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भारत का मसाला बाजार

Lokesh Pal March 11, 2025 01:57 183 0

संदर्भ 

मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक होने के बावजूद, भारत वैश्विक मसाला बाजार में केवल 0.7% हिस्सेदारी रखता है, जिसका मूल्य वर्ष 2024 में $14 बिलियन था।

  • इसकी तुलना में, चीन के पास वैश्विक मसाला बाजार का 12% और यू.एस.ए. के पास 11% हिस्सा है।

भारत का मसाला उद्योग

  • मूल्यांकन: भारत के मसाला उद्योग का मूल्य वर्ष 2024 में 24 बिलियन डॉलर था और 10.56% की CAGR से बढ़ते हुए, वर्ष 2033 में इसके 61 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है।
  • मसाला बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार, भारत वर्तमान में 4.4 बिलियन डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात करता है और वर्ष 2030 तक निर्यात का हिस्सा 10 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2047 तक 25 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

वर्तमान मसाला निर्यात परिदृश्य

  • भारत 4.5 बिलियन डॉलर मूल्य के 1.5 मिलियन टन मसालों का निर्यात करता है, जो वैश्विक मसाला बाजार ($20 बिलियन) का 25% है।
  • भारत के मसाला निर्यात का केवल 48% मूल्य वर्द्धित उत्पाद हैं, जबकि 52% साबुत मसालों के रूप में निर्यात किए जाते हैं।
  • देश वर्तमान में 180 से अधिक देशों को 225 मसाला उत्पाद निर्यात करता है।
  • भारत से सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले मसाले लाल मिर्च, जीरा और हल्दी हैं।
  • प्रमुख निर्यात गंतव्य: प्रमुख निर्यात गंतव्य चीन, यूएसए, बांग्लादेश, यूएई, मलेशिया, यूके, थाईलैंड, सऊदी अरब और जर्मनी हैं।

मसालों के बारे में

  • मसाले प्राकृतिक पौधे पदार्थ हैं, जो भोजन और पेय पदार्थों के स्वाद, सुगंध और रंग को बढ़ाते हैं। उदाहरण: दालचीनी, जीरा, पिपरिका, हल्दी, लौंग और काली मिर्च आदि।
    • कई मसालों में औषधीय गुण होते हैं, जैसे कि संक्रमणरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी प्रभाव। वे व्यंजनों को विदेशी और मनमोहक स्वादों से परिपूर्ण करते हैं, जिससे वे व्यंजनों में प्रयोग हेतु आवश्यक बन जाते हैं।
  • भारत विविध कृषि जलवायु क्षेत्रों वाला देश है, जो देश को अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) द्वारा सूचीबद्ध 109 विभिन्न मसाला किस्मों में से 76 का उत्पादन करने में मदद करता है।
    • भारत में उगाए जाने वाले 85% मसालों की खपत घरेलू स्तर पर होती है।
  • भारत में प्रमुख मसाला उत्पादक क्षेत्र
    • दक्षिण भारत: काली मिर्च, इलायची, लौंग और करी पत्ते जैसे मसालों की खेती के लिए जाना जाता है।
    • उत्तर भारत: जीरा, धनिया और लाल मिर्च जैसे मसालों का महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता और उत्पादक।
    • पश्चिम और मध्य भारत
      • मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक राज्य है।

उत्पाद प्रकार के आधार पर भारत के मसाला बाजार का विभाजन

  • शुद्ध मसाले: भारतीय मसाला बाजार में शुद्ध मसालों का प्रभुत्व रहा है।
    • इसमें हल्दी, जीरा, धनिया और मिर्च जैसे एकल घटक मसाले शामिल हैं।
  • मिश्रित मसाले: बढ़ता हुआ योगदान
    • इस श्रेणी में विशिष्ट व्यंजनों और व्यंजनों के लिए तैयार किए गए विभिन्न मसालों के मिश्रण शामिल हैं, जिससे उपभोक्ता मसालों के व्यापक ज्ञान की आवश्यकता के बिना आसानी से पारंपरिक स्वादों का निर्माण करते हैं।
    • सुविधा और विकसित उपभोक्ता वरीयताओं के कारण माँग में वृद्धि।
    • उदाहरण: गरम मसाला, चाट मसाला मिश्रण आदि।

