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भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता 500 गीगावाट से अधिक

Lokesh Pal October 31, 2025 02:49 56 0

संदर्भ 

भारत के ऊर्जा क्षेत्र ने हाल ही में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जो देश के स्वच्छ ऊर्जा और नेट-जीरो संक्रमण लक्ष्यों की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उपलब्धि के बारे में

  • क्षमता: भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता 500 गीगावाट (GW) के आँकड़े को पार कर चुकी है और इतिहास में पहली बार, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों ने एक ही दिन में देश की 50% से अधिक बिजली की माँग पूरी की।
  • भारत का ऊर्जा क्षेत्र
    • कुल स्थापित क्षमता: 500.89 गीगावाट

    • गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत: 256.09 गीगावाट (कुल का लगभग 51%)
      • सौर ऊर्जा: 127.33 गीगावाट
      • पवन ऊर्जा: 53.12 गीगावाट
      • जल विद्युत: 65.64 गीगावाट (लगभग, व्युत्पन्न)
      • परमाणु ऊर्जा: 10 गीगावाट (लगभग)।
    • जीवाश्म ईंधन-आधारित स्रोत: 244.80 गीगावाट (कुल का लगभग 49%)।
  • इस प्रकार, भारत ने वर्ष 2030 तक कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50 प्रतिशत भाग गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने के COP-26 के लक्ष्य को नियत समय से पाँच वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया है।

वैश्विक स्थिति

  • नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में विश्व में चौथा स्थान, चीन, अमेरिका और ब्राजील के बाद।
  • सौर ऊर्जा में तीसरा स्थान और पवन ऊर्जा में चौथा स्थान (IRENA RE सांख्यिकी 2025 के अनुसार)।
  • भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में 76.37 GW से बढ़कर जून 2025 में 226.79 GW हो गई जो लगभग तीन गुना वृद्धि दर्शाती है।

उपलब्धि का महत्त्व

  • ऊर्जा सुरक्षा:  ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाकर आयातित जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटती है।
  • जलवायु नेतृत्व: भारत को वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों की प्राप्ति में एक प्रमुख भागीदार के रूप में सशक्त बनाता है। यह भारत के पेरिस समझौते के तहत अद्यतित NDC लक्ष्यों का भी समर्थन करता है।
  • आर्थिक विकास: स्वच्छ ऊर्जा अवसंरचना और प्रौद्योगिकी में निवेश एवं नवाचार के नए अवसर उत्पन्न करता है।
  • ग्रामीण विकास: वितरित सौर, पवन और लघु जलविद्युत परियोजनाएँ स्थानीय रोजगार और आय में वृद्धि करती हैं।

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि के प्रमुख कारक

  • पीएम सूर्य घर योजना: 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने का लक्ष्य, जिससे प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सके।
  • पीएम-कुसुम योजना (PM-KUSUM):  किसानों को सौर पंप और ग्रिड-संयुक्त संयंत्र लगाने में सहायता करना, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और डीजल पर निर्भरता में कमी लाना।
  • उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme): उच्च दक्षता वाले सौर PV मॉड्यूल्स के घरेलू निर्माण को बढ़ावा, ताकि आयात पर निर्भरता घटे और सौर मूल्य शृंखला सशक्त हो।
  • सौर पार्क योजना: ग्रिड से जुड़ी बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित करने का लक्ष्य  मार्च 2026 तक 40 GW का है।
  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति: भूमि के बेहतर उपयोग और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति हेतु पवन और सौर प्रणालियों के एकीकरण को बढ़ावा देना।
  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर योजना: उत्पादन स्थलों से उपभोग केंद्रों तक नवीकरणीय बिजली के दक्षतापूर्ण वितरण हेतु बुनियादी ढाँचा विकसित करना।
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य, जो औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन के लिए है।

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