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वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नेतृत्व के लिए भारत का रोडमैप

Lokesh Pal October 11, 2024 04:01 84 0

संदर्भ

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भारत के उद्योग, अर्थव्यवस्था एवं समाज को तेजी से बदल रहा है।

  • विशेष रूप से वर्ष 2023 में G20 और AI पर वैश्विक साझेदारी बैठकों की मेजबानी के बाद भारत, वैश्विक AI परिदृश्य में एक प्रमुख हितधारक के रूप में स्वयं को स्थापित कर रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

  • परिभाषा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उन मशीनों में मानव बुद्धि के अनुकरण को संदर्भित करता है, जिन्हें स्वायत्त रूप से सोचने, सीखने तथा समस्याओं को हल करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द का उपयोग: ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ शब्द वर्ष 1956 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी द्वारा गढ़ा गया था।

भारत में AI का विकास 

  • प्रारंभिक स्थिति (1960-1980): IIT कानपुर तथा IISc बंगलूरू जैसे संस्थानों ने AI अनुसंधान की आधारशिला रखी।
    • वर्ष 1986 में शुरू की गई ज्ञान आधारित कंप्यूटर प्रणाली (KBCS) परियोजना भारत का पहला महत्त्वपूर्ण AI कार्यक्रम था।
  • आधारशिला (1990 का दशक): वर्ष 1988 में C-DAC की स्थापना ने सुपरकंप्यूटिंग को बढ़ावा दिया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से AI अनुसंधान को समर्थन मिला।
    • भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों ने व्यवसाय स्वचालन के लिए AI की खोज शुरू कर दी है।
  • विकासात्मक चरण (2000 का दशक): TCS, इन्फोसिस और विप्रो जैसे IT दिग्गजों ने AI अनुसंधान में निवेश किया एवं शैक्षणिक संस्थानों ने AI तथा मशीन लर्निंग कार्यक्रमों का विस्तार किया।
  • तीव्र गति का चरण (वर्ष 2010): ‘डिजिटल इंडिया’ पहल (वर्ष 2014-15) ने AI सहित उभरती प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया।
    • वर्ष 2018 में, नीति आयोग ने AI के लिए राष्ट्रीय रणनीति जारी की, जिसमें आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशन पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे AI स्टार्टअप्स में वृद्धि हुई।
  • वर्तमान युग (वर्ष 2020): AI अब सरकार तथा उद्योग दोनों के लिए प्राथमिकता है, भारत का लक्ष्य ‘AI फॉर ऑल’ जैसी पहलों के माध्यम से वैश्विक AI हब बनना है, जो स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में AI को एकीकृत करता है।

भारत के लिए AI का महत्त्व

  • भारत के AI बाजार की अनुमानित वृद्धि: नैसकॉम रिपोर्ट के अनुसार, भारत का AI बाजार वर्ष 2027 तक 17 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो 25-35% की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।
    • वर्ष 2025 तक AI, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 450-500 बिलियन डॉलर का योगदान दे सकता है, जो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के इसके लक्ष्य का लगभग 10% होगा।
  • परिवर्तनकारी उपकरण: 1.4 बिलियन से अधिक लोगों वाली अर्थव्यवस्था वाले भारत के लिए, AI गरीबी, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच एवं शिक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान करने में एक उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है, साथ ही इसकी अर्थव्यवस्था को नए आयामों तक पहुँचा सकता है। उदाहरण के रूप में 
    • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR) को एकीकृत करने के लिए AI का उपयोग करता है, ताकि वंचितों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अधिक सुलभ एवं सस्ती हो सके।
    • पुणे का इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) वाहनों के आवागमन को सुचारू बनाने तथा सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करता है।
    • कृषि फार्मों में फसल काटने, निराई करने, उर्वरक लगाने तथा कटाई के लिए स्मार्ट ड्रोन एवं एग्रीबॉट्स (Agribots) का उपयोग।
    • कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में, AI सोइंग (AI Sowing) ऐप किसानों को इष्टतम बुवाई की तारीखों तथा गहराई के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

