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भारत के हालिया अंतरिक्ष मिशन

Lokesh Pal August 24, 2024 03:38 169 0

संदर्भ

भारत में चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पहुँचने के उपलक्ष्य में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day)  मनाया जाता है। 

संबंधित तथ्य

  • 25 वर्षीय रोडमैप: दिसंबर 2023 में, इसरो ने गगनयान के लिए वर्ष 2047 तक 25 वर्षीय रोडमैप की घोषणा की। यह वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग के रूप में चंद्र अन्वेषण रोडमैप से संबंधित है।
  • ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (BAS): इसरो के रोडमैप में वर्ष 2035 तक BAS नामक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना भी शामिल है। 

भारत के आगामी अंतरिक्ष मिशनों के बारे में

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को परिचालन जिम्मेदारियाँ सौंपने के बाद, इसरो अनुसंधान को प्राथमिकता दे रहा है। 

अंतरिक्ष अभियान

विवरण

आदित्य L1

  • लॉन्च: 2 सितंबर, 2023 को
  • मिशन: सूर्य का अध्ययन करना।
  • अंतरिक्ष यान ने 6 जनवरी, 2024 को L1 नामक प्रथम पृथ्वी-सूर्य लैग्रेंज बिंदु (Lagrange Point) के चारों ओर की कक्षा में जाने के लिए कई क्रियाविधियों को संचालित किया। 
    • लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वे स्थान हैं, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे ‘टू-बॉडी सिस्टम’  के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के कारण विस्तारित क्षेत्र उत्पन्न होता है। 
  • इसने 2 जुलाई, 2024 को L1 के चारों ओर अपनी पहली परिक्रमा पूरी कर ली।
  • इसने धरती पर स्थित वेधशालाओं और चंद्रमा की कक्षा में स्थित अंतरिक्ष यान के साथ मिलकर मई 2024 में आने वाले सौर तूफान का अध्ययन किया।
गगनयान TV-D1
  • प्रक्षेपण: अपने परीक्षण वाहन (Test Vehicle- TV) के निर्माण के लिए एक संशोधित L-40 विकास इंजन, जिसका उपयोग इसने अपने ‘गगनयान’ मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के हिस्से के रूप में 21 अक्टूबर, 2023 को पहला अबाॅर्ट मिशन (TV-D1) करने के लिए किया। 
  • परीक्षण: क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System- CES) की TV से अलग होने की क्षमता है:- 
    • क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित स्थान पर ले जाना।
    • बंगाल की खाड़ी में उतरने से पहले क्रू मॉड्यूल की गति कम करने की क्षमता। 
    • परीक्षण के अंत में चालक दल के मॉड्यूल को भारतीय नौसेना के पोत INS शक्ति द्वारा बरामद किया गया। 
  • गगनयान इसरो के प्राथमिक फोकस क्षेत्रों में से एक है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष उड़ान के लिए प्रशिक्षित कर रहा है। 
एक्सपोसैट (XPoSat)
  • प्रक्षेपण: 1 जनवरी, 2024 को इसका एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट-XPoSat) 
  • अध्ययन: विकिरण किस प्रकार ध्रुवीकृत होता है और इस प्रकार अंतरिक्ष में विकिरण के विभिन्न स्रोतों के बारे में जानकारी जुटाना। 
    • यह वर्ष 2021 में लॉन्च किए गए नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IPEX) के बाद दूसरी ऐसी अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है। 
इन्सैट-3DS
  • प्रक्षेपण: 17 फरवरी, 2024 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) द्वारा 
  • महत्त्व: महत्त्वपूर्ण नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) मिशन से पहले वाहन की विश्वसनीयता सिद्ध करना, जिसे अब वर्ष 2025 की पहली तिमाही में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। 
    • GSLV के इस संस्करण ने पहले वर्ष 2023 में NVS-01 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
RLV-TD
  • प्रक्षेपण: इसरो ने 22 मार्च और 7 जून को कर्नाटक के चल्लकेरे स्थित अपने वैमानिकी परीक्षण रेंज में दो लैंडिंग प्रयोग (LEX-02 और LEX-03) करने के लिए पुष्पक नामक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के छोटे संस्करण का उपयोग किया। 
  • अध्ययन: परीक्षणों में चिनूक हेलीकॉप्टर से पुष्पक वाहन को गिराकर अंतरिक्ष से लैंडिंग की स्थितियों का अनुकरण किया गया। 
    • हालाँकि LEX-02 ने पुष्पक को उसके लैंडिंग पथ पर ही गिरा दिया, LEX-03 ने उसे 500 मीटर दूर एक ओर गिरा दिया। 
  • महत्त्व: इन परीक्षणों की सफलता ने इसरो को ऑर्बिटल रिटर्न फ्लाइट एक्सपेरीमेंट (OREX) पर आगे बढ़ने का विश्वास दिलाया। 
SSLV
  • प्रक्षेपण: 16 अगस्त, 2024 को इसरो ने SSLV की तीसरी और अंतिम विकास उड़ान का प्रक्षेपण किया।
  • सफल समापन: इसने EOS-08 और SR-0 डेमोसैट उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया। 
