 469 मिलियन टन से अधिक कार्गो सँभालता है, जो वैश्विक व्यापार मार्गों को जोड़ता है।
  • सर्वोत्तम अभ्यास: सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा के लिए स्वचालित बंदरगाह संचालन और ब्लॉकचेन का उपयोग।

चीन: पैमाना और नवाचार

  • चीन रसद पैमाने में अग्रणी है, जिसमें शंघाई (दुनिया में सबसे व्यस्त) जैसे मेगा बंदरगाहों सहित उन्नत बुनियादी ढाँचा है, जो सालाना 47 मिलियन से अधिक TEU को सँभालता है।
  • सर्वोत्तम अभ्यास: आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में AI और IoT का एकीकरण, और बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण सरकारी निवेश।

संयुक्त राज्य अमेरिका: लॉजिस्टिक्स  पॉवरहाउस

  • सड़क, रेल और हवाई रसद प्रणालियों का मजबूत एकीकरण, जिसमें अमेजन और फेडएक्स जैसी कंपनियाँ ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स और अंतिम-मील डिलीवरी में अग्रणी नवाचार हैं।
  • लॉस एंजिल्स का बंदरगाह ट्रांस-पैसिफिक व्यापार के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार है, जो सालाना 9 मिलियन से अधिक TEU को सँभालता है।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिए सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) 2022
    • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को एकल अंक तक कम करना, भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और एकीकृत डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म बनाना है।
  • पीएम गतिशक्ति (2021)
    • पीएम गतिशक्ति एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसे विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • यह पहल मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी, व्यवधानों को कम करने और बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता के लिए बुनियादी ढाँचे के तालमेल को बढ़ावा देने पर जोर देती है।
  • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLPs)
    • इसे वर्ष 2017 में ‘लॉजिस्टिक्स एफिशिएंसी एन्हांसमेंट प्रोग्राम’ (LEEP) के अंतर्गत लॉन्च किया गया था।
    • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) परिवहन केंद्र हैं, जो एक ही प्लेटफ़ॉर्म के अंतर्गत वेयरहाउसिंग, भंडारण, वितरण और अन्य लॉजिस्टिक्स सेवाओं को समेकित करते हैं।
    • सरकार 50,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ रणनीतिक स्थानों पर 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित कर रही है।
  • समर्पित माल गलियारा (DFCs) 
    • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCs) भारत में रेलवे ट्रैक का एक नेटवर्क है, जिसका उपयोग विशेष रूप से मालगाड़ियों के लिए किया जाता है।
    • रेल मंत्रालय ने वर्ष 2005-06 में DFCs पहल की घोषणा की थी।
    • सात राज्यों के 56 जिलों से होकर गुजरने वाली 2,843 किलोमीटर लंबी DFCs परियोजना 96.4 प्रतिशत पूरी हो चुकी है।
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) (2017)
    • GST के कार्यान्वयन ने राज्य सीमा चौकियों को समाप्त करके माल की आवाजाही को सुव्यवस्थित किया है। 
    • GST के कारण एकीकृत कर व्यवस्था बनने से व्यवसाय इन्हें बड़े, केंद्रीकृत गोदामों में समेकित करने में सक्षम हुए हैं। 
    • उदाहरण के लिए, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को छोटे राज्य-विशिष्ट गोदामों के बजाय बड़े क्षेत्रीय पूर्ति केंद्र स्थापित करने से काफी लाभ हुआ है।
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) (2022)
    • इसकी परिकल्पना नीति आयोग द्वारा की गई थी और इसका संचालन NICDC लॉजिस्टिक्स डेटा सर्विसेज (NLDS) द्वारा किया जाता है, जो भारत सरकार और NEC कॉरपोरेशन के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
    • ULIP एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो मंत्रालयों एवं लॉजिस्टिक्स भागीदारों से 30 से अधिक प्रणालियों को एकीकृत करता है, जो निर्बाध समन्वय के लिए वास्तविक समय का डेटा प्रदान करता है।
      • इसने सीमा पार व्यापार, अंतिम-मील वितरण अनुकूलन और रिवर्स लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित किया है।
  • सागरमाला परियोजना (2015)
    • यह भारत सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत के समुद्री क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक प्रमुख पहल है।
    • लक्ष्य: रसद लागत को कम करना, बंदरगाह दक्षता में सुधार करना और तटीय सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना।
  • ई-वे बिल प्रणाली (2018)
    • ई-वे बिल प्रणाली अंतर-राज्यीय माल परिवहन को डिजिटल बनाती है, जिससे भौतिक दस्तावेजीकरण की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और राज्य की सीमाओं पर नौकरशाही प्रक्रियाओं के कारण होने वाली देरी कम हो जाती है।
    • वस्तु और सेवा कर (GST) व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल की आवाजाही के लिए आवश्यक है।
  • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) (2016)
    • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक ऐप निर्यात-आयात (EXIM) कार्गो की वास्तविक समय ट्रैकिंग प्रदान करता है, जिससे आपूर्ति शृंखला में पूर्वानुमान, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ती है।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP)

