100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

जलवायु-स्वास्थ्य शासन के लिए भारत का मार्ग

Lokesh Pal September 23, 2025 03:23 80 0

संदर्भ

वर्ष 2025 में ब्राजील के ‘बेलेम’ में जलवायु और स्वास्थ्य पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन में 90 देशों के प्रतिनिधियों ने ‘बेलेम हेल्थ एक्शन प्लान’ को अंतिम रूप देने के लिए एक साथ मिलकर कार्य किया।

जलवायु और स्वास्थ्य पर वैश्विक सम्मेलन के बारे में

  • स्थान: इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, ब्रासिलिया, ब्राजील
  • आयोजक: ब्राजील सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (PAHO)
  • महत्त्व: यह जलवायु और स्वास्थ्य पर परिवर्तनकारी कार्रवाई के लिए गठबंधन (Alliance for Transformative Action on Climate and Health- ATACH) की वार्षिक व्यक्तिगत बैठक थी।
  • मुख्य परिणाम
    • बेलेम हेल्थ एक्शन प्लान (COP30 में लॉन्च किया जाएगा) के मसौदे के लिए इनपुट देना।
    • प्लान का समर्थन करने के लिए ATACH के तहत देशों के दायित्वों को परिभाषित किया।
    • वैश्विक जलवायु कार्रवाई के मुख्य स्तंभ के रूप में स्वास्थ्य को स्थापित किया।
    • प्लान को लागू करने के लिए वैज्ञानिक दिशानिर्देश देना।
  • भारत की अनुपस्थिति: भारत का आधिकारिक रूप से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया, जो जलवायु और स्वास्थ्य संबंधी खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होने के बावजूद अपने विकास मॉडल को प्रदर्शित करने में असमर्थ रहा।

बेलेम हेल्थ एक्शन प्लान के बारे में

  • उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य एक वैश्विक रोडमैप निर्मित करना जिसे स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिकताओं को व्यापक जलवायु एजेंडे में शामिल शामिल करना ।
  • सभी क्षेत्रों से संबंधित प्राथमिकताएँ
    • स्वास्थ्य समानता और जलवायु न्याय।
    • सामाजिक भागीदारी (महिलाएंँ, युवा, आदिवासी समुदाय, सुभेद्य वर्ग) के साथ बेहतर शासन।
  • प्रतिक्रिया 
    • निगरानी और शुरुआती चेतावनी: जलवायु संबंधी स्वास्थ्य निगरानी, ​​रियल-टाइम डेटा और दवाओं तथा वैक्सीन का रणनीतिक भंडारण।
    • साक्ष्य-आधारित नीति और क्षमता निर्माण: स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम में जलवायु संबंधी सामग्री शामिल करना, लैंगिक दृष्टिकोण से अनुकूलन और समुदाय की अनुकूलित क्षमता।
    • नवाचार और उत्पादन: जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढांँचा, स्वास्थ्य सुविधाओं में नवीकरणीय ऊर्जा, सतत् आपूर्ति शृंखला और सुभेद्य समूहों के लिए न्यायसंगत परिवर्तन।
  • भारत का अनुभव क्यों महत्त्वपूर्ण है?
    • ये कार्यक्रम दर्शाते हैं कि गैर-स्वास्थ्य संबंधी हस्तक्षेप भी जलवायु चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण लाभ दे सकते हैं।
    • ये एक व्यावहारिक शासन मॉडल प्रदान करते हैं, जहाँ कल्याण, पर्यावरण और जन स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
    • भारत के कल्याण कार्यक्रम, भले ही वे जलवायु नीतियों के रूप में न हों, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य और जलवायु दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय लाभ प्राप्त किए हैं, जो दुनिया भर में एकीकृत जलवायु-स्वास्थ्य शासन हेतु एक मानक प्रदान करते  हैं।

