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भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य

Lokesh Pal April 25, 2025 03:07 12 0

संदर्भ

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता स्थापित करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसमें सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

नवीकरणीय ऊर्जा क्या है?

  • अक्षय ऊर्जा प्राकृतिक एवं निरंतर प्राप्त होने वाले स्रोतों जैसे- सूर्य के प्रकाश, वायु, जल (जलविद्युत) और बायोमास से प्राप्त ऊर्जा है। 
  • जीवाश्म ईंधन के विपरीत, यह सतत् है, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देता है।

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य

  • वर्ष 2030 का लक्ष्य: 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना।
  • अल्पकालिक लक्ष्य: वर्ष 2030 तक कुल ऊर्जा क्षमता का 50% नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न करना।

  • वर्तमान प्रगति: जनवरी 2025 तक 217.62 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता तक पहुँच सुनिश्चित हुई है।
  • नेट जीरो लक्ष्य: वर्ष 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करना।
  • हालाँकि, गहन विश्लेषण से पता चलता है, कि ये लक्ष्य देश की तेजी से बढ़ती विद्युत की माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं, साथ ही ग्रिड स्थिरता सुनिश्चित करने और कोयले पर निर्भरता कम करने में भी मदद नहीं मिलेगी।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करता है।
  • प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM KUSUM): बंजर/परती भूमि पर लघु सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के माध्यम से कृषि पंपों (स्टैंडअलोन और ग्रिड से जुड़े) के सौर ऊर्जाकरण को बढ़ावा देता है।
  • PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना: वित्तीय और अवसंरचनात्मक सहायता प्रदान करके, विशेष रूप से शहरी घरों में छत पर सौर ऊर्जा अपनाने को प्रोत्साहित करती है।
  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC): स्वच्छ ऊर्जा के कुशल निर्माण और वितरण को सुनिश्चित करने के लिए अक्षय ऊर्जा समृद्ध राज्यों में ट्रांसमिशन बुनियादी ढाँचे को उन्नत करता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और विनिर्माण (FAME): इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देता है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है।
  • राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM): सौर और पवन जैसे अक्षय स्रोतों को बेहतर ढंग से एकीकृत करने के लिए विद्युत ग्रिड के आधुनिकीकरण का समर्थन करता है।
  • अक्षय खरीद दायित्व (RPO) और अक्षय ऊर्जा प्रमाण-पत्र (REC)
    • RPO: बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को नवीकरणीय स्रोतों से विद्युत का एक निश्चित प्रतिशत खरीदने का आदेश देता है।
    • REC तंत्र: RPO लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण-पत्रों के व्यापार की अनुमति देता है।
  • सौर पीवी विनिर्माण के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) योजना: उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की चुनौतियाँ

  • बढ़ती माँग: विशेष रूप से एयर कंडीशनिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों से विद्युत की माँग बढ़ रही है।
    • यदि सभी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ समय पर पूरी कर ली जाएँ, तो भी वर्ष 2030 तक वार्षिक माँग की पूर्ति में नवीकरणीय ऊर्जा लगभग 12% पीछे रह जाएगी।
  • आपूर्ति में रुकावट और परिवर्तनशीलता: सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश पर निर्भर करती है और पूरे दिन बदलती रहती है, जबकि पवन ऊर्जा मौसमी और स्थान-विशिष्ट होती है।
    • पवन ऊर्जा अत्यधिक मौसम आधारित होती है, जिसका अधिकांश उत्पादन मानसून के मौसम में होता है।
  • ग्रिड एकीकरण और स्थिरता: भारत का ग्रिड बुनियादी ढाँचा अक्षय ऊर्जा की परिवर्तनशील प्रकृति को सँभालने के लिए पूरी तरह से अनुकूलित नहीं है। 
    • जनवरी 2022 और मई 2023 के बीच अक्षय ऊर्जा संयंत्रों से 1000 मेगावाट से अधिक उत्पादन हानि से जुड़ी 31 घटनाएँ हुईं।
  • ऊर्जा भंडारण सीमाएँ: बैटरी और पंप हाइड्रो जैसी ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियाँ आपूर्ति और माँग के बीच के अंतर को कम करने के लिए आवश्यक हैं।
  • उच्च पूँजी लागत और वित्तपोषण अंतराल: बुनियादी ढाँचे (जैसे बड़े सौर पार्क और पवन फार्म) में निवेश के लिए महत्त्वपूर्ण पूंजी की आवश्यकता होती है। 
    • मूडीज रेटिंग्स के अनुमान के अनुसार, भारत को वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 385 बिलियन डॉलर तक खर्च करने की आवश्यकता होगी।

आगे की राह

  • ग्रिड अवसंरचना को उन्नत करना: नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तनशीलता को सँभालने के लिए ग्रिड प्रणालियों में सुधार करना, वास्तविक समय संतुलन, स्मार्ट ग्रिड और माँग प्रतिक्रिया तंत्र को शामिल करना।
    • सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा का कुशल वितरण सुनिश्चित करने के लिए पारेषण अवसंरचना को उन्नत करने हेतु हरित ऊर्जा गलियारा योजना शुरू की है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों में वृद्धि करना: नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों की दर को दोगुना करना।
    • वर्ष 2024 में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 15% की वृद्धि देखी गई तथा दिसंबर 2024 तक यह 209.44 गीगावाट तक पहुँच गई है।
  • ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण लक्ष्यों में संतुलन: ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना।
    • वर्ष 2024 में भारत के बिजली उत्पादन में कोयले का योगदान 70% था, जिसे स्थायी पर्यावरण के साथ बदलने की आवश्यकता है।

भारत के वर्ष 2030 संबंधी लक्ष्य सही दिशा में एक कदम हैं, लेकिन वे वास्तविक समय की माँग, भंडारण सीमाओं और ग्रिड स्थिरता को संबोधित करने हेतु कम हैं। तत्काल सुधारों के बिना, देश में कोयले पर निर्भरता बढ़ने का जोखिम है, जिससे इसके नेट जीरो लक्ष्यों में देरी हो सकती है। इसका समाधान रणनीतिक रूप से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने, भंडारण में सुधार करने और नीतियों को वास्तविक दुनिया की ग्रिड जरूरतों के साथ संरेखित करने में निहित है।

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