भारत की AI क्षमता में योगदान देने वाले कारक

  • मजबूत AI पारिस्थितिकी तंत्र: भारत में एक मजबूत AI पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें IIT और IISc जैसे शीर्ष संस्थानों के कुशल इंजीनियर, डेटा वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हैं।
  • मजबूत डिजिटल अवसंरचना: भारत के आधार तथा एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) ने इसकी डिजिटल अवसंरचना को काफी उन्नत कर दिया है, जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक डिजिटल रूप से जुड़े देशों में से एक बन गया है।
    • यह मजबूत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र AI एल्गोरिदम के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक डेटा का एक विशाल भंडारण करता है। 
  • स्वीकृति में बढोतरी एवं कार्यबल तत्परता: पिछले वर्ष गैर-तकनीकी पेशेवरों के बीच AI-संबंधित पाठ्यक्रम नामांकन में 117% की वृद्धि हुई है, जो तकनीकी विशेषज्ञों से परे AI कौशल विकास के व्यापक दायरे का संकेत देता है।
    • वर्ष 2023 में, भारत में AI प्रतिभा की नियुक्ति में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
    • कई संगठन कौशल अंतर को दूर करने के लिए आंतरिक प्रशिक्षण पहल लागू कर रहे हैं।
  • स्टार्ट-अप संस्कृति और नवाचार केंद्र: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा (Niramai), कृषि (Intello Labs) और शिक्षा (Jungroo Learning) जैसे क्षेत्रों में कई AI-केंद्रित स्टार्टअप उभर रहे हैं।
  • सरकारी समर्थन: AI पर भारत सरकार का सक्रिय रुख एक महत्त्वपूर्ण कारक है। उदाहरण: राष्ट्रीय AI रणनीति, सभी के लिए AI, AI के लिए उत्कृष्टता केंद्र।

AI नेतृत्व की राह पर भारत के सामने चुनौतियाँ

  • डेटा से संबंधित चुनौतियाँ
    • डेटा की गुणवत्ता: भारत में विभिन्न क्षेत्रों में असंगत डेटा उपलब्धता तथा गुणवत्ता के कारण AI मॉडल की प्रभावशीलता बाधित होती है।
      • इसके अतिरिक्त, मानकीकृत डेटा प्रारूपों की अनुपस्थिति मजबूत AI मॉडल के विकास को जटिल बनाती है।
    • भारत में डेटा सेंटर अवसंरचना अपर्याप्त: विश्व का 20 प्रतिशत डेटा उत्पादित करने के बावजूद, भारत में वैश्विक डेटा सेंटरों का केवल 2 प्रतिशत ही मौजूद है।
    • डेटा गोपनीयता तथा सुरक्षा: डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा तथा AI के नैतिक उपयोग को लेकर चिंताएँ महत्त्वपूर्ण बाधाएँ हैं।
    • भाषा संबंधी बाधाएँ: स्थानीय भारतीय भाषाओं में संरचित डेटा की कमी, AI अनुप्रयोगों में पूर्वाग्रह और अल्प प्रतिनिधित्व के मुद्दों में योगदान करती है।
  • बुनियादी ढाँचागत चुनौतियाँ
    • डिजिटल विभाजन: जनसंख्या का बड़ा हिस्सा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, डिजिटल रूप से बहिष्कृत है। 
    • भारत में सीमित कंप्यूटिंग अवसंरचना क्षमता: वर्तमान कंप्यूटिंग अवसंरचना विश्व की क्षमता का 2 प्रतिशत से भी कम है।
  • कौशल संबंधी चुनौतियाँ: उन्नत AI अनुसंधान एवं विकास के लिए आवश्यक विशेष कौशल की कमी है। 
  • नैतिक एवं प्रशासनिक चुनौती: AI में नैतिक चिंताएँ एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह, निर्णय लेने में पारदर्शिता की कमी तथा निगरानी के लिए संभावित दुरुपयोग जैसे मुद्दों से उभरती हैं।