भारतीय मसाला बाजार की वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारक

  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विस्तार: नवीनतम स्वादों और प्रामाणिक व्यंजनों की बढ़ती माँग मसालों की खपत को बढ़ा रही है।
    • खाद्य एवं पेय (F & B) क्षेत्र में नृजातीय और पारंपरिक स्वाद की माँग तेजी से बढ़ रही है।
  • पारंपरिक व्यंजनों में मसालों का अधिक उपयोग: पारंपरिक खाना पकाने में मिर्च, हल्दी, जीरा आदि जैसे पारंपरिक मसालों की माँग बढ़ रही है।
  • सुविधाजनक पैकेजिंग की ओर बदलाव: उपभोक्ता आसान भंडारण और सुविधा के लिए छोटे और पुनः सील किए जा सकने वाले पाउच पसंद करते हैं। यह प्रवृत्ति मसाला उद्योग में पैकेजिंग नवाचारों को प्रभावित कर रही है।
  • प्राकृतिक और जैविक मसालों की बढ़ती माँग: ‘सिंथेटिक एडिटिव्स’ के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण उपभोक्ता जैविक और प्राकृतिक मसालों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

भारतीय मसाला बोर्ड, CRES और विश्व मसाला संगठन (World Spice Organisation-WSO)

  • परिचय: भारतीय मसाला बोर्ड वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक वस्तु बोर्ड है, जो मसालों और मसाला उत्पादों की निर्यात संवर्द्धन गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है।
    • भारतीय मसाला बोर्ड का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 10 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करना है।
    • इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, भारत को मूल्य-वर्द्धित मसालों में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 48% से बढ़ाकर 70% करने की आवश्यकता है।
  • मसालों के निर्यातक के रूप में पंजीकरण प्रमाण-पत्र (Certificate of Registration as Exporter of Spices-CRES): यह भारतीय मसाला बोर्ड द्वारा जारी किया गया एक प्रमाण-पत्र है, जो प्रमाणित करता है कि मसालों का निर्यातक सरकार द्वारा अधिकृत नियामक एजेंसी के साथ पंजीकृत है।

विश्व मसाला संगठन (World Spice Organisation-WSO)

  • परिचय: यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो त्रावणकोर कोचीन साहित्यिक, वैज्ञानिक और धर्मार्थ सोसायटी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत है।
  • स्थापना: WSO की स्थापना वर्ष 2011 में कोच्चि, केरल में हुई थी, जिसे भारत की मसाला राजधानी के रूप में जाना जाता है।
  • उद्देश्य: खाद्य सुरक्षा और स्थिरता चुनौतियों का समाधान करने में मसाला उद्योग की सुविधा प्रदान करना।

