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स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली

Lokesh Pal August 26, 2025 04:14 12 0

संदर्भ

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट पर स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (Indigenous Integrated Air Defence Weapon System- IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया।

संबंधित तथ्य

  • यह परीक्षण भारत के आत्मनिर्भर, बहुस्तरीय रक्षा कवच की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जो स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित मिशन सुदर्शन चक्र का हिस्सा है।

मिशन सुदर्शन चक्र के बारे में

  • उद्देश्य: दुश्मन के हमलों को अप्रभावी करने और प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई करने के लिए वर्ष 2035 तक एक स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करना।
  • कवरेज: अस्पताल, रेलवे, धार्मिक केंद्र और अन्य महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे सहित रणनीतिक और नागरिक क्षेत्र।
  • प्रेरणा: भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र के नाम पर, जो सुरक्षा कवच का प्रतीक है।
  • समय-सीमा: 10 वर्षों के भीतर (वर्ष 2035 तक) पूर्ण परिचालन क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य।

IADWS क्या है?

  • एक स्वदेशी बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली।
  • इसमें शामिल हैं:
    • क्विक रिएक्शन ‘सरफेस-टू-एयर’ मिसाइल (QRSAM)।
    • वेरी शोर्ट रेंज एयर डिफेन्स सिस्टम  (VSHORADS)।
    • हाई पॉवर लेजर बेस्ड डाइरेक्टड एनर्जी वेपन (High-power laser-based Directed Energy Weapon- DEW)।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL), हैदराबाद द्वारा विकसित एक केंद्रीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र द्वारा नियंत्रित।
  • परीक्षणों के दौरान सभी घटकों ने त्रुटिहीन प्रदर्शन किया, जिसकी पुष्टि एकीकृत परीक्षण रेंज, चाँदीपुर द्वारा की गई।

क्विक रिएक्शन ‘सरफेस-टू-एयर’ मिसाइल (QRSAM)

  • भूमिका: कम दूरी की ‘सरफेस-टू-एयर’ मिसाइल प्रणाली, यह सेना की गतिशील टुकड़ियों को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करती है।
    • अत्यधिक गतिशील प्लेटफॉर्म पर ‘कॉन्फिगर’ किया गया।
  • विशेषताएँ: “ट्रैक ऑन मूव” और “सर्च ऑन मूव” के साथ सर्च एंड ट्रैकिंग क्षमता।
  • रेंज: 3 किमी. से 30 किमी.।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित।
  • घटक
    • स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली।
    • दो रडार: एक्टिव ऐरे बैटरी सर्विलांस रडार और एक्टिव ऐरे बैटरी मल्टीफंक्शन रडार (360-डिग्री कवरेज)।
    • मिसाइल लॉन्चर।

वेरी शोर्ट रेंज एयर डिफेन्स सिस्टम  (VSHORADS)

  • प्रकार: चौथी पीढ़ी का मैन पोर्टेबल एयर डिफेन्स सिस्टम (MANPAD)।
  • भूमिका: सेना, नौसेना और वायु सेना की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • क्षमता: ड्रोन और हवाई लक्ष्यों जैसे खतरों को निष्क्रिय करता है।
  • सीमा: 300 मीटर से 6 किमी.।
  • विकसितकर्ता: रिसर्च सेंटर इमारत (RCI), हैदराबाद

निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapon- DEW)

  • विकसितकर्ता: उच्च ऊर्जा प्रणाली एवं विज्ञान केंद्र (CHESS), हैदराबाद।
  • प्रकार: व्हीकल माउंटेड – लेजर ड्यूल-एयर (DEW) MK-II(A)।
  • प्रदर्शन: संरचनात्मक क्षति पहुँचाकर तथा सेंसरों को निष्क्रिय करके UAV और ड्रोन को सफलतापूर्वक नष्ट किया।
  • सीमा: 3 किमी. से कम।
  • महत्त्व: भारत को ड्यूल-एयर (DEW) क्षमता युक्त कुछ वैश्विक शक्तियों में शामिल करता है।

