100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

Lokesh Pal April 11, 2024 05:28 385 0

संदर्भ

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्ष 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर के मूल्य तक पहुँच जाएगी, जो विश्व सेमीकंडक्टर उद्योग के पैमाने के लगभग समान है। 

  • ‘अंतरिक्ष: वैश्विक आर्थिक विकास के लिए $1.8 ट्रिलियन अवसर’ (Space: The $1.8 Trillion Opportunity for Global Economic Growth) शीर्षक वाली रिपोर्ट WEF और परामर्श फर्म मैकिन्से एंड कंपनी द्वारा तैयार की गई है। 

रिपोर्ट से मुख्य निष्कर्ष

  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की सर्वव्यापकता: इस रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि अंतरिक्ष और उपग्रह सक्षम प्रौद्योगिकियों के व्यापक रूप से उपयोग के कारण, अंतरिक्ष उद्योग और उस तक पहुँच वैश्विक अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े हिस्सों में से एक बन जाएगी।
    • इसमें मुख्य रूप से नेविगेशन एवं संचार शामिल है, जो पहले से ही लगभग प्रत्येक उद्योग में व्यापक हो गया है।
    • इसके अलावा, पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों और उनसे आने वाले डेटा से कई उद्योगों को मदद मिलने की उम्मीद है।
  • अतिरिक्त उद्योगों और कंपनियों का उद्भव: ये उपग्रह प्रौद्योगिकियों के कारण उभरे हैं, जिनमें दूरसंचार और राइड-हेलिंग अनुप्रयोग शामिल हैं, जो दोनों उपग्रह प्रौद्योगिकी पर निर्भर हैं।
  • अन्य उद्योगों पर प्रभाव: अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 60 प्रतिशत से अधिक वृद्धि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर निर्भर अन्य उद्योगों से होगी, जैसे कि भोजन और पेय, राज्य-प्रायोजित रक्षा और हथियार, उपभोक्ता सामान और जीवन शैली आदि।
  • वैश्विक चुनौतियों का शमन: राजस्व सृजन के अलावा, अंतरिक्ष उद्योग द्वारा सक्षम प्रौद्योगिकियाँ गर्म होती दुनिया में वैश्विक चुनौतियों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
    • उदाहरण: आपदा चेतावनी प्रणाली, जलवायु निगरानी, संसाधन से निपटने के लिए पृथ्वी अवलोकन आदि।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (Space Economy) क्या है?

  • OECD द्वारा अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को गतिविधियों की पूरी शृंखला और संसाधनों के उपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है, जो अंतरिक्ष की खोज, शोध, समझ, प्रबंधन और उपयोग के दौरान मनुष्यों के लिए मूल्य एवं लाभ उत्पन्न करते हैं।
    • ‘अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था’ शब्द अंतरिक्ष में उपयोग के लिए अंतरिक्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को शामिल करता है।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में वर्तमान रुझान

  • अंतरिक्ष क्षेत्र में आर्थिक विकास: अंतरिक्ष रिपोर्ट 2022 का अनुमान है कि वर्ष 2021 में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था $469 बिलियन की थी, जो वर्ष 2020 से 9% की वृद्धि को दर्शाती है।
    • वर्ष 2040 तक वैश्विक अंतरिक्ष बाजार 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • राज्य समर्थित निवेश में वृद्धि: स्पेस फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में अंतरिक्ष परियोजनाओं में राज्य समर्थित निवेश में वृद्धि हुई है।
    • वर्ष 2021 में सैन्य और नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर कुल सरकारी खर्च में 19% की बढ़ोतरी हुई।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के संचालक