जलवायु-स्वास्थ्य शासन में भारत एक उदहारण के रूप में

  • राजनीतिक नेतृत्व नीति समन्वय सुनिश्चित करता है: उच्च-स्तरीय भागीदारी मंत्रालयों के बीच समन्वय को बढ़ावा देती है और कार्यान्वयन को तेज करती है।
    • उदाहरण: ‘स्वच्छ भारत’ और ‘पीएम उज्ज्वला योजना’ को प्रधानमंत्री का प्रत्यक्ष सहयोग  कई विभागों को एक साथ लाया और पूरे देश में सकारात्मक परिणाम दिए।
  • समुदाय की भागीदारी से जुड़ाव को बढ़ावा देता है: सांस्कृतिक मूल्यों और सतही स्तर पर भागीदारी से नीतियांँ अधिक प्रासंगिक और टिकाऊ बनती हैं।
    • उदाहरण: ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में गांधी जी के स्वच्छता के दृष्टिकोण को शामिल किया गया, जबकि ‘पीएम पोषण योजना’ सामुदायिक समर्थन के लिए ‘पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन’ पर निर्भर रही।
  • मौजूदा संस्थाओं का उपयोग से बेहतर डिलीवरी होती है: मौजूदा नेटवर्क का उपयोग करने से दोहराव से बचा जा सकता है और अंतिम स्तर तक पहुंँच सुनिश्चित होती है।
    • उदाहरण: आशा कार्यकर्ता, पंचायतें और स्व-सहायता समूह कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रभावी माध्यम बन गए।
  • वैश्विक दक्षिण के लिए उपयोगी मॉडल: भारत के कल्याण-आधारित हस्तक्षेप यह दर्शाते  हैं कि न्यूनतम लागत वाली नीतियों से किस प्रकार स्वास्थ्य, जलवायु और विकास के लक्ष्यों को एक साथ प्राप्त किया जा सकता है।
    • उदाहरण: PM पोषण (पोषण + जलवायु-प्रतिरोधी फसलें) और पीएम उज्ज्वला योजना (स्वच्छ ऊर्जा + स्वास्थ्य लाभ) जैसी योजनाएंँ ऐसा मार्ग प्रदान करती है, जिन्हें अन्य विकासशील देश SDG-3 (स्वास्थ्य), SDG-7 (स्वच्छ ऊर्जा) और SDG-13 (जलवायु कार्रवाई) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपना सकते हैं।

भारत के कल्याणकारी कार्यक्रम और उनके जलवायु-स्वास्थ्य संबंधी सह-लाभ

हालाँकि इनमें से कोई भी योजना जलवायु परिवर्तन से संबंधित पहल के रूप में शुरू नहीं हुई थी, लेकिन इनसे स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ पर्यावरण को भी अत्यधिक लाभ प्राप्त हुआ है।

  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY): भोजन पकाने के लिए बायोमास की जगह LPG का उपयोग शुरू होने से घरेलू वायु प्रदूषण और श्वसन संबंधित रोगों में कमी आई, साथ ही कार्बन उत्सर्जन भी कम हुआ।
  • पीएम पोषण (मिड-डे मील योजना): यह कार्यक्रम कुपोषण के विरुद्ध है, स्कूल के भोजन में मोटे अनाज को शामिल करता है, जिससे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और जलवायु-प्रतिरोधी खाद्य प्रणाली विकसित होती है (यह वर्ष 2023 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित ‘अंतरराष्ट्रीय बाजार वर्ष’ के अनुरूप है)।

  • स्वच्छ भारत अभियान: देशव्यापी स्वच्छता मिशन से स्वच्छता की स्थिति में सुधार हुआ, जिससे पेचिस रोग में कमी, लोगों की जीवन शैली में सुधार , साथ ही स्वच्छ जल स्रोत और सुरक्षित अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से पर्यावरण संबंधी लक्ष्यों को भी बढ़ावा मिला।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम [मनरेगा (MNREGA)]: मजदूरी पर आधारित रोजगार सुनिश्चित कर इस योजना ने ग्रामीण लोगों की आजीविका की स्थिति में सुधार किया और साथ ही वृक्षारोपण, जल-क्षेत्र प्रबंधन और मृदा संरक्षण जैसे पर्यावरणीय कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराया, जिससे समुदाय की जलवायु अनुकूलन क्षमता मजबूत हुई।

