100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

मुद्रास्फीति

Lokesh Pal September 24, 2025 02:54 63 0

संदर्भ

वर्ष 2025 में भारत की मुद्रास्फीति तेजी से घटने की संभावना है। अगस्त 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति 2.07% और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति 0.52% रहने का अनुमान है। इससे उपभोक्ताओं को तो राहत मिलेगी, लेकिन सरकारी वित्त के लिए चुनौतियाँ खड़ी होंगी, जो राजस्व, राजकोषीय घाटे और ऋण प्रबंधन को प्रभावित कर सकती हैं।

मुद्रास्फीति के बारे में

  • मुद्रास्फीति: यह अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि को संदर्भित करता है।
    • मुद्रास्फीति का मध्यम स्तर सामान्य है, लेकिन बहुत अधिक या बहुत कम मुद्रास्फीति आर्थिक निर्णयों को विकृत कर देती है।

मुद्रास्फीति के प्रकार

  • हेडलाइन मुद्रास्फीति (Headline Inflation): हेडलाइन मुद्रास्फीति किसी अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रास्फीति का एक माप है, जिसमें खाद्य और ऊर्जा की कीमतें (जैसे- तेल एवं गैस) जैसी वस्तुएँ शामिल हैं, जो आमतौर पर बहुत अधिक अस्थिर होती हैं और मुद्रास्फीति में वृद्धि की संभावना होती है।
    • भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को ‘हेडलाइन मुद्रास्फीति’ कहा जाता है।
  • कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation): ‘कोर मुद्रास्फीति’ वस्तुओं और सेवाओं की लागत में परिवर्तन है, लेकिन इसमें खाद्य तथा ऊर्जा क्षेत्रों की वस्तुएँ शामिल नहीं हैं।
    • मुद्रास्फीति की इस माप में ये वस्तुएँ शामिल नहीं हैं क्योंकि इनकी कीमतें बहुत अधिक अस्थिर होती हैं।
  • अवस्फीति (Disinflation): अवस्फीति, मुद्रास्फीति की दर में कमी को दर्शाती है, जिसका अर्थ है कि कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं, लेकिन धीमी गति से
  • मुद्रास्फीतिजनित मंदी (Stagflation): मुद्रास्फीतिजनित मंदी उच्च मुद्रास्फीति और स्थिर आर्थिक विकास का एक अनूठा संयोजन है, जिसके साथ उच्च बेरोजगारी भी होती है।
  • अपस्फीति (Deflation): यह मुद्रास्फीति के विपरीत है। यह अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के समग्र मूल्य स्तरों में निरंतर और सामान्य कमी को दर्शाता है।
    • सकारात्मक प्रभाव
      • कम ब्याज दरें उधार लेने और खर्च करने को प्रोत्साहित करती हैं।
      • बचत का मूल्य समय के साथ बढ़ता है।
      • व्यवसायों को कुशल बनने के लिए प्रेरित करता है।
      • निश्चित आय वालों (जैसे- सेवानिवृत्त) को लाभ होता है।
    • नकारात्मक प्रभाव
      • लोग खर्च करने में देरी करते हैं, जिससे आर्थिक मंदी और नौकरियाँ कम होती हैं।
      • व्यावसायिक राजस्व और लाभ में गिरावट आती है।
      • वास्तविक रूप से ऋण का बोझ और भी बढ़ जाता है।

मुद्रास्फीति का मापन

भारत में मुद्रास्फीति को मुख्यतः दो मुख्य सूचकांकों WPI (थोक मूल्य सूचकांक) और CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) – खुदरा मुद्रास्फीति के बारे में

  • CPI एक आधार वर्ष के संदर्भ में वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
  • संकलनकर्ता: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • आधार वर्ष: वर्ष 2012।
  • CPI के प्रकार: भारत में, सामान्य CPI (CPI-संयुक्त) के साथ-साथ, विभिन्न जनसंख्या समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खंड-विशिष्ट सूचकांक भी प्रकाशित किए जाते हैं:
    • CPI (IW): औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
    • CPI (AL): कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
    • CPI (RL): ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

थोक मूल्य सूचकांक (WPI)

  • WPI: यह खुदरा स्तर से पहले थोक मूल्यों में औसत परिवर्तन को मापता है।
  • क्षेत्र: यह केवल वस्तुओं को शामिल करता है, सेवाओं को छोड़कर।
  • संकलितकर्ता: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय (मासिक आधार पर)।
  • आधार वर्ष: वर्ष 2011-12 में।
  • बास्केट की संरचना: इसमें 697 वस्तुएँ शामिल हैं, जिन्हें तीन प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया गया है:
    • प्राथमिक वस्तुएँ (भार: 100 में से 22.618): इसमें 4 उप-समूह शामिल हैं: खाद्य वस्तुएँ; अखाद्य वस्तुएँ; खनिज; और कच्चा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस।
    • ईंधन और बिजली (सबसे कम भार: 100 में से 13.152): इसमें 3 उप-समूह शामिल हैं: कोयला; खनिज तेल; बिजली।
    • निर्मित उत्पाद (सबसे अधिक भार: 100 में से 64.230): इसमें 22 उप-समूह शामिल हैं।

बेस इफेक्ट (Base Effect)