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) को सितंबर 2022 में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) के पूरक के रूप में लॉन्च किया गया था। 
  • NLP में सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास के पहलुओं को संबोधित किया गया है, जिसमें प्रक्रिया सुधार, लॉजिस्टिक्स सेवाओं में सुधार, डिजिटलीकरण, मानव संसाधन विकास और कौशल शामिल हैं।
  • विजन: श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं और कुशल जनशक्ति का लाभ उठाकर एक एकीकृत, निर्बाध, कुशल, विश्वसनीय, हरित, टिकाऊ तथा लागत प्रभावी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के माध्यम से देश की आर्थिक वृद्धि और व्यावसायिक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना।
  • लक्ष्य: NLP के लक्ष्य हैं: 
    • भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत कम करना।
    • लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक रैंकिंग में सुधार करना – 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होने का प्रयास।
    • एक कुशल लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के लिए डेटा संचालित निर्णय समर्थन तंत्र बनाना।

व्यापक रसद कार्य योजना (Comprehensive Logistics Action Plan-CLAP)

  • इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, एनएलपी के हिस्से के रूप में एक व्यापक रसद कार्य योजना (CLAP) शुरू की गई, जिसमें आठ कार्य क्षेत्र शामिल हैं:
    • एकीकृत डिजिटल लॉजिस्टिक्स सिस्टम।
    • भौतिक संपत्तियों का मानकीकरण और सेवा गुणवत्ता मानकों की बेंचमार्किंग।
    • लॉजिस्टिक्स मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण।
    • राज्य की सहभागिता।
    • EXIM लॉजिस्टिक्स।
    • सेवा सुधार ढाँचा।
    • कुशल लॉजिस्टिक्स (SPEL) के लिए क्षेत्रीय योजनाएँ।
    • लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास की सुविधा।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिए आगे की राह

  • लॉजिस्टिक्स लागत कम करना: GDP के 8-10% के वैश्विक बेंचमार्क के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए लॉजिस्टिक्स लागत कम करने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • इसे बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण, मल्टी-मॉडल परिवहन को बढ़ावा देने और स्वचालन तथा AI-संचालित एनालिटिक्स जैसी लागत-कुशल तकनीकों को अपनाने के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास को मजबूत करना: समर्पित माल गलियारों, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों और तटीय शिपिंग नेटवर्क के विकास में तेजी लाना।
    • सड़क और रेल संपर्क में निवेश, विशेष रूप से अंतिम-मील डिलीवरी के लिए, लॉजिस्टिक्स दक्षता में काफी वृद्धि करेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: साझा बुनियादी ढाँचे, डेटा एक्सचेंज और समन्वित निर्णय लेने को सक्षम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करना।
    • उदाहरण के लिए, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) का उद्देश्य अरब प्रायद्वीप के माध्यम से भारत और यूरोप के बीच निर्बाध संपर्क स्थापित करना है।
  • निवेश आकर्षित करें और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) जैसी पहलों का लाभ उठाना, जिसका उद्देश्य अवसंरचना परियोजनाओं के लिए ₹50 लाख करोड़ (लगभग $650 बिलियन) जुटाना है।
    • जहाँ अधिकांश परिवहन अवसंरचना विकास पहलों में 100% FDI की अनुमति है, वहीं अधिक निजी और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए अतिरिक्त नीतिगत उपायों और प्रोत्साहनों की आवश्यकता है, ताकि अवसंरचना विकास पर वांछित प्रभाव सुनिश्चित हो सके।
  • डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहित करना: लॉजिस्टिक्स संचालन में ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देना।
    • ये प्रौद्योगिकियाँ पारदर्शिता में सुधार कर सकती हैं, मार्गों को अनुकूलित कर सकती हैं और पारगमन समय को कम कर सकती हैं।
  • नीति सामंजस्य और सरलीकरण: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) जैसी सिंगल-विंडो प्रणालियों के माध्यम से विनियमों को और अधिक सुव्यवस्थित करें और अनुपालन को सरल बनाना।
    • राज्यों में कर संरचनाओं और विनियामक ढाँचों को सुसंगत बनाने से व्यापार करने में आसानी हो सकती है।
  • कौशल विकास को बढ़ावा देना: आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, भंडारण और प्रौद्योगिकी-सक्षम रसद में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करके रसद क्षेत्र में कौशल अंतर को दूर करना। शैक्षणिक संस्थानों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी इस अंतर को पाट सकती है।
  • स्थिरता पर ध्यान देना: इलेक्ट्रिक वाहनों, पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग और कार्बन-तटस्थ आपूर्ति शृंखलाओं को अपनाने जैसी हरित रसद प्रथाओं को प्रोत्साहित करना।
    • सरकार और निजी खिलाड़ियों को रसद संचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए स्थायी समाधानों में निवेश करना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र सरकारी सुधारों, तकनीकी प्रगति और बुनियादी ढाँचे के विकास से प्रेरित परिवर्तन के कगार पर है। उच्च लागत और विखंडन जैसी चुनौतियों का समाधान करके तथा वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर, भारत स्वयं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी और टिकाऊ लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित कर सकता है, जिससे व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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