संविधान संबंधी और नैतिक आयाम

  • राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत: अनुच्छेद 47 राज्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का कर्तव्य देता है, जबकि अनुच्छेद 48A उसे पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने का निर्देश देता है।
  • मौलिक अधिकारों का संबंध: सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) की व्याख्या करते हुए इसे स्वच्छ पर्यावरण और स्वास्थ्य के अधिकार तक विस्तारित किया है, जिससे जलवायु-स्वास्थ्य शासन संवैधानिक दायित्व बन गया है।
  • नागरिकों के मौलिक कर्तव्य: अनुच्छेद 51A(g) प्रत्येक  नागरिक को प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने का कर्तव्य बताता है, जिससे सामुदायिक भागीदारी के लिए नैतिक और संवैधानिक आधार बनता है।
  • पीढ़ी-दर-पीढ़ी समानता का नैतिक महत्त्व: जलवायु और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने से आने वाली पीढ़ियों के लिए न्याय सुनिश्चित होता है, और उन्हें वर्तमान में हुई  गलतियों का भार नहीं उठाना होगा।
  • गांधीवादी ट्रस्टीशिप और सामाजिक न्याय: स्वास्थ्य और जलवायु से जुड़ी कल्याणकारी योजनाएंँ गांधीवादी ट्रस्टीशिप के सिद्धांतों को दर्शाती हैं, जिसमें संसाधन सामूहिक हितों के लिए, विशेषकर सर्वाधिक सुभेद्य लोगों के लिए, प्रबंधित किए जाते हैं।

कल्याणकारी नीतियों के माध्यम से स्वास्थ्य और जलवायु को एक साथ लाने में उत्पन्न होने वाली चुनौतियाँ

  • प्रशासनिक अलगाव: मंत्रालय और विभाग अलग-अलग कार्य करते हैं, जिससे स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृषि और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों के बीच आपसी सहयोग नहीं हो पाता है।
    • उदाहरण: भारत का ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ (Environment Impact Assessment-EIA) प्रक्रिया में ‘स्वास्थ्य प्रभाव आकलन’ (Health Impact Assessments- HIA) अनिवार्य नहीं है, जिसका मतलब है कि जलवायु नीतियों और परियोजनाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का व्यवस्थित तरीके से मूल्यांकन शायद ही कभी किया जाता है।
  • आर्थिक बाधाएँ: खर्च की क्षमता और व्यावसायिक हितों में टकराव, कल्याण से जुड़ी जलवायु नीतियों के दीर्घकालिक प्रभाव को कम कर देते हैं।
    • उदाहरण: PMUY के तहत LPG रिफिल की ऊंँची कीमत इसके निरंतर उपयोग को कम करती है, क्योंकि तेल विपणन कंपनियांँ प्राय: लाभार्थियों की जरूरतों की तुलना में अपनी प्राथमिकताओं को अधिक महत्त्व देती हैं।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिरोध: पुरानी मान्यताएंँ, लैंगिक रूढ़ियाँ और व्यवहार में बदलाव न करना, स्वच्छ और स्वस्थ विकल्पों को अपनाने में बाधा बनते हैं।
    • उदाहरण: LPG वितरण के बावजूद, घरों में भोजन पकाने की अपनी पसंद और सांस्कृतिक आदतों के कारण बायोमास का उपयोग निरंतर बना हुआ है।
  • समानता संबंधी चिंताएँ: हाशिए पर स्थिति समूह पहुँच और लाभ प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे स्वास्थ्य और जलवायु अनुकूलन में असमानताएँ और बढ़ जाती हैं।
    • उदाहरण: आदिवासी और दूर-दराज के समुदाय अक्सर स्वच्छता सुविधाओं, पोषण योजनाओं और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँच के मामले में दिक्कतों का सामना करते हैं।
    • राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की पाँचवीं रिपोर्ट के अनुसार, 30% घरों में अभी भी बेहतर स्वच्छता सुविधा उपलब्ध नहीं है, और यह ग्रामीण क्षेत्रों में (35%) और भी अधिक है।

निष्क्रियता की आर्थिक लागत (Economic Costs of Inaction)

  • जलवायु से सम्बन्धित रोगों का अत्यधिक भार: WHO के अनुसार, वर्ष  2030-2050 के बीच जलवायु परिवर्तन के कारण कुपोषण, मलेरिया, पेचिस और गर्मी से होने वाली बीमारियों से प्रति वर्ष  250,000 अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं।
  • प्रदूषण से होने वाले रोगों के कारण GDP का नुकसान: वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी खर्च के कारण भारत को प्रत्येक वर्ष GDP का लगभग 1.7% नुकसान होता है। इससे ज्ञात होता है कि बचाव के उपाय, इलाज पर खर्च करने की तुलना में अधिक लाभदायक हैं।
  • गर्मी के कारण उत्पादकता में कमी: लैंसेट काउंटडाउन (2022) की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत को गर्मी के कारण लगभग 167.2 बिलियन संभावित श्रम-घंटे का नुकसान हुआ, जिसका मुख्य प्रभावर कृषि और निर्माण क्षेत्र में खुले में कार्य करने वाले श्रमिकों पर हुआ।
  • जीविका और कृषि पर प्रभाव: अनियमित मानसून और बढ़ते तापमान से फसल की पैदावार कम होती है, जिससे किसानों की आय में कमी होती है और खाद्य सुरक्षा के समक्ष संकट उत्पन्न होता है।
    • इससे कुपोषण और आर्थिक असुरक्षा जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएंँ भी उत्पन्न होती हैं।

