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भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक परिवर्तन: अतीत, वर्तमान और भविष्य

Lokesh Pal September 05, 2024 12:21 284 0

संदर्भ

हाल के वर्षों में देखा गया है कि भारत के पड़ोसी देशों में भू-राजनीतिक वातावरण अस्थिर या अनिश्चित है। क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग के लिए वर्तमान गतिशीलता, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं को समझना महत्त्वपूर्ण है।

वर्ष 2008-2010 के दौरान पड़ोसी देशों में लोकतंत्र को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका

  • बांग्लादेश में लोकतंत्र को मजबूत करने में भारत की भूमिका: भारत ने बांग्लादेश में सैन्य हस्तक्षेप से मुक्त चुनाव कराने में एक शांत ‘उत्प्रेरक’ के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।

भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को विकास सहायता मुहैया करना

वर्ष 2008-10 में भारत की विकास सहायता में तेजी से वृद्धि देखी गई: 

  • उत्तरी श्रीलंका के पुनर्निर्माण कार्यों में भारत का आर्थिक एवं तकनीकी योगदान।
  • बांग्लादेश को अब तक की सबसे बड़ी 1 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता प्रदान करना।
  • म्याँमार में कनेक्टिविटी परियोजनाओं में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • मालदीव में उभरते लोकतंत्र को स्थिर करने के लिए बजटीय सहायता का योगदान।

  • मालदीव में बहुदलीय समर्थन: मालदीव में पहले बहुदलीय लोकतांत्रिक चुनाव हुए, जहाँ मोहम्मद नशीद ने राष्ट्रपति का पद सँभाला था। 
    • भारत ने वर्ष 2008 में प्रथम बहुदलीय चुनावों का समर्थन किया तथा इस नवीन लोकतंत्र को स्थिर करने में अपना योगदान दिया।
  • LTTE की हार में भारत का समर्थन: मई 2009 में, भारत के महत्त्वपूर्ण राजनयिक, सैन्य और आर्थिक समर्थन की सहायता से, श्रीलंकाई सरकार ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (Liberation Tigers of Tamil Eelam- LTTE) की हार के साथ 33 वर्ष के नागरिक संघर्ष को समाप्त कर दिया।
  • नेपाल शांति प्रक्रिया और लोकतांत्रिक परिवर्तन: भारत ने नेपाल को राजशाही से एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य में बदलने, बातचीत की सुविधा प्रदान करने और नए संविधान के प्रारूपण का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

म्याँमार और पाकिस्तान में लोकतांत्रिक राजनीतिक परिवर्तन

  • म्याँमार: वर्ष 2010 में म्याँमार में 20 वर्ष  के सैन्य शासन के बाद चुनाव हुए, जिसमें सैन्य समर्थित यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (Union Solidarity and Development Party- USDP) सत्ता में आई थी।
  • पाकिस्तान: पाकिस्तान ने वर्ष 2008 में एक जनतांत्रिक सरकार चुनी, जिसके बाद राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को निर्वासन में भेज दिया गया था।

अरागालया (Aragalaya) 

  • सिंहली भाषा में ‘अरागालया’ शब्द का अर्थ ‘संघर्ष’ या ‘लड़ाई’ होता है, जो राजनीतिक और आर्थिक सुधारों के लिए जनता की प्रभावी माँग को दर्शाता है।
  • श्रीलंका में प्रदर्शनों की एक विस्तृत शृंखला वर्ष 2022 में शुरू हुई, जो आर्थिक कुप्रबंधन, आवश्यक वस्तुओं की कमी और राजनीतिक भ्रष्टाचार पर व्यापक निराशा से प्रेरित थी।

हाल के वर्षों में उभरी चुनौतियाँ 

हाल के दिनों में भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हुई है:

  • बांग्लादेश: हाल ही में बांग्लादेश में शेख हसीना की निर्वाचित सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की कमी, आर्थिक मंदी और हिंसक छात्र आंदोलन के कारण सत्ता से बेदखल हो गई।
    • इससे भारत के साथ 15 वर्षों की भारत बांग्लादेश साझेदारी एवं सहयोग पर संशय उत्पन्न होने लगा है।
  • श्रीलंका: वर्ष 2022 में, बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी ‘अरागालया’ (Aragalaya) विरोध प्रदर्शनों (जिनका नेतृत्व ज्यादातर सरकार की नीतियों से परेशान गैर-राजनीतिक जनता एवं युवाओं ने किया था) को नियंत्रित करने में असमर्थ रहने के कारण श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपना पद त्यागना पड़ा और उन्होंने श्रीलंका छोड़ दिया।
    • इससे श्रीलंकाई लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचा, जिसके दुष्परिणाम आज भी श्रीलंका में महसूस किए जा रहे हैं।
    • इस राजनीतिक अस्थिरता के दौरान श्रीलंका में उत्पन्न आर्थिक संकट के दौरान भारत द्वारा लगभग 4 बिलियन डॉलर के उदार बेलआउट पैकेज जारी किया गया।