IADWS का रणनीतिक महत्त्व

  • कवरेज: 30 किलोमीटर के दायरे में हवाई खतरों को अप्रभावी करने की क्षमता, उच्च गति से लेकर कम गति, फिक्स्ड-विंग से लेकर रोटरी-विंग विमानों और ड्रोन तक।
  • स्वदेशी प्रणाली: यह पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली कमान और नियंत्रण हथियारों का प्रतिनिधित्व करती है।
    • इसे एक रणनीतिक परिसंपत्ति के रूप में देखा जाता है, जो भारत के रक्षा कवच को मजबूत करती है।
  • भविष्य की संभावना: निचली सीमाओं पर किए गए पहले परीक्षण को भविष्य के व्यापक राष्ट्रीय रक्षा कवच, मिशन सुदर्शन चक्र की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

विश्व की वायु रक्षा प्रणालियाँ

  • रूस: S-400 ट्रायंफ, S-500 प्रोमेटी
  • अमेरिका: पैट्रियट (PAC-3), THAAD (टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस)
  • इजरायल: आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग
  • चीन: HQ-9, HQ-19।

वायु रक्षा प्रणालियों का कार्य तंत्र

  • डिटेक्टशन: रडार विद्युत चुंबकीय तरंगें प्रसारित करता है, जो हवाई वस्तुओं से परावर्तित होकर उनकी पहचान और स्थान निर्धारण में मदद करती हैं।
  • ट्रैकिंग: रडार और सेंसर के माध्यम से निरंतर निगरानी लक्ष्य की गति, ऊँचाई और दिशा निर्धारित करती है।
  • अवरोधन: यह प्रणाली कमांड केंद्रों से रियल टाइम में मार्गदर्शन के आधार पर खतरे को अप्रभावी करने के लिए इंटरसेप्टर (SAM  या लड़ाकू विमान) लॉन्च करती है।
  • कमांड, नियंत्रण और संचार (C3): निर्बाध समन्वय तेजी से निर्णय लेने और उभरते खतरों पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।

वायु रक्षा के प्रमुख घटक

  • सरफेस टू एयर मिसाइलें (SAM): ये सतही मिसाइल प्रणालियाँ हैं, जो अलग-अलग ऊँचाई और दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं। ये वायु रक्षा प्रणाली का आधार हैं।
  • एंटी एयरक्राफ्ट आर्टिलरी (AAA): कम दूरी की तोपें, जो रक्षा की अंतिम पंक्ति के रूप में प्रयोग की जाती हैं, और UAV एवं कम ऊँचाई पर उड़ने वाले विमानों के विरुद्ध प्रभावी होती हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) प्रणालियाँ: विद्युत चुम्बकीय विकिरण का उपयोग करके दुश्मन की पहचान और संचार प्रणालियों को बाधित करती है, धोखा या निष्क्रिय कर देती हैं।

भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों की सूची

श्रेणी सिस्टम का नाम मूल अधिकतम सीमा
लॉन्ग रेंज  S-400 ट्रायंफ रूस 400 किमी.
PAD (BMD  चरण-I) स्वदेशी 300–2000 किमी.
AAD (BMD चरण-I) स्वदेशी 150–200 किमी.
मीडियम रेंज  आकाश (AKASH) स्वदेशी 45 किमी.
बराक 8 (BARAK 8) भारत-इसरायल 100 किमी.
स्पाइडर (SPYDER)  इजरायल 20–50 किमी.
शोर्ट रेंज  QRSAM स्वदेशी 30 किमी.
2K12 Kub (Kvadrat) सोवियत संघ 24 किमी.
वेरी शोर्ट रेंज  स्ट्रेला (Strela)-10, तुंगुस्का (Tunguska), ZSU-23-4 सोवियत मूल 5 किमी. तक

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