भारत के जलवायु-स्वास्थ्य शासन के लिए आगे की राह

  • राजनीतिक नेताओं द्वारा रणनीतिक प्राथमिकता: जलवायु कार्रवाई को तत्काल स्वास्थ्य और कल्याण के मुद्दे के रूप में प्रस्तुत करने से राजनीतिक इच्छाशक्ति मजबूत होती है और जनता का सहयोग प्राप्त होता है।
    • उदाहरण: PMUY को केवल ऊर्जा सुधार के बजाय, महिलाओं को सशक्त बनाने और स्वास्थ्य से संबंधित पहल के रूप में प्रस्तुत करने से उसे लोकप्रियता प्राप्त हुई।
  • मंत्रालयों में प्रक्रियात्मक एकीकरण: सभी जलवायु संबंधी नीतियों में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों  को शामिल करने से विभिन्न क्षेत्रों में तालमेल सुनिश्चित होता है।
    • उदाहरण: जैसे बड़े प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अनिवार्य है, वैसे ही ऊर्जा, परिवहन और शहरी नियोजन नीतियों के लिए स्वास्थ्य प्रभाव मूल्यांकन को अनिवार्य किया जा सकता है।
  • समुदाय स्तर पर सहभागी कार्यान्वयन: स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से समुदायों को शामिल करने से जलवायु-स्वास्थ्य नीतियों में स्वामित्व और स्थिरता बढ़ती है।
    • उदाहरण: जागरूकता अभियानों में आशा कार्यकर्ताओं और पंचायतों को शामिल करने से जलवायु कार्रवाई और रोजमर्रा के स्वास्थ्य परिणामों के बीच संबंध को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।
  • परिणाम-आधारित मॉनिटरिंग तंत्र: केवल आउटपुट के बजाय स्वास्थ्य में सुधार के आधार पर परिणामों को मापने से जवाबदेही और प्रभावशीलता सुनिश्चित होती है।
    • उदाहरण: वितरित किए गए LPG सिलेंडरों की संख्या गिनने के बजाय, मॉनिटरिंग में श्वास संबंधित रोगों की बीमारियों में वास्तविक कमी और स्वच्छ ईंधन के उपयोग की दर को ट्रैक किया जाना चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व और ज्ञान साझा करना: भारत अपने कल्याण से जुड़े जलवायु-स्वास्थ्य की सफलताओं को वैश्विक स्तर पर रखकर वैश्विक योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
    • उदाहरण: पोषण, स्वच्छ भारत और मनरेगा से सीख को COP30 जैसे मंचों के माध्यम से साझा किया जा सकता है, ताकि ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एक मजबूत ‘हेल्थ एक्शन प्लान’को बेहतर बनाया जा सके।
  • गर्मी से सुरक्षा के प्लान को बढ़ाना: भारत अहमदाबाद हीट एक्शन प्लान (2013) को लागू कर सकता है, जो दक्षिण एशिया का पहला जलवायु-स्वास्थ्य ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ है, और इसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है।
    • ऐसे प्लान में अर्ली वार्निंग, मेडिकल तैयारी और समुदाय में जागरूकता शामिल होती है, जिससे हीट वेव से होने वाली मौतों और उत्पादकता में कमी को कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

भारत का अनुभव बताता है कि कल्याण-केंद्रित, अंतर-क्षेत्रीय शासन से जलवायु और स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी समाधान प्राप्त हो सकते हैं। जलवायु नीतियों में स्वास्थ्य को शामिल करके, मौजूदा संस्थानों का उपयोग करके और समानता सुनिश्चित करके, भारत एक ऐसा स्वास्थ्य-आधारित जलवायु शासन मॉडल विकसित कर सकता है जो विकास, पर्यावरण और जन कल्याण के मध्य संतुलन बनाए रखे।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.