  • प्रक्षेपण लागत में कमी: उपग्रहों और रॉकेटों की प्रक्षेपण लागत में तेजी से और बड़ी गिरावट, जो पिछले 20 वर्षों में 10 गुना गिर गई है।
  • डेटा और कनेक्टिविटी की कीमत: वर्ष 2035 तक माँग 60 प्रतिशत बढ़ने के कारण इसमें भी कम-से-कम 10 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है।
  • वाणिज्यिक नवाचार: पृथ्वी-अवलोकन प्रौद्योगिकी के रिजॉल्यूशन में सुधार, जो बदले में उक्त प्रौद्योगिकियों तक पहुँच की कीमत को कम कर देता है।
  • प्रौद्योगिकियों का विविधीकरण: अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिकियों और अंतरिक्ष पर्यटन जैसी गतिविधियों का तेजी से विविधीकरण हो रहा है।
  • सांस्कृतिक जागरूकता: हाल के दिनों में अंतरिक्ष के प्रति सांस्कृतिक जागरूकता और सामान्य उत्साह भी भविष्य की पीढ़ियों के लिए अंतरिक्ष में रुचि का एक प्रमुख चालक है।
  • विस्तार के उत्प्रेरक
    • विभिन्न उद्योग अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के तीन प्रमुख पहलुओं में सुधार करके विकास और विविधीकरण के चालक और लाभार्थी दोनों हैं:-
      • समानीकरण।
      • प्रयोज्यता और पहुँच में आसानी बढ़ाना।
      • बढ़ती प्रौद्योगिकी के बारे में शिक्षा और जागरूकता।
    • भारत में कई स्टार्ट-अप के साथ नई अंतरिक्ष उद्यमिता (New Space Entrepreneurship) उभरी है, जो न्यू स्पेस का उपयोग करके बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कंज्यूमर सेगमेंट में एंड-टू-एंड सेवाओं की खोज में मूल्य तलाशती है।

भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

  • वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी: वर्तमान में भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का लगभग दो प्रतिशत हिस्सा है।
    • भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वैश्विक हिस्सेदारी में लगभग 8 प्रतिशत के साथ वर्ष 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की क्षमता रखती है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार: इसका अनुमान लगभग 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें से डाउनस्ट्रीम सेवा बाजार, मुख्य रूप से संचार और डेटा अनुप्रयोगों का, कुल अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का लगभग 80% हिस्सा है, जिसमें निजी क्षेत्र एक प्रमुख योगदानकर्ता है।
    • अपस्ट्रीम बाजार यानी उपग्रह और प्रक्षेपण संचालन में मुख्य रूप से सरकार का योगदान होता है, जिसमें निजी क्षेत्र उपप्रणालियों/घटकों के निर्माण और वितरण की दिशा में विक्रेता उन्मुख भूमिका निभाता है।
  • चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate- CAGR): विभिन्न बाजार सर्वेक्षणों के अनुसार, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8% की औसत CAGR के साथ बढ़ी है।
  • स्पेस स्टार्ट-अप की संख्या में वृद्धि: DPIIT स्टार्ट-अप इंडिया पोर्टल के अनुसार, स्पेस स्टार्ट-अप की संख्या वर्ष 2014 में सिर्फ 1 से बढ़कर वर्ष 2023 में 189 हो गई है।
    • भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप में निवेश 2023 में बढ़कर 124.7 मिलियन डॉलर हो गया है।
  • निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका: निजी कंपनियाँ उपग्रह आधारित संचार समाधान, उपग्रह एकीकरण और परीक्षण सुविधाओं की खोज कर रही हैं।
    • सैटेलाइट सबसिस्टम और ग्राउंड सिस्टम का स्थानीय विनिर्माण निजी क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है।
      • उदाहरण के लिए- स्पेसएक्स, वर्जिन गैलेक्टिक (Virgin Galactic), ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) और एरियनस्पेस (Arianespace) लॉन्च सेवाएँ और अंतरिक्ष पर्यटन प्रदान करते हैं।
  • सैटेलाइट लॉन्च में वृद्धि: इसरो द्वारा किए गए लॉन्च की संख्या में वृद्धि हुई है। 1990 के दशक से इसरो द्वारा लॉन्च किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से, 389 (90% से अधिक) पिछले नौ वर्षों में लॉन्च किए गए थे।
    • भारत ने विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 174 मिलियन डॉलर कमाए हैं।

भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम

  • भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023: यह अंतरिक्ष गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में गैर-सरकारी संस्थाओं (Non-Governmental Entities- NGEs) की शुरू से अंत तक भागीदारी को सक्षम बनाती है।
  • स्वचालित मार्ग के तहत FDI मानदंड: यह नीति उपग्रहों, जमीनी खंडों और उपयोगकर्ता खंडों के लिए घटकों, प्रणालियों और उपप्रणालियों के निर्माण के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति देती है।
    • संपूर्ण उपग्रह के निर्माण और संचालन के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 74 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति होगी।
  • सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत FDI मानदंड: सीमा से परे किसी भी चीज को सरकारी अनुमोदन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
  • सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत FDI मानदंड: सीमा से परे किसी भी चीज को सरकारी अनुमोदन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
    • वर्तमान नीति के तहत, उपग्रहों के निर्माण और संचालन में किसी भी विदेशी निवेश को केवल सरकारी मंजूरी के साथ ही अनुमति दी जाती है।
  • ASAT क्षमता: 27 मार्च 2019 को, भारत ने ‘मिशन शक्ति‘ नामक एक ऑपरेशन कोड के दौरान एक एंटी-सैटेलाइट हथियार का परीक्षण किया।
    • इस परीक्षण ने भारत को दुनिया में अब तक ऐसी क्षमता वाले देशों अमेरिका, रूस और चीन के बराबर खड़ा कर दिया है।
  • IndSpaceX: पहला टेबल-टॉप अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास (IndSpaceX) ने उन्नत बुद्धिमत्ता और मारक क्षमता के लिए एकीकृत उपग्रह संचार और टोही का प्रदर्शन किया।
  • रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DSA): वर्ष 2019 में, भारत ने DSA और रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (DSRO) की स्थापना की।
    • DSRO, अमेरिकी लड़ाकू कमांड के समान, सैन्य शाखाओं में अंतरिक्ष संपत्तियों का समन्वय करता है।
    • DSA, एक अनुसंधान संगठन, सैन्य अनुप्रयोगों के लिए नागरिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एकीकृत करता है।
  • चंद्रयान-3: चंद्रमा की सतह पर रोबोटिक लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया गया।
  • आदित्य L1 मिशन: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना पहला अंतरिक्ष-आधारित मिशन आदित्य L-1 लॉन्च किया।
  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: भारत की योजना वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian space station) स्थापित करने और वर्ष 2040 तक पहले भारतीय को चंद्रमा पर ले जाने की है।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था द्वारा प्रस्तुत अवसर

  • वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाना: एक अंतरिक्ष स्टेशन भारत को खगोल विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिकी, चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान करने में सक्षम बनाता है।
    • यह विभिन्न घटनाओं और प्रक्रियाओं पर सूक्ष्म गुरुत्व और अंतरिक्ष पर्यावरण के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगा।
    • एक अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग के लिए नई प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों के विकास तथा परीक्षण की सुविधा भी प्रदान करेगा।
  • राष्ट्र की प्रतिष्ठा को बढ़ाना: यह अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियों और क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा तथा मानवता की सीमाओं को आगे बढ़ाने में इसकी प्रतिबद्धता एवं नेतृत्व को प्रदर्शित करेगा।
    • यह वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और खोजकर्ताओं की अगली पीढ़ी को प्रेरित और प्रोत्साहित करेगा। एक अंतरिक्ष स्टेशन भारतीयों के बीच राष्ट्रीय पहचान और गौरव की भावना को भी बढ़ावा देगा।
  • वैश्विक सहयोग और शांति को बढ़ावा देना: यह अंतरिक्ष में अन्य देशों और संगठनों के साथ सहयोग तथा आदान-प्रदान के अवसर प्रदान करेगा।
    • इससे प्रतिभागियों के बीच सहयोग और आपसी समझ की भावना को बढ़ावा मिलेगा तथा बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में योगदान मिलेगा।
    • यह सतत् विकास और सामाजिक कल्याण के वैश्विक लक्ष्यों का भी समर्थन करेगा।
  • अंतरिक्ष खनन: क्षुद्रग्रह उद्योगों के लिए महत्त्वपूर्ण बहुमूल्य संसाधनों से समृद्ध हैं। वे प्रचुर भंडार के साथ एक विकल्प प्रदान करते हैं, निष्कर्षण के दौरान वन्यजीवों को होने वाले नुकसान से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताओं से बचते हैं।
    • अंतरिक्ष खनन इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनलों, पवन ऊर्जा और इलेक्ट्रिक कार घटकों में आवश्यक महत्त्वपूर्ण धातुओं की माँग से प्रेरित है।

भारत में अंतरिक्ष विधान

  • सैटकॉम नीति: इसका उद्देश्य भारत में एक स्वस्थ और संपन्न संचार उपग्रह तथा जमीनी उपकरण उद्योग के साथ-साथ उपग्रह संचार सेवा उद्योग विकसित करना है।
  • रिमोट सेंसिंग डेटा नीति (Remote Sensing Data Policy- RSDP) 2011: यह गैर-सरकारी उपयोगकर्ताओं द्वारा उपग्रह रिमोट सेंसिंग डेटा के अधिग्रहण और वितरण को नियंत्रित करती है, जिसे भारतीय उपग्रह या विदेशी उपग्रह के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

