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भारत का मून लैंडिंग मिशन

Lokesh Pal August 21, 2025 04:18 4 0

संदर्भ

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में दीर्घकालिक रोडमैप के तहत, भारत वर्ष 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर भेजेगा।

भारत के मून लैंडिंग मिशन (वर्ष 2040) के बारे में

  • उद्देश्य: पृथ्वी की कक्षा से परे, मानव अन्वेषण क्षमता का प्रदर्शन करना।
  • अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता: यह स्वदेशी प्रक्षेपण यानों, जीवन रक्षक प्रणालियों और चंद्र सतह प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करेगा।
  • महत्त्व: यह परियोजना वैज्ञानिक, आर्थिक और सुरक्षा आयामों को एकीकृत करते हुए, विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप है।

भारत का अंतरिक्ष अन्वेषण रोडमैप

  • व्योममित्र मिशन (वर्ष 2026): मानव-सदृश रोबोट व्योममित्र को ले जाने वाले मानवरहित मिशन के माध्यम से महत्त्वपूर्ण मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रणालियों का परीक्षण करना।
  • गगनयान मिशन (वर्ष 2027): पृथ्वी की निचली कक्षा में भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान परीक्षण करना, अंतरिक्ष यात्री प्रक्षेपण और पुनर्प्राप्ति क्षमता का प्रदर्शन करना।
  • भारत अंतरिक्ष स्टेशन (वर्ष 2035): भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना, जिससे अंतरिक्ष में दीर्घकालिक वैज्ञानिक प्रयोग और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संभव हो सके।
  • चालक दल सहित चंद्रमा पर उतरना (वर्ष 2040): चंद्रमा की सतह पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजना, जो भारत की स्वतंत्र मानव अन्वेषण क्षमता का प्रदर्शन करेगा।

PW OnlyIAS विशेष

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

  • वर्तमान मूल्यांकन: भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 में लगभग 8 बिलियन डॉलर की हो जाएगी।
    • अगले 10 वर्षों में इसके 45 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
  • वैश्विक हिस्सेदारी: यह वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 2% का योगदान देता है।
  • वैश्विक स्थिति: ISRO विश्व की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे मंगलयान और चंद्रयान जैसे लागत-प्रभावी अभियानों के लिए जाना जाता है।
    • वर्ष 1999 से, भारत ने 34 देशों के लिए 381 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, जिससे 279 मिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ है।
  • सरकारी खर्च: भारत अंतरिक्ष कार्यक्रमों में प्रतिवर्ष लगभग 2 अरब डॉलर का निवेश करता है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: भारत में अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2022 में केवल 1 से बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 200 हो गई है।
    • इसरो तेजी से व्यावसायीकरण के लिए उपग्रह और प्रक्षेपण यान तकनीकों को निजी कंपनियों को हस्तांतरित कर रहा है।
  • अनुमानित वृद्धि: वर्ष 2033 तक, अर्थव्यवस्था के लगभग 44 बिलियन डॉलर (₹35,200 करोड़) तक पहुँचने की संभावना है, जिसमें वैश्विक हिस्सेदारी 8% होगी।
    • घरेलू बाजार की संभावना: एक दशक में 8.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर 33 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
    • निर्यात बाजार की संभावना: वर्ष 2033 तक 0.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 11 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।
    • अपेक्षित निवेश: अगले 10 वर्षों में लगभग 22 बिलियन डॉलर (₹17,600 करोड़) निवेश का अनुमान है।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की पहल

  • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe): निजी भागीदारी को सुगम बनाता है, नीतिगत समर्थन सुनिश्चित करता है और अंतरिक्ष गतिविधियों में गैर-सरकारी संस्थाओं को अधिकृत करता है।
  • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited – NSIL): इसरो की वाणिज्यिक शाखा, जो उपग्रह प्रक्षेपण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वैश्विक बाजार विस्तार के लिए उत्तरदायी है।
  • नीतिगत ढाँचा: भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023: इसरो, IN-SPACe और निजी क्षेत्र की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है, इसरो रणनीतिक मिशनों और अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि निजी क्षेत्र व्यावसायीकरण को बढ़ावा देगा।
  • शिक्षा और नवाचार: YUVIKA (युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम) और IIT तथा IISc के साथ सहयोग भविष्य के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण को बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष

भारत का अंतरिक्ष रोडमैप, जिसमें व्योममित्र (वर्ष 2026), गगनयान (वर्ष 2027), भारत अंतरिक्ष स्टेशन (वर्ष 2035) और वर्ष 2040 में चंद्रमा पर मानव लैंडिंग शामिल है, अंतरिक्ष क्षमता से वैश्विक अंतरिक्ष नेतृत्व तक की एक परिवर्तनकारी यात्रा का संकेत देता है, जो निजी क्षेत्र की भागीदारी तथा तेजी से बढ़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर आधारित है।

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