भारत में AI को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल

  • कंप्यूटेशनल अवसंरचना में वृद्धि: केंद्र सरकार कंप्यूटेशनल क्षमताओं में वृद्धि कर रही है तथा अगले 18 से 24 महीनों के भीतर 10,000 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) खरीदने की योजना बना रही है।
  • भारत का राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन (National Semiconductor Mission): इसे वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय (MeitY) के तहत लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य घरेलू चिप उद्योग का निर्माण करना था, जिसे उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों में $10 बिलियन से अधिक का समर्थन प्राप्त था।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक साझेदारी (GPAI): वर्ष 2020 में, भारत ने उभरती प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार उपयोग के लिए रूपरेखा स्थापित करने हेतु GPAI बनाने के लिए 15 अन्य देशों के साथ मिलकर कार्य किया।
    • GPAI शिखर सम्मेलन की दिल्ली घोषणा: नए अवसरों का दोहन करने तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास, तैनाती और उपयोग से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करने की आवश्यकता को स्वीकार करता है।
  • INDIAai पोर्टल: यह इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) और नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (NASSCOM) द्वारा लॉन्च किया गया भारत का राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल है।
  • इंडिया AI मिशन: भारत सरकार ने अगले पाँच वर्षों के लिए 10,372 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसके तहत सरकार देश में AI कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करने वाली निजी कंपनियों को सब्सिडी देने के लिए धन आवंटित करेगी।
  • AI फॉर ऑल: यह एक स्व-शिक्षण ऑनलाइन कार्यक्रम है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सराहना दिवस: यह दिवस प्रत्येक वर्ष 16 जुलाई को उद्योगों में AI के परिवर्तनकारी प्रभाव को उजागर करने और सहयोग, नैतिक विकास तथा नवाचार पर जोर देने के लिए मनाया जाता है।
  • अन्य पहल
    • डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्मार्ट सिटीज मिशन, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM), भारतनेट, GAI क्लाउड [मेघराज (MeghRaj)] और भारत द्वारा आयोजित ग्लोबल इंडिया AI शिखर सम्मेलन सभी क्षेत्रों में AI को अपनाने को बढ़ावा दे रहे हैं।

वैश्विक AI नेतृत्व के लिए आगे की राह

  • शिक्षा और कौशल विकास में निवेश: कौशल अंतर को पाटने के लिए विश्वविद्यालयों तथा तकनीकी संस्थानों में AI शिक्षा को एकीकृत करने की आवश्यकता है।
  • समावेशी AI: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग तथा गणित (STEM) शिक्षा को बढ़ावा देना, विशेष रूप से महिलाओं और हाशिए के समुदायों के लिए, AI अर्थव्यवस्था में समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देगा।
  • कंप्यूटेशनल अवसंरचना में वृद्धि: बढ़ती माँगों को पूरा करने के लिए स्थानीय डेटा सेंटर निवेश में वृद्धि करके डेटा सेंटर क्षमता की बाधा को दूर करने की आवश्यकता है।
  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश: भारतीय व्यवसायों को अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
    • कोर कंप्यूटिंग क्षमताओं तथा प्रतिभा में पर्याप्त निवेश भारत में एक सफल AI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आधारशिला होगी।

‘फ्यूचरस्किल्स प्राइम’ (FutureSkills Prime) नैसकॉम (Nasscom) तथा Meity द्वारा एक डिजिटल कौशल पहल है, जिसका उद्देश्य भारत को एक डिजिटल प्रतिभा संपन्न राष्ट्र बनाना है।

  • एक मजबूत नियामक ढाँचे का निर्माण: स्पष्ट डेटा संरक्षण कानून, AI नैतिकता पर मजबूत दिशा-निर्देश तथा पारदर्शी AI प्रणाली विकसित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • सामाजिक कल्याण के लिए AI का लाभ उठाना
    • उदाहरण: फसल पैदावार के लिए पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण, नैदानिक ​​उपकरण तथा व्यक्तिगत शिक्षण प्लेटफॉर्म जैसे AI अनुप्रयोग जीवन की गुणवत्ता को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं।
  • कौशल अंतर को पाटना: कार्यबल की AI क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, फ्यूचरस्किल्स प्राइम जैसी पहलों का विस्तार करना आवश्यक है। इसके अलावा, ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करना ग्रामीण विभाजन को पाटने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष 

भारत एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है, जो वैश्विक AI परिदृश्य में नेतृत्व करने के लिए मजबूत सरकारी समर्थन तथा उद्योग सहयोग का लाभ उठाने के लिए तैयार है। AI की परिवर्तनकारी शक्ति का उपयोग करके, राष्ट्र महत्त्वपूर्ण आर्थिक समृद्धि और सामाजिक विकास को आगे बढ़ा सकता है।

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