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भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता

Lokesh Pal December 18, 2024 03:40 32 0

संदर्भ

हाल ही में लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि भारत ने पिछले दशक में परमाणु ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पादन दोगुना कर दिया है।

संबंधित तथ्य

  • वर्ष 2014-2024: भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता वर्ष 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर वर्ष 2024 में 8,180 मेगावाट हो गई। 
  • अनुमान: अनुमान है कि वर्ष 2031-32 तक परमाणु क्षमता तीन गुनी होकर 22,480 मेगावाट हो जाएगी, तथा वर्ष 2047 तक भारत की विद्युत क्षमता में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 9% होगा।

भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम 

  • प्रतिशत योगदान: परमाणु ऊर्जा भारत में विद्युत का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत है, जो देश के कुल विद्युत उत्पादन में लगभग 3.11% (वर्ष 2020-21 तक) का योगदान देता है।
  • वर्तमान स्थिति 
    • ऑपरेटिंग रिएक्टर: 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 23 ऑपरेटिंग रिएक्टर।
    • रिएक्टरों के प्रकार: मुख्य रूप से ‘दाबित भारी जल रिएक्टर’ (Pressurized Heavy Water Reactors-PHWRs), तथा अन्य ‘लाइट वाटर रिएक्टर’ (Light Water Reactors-LWRs)।
  • संसाधन जमा: भारत में वैश्विक थोरियम भंडार का 21% है, लेकिन विश्व के यूरेनियम भंडार का केवल 2% ही है।
  • कार्यान्वयन एजेंसियाँ: परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के डिजाइन, निर्माण, कमीशनिंग एवं संचालन के लिए जिम्मेदार है।
    • NPCIL का भाविनी (परमाणु ऊर्जा विभाग का सार्वजनिक उपक्रम) ‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टर’ कार्यक्रम को क्रियान्वित करता है।
  • विकास 
    • परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना वर्ष 1954 में भारत सरकार द्वारा की गई थी और इसे देश में सभी परमाणु गतिविधियों की पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
    • भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम वर्ष 1956 में अनुसंधान उद्देश्यों के लिए अपने पहले परमाणु रिएक्टर, अप्सरा (भारत द्वारा डिजाइन एवं निर्मित) के प्रक्षेपण के साथ शुरू हुआ।
      • अप्सरा और CIRUS रिएक्टर न्यूट्रॉन भौतिकी में अनुसंधान, न्यूट्रॉन विकिरण के तहत पदार्थों के व्यवहार के अध्ययन और रेडियो आइसोटोप के उत्पादन के लिए प्रमुख रिएक्टर थे। 
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्र: अक्टूबर, 1969 में महाराष्ट्र के तारापुर में दो रिएक्टरों के चालू होने के साथ ही परमाणु ऊर्जा के उपयोग से विद्युत उत्पादन शुरू हो गया।
    • वर्ष 1983 में चेन्नई के पास कलपक्कम में भारत का तीसरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं निर्मित परमाणु ऊर्जा इकाई के रूप में प्रारंभ हुआ।
  • भारत का त्रि-चरणीय असैन्य परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम
    • चरण-I: दाबित भारी जल रिएक्टर (PHWRs): भारत ने 220 मेगावाट, 540 मेगावाट, और 700 मेगावाट की क्षमता वाले रिएक्टर डिजाइनों के साथ IPHWR श्रृंखला के रूप में जानी जाने वाली PHWRs श्रृंखला का निर्माण किया है। 

      • PHWRs ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम (यूरेनियम-238) का उपयोग करता है एवं उपोत्पाद के रूप में प्लूटोनियम-239 का निर्माण करता है।
      • PHWR शीतलक एवं मंदक के रूप में भारी जल, ड्यूटेरियम ऑक्साइड (D2O) का उपयोग करता है।
    • चरण II: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR): फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, पहले चरण से प्राप्त प्लूटोनियम-239 एवं प्राकृतिक यूरेनियम से निर्मित मिश्रित ऑक्साइड (Mixed Oxide- MOX) ईंधन का उपयोग करते हैं।
      • 500 मेगावाट प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) का निर्माण वर्ष 2004 में मद्रास के पास कलपक्कम में प्रारंभ हुआ था।
    • चरण III: थोरियम-आधारित रिएक्टर
      • रिएक्टर में उपयोग किया जाने वाला मुख्य ईंधन थोरियम-232 है, जिसे ऊर्जा प्रदान करने के लिए यूरेनियम-233 में परिवर्तित किया जाता है।
      • इस संसाधन का दोहन करने के लिए ‘भवानी’ (Bhavani) जैसी स्वदेशी परियोजनाएँ विकसित की जा रही हैं, जिससे आयातित यूरेनियम और अन्य सामग्रियों पर निर्भरता कम होगी।