‘इंडिया आउट’ अभियान   

  • यह मालदीव में चल रहे एक राजनीतिक आंदोलन को संदर्भित करता है, जो मालद्वीव से भारतीय सैन्य और सुरक्षा उपस्थिति को हटाने की सिफारिश करता है।

  • मालदीव: वर्ष 2024 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अप्रत्याशित रूप से विजयी हुए, जिससे भारत के साथ आपसी संबंधों को लेकर कुछ अंतर्विरोध उत्पन्न हुआ क्योंकि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का झुकाव चीन के प्रति अधिक है।  
    • राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी ‘इंडिया आउट’ अभियान से सक्रिय रूप से जुड़े थे।
  • म्यांमार: म्याँमार में लगातार तीन चुनावों के बाद सेना ने फिर से सत्ता सँभाल ली, जबकि वर्ष 2020 के चुनावों में ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ को भारी जनादेश मिला था।
    • म्याँमार में सेना द्वारा सत्ता सँभालने के बाद उत्पन्न गतिरोध भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में फैल रहा है।
  • अफगानिस्तान: वर्ष 2021 में, तालिबान की दो दशकों के बाद अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी हुई, जिससे अफगानिस्तान में रुढ़िवादी दौर पुनः शुरू हो गया।
    • इसने भारत के लिए कई चिंताएँ खड़ी कर दी, जैसे भारत में सीमा पार से बढ़ता आतंकवाद और सुरक्षा खतरे, क्षेत्रीय स्थिरता और अफगानिस्तान के साथ भारत की भागीदारी।
  • पकिस्तान: पाकिस्तान में वर्ष 2022 में चुनी हुई सरकार सेना के प्रभाव के कारण सत्ता से बेदखल हो गई, जैसा कि अतीत में भी कई बार देखा गया है।

भारत के लिए आगे की राह

भारत के पड़ोसी देशों में हालिया चुनौतियों को देखते हुए, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण इस प्रकार है:

  • राजनयिक जुड़ाव को मजबूत करना: मजबूत राजनयिक संबंध आपसी विश्वास और समझ का निर्माण करते हैं, जो दीर्घकालिक साझेदारी के लिए आवश्यक है।
    • बांग्लादेश में, भारत को संतुलित संबंध सुनिश्चित करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष दोनों के साथ वार्ता करके राजनयिक संबंधों का पुनर्निर्माण करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए 
      • श्रीलंका में: चूँकि भारत ने श्रीलंका के साथ राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, इसलिए श्रीलंका के परिप्रेक्ष्य में भारत के लिए यह बेहतर स्थिति होगी, भले ही आगामी चुनावों में सत्ता में कोई भी आए।
  • आर्थिक कूटनीति को बढ़ावा देना: पड़ोसी देशों के साथ मजबूत आर्थिक संबंध बनाने के लिए आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौतों का लाभ उठाना, क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि में योगदान देना।
    • उदाहरण के लिए पिछले दो दशकों में तालिबान भी भारतीय परियोजनाओं पर हमला करने से हिचकिचाता रहा, क्योंकि इससे लोगों को लाभ होता था।
    • श्रीलंका: द्विपक्षीय सहयोग और मानवीय सहायता के माध्यम से श्रीलंका की आर्थिक सुधार और राजनीतिक स्थिरता का समर्थन करना जारी रखना।
  • बदलती गतिशीलता के अनुकूल बनना: पड़ोसी देशों में उभरती परिस्थितियों एवं चुनौतियों के आधार पर रणनीतियों को समायोजित करने के लिए तैयार रहना।
    • उदाहरण के लिए, भारत ने पहले ही:
      • मालदीव की नई सरकार के साथ मित्रता और सामंजस्य स्थापित किया है ताकि वह अपने तरीके से निर्णय ले सके।
      • भारत के भू-राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए अफगानिस्तान में तालिबान के साथ व्यापार करने की इच्छा व्यक्त की है।
      • अस्थिर लेकिन लोकतांत्रिक नेपाल की ओर फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।
  • रुझानों और रणनीतिक धैर्य पर नजर रखना: क्षेत्र में बदलती राजनीतिक और आर्थिक गतिशीलता पर नजर रखना और लोकतांत्रिक ताकतों के समर्थन और भारत के सुरक्षा हितों की सुरक्षा के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन बनाए रखना।
    • उदाहरण के लिए: म्याँमार में गृहयुद्ध की स्थिति बनी हुई है और बांग्लादेश को अपने लोकतंत्र को फिर से हासिल करने में मुश्किल हो रही है।
  • क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: सार्क (SAARC) या बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे मंचों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना ताकि आम चुनौतियों का समाधान किया जा सके और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाया जा सके।