भारत में अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए नियामक ढाँचा

  • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा किया जाता है, जो सभी कार्यों को नियंत्रित करता है और अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर नियंत्रण रखता है।
    • अंतरिक्ष आयोग भारत की अंतरिक्ष नीति तैयार करने का प्रभारी है।
    • इस नीति के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी अंतरिक्ष विभाग की है।
    • अंतरिक्ष क्षेत्र में अनुसंधान और विकास मुख्य रूप से इसरो के माध्यम से किया जाता है।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के विकास में चुनौतियाँ

  • अंतरिक्ष मलबा: नासा के अनुसार, एक मिलीमीटर या उससे बड़े आकार के अंतरिक्ष मलबे के 100 मिलियन से अधिक टुकड़े पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं।
    • इस मलबे में गैर-कार्यात्मक अंतरिक्ष यान, परित्यक्त उपकरण और 17,500 मील प्रति घंटे (28,160 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से यात्रा करने वाला मिशन संबंधित मलबा शामिल हो सकता है।
    • यहाँ तक कि मलबे का एक छोटा-सा टुकड़ा भी किसी उपग्रह या अंतरिक्ष यान को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • स्टार्टअप्स के लिए विनियामक पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव: विनियामक स्पष्टता के अभाव में भारत में स्टार्ट-अप्स अभी भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं।
    • इसलिए, उन्हें एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र, त्वरक, इनक्यूबेटर, उद्यम पूँजीपतियों और सलाहकारों की संस्कृति की आवश्यकता है, जो बेंगलुरु जैसे शहरों में मौजूद है, जहाँ अधिकांश नए अंतरिक्ष स्टार्ट-अप फले-फूले हैं।
    • अंतरिक्ष में भारत के प्रभुत्व को बढ़ाने के लिए भारत को इन स्टार्ट-अप को पूर्ण उद्योगों में बदलना होगा।
  • साइबर हमले: अंतरिक्ष एजेंसियों सहित महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर संभावित हमलों के बारे में भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद द्वारा उठाई गई चिंताओं के बावजूद, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति के मसौदे में अंतरिक्ष सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में न्यूनतम हिस्सेदारी: वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2% अनुमानित है।
    • भारतीय सेवाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले एक-तिहाई से अधिक ट्रांसपोंडर विदेशों से पट्टे पर लिए जाते हैं और माँग बढ़ने के साथ यह अनुपात भी बढ़ेगा।
    • इस प्रकार, भारत को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भागीदारों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
  • अज्ञात विसंगतिपूर्ण घटना (Unidentified Anomalous Phenomena- UAP): भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police- ITBP) ने लगातार यूएपी देखे जाने की सूचना दी है। UAP मुद्दे को संबोधित करने में भारत अन्य देशों से काफी पीछे है।
    • UAP गैर-मानवीय (एलियन) बुद्धिमत्ता से जुड़ी उड़ने वाली वस्तुओं को दर्शाता है।
  • मानव अंतरिक्ष उड़ान विशेषज्ञता: भारत में मानव अंतरिक्ष उड़ान में अनुभव की कमी है, जो अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक है।
  • अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को खतरे: सही सुरक्षा उपकरणों और सावधानियों के बिना अंतरिक्ष वातावरण घातक हो सकता है।
    • सबसे बड़ा खतरा बंद वातावरण में ऑक्सीजन और दबाव की कमी है, सेरेब्रल निलय (Cerebral Ventricles) का विस्तार, परिवर्तित गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, विकिरण और अलगाव एवं परिरोध के मनोवैज्ञानिक प्रभाव।

अंतरिक्ष विभाग (DOS) के तहत एक स्वतंत्र स्वायत्त एजेंसी IN-SPACe ने भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के लिए अपनी दशकीय दृष्टि और रणनीति का अनावरण किया।

  • 10 प्रमुख रणनीतिक और सक्षम क्षमताएँ
    • माँग बढ़ना
    • पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) प्लेटफॉर्म 
    • संचार मंच
    • नेविगेशन प्लेटफॉर्म 
    • अनुसंधान एवं विकास
    • पारिस्थितिकी तंत्र
    • प्रतिभा पूल का निर्माण
    • वित्त तक पहुँच
    • अंतरराष्ट्रीय तालमेल एवं सहयोग
    • नीति एवं विनियमन

