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भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र

Lokesh Pal November 15, 2024 04:52 34 0

संदर्भ 

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) से जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, एक वर्ष में कुल नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में 24.2 गीगावाट (13.5%) की प्रभावशाली वृद्धि हुई है।

नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में

  • यह ऊर्जा का वह स्रोत है, जो प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होता है, जो प्रकृति में नवीकरणीय हैं, क्योंकि इनकी खपत की तुलना में इनकी लगातार उच्च दर पर पूर्ति होती रहती है तथा ये कभी समाप्त नहीं होते हैं।
  • स्रोत
    • सौर ऊर्जा: सौर प्रौद्योगिकियाँ सूर्य के प्रकाश को फोटोवोल्टिक पैनलों के माध्यम से या दर्पणों के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं, जो सौर विकिरण को केंद्रित करते हैं।
      • राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (National Institute of Solar Energy- NISE) के अनुमान के अनुसार, भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 748 GWp है।

    • पवन ऊर्जा: इसमें भूमि (तटीय क्षेत्र) या समुद्र अथवा मीठे जल (अपतटीय क्षेत्र) पर स्थित बड़ी पवन टर्बाइनों का उपयोग करके पवनों की गतिज ऊर्जा का उपयोग किया जाता है।
    • जलविद्युत ऊर्जा: यह उच्च से निम्न ऊँचाई पर जाने वाले जल की ऊर्जा का उपयोग करती है। इसे जलाशयों एवं नदियों से उत्पन्न किया जा सकता है।
    • जैव ऊर्जा: यह विभिन्न प्रकार की जैविक सामग्रियों से उत्पन्न होती है, जिन्हें बायोमास कहा जाता है, जैसे कि ऊष्मा एवं विद्युत उत्पादन के लिए लकड़ी, लकड़ी का कोयला, गोबर और अन्य खाद, तथा तरल जैव ईंधन के लिए कृषि फसलें।

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के बारे में

  • REN21 नवीकरणीय 2024 वैश्विक स्थिति रिपोर्ट (REN21 Renewables 2024 Global Status Report) के अनुसार, भारत, नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। (पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे तथा सौर ऊर्जा क्षमता में 5वें स्थान पर है।)
    • कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता: अक्टूबर 2024 तक, भारत की कुल अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता अक्टूबर 2023 में 178.98 गीगावाट से बढ़कर 203.18 गीगावाट हो गई है।
    • कुल गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता: यह वर्ष 2024 में 211.36 गीगावाट है, जबकि वर्ष 2023 में यह 186.46 गीगावाट थी, जिसमें परमाणु ऊर्जा भी शामिल है।
  • योगदान: देश की कुल स्थापित क्षमता में अक्षय ऊर्जा का योगदान 46.3 प्रतिशत है, जो 452.69 गीगावाट तक पहुँच गया है।
  • लक्ष्य: भारत ने पंचामृत लक्ष्यों के तहत एक प्रमुख संकल्प के हिस्से के रूप में COP26 में वर्ष 2030 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता लक्ष्य को 500 गीगावाट तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थिति: अक्टूबर 2024 तक, 143.94 गीगावाट की परियोजनाएँ कार्यान्वयन के अधीन हैं और 89.69 गीगावाट की निविदाएँ पहले ही दी जा चुकी हैं।
    • अक्टूबर 2023 तक इन परियोजनाओं में कार्यान्वयनाधीन क्षमता 99.08 गीगावाट तथा निविदाकृत क्षमता 55.13 गीगावाट से वृद्धि देखी गई।

  • नीतियाँ और योजनाएँ
    • सरकारी प्रतिज्ञाएँ: भारत ने वर्ष 2030 तक देश की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से कम करने और वर्ष 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
      • निवेश आकर्षित करने के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है।
    • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जिससे हरित परिवहन क्षेत्र में क्रांति आएगी। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) को 19,744 करोड़ रुपये के बजट के साथ मंजूरी दी गई।
    • प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan: PM-KUSUM): इसका उद्देश्य सौर सिंचाई पंप लगाकर किसानों की आय बढ़ाना और कृषि क्षेत्र को सिंचाई और गैर डीजल के स्रोत प्रदान करना है।
    • पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना: इसका उद्देश्य सौर छत क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाना और 2 किलोवाट क्षमता तक की प्रणालियों के लिए सौर इकाई लागत का 60% सब्सिडी प्रदान करके आवासीय घरों को अपनी विद्युत उत्पन्न करने के लिए सशक्त बनाना है।
  • महत्त्व
    • जलवायु परिवर्तन को सीमित करना: नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण क्षरण को रोकने के लिए सबसे स्वच्छ, सबसे व्यवहार्य समाधान है क्योंकि वे ऊर्जा उत्पादन प्रक्रियाओं में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
    • अक्षय स्रोत: अक्षय ऊर्जा सतत् ऊर्जा प्रणाली के लिए आवश्यक है, जो भविष्य की पीढ़ियों को जोखिम में डाले बिना वर्तमान में विकास की अनुमति देती है।
    • ऊर्जा निर्भरता को कम करना: जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता के परिणामस्वरूप आपूर्तिकर्ता देश के आर्थिक और राजनीतिक अल्पकालिक लक्ष्यों के अधीनता होती है, जो ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा से समझौता कर सकती है।
      • उदाहरण: मध्य पूर्व के तेल युद्ध।
    • प्रतिेस्पर्द्धा में वृद्धि: पैमाने की अर्थव्यवस्था और नवाचार के कारण अक्षय ऊर्जा विद्युत की गति से न केवल पर्यावरणीय रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी दुनिया को विद्युत प्रदान करने के लिए सबसे टिकाऊ समाधान बन गई है।
    • रखरखाव: सौर पैनलों जैसी अक्षय ऊर्जा प्रणालियों को पारंपरिक ऊर्जा प्रणालियों की तुलना में कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
    • स्थानीय लचीलापन: नवीकरणीय ऊर्जा, उपयोग किए जाने वाले स्थान के निकट ही विद्युत उपलब्ध करा सकती है, जिससे स्थानीय ऊर्जा लचीलेपन में मदद मिल सकती है।

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