पड़ोस में संबंधों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न भारतीय पहल

भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए कई पहल शुरू की हैं, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता, सहयोग और पारस्परिक लाभ को बढ़ावा देना है:

  • लुक ईस्ट पॉलिसी (1991) और एक्ट ईस्ट पॉलिसी (2014)
    • उद्देश्य: दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और सामरिक संबंधों को बढ़ाना।
    • फोकस: व्यापार संबंधों को मजबूत करना, क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में शामिल होना और आसियान के नेतृत्व वाली पहलों में भाग लेना।
  • नेबरहुड फर्स्ट पालिसी (2014)
    • उद्देश्य: दक्षिण एशियाई पड़ोसियों और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता देना और मजबूत करना।
    • ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के सिद्धांत
      • संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता
      • परस्पर सम्मान और संवेदनशीलता
      • आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
      • साझा समृद्धि
      • क्षेत्रीय एकीकरण के लिए संपर्क
      • लोगों के बीच आदान-प्रदान
  • गुजराल डॉक्ट्रिन (Gujral Doctrine) (1996)
    • उद्देश्य: भारत के अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ विदेशी संबंधों को गैर-पारस्परिकता और आपसी सम्मान के माध्यम से निर्देशित करना।
    • सिद्धांत
      • गैर-पारस्परिकता (Non-reciprocity): भारत अपने पड़ोसी देशों को तत्काल पारस्परिकता की अपेक्षा किए बिना सहायता प्रदान करेगा।
      • पड़ोसियों के विरुद्ध भू-भाग का उपयोग न करना (No Use of Territory Against Neighbors): पड़ोसी देशों के भू-भाग का उपयोग भारत के हितों को नुकसान पहुँचाने या उन्हें कमजोर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
      • हस्तक्षेप न करना (Non-Interference): बिना किसी हस्तक्षेप के पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों का सम्मान करना।
      • क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान (Respect for Territorial Integrity): एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना।
      • विवादों का शांतिपूर्ण समाधान (Peaceful Resolution of Disputes): सभी विवादों को शांतिपूर्ण, द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।
  • बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) (1997)
    • उद्देश्य: बंगाल की खाड़ी से संबंधित देशों के बीच क्षेत्रीय एकीकरण और सहयोग को बढ़ावा देना।
    • सदस्य देशों: बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्याँमार और थाईलैंड।
    • फोकस: आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए व्यापार, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग।
  • इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) (1997)
    • उद्देश्य: हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना।
    • कार्य: व्यापार, सुरक्षा सहयोग और सतत् विकास पहल को बढ़ावा देना।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC)
    • यह दक्षिण एशिया के राज्यों का क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन और भू-राजनीतिक संघ है।
    • सदस्य देश: बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान।
    • उद्देश्य: दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और विकास को बढ़ावा देना।
  • क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाएँ: क्षेत्र में भौतिक और आर्थिक संपर्क में सुधार करना।
    • कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना और भारत-बांग्लादेश कनेक्टिविटी पहल जैसी पहलें।
  • कोविड-19 के दौरान वैक्सीन कूटनीति: भारत ने अपनी वैक्सीन कूटनीति पहल के तहत अपने पड़ोसियों को टीके उपलब्ध कराकर कोविड-19 के खिलाफ क्षेत्र की लड़ाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • उदाहरण के लिए 
      • वैक्सीन मैत्री (Vaccine Maitri): भारत ने अपनी वैक्सीन कूटनीति के माध्यम से कोविड-19 महामारी के दौरान अपने पड़ोसियों को प्राथमिकता के आधार पर मदद पहुँचाई।

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