भारतीय मसाला बाजार के विकास के लिए सरकारी योजनाएँ

  • SPICED योजना: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन भारतीय मसाला बोर्ड ने SPICED योजना (निर्यात विकास के लिए प्रगतिशील, नवीन और सहयोगात्मक हस्तक्षेप के माध्यम से मसाला क्षेत्र में स्थिरता) का अनावरण किया है।
    • उद्देश्य: मसालों के निर्यात को बढ़ावा देना और इलायची की उत्पादकता में सुधार करना।
    • बजट: वित्त वर्ष 2025-26 तक कार्यान्वयन के लिए 422.30 करोड़ रुपये।
    • अवधि: योजना को 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान लागू किया जाएगा, जो वित्त वर्ष 2025-26 में समाप्त होगा।
    • लाभार्थी समूह: योजना में किसान समूहों (FPO, FPC, SHG), एससी/एसटी समुदायों, SME (विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्रों से) और निर्यातकों को सहायता संबंधी प्राथमिकता दी जाती है।
  • मसाला पार्क: भारतीय मसाला बोर्ड ने प्रमुख उत्पादक/बाजार केंद्रों में 8 फसल विशिष्ट मसाला पार्क स्थापित किए हैं।
    • मसाला पार्क को मसालों और मसाला उत्पादों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन के लिए एक औद्योगिक पार्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रसंस्करण सुविधाएँ प्रदान करता है।
    • भारत में मसाला पार्क के स्थान
      • छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश: लहसुन और मिर्च
      • पुट्टाडी, केरल: काली मिर्च और इलायची
      • जोधपुर, राजस्थान: जीरा और धनिया
      • गुना, मध्य प्रदेश: धनिया
      • गुंटूर, आंध्र प्रदेश: मिर्च
      • शिवगंगा, तमिलनाडु: हल्दी और मिर्च
      • कोटा, राजस्थान: धनिया और जीरा
      • रायबरेली, उत्तर प्रदेश: पुदीना।
  • कोडेक्स कमेटी ऑन स्पाइसेस एंड क्यूलिनरी हर्ब्स (Codex Committee on Spices and Culinary Herbs-CCSCH): CCSCH, कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन की एक सहायक संस्था है, जो खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्थापित एक वैश्विक खाद्य मानक-निर्धारण निकाय है।
    • इस आयोग का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देने वाले अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानकों को विकसित करना है।
    • भारत वर्ष 1964 से इसका सदस्य है।

भारतीय मसाला बाजार में चुनौतियाँ

  • मिलावट और गुणवत्ता संबंधी चिंताएँ: व्यापक मिलावट और असंगत गुणवत्ता, उपभोक्ता के विश्वास तथा बाजार की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती है।
    • उदाहरण: हांगकांग और सिंगापुर ने MDH और एवरेस्ट समूह के कुछ मसाला मिश्रण उत्पादों में कथित तौर पर स्टरलाइजिंग ‘एजेंट एथिलीन ऑक्साइड’ (ETO) के निर्धारित स्तर से अधिक पाए जाने के कारण इन्हें वापस कर दिया।
  • कम मूल्य संवर्द्धन: मसालों का सीमित प्रसंस्करण, पैकेजिंग लाभप्रदता और निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कम करता है।
    • उदाहरण: अधिकांश भारतीय मसालों को कच्चे रूप में निर्यात किया जाता है, जबकि यू.ए.ई. और जर्मनी जैसे देश उच्च मूल्य की बिक्री के लिए उन्हें पुनः संसाधित और पुनः पैक करते हैं।
  • उच्च उत्पादन लागत: बढ़ती इनपुट लागत और श्रम व्यय, समग्र लाभप्रदता को प्रभावित करते हैं।
    • उदाहरण: श्रम व्यय में वृद्धि और उर्वरकों तथा कीटनाशकों की उच्च लागत ने केरल तथा कर्नाटक जैसे राज्यों में मसालों की खेती को महँगा बना दिया है।
  • बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा: वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे मसाला उत्पादक देश मजबूत प्रतिस्पर्द्धी के रूप में उभर रहे हैं। हाल ही में अफ्रीका ने मसाला उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश किया है।
    • उदाहरण: काली मिर्च के निर्यात में वियतनाम के प्रभुत्व ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की हिस्सेदारी को कम कर दिया है।
  • पारंपरिक वितरण चुनौतियाँ: पारंपरिक वितरण चैनलों पर अत्यधिक निर्भरता खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक खुदरा व्यापार की पहुँच को सीमित करती है।
    • उदाहरण: कई छोटे मसाला व्यापारी अभी भी असंगठित बाजारों में कार्य करते हैं, जिससे लगातार गुणवत्ता और आपूर्ति शृंखला दक्षता सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है।
  • जलवायु परिवर्तन और कीटों का प्रभाव: अप्रत्याशित मौसम, कीट और रोग मसालों की उपज तथा गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
    • उदाहरण: अनियमित मानसून और कवक जनित बीमारियों ने केरल में इलायची के उत्पादन को प्रभावित किया है, जिससे आपूर्ति में कमी आई है।