परमाणु क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भविष्य की योजनाएँ

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग के आधार पर 700 मेगावाट के 8 PHWRs, 500 मेगावाट के चार फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, 300 मेगावाट का एक ‘एडवांस्ड हैवी वाटर रिएक्टर’ और 40,000 मेगावाट क्षमता के LWRs पर कार्य शुरू करने के प्रस्ताव पहले से ही परिकल्पित हैं। 
  • भारत का विद्युत वितरण ढाँचा: संशोधित ढाँचे ने परमाणु संयंत्रों से विद्युत वितरण में गृह राज्य की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसमें 35% पड़ोसी राज्यों को और 15% राष्ट्रीय ग्रिड को आवंटित किया गया है।
  • भारत लघु रिएक्टर (Bharat Small Reactors): बजट 2024 में निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों (SMRs) के निर्माण में निवेश का प्रावधान किया गया है। 
    • SMRs परमाणु रिएक्टरों के जटिल संस्करण हैं एवं 300 मेगावाट तक विद्युत प्रदान करते हैं।
  • सुरक्षा पर ध्यान: भारत ने TAPS 1 एवं 2 (वर्तमान में विश्व के सबसे पुराने रिएक्टर) के संचालन के 50 वर्ष पूरे होने तथा अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में KGS-1 द्वारा 962 दिनों तक लगातार संचालन का विश्व रिकार्ड स्थापित करने जैसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 

भारत में परमाणु ऊर्जा के लिए संस्थागत ढाँचा

भारत का परमाणु क्षेत्र सुरक्षा और जवाबदेही को बढ़ावा देने वाले एक मजबूत कानूनी ढाँचे के तहत कार्य करता है।

  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962: यह अधिनियम परमाणु ऊर्जा उत्पादन और उपयोग को विनियमित करता है, तथा सार्वजनिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को परमाणु गतिविधियों पर नियंत्रण प्रदान करता है।
    • वर्ष 2015 का संशोधन: यह NPCIL एवं राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यमों की अनुमति देता है, परमाणु ऊर्जा उत्पादन पर राज्य का नियंत्रण बनाए रखते हुए निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
  • परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010: यह परमाणु दुर्घटनाओं के लिए दायित्व और क्षतिपूर्ति स्थापित करता है, तथा भारतीय परमाणु बीमा पूल 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कवरेज प्रदान करता है, जिससे निवेशकों के विश्वास में वृद्धि होती है।
  • परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB): परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 के तहत स्थापित AERB भारत में परमाणु ऊर्जा और आयनकारी विकिरण के लिए नियामक प्राधिकरण है। 
    • AERB परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड परमाणु सुविधाओं के लिए स्थान निर्धारण से लेकर बंद करने तक सुरक्षा मानकों को विकसित एवं लागू करता है तथा कठोर सुरक्षा समीक्षा के बाद उनके संचालन के लिए सहमति प्रदान करता है।
  • परमाणु नियंत्रण एवं योजना विंग (NC&PW): परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) सुरक्षा उपायों, निर्यात नियंत्रणों और परमाणु सुरक्षा संबंधी गतिविधियों को एकीकृत करता है।

परमाणु ऊर्जा पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग

  • असैन्य परमाणु सहयोग: भारत ने कई देशों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें फ्राँस, संयुक्त राज्य अमेरिका (123 समझौता), रूस, नामीबिया, कनाडा, अर्जेंटीना, कजाकिस्तान, कोरिया गणराज्य, चेक गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
  • यूरेनियम आयात: भारत ने रूस, फ्राँस, कजाकिस्तान, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, उज्बेकिस्तान, नामीबिया, मंगोलिया, ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा जैसे देशों के साथ यूरेनियम आयात करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय संगठन सहयोग
    • अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER): भारत सतत परमाणु ऊर्जा और संलयन प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिए ITER जैसी वैश्विक परमाणु परियोजनाओं में भाग ले रहा है।
    • परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG): भारत NSG का सदस्य है, जो परमाणु अप्रसार एवं उत्तरदायी परमाणु व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • द्विपक्षीय सहयोग
    • भारत एवं रूस: भारत एवं रूस की साझेदारी में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) की स्थापना की गई थी। KKNPP में रूस द्वारा डिजाइन किए गए छह रिएक्टर शामिल हैं, और दोनों देशों ने भविष्य के विकास का समर्थन करने के लिए वर्ष 2023 में अपने समझौते में संशोधन किया है।

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