आगे की राह

  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति में अंतरिक्ष को एकीकृत करना: भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति में महत्त्वपूर्ण साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को एक साथ संरेखित करने की आवश्यकता है।
    • भारत को आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा और गृह मंत्रालय (भारत सरकार) के तहत साइबर सुरक्षा रेड और ब्लू टीमिंग अभ्यास को शामिल करते हुए बैंगनी क्रांति (Purple Revolution) को लागू करने की आवश्यकता है।
    • इसरो प्रत्येक दिन 100 से अधिक साइबर हमलों से बचाव करता है।
    • भारत को अमेरिका का अनुकरण करने और सैटेलाइट हैकिंग सैंडबॉक्स तैयार करने की आवश्यकता है, जिसका प्रयोग सिस्टम की कमजोरियों को खोजने के लिए किया जा सकता है।
  • अंतरिक्ष बजट बढ़ाना: अनुसंधान केंद्रों और अंतरिक्ष मानकों को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष बजट आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद के 0.04 प्रतिशत से बढ़ाकर कम-से-कम 0.5 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
  • भारतीय अंतरिक्ष लचीलापन एजेंसी: भारत को क्वाड के अंतरिक्ष सहयोग के भीतर अंतरिक्ष आपूर्ति शृंखला लचीलापन और सुरक्षा को बढ़ाना चाहिए, संयुक्त निगरानी और घटना प्रतिक्रिया अभ्यास के लिए एक केंद्रीय भारतीय अंतरिक्ष लचीलापन एजेंसी की स्थापना करनी चाहिए।
  • यूएपी के लिए स्थायी निकाय (Indian Space Resilience Agency): भारत को यूएपी अनुसंधान के लिए अमेरिका और ब्रिटेन की तरह रक्षा मंत्रालय के तहत या फ्राँसीसी मॉडल पर इसरो के तहत एक स्थायी निकाय स्थापित करना चाहिए।
    • भारत को भूमि, समुद्र और अंतरिक्ष निगरानी क्षमताओं को सिंक्रनाइज करते हुए सैन्य और नागरिक रिपोर्टों के लिए प्रोटोकॉल पेश करना चाहिए।
  • स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन: भारत को अपने उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम की सफलता के अनुरूप, रणनीतिक रूप से नवीन अंतरिक्ष लॉजिस्टिक्स समाधानों के लिए स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • अमेरिका और लक्जमबर्ग की तरह, एक आसान नियामक और कर व्यवस्था अंतरिक्ष उद्योग के विकास को काफी प्रोत्साहित करेगी।
  • अंतरिक्ष मलबे से सुरक्षा: वर्तमान में, भारत अपनी कक्षीय संपत्तियों पर खतरों का पता लगाने के लिए नासा द्वारा संकलित आँकड़ों पर निर्भर है। इस प्रकार, अंतरिक्ष मलबे से सुरक्षा के लिए संभावित खतरनाक मलबे को ट्रैक करने और कार्यात्मक हार्डवेयर के पाठ्यक्रम को बदलने की आवश्यकता है।
    • इंटर एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन कमेटी (Inter Agency Space Debris Coordination Committee- IADC) के साथ घनिष्ठ सहयोग और ऐसे उपग्रह निकायों का विकास करना, जो मामूली प्रभावों का सामना कर सकें, कुछ अन्य कदम हैं जो उठाए जा सकते हैं।
  • अंतरिक्ष क्षमताओं को आगे बढ़ाना: यह अंतरिक्ष-से-अंतरिक्ष संचालन के लिए हार्ड किल गाइडेड मिसाइल सिस्टम, जैमिंग डिवाइस, निर्देशित ऊर्जा हथियार और विद्युत चुंबकीय पल्स सिस्टम सहित परिष्कृत अंतरिक्ष-आधारित हथियार विकसित करके किया जा सकता है।
    • जैमर और निर्देशित ऊर्जा हथियार जैसे सॉफ्ट और हार्ड किल सिस्टम दोनों बाहरी अंतरिक्ष युद्ध के लिए महत्त्वपूर्ण घटक हैं।
  • अंतरिक्ष बल का निर्माण: उपग्रह नेटवर्क रक्षा को मजबूत करने और उभरते अंतरिक्ष सुरक्षा परिदृश्य में प्रतिद्वंद्वी नेटवर्क के खिलाफ जोरदार कार्रवाई करने के लिए, भारत अमेरिका की तरह एक अंतरिक्ष बल बना सकता है।
  • अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण: भारत को अंतरिक्ष यात्रियों की एक टीम को प्रशिक्षित करना होगा और अंतरिक्ष में उनकी सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करनी होगी।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.