आगे की राह

  • उत्पादन क्षमता में वृद्धि और लागत में कमी: उपज बढ़ाने और उत्पादन लागत कम करने के लिए आधुनिक कृषि तकनीक, मशीनीकरण तथा अनुकूलित आपूर्ति शृंखला प्रबंधन को लागू करना।
    • उदाहरण: गुजरात में परिशुद्ध कृषि और ड्रिप सिंचाई ने जल के उपयोग को कम करते हुए जीरे की पैदावार में सुधार किया है।
  • गुणवत्ता नियंत्रण और सतत् कृषि में वृद्धि करना: उदाहरण: जैविक प्रमाणीकरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय मसाला बोर्ड की पहल ने कीटनाशक मुक्त हल्दी के निर्यात को बढ़ावा दिया है।
  • जलवायु-प्रतिरोधी और उच्च उपज वाली मसाला किस्मों का विकास करना: सूखा-प्रतिरोधी और रोग-सहिष्णु मसाला फसलों को प्रस्तुत करने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश करना।

बीजीय मसालों (Seed Spices) के बारे में

  • बीजीय मसाले विभिन्न पौधों के सूखे बीजों से प्राप्त मसालों की एक श्रेणी है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। 
  • इनमें धनिया, जीरा, सौंफ, मेथी, सरसों, डिल, कैरवे, अजवाइन और निगेला आदि शामिल हैं।

    • उदाहरण: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) और राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केंद्र ने जीरा और धनिया की उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो जलवायु तनाव के प्रति प्रतिरोधी हैं।
  • नवाचार और उत्पाद विकास: अद्वितीय मसाला मिश्रण और मूल्य वर्द्धित उत्पाद प्रस्तुत करने के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश करना।
    • उदाहरण: MDH और एवरेस्ट ने बदलते स्वाद को ध्यान में रखते हुए शाही पनीर मसाला और किचन किंग मसाला जैसे मसाला मिश्रण लॉन्च किए हैं।
  • बीज मसाला खेती का विस्तार: बीज मसाला मूल्य को बढ़ावा देने, माँग को पूरा करने और निर्यात का विस्तार करने के लिए अनुसंधान तथा विकास को बढ़ाना।
    • राजस्थान और गुजरात के अतिरिक्त इसकी कृषि को बढ़ावा देना, जहाँ राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र अर्थात् कोटा, बाराँ, बूँदी और झालावाड़ जिले अकेले धनिया के बीज का 70% से अधिक का योगदान देते हैं।
  • न्यूट्रास्यूटिकल और फार्मास्यूटिकल क्षमता की खोज: भारत को मसालों के न्यूट्रास्यूटिकल और फार्मास्यूटिकल मूल्य की खोज करनी चाहिए ताकि मूल्य वर्द्धन हो सके।
    • आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में पहले से ही कई मसालों का उपयोग किया जाता है।
  • भारत के मसाला क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नति: IoT, ब्लॉकचेन और रोबोटिक्स को अपनाने से भारत के मसाला क्षेत्र में पारदर्शिता, पता लगाने की क्षमता और दक्षता में वृद्धि हुई है। ये उन्नति वैश्विक माँग को तेजी से पूरा करने में मदद करती है और साथ ही भारतीय मसालों में विश्वास को मजबूत करती है।

निष्कर्ष

भारत का मसाला बाजार, जो विश्व का सबसे बड़ा बाजार है, अपनी विविधतापूर्ण, उच्च गुणवत्ता वाली उपज और मजबूत वैश्विक माँग के कारण सशक्त रूप से अपनी उपस्थित दर्ज कराता है। ब्रांडिंग, सतत् कृषि और नवाचार के लिए भौगोलिक संकेतक (GI) टैग वाले मसालों का लाभ उठाने से इसकी निरंतर वृद्धि और वैश्विक प्रभुत्व सुनिश्चित होगा।

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