    • लगातार दो सफल परीक्षण उड़ानों के साथ, इसरो ने SSLV के विकास को पूर्ण घोषित कर दिया तथा उद्योग को इसके हस्तांतरण को हरी झंडी दे दी। 
    • EOS-08 में तीन पेलोड थे-
      • अवरक्त रेंज में पृथ्वी का अवलोकन।
      • पृथ्वी अवलोकन के लिए वैश्विक उपग्रह नेविगेशन प्रणाली से प्रतिबिंबों के उपयोग का प्रदर्शन करना।
      • गगनयान क्रू मॉड्यूल में उपयोग से पहले अल्ट्रावायलेट डोसिमीटर और अलार्म का परीक्षण किया जाएगा।
अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (Next-Generation Launch Vehicle-NGLV)
  • लॉन्च: परियोजना रिपोर्ट फरवरी 2024 में प्रस्तुत की गई।
  • उपयोग: इसरो ने NGLV के लिए एक तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान की योजना बनाई है, जो एक अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन, एक द्रव इंजन और एक क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होगा। 
  • NGLV तैयार हो जाने के बाद इसरो GSLV का उपयोग जारी रखने की योजना नहीं बना रहा है। 
    • PSLV का निर्माण पहले से ही एक निजी संघ द्वारा किया जा रहा है। 
    • PSLV एक चार चरणीय यान है, जिसमें वैकल्पिक ठोस एवं द्रव चरण होते हैं। 
    • इसरो LVM-3 रॉकेट (जो GSLV MKIII का दूसरा नाम है) के लिए अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने पर कार्य कर रहा है ताकि इसकी प्रक्षेपण क्षमता को बढ़ाया जा सके। 
    • 2 और 21 मई को इसने इंजन के प्री-बर्नर इग्निशन परीक्षण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। 
    • GSLV MK III एक तीन चरणीय यान है, जिसमें दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन, एक द्रव प्रणोदक कोर चरण और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण है। 
एनएसआईएल मिशन (NSIL Missions)
  • 1 मई को इसरो ने भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह डेटा और उत्पादों से संबंधित सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को NSILको हस्तांतरित कर दिया। 
  • NSIL ने GSAT-20/GSAT-एन2 उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए SpaceX के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • 10 मई को, NSIL ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से LVM-3 के उत्पादन के लिए अर्हता हेतु अनुरोध भी जारी किया और SSLV को प्रक्षेपित करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई निजी अंतरिक्ष कंपनी के साथ एक समर्पित प्रक्षेपण सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए। 
निजी अंतरिक्ष मिशन (Private Space Missions)
  • अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikula Cosmos): 21 मार्च को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र स्थित लॉन्च पैड से SoRTeD-01 यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। 
    • यह भारत से प्रथम चरण के रूप में अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित वाहन का पहला प्रक्षेपण था। 
  • स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace): यह अपने प्रक्षेपण यान, विक्रम 1 के प्रक्षेपण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 
    • इससे पहले, इसने मई और जुलाई 2024 के बीच अपने ठोस ईंधन इंजनों का दबाव परीक्षण किया था और 18 नवंबर, 2022 को श्रीहरिकोटा से विक्रम S नामक एक परीक्षण वाहन लॉन्च किया था। 
  • ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस (Dhruva Space and Bellatrix Aerospace): 1 जनवरी को PSLV-C58 मिशन के चौथे और अंतिम चरण पर प्रयोग किया गया। 
    • इस मिशन में, चौथे चरण ने स्वयं को एक छोटे उपग्रह में बदल लिया, जिससे उस पर लगे पेलोड को अध्ययन करने के लिए एक परिक्रमा मंच मिल गया। 
IN-SPACe

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) अंतरिक्ष विभाग (DOS) के तहत एक स्वायत्त एजेंसी है, जिसकी स्थापना अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी हितधारकों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए की गई थी। 

  • इसने 3 मई को ‘अंतरिक्ष गतिविधियों के प्राधिकरण के लिए मानदंड, दिशा-निर्देश और प्रक्रियाएँ’ जारी की हैं। 
  • 21 नवंबर, 2023 को यूटेलसैट वनवेब (Eutelsat OneWeb) को भारत का पहला सैटेलाइट ब्रॉडबैंड लाइसेंस प्रदान किया गया। 
  • 15 जुलाई को ध्रुव स्पेस द्वारा सेवा के रूप में ग्राउंड स्टेशन के लिए पहला लाइसेंस प्रदान किया गया। 
  • 21 फरवरी को भारत सरकार ने सभी अंतरिक्ष और अंतरिक्ष उड़ान क्षेत्रों में 100% प्रत्यक्ष FDI की अनुमति देने के लिए अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में संशोधन किया। 
    • उपग्रह निर्माण और संचालन में 74% तथा प्रक्षेपण अवसंरचना में 49% की अधिकतम सीमा को छोड़कर। 

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