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सिंधु जल संधि

Lokesh Pal September 20, 2024 03:01 4 0

संदर्भ

भारत ने सिंधु जल संधि में बदलाव का अनुरोध करने को लेकर पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है। 

संबंधित तथ्य

  • इस नोटिस में उल्लेख किया गया है कि विभिन्न परिस्थितियों में मौलिक परिवर्तन हुए हैं, जिसके कारण सिंधु जल संधि की समीक्षा की आवश्यकता है। 
  • जनवरी 2023 में भारत ने भी पाकिस्तान को इसी प्रकार का नोटिस भेजकर संधि में संशोधन को आग्रह किया था। 

सिंधु जल संधि के बारे में

  • सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच हिमालयी नदियों के जल-बँटवारे को लेकर किया गया एक समझौता है। 
    • दोनों देशों के बीच हुई इस संधि में विश्व बैंक ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।

  • इस समझौते पर वर्ष 1960 में कराची में तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी समकक्ष अयूब खान के द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।  
  • यह संधि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल के उपयोग को नियंत्रित करती है। 
  • संधि के प्रमुख प्रावधान
    • यह संधि दोनों देशों द्वारा जल के उचित उपयोग को सुनिश्चित करती है तथा नदियों पर परियोजनाओं के निर्माण के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करती है। 
    • इष्टतम जल उपयोग के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग और सद्भावना पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। 
    • इससे संबंधी आपसी विवादों को सुलझाने के लिए इस संधि के तहत स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) का गठन किया गया है।
    • यह संधि भारत-पाकिस्तान के मध्य हुए कई संघर्षों के बाद भी कायम रही है और संघर्ष समाधान के लिए एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करती है। 
    • स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission)
      • इसमें सहयोग और विवाद समाधान की निगरानी के लिए दोनों देशों के आयुक्त शामिल होते हैं। 
      • यह आयोग भारत-पाकिस्तान के मध्य हुए तीन युद्धों के दौरान भी सुचारू रूप से कार्य करता रहा है और यह वार्षिक निरीक्षण, डेटा का आदान-प्रदान और संबंधित बैठकें सुनिश्चित करता है। 
      • दोनों आयुक्त वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। 
      • हालाँकि ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती है।

इतिहास और पृष्ठभूमि

  • इस संधि ने वर्ष 1947-1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद उत्पन्न जल विवादों को सुलझाया।
    • वर्ष 1960 में संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद से दोनों देशों के बीच नदियों के जल को लेकर कोई युद्ध नहीं हुआ है। 
    • असहमति का समाधान अधिकांशतः संधि में परिभाषित कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। 

नदियाँ और जल का वितरण

  • पूर्वी नदियाँ (ब्यास, रावी, सतलुज): भारत इन नदियों पर प्रतिवर्ष 41 बिलियन क्यूबिक मीटर के कुल प्रवाह को नियंत्रित करता है। 
    • भारत को अधिकांश जल (80%) पूर्वी नदियों से प्राप्त होता है।
  • पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, चिनाब, झेलम): पाकिस्तान इन नदियों पर नियंत्रण रखता है, जिनका वार्षिक प्रवाह 99 बिलियन क्यूबिक मीटर है। 
    • पाकिस्तान को अधिकांश जल (80%) पश्चिमी नदियों से प्राप्त होता है। 
    • भारत पश्चिमी नदियों का उपयोग सीमित सिंचाई तथा गैर-उपभोग्य उद्देश्यों जैसे विद्युत उत्पादन और नौवहन के लिए कर सकता है। 

किशनगंगा परियोजना (Kishanganga Project)

  • यह जम्मू और कश्मीर में एक अपवाह नदी परियोजना है।
  • इस परियोजना की स्थापित क्षमता 330 मेगावाट है।
  • यह परियोजना किशनगंगा नदी से जल को झेलम नदी बेसिन में मोड़ती है।
  • यह परियोजना वर्ष 2007 में शुरू की गई थी।
  • यह परियोजना पाकिस्तान के साथ विवाद के कारण वर्ष 2011 में रोक दी गई थी।
    • पाकिस्तान का रुख: पाकिस्तान ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के निचले इलाकों में जल प्रवाह के लिए परियोजना के प्रयासों पर चिंता जताई थी।
  • हेग का स्थायी मध्यस्थता न्यायालय: वर्ष 2013 में, न्यायालय ने भारत को कुछ शर्तों के साथ जल को अन्य स्रोतों की तरफ मोड़ने की अनुमति दी। 

मुद्दे और चिंताएँ

  • रतले प्लांट विवाद: पाकिस्तान ने भारत के 850 मेगावाट रतले जलविद्युत संयंत्र पर आपत्ति जताई तथा मुद्दे को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की माँग की। 
    • बगलिहार पॉवर प्लांट (Baglihar Power Plant) और किशनगंगा प्लांट (Kishanganga Plant) जैसे विवादों का समाधान स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) या तटस्थ विशेषज्ञों के माध्यम से किया गया। 
  • भूजल उपयोग: पाकिस्तान पूर्वी नदियों (रावी एवं सतलुज) के भूजल का उपयोग करता है, लेकिन भारत इस पर कोई औपचारिक आपत्ति नहीं उठाता है।  
    • हालाँकि, यह पाकिस्तान द्वारा संधि का संभावित उल्लंघन है। 
    • भारत द्वारा जल का उपयोग करने या बाँध बनाने के प्रयासों को अक्सर पाकिस्तान की ओर से आपत्तियों का सामना करना पड़ता है।
      • तुलबुल नेविगेशन परियोजना ऐसे विवाद का एक उदाहरण है। 
    • कच्छ में बाढ़: पाकिस्तान द्वारा नदी पर निर्माण कार्यों के कारण भारत के कच्छ के रण में बाढ़ आ गई, जो संधि का उल्लंघन है।

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