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भारत का बाह्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

Lokesh Pal September 17, 2025 02:37 90 0

संदर्भ

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आउटफ्लो 56% सिंगापुर, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और स्विट्जरलैंड जैसे कम कराधान वाले क्षेत्रों (जिन्हें आमतौर पर टैक्स हेवन कहा जाता है) में हुआ।

  • वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह आँकड़ा बढ़कर 63% हो गया।

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI): एक देश के किसी व्यक्ति/संस्था द्वारा दूसरे देश में किसी व्यवसाय में किया गया निवेश या तो व्यवसाय संचालन स्थापित करके अथवा व्यावसायिक परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करके।
  • बाह्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): वैश्विक विस्तार हेतु भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी उद्यमों (सहायक कंपनियों, संयुक्त उद्यमों या अधिग्रहणों के माध्यम से) में किया गया निवेश।
  • टैक्स हेवन: बहुत कम या शून्य कराधान, वित्तीय गोपनीयता और शिथिल नियमों वाला एक देश/क्षेत्र, जो कर दक्षता के लिए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करता है।
    • उदाहरण: मॉरीशस, सिंगापुर, केमैन द्वीप, नीदरलैंड।

आउटफ्लो FDI संबंधी रुझान

  • कर-मुक्त देशों का हिस्सा: वित्त वर्ष 2023-24 में, कुल ₹3,488.5 करोड़ के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में से ₹1,946 करोड़ कम कर वाले क्षेत्रों (56%) में गए।
  • प्रमुख गंतव्य: सिंगापुर (22.6%), मॉरीशस (10.9%), और संयुक्त अरब अमीरात (9.1%) ने मिलकर कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 40% से अधिक का योगदान दिया।

टैक्स हेवन क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के पीछे के कारण

  • मध्यवर्ती क्षेत्राधिकार: वैश्विक विस्तार के लिए विशेष प्रयोजन माध्यम (SPV) के रूप में कार्य करते हैं।
  • कर दक्षता: हिस्सेदारी कम करने या धन हस्तांतरण के मामले में कम कर देयता।
  • निवेशक वरीयता: सीधे भारत की तुलना में सिंगापुर/मॉरीशस के माध्यम से वैश्विक भागीदारों को आकर्षित करना आसान है।
  • नियामक सुरक्षा: भारतीय मूल की कंपनियों के घरेलू अनुपालन/नियामक जोखिमों को कम करता है।
  • संचालन में सुगमता: भारत की तुलना में लचीले कानून और तीव्र धन प्रवाह
  • धन संग्रहण संबंधी लाभ: ऐसे क्षेत्राधिकारों में पूँजी जुटाना आसान होता है।
  • वैश्विक मानदंड: विश्व की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भी इसी तरह के केंद्रों का उपयोग करती हैं।

आशय

सकारात्मक निहितार्थ (Positive Implications)

  • भारतीय फर्मों के वैश्विक विस्तार को सुगम बनाता है
    • सिंगापुर या मॉरीशस के माध्यम से निवेश करने से भारतीय कंपनियों को विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicles- SPV) स्थापित करने की सुविधा मिलती है, जो अंतरराष्ट्रीय केंद्रों के रूप में काम करते हैं।
      • उदाहरण: इन्फोसिस और भारती एयरटेल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने परिचालन के लिए सिंगापुर स्थित सहायक कंपनियों का उपयोग करती हैं।
  • संयुक्त उद्यमों और विदेशी पूँजी तक पहुँच में सहायता करता है
    • द्विपक्षीय निवेश संधियों और स्थिर कानूनी ढाँचों वाले कर-मुक्त देशों में विदेशी साझेदारों और उद्यम पूँजीपतियों को आकर्षित करना आसान होता है।
      • उदाहरण: कई भारत-अमेरिका या भारत-यूरोपीय संयुक्त उद्यम, आसान कानूनी प्रक्रियाओं के कारण, सिंगापुर के माध्यम से संचालित होते हैं।
  • विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्द्धात्मक समानता प्रदान करता है
    • चूँकि अन्य देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भी कम कर वाले क्षेत्रों का उपयोग करती हैं, इसलिए यदि भारतीय कंपनियाँ ऐसा नहीं करतीं, तो वे प्रतिस्पर्धात्मक रूप से नुकसान में रहेंगी।
      • उदाहरण: गूगल और एप्पल जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियाँ आयरलैंड, नीदरलैंड, लक्ज़मबर्ग देशों का उपयोग करती हैं, इसी प्रकार भारतीय कंपनियाँ भी वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए इसी मार्ग का अनुसरण करती हैं।

टैक्स हेवन-लिंक्ड FDI की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के कदम

  • कर संधियों पर पुनः वार्ता: मॉरीशस (2016) और सिंगापुर (2017) जैसे देशों के साथ दोहरे कराधान परिहार समझौतों (Double Taxation Avoidance Agreements- DTAA) पर पुनः वार्ता की गई है ताकि पूँजीगत लाभ छूट को अधिक किया जा सके।
  • सामान्य कर-परिहार विरोधी नियम (General Anti Avoidance Rule- GAAR) – 2017: जटिल व्यवस्थाओं के माध्यम से कर परिहार की जाँच करने और निष्पक्ष कर प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तुत किया गया।
  • पारदर्शिता तंत्र: सूचना के आदान-प्रदान में सुधार के लिए OECD के सामान्य रिपोर्टिंग मानक (Common Reporting Standard [CRS]) को अपनाना।
  • लाभ स्थानांतरण नियंत्रण: कृत्रिम लाभ हस्तांतरण को कम करने के लिए OECD की आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (Base Erosion and Profit Shifting [BEPS]) कार्य योजना का कार्यान्वयन।
  • वैश्विक न्यूनतम कर: बहुराष्ट्रीय उद्यमों पर न्यूनतम प्रभावी कर दर सुनिश्चित करने के लिए OECD के स्तंभ 2 पहल को अपनाना।
  • राउंड-ट्रिपिंग पर सेबी नियम: SEBI ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors- FPI), विशेष रूप से मॉरीशस के निवेशकों के लिए मानदंडों को सख्त कर दिया है, जिससे लाभकारी स्वामित्व में अस्पष्टता को रोका जा सके।
  • काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) अधिनियम, 2015: अघोषित विदेशी संपत्ति के लिए कठोर दंड और अभियोजन का प्रावधान करता है; संपत्ति जब्त करने और 10 वर्ष तक के कारावास की अनुमति देता है।

चिंताएँ

  • लाभ स्थानांतरण और कर आधार क्षरण (Profit Shifting and Tax Base Erosion)
    • मॉरीशस या सिंगापुर की सहायक कंपनियों में लाभ प्राप्त करके, भारतीय कंपनियाँ घरेलू कर देयता को कम करती हैं, जिससे भारत का कॉरपोरेट कर राजस्व कम होता है।
    • उदाहरण: “राउंड-ट्रिपिंग” निवेश के लिए भारत-मॉरीशस दोहरे कराधान परिहार समझौते (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) का पूर्व में दुरुपयोग।
  • नियामक मध्यस्थता और कमजोर निगरानी (Regulatory Arbitrage and Weak Oversight)
    • कंपनियाँ भारतीय नियमों और विदेशी क्षेत्राधिकारों के मध्य अंतराल का लाभ उठाती हैं, जिससे भारतीय नियामकों (RBI, SEBI, ED) के लिए प्रवाह की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है।
      • उदाहरण: PMLA और ED संबंधी मामलों में प्रायः विदेशी शेल कंपनियों के माध्यम से जटिल लेन-देन और स्तरीकरण शामिल होता है।
  • विदेशों में टैरिफ प्रभाव और मूल्य संवर्द्धन (Tariff Impacts & Value Addition Abroad)
    • भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के कारण, कंपनियाँ टैरिफ से बचने के लिए इन विशेष प्रयोजन वाहनों (SPV) के माध्यम से अपने विनिर्माण या प्रसंस्करण का कुछ हिस्सा विदेश में स्थानांतरित कर सकती हैं।
    • निहितार्थ: घरेलू मूल्य संवर्द्धन और रोजगार का नुकसान।
  • नीतिगत चुनौती – प्रतिस्पर्द्धात्मकता और कर राजस्व के मध्य संतुलन (Policy Challenge – Balancing Competitiveness with Tax Revenue)
    • अति-नियमन वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बाधित कर सकता है; अल्प-नियमन से कर आय और अवैध प्रवाह में कमी का जोखिम उत्पन्न होता है।
      • उदाहरण: GAAR (जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल्स) पर बहस और दुरुपयोग को रोकने के लिए भारत द्वारा मॉरीशस, सिंगापुर और साइप्रस के साथ कर संधियों पर पुनर्विचार।

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