  • परिभाषा: बेस इफेक्ट, वर्तमान मुद्रास्फीति या विकास दर की तुलना पिछले वर्ष (आधार वर्ष) में समान संकेतक के उच्च या निम्न स्तर से करने पर पड़ने वाले प्रभाव को संदर्भित करता है।
  • यदि आधार वर्ष में मुद्रास्फीति असामान्य रूप से अधिक रही हो, तो चालू वर्ष की मुद्रास्फीति कम दिखाई दे सकती है, भले ही कीमतें अभी भी बढ़ रही हों। इसी प्रकार, यदि आधार वर्ष में मुद्रास्फीति बहुत कम रही हो, तो चालू वर्ष की मुद्रास्फीति अधिक दिखाई दे सकती है।
    • उदाहरण: यदि पिछले वर्ष सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो गईं और इस वर्ष केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तो उच्च आधार के कारण मुद्रास्फीति दर बहुत कम दिखाई देगी, भले ही कीमतें अभी भी दो वर्ष पहले की तुलना में अधिक हों।

कम मुद्रास्फीति के कारक

  • आपूर्ति-पक्ष सुधार: मजबूत कृषि उत्पादन और बेहतर आपूर्ति शृंखलाएँ आवश्यक वस्तुओं की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद कर सकती हैं, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति कम रहेगी।
  • वैश्विक वस्तु प्रवृत्ति: कच्चे तेल, खाद्य तेलों और अन्य वस्तुओं की वैश्विक कीमतों में गिरावट घरेलू अर्थव्यवस्था पर आयातित मुद्रास्फीति के दबाव को कम कर सकती है।
  • मौद्रिक नीतिगत कदम: भारतीय रिजर्व बैंक के उपाय, जैसे- रेपो दर में वृद्धि, कठोर तरलता और व्यापक विवेकपूर्ण कदम, माँग-प्रेरित मुद्रास्फीति को कम कर सकते हैं।
  • मूल्य सूचकांक में आधार प्रभाव (बेस इफेक्ट): पिछले वर्ष का उच्च आधार चालू वर्ष की मुद्रास्फीति दरों को कम दिखाता है, भले ही कीमतें स्थिर हों या धीरे-धीरे बढ़ रही हों।
    • वर्ष 2024-25 के लिए नाॅमिनल GDP को 2 प्रतिशत बढ़ाकर 331 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।
    • इस संशोधन का अर्थ है कि सरकार को 357 लाख करोड़ रुपये के बजटीय आँकड़े तक पहुँचने के लिए वर्ष 2025-26 में केवल लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता है।
    • हालाँकि, अप्रैल-जून में नाॅमिनल वृद्धि पहले ही धीमी होकर 8.8 प्रतिशत पर आ गई है और इसके कम होने की उम्मीद है, जिससे संशोधित लक्ष्य को प्राप्त करना भी कठिन हो सकता है।

नाॅमिनल बनाम वास्तविक GDP (Nominal vs. Real GDP)

  • वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि (Real GDP Growth): मुद्रास्फीति के लिए समायोजित अर्थव्यवस्था की वृद्धि; वास्तविक उत्पादन वृद्धि को दर्शाती है।
    • आर्थिक उत्पादन को परिमाण के संदर्भ में मापता है; उत्पादन में वास्तविक वृद्धि दर्शाता है।
    • प्रभावकारी कारक: वास्तविक उत्पादन, माँग, उत्पादकता।
    • उत्पादन + मूल्य स्तर (मुद्रास्फीति)।
    • प्रत्याशित रुझान: कम मुद्रास्फीति के बावजूद उच्च वृद्धि (7.8%)।
  • नाॅमिनल GDP में वृद्धि: मौद्रिक दृष्टि से अर्थव्यवस्था की वृद्धि, मुद्रास्फीति के लिए समायोजित नहीं; वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को दर्शाती है।
    • अर्थव्यवस्था के कुल मौद्रिक आकार को मापता है; सरकारी राजस्व और राजकोषीय नियोजन के लिए महत्त्वपूर्ण।
    • प्रभावकारी कारक: उत्पादन + मूल्य स्तर (मुद्रास्फीति)।
    • अवलोकित रुझान: अपेक्षा से कम (8.8% बनाम 10.1% बजट अनुमान), कम मुद्रास्फीति के प्रभाव को दर्शाता है।

मुद्रास्फीति और GDP वृद्धि (Inflation and GDP Growth)

  • सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि: सकल घरेलू उत्पाद, किसी देश की सीमाओं के भीतर एक विशिष्ट अवधि, आमतौर पर एक वर्ष या एक तिमाही में उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को मापता है।
    • सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि यह दर्शाती है कि आय और उत्पादन के संदर्भ में अर्थव्यवस्था कितनी तीव्रता से विस्तार कर रही है।
  • अंतर्संबंध: मुद्रास्फीति सकल घरेलू उत्पाद के नाममात्र आकार को प्रभावित करती है, जबकि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद केवल मूल्य परिवर्तनों के लिए समायोजित उत्पादन वृद्धि को दर्शाता है।
    • राजकोषीय आधार के रूप में नाॅमिनल GDP: बजट गणनाएँ (कर राजस्व, राजकोषीय घाटा, ऋण-से-GDP अनुपात) नाॅमिनल GDP के आकार और वृद्धि से जुड़ी होती हैं।
    • बजट संबंधी मान्यताएँ: जब वित्त मंत्रालय केंद्रीय बजट तैयार करता है, तो वह आगामी वर्ष में नाॅमिनल GDP के लिए एक निश्चित वृद्धि दर मान लेता है।
      • उदाहरण: केंद्रीय बजट 2025-26 में 357 लाख करोड़ रुपये की नाॅमिनल GDP (10.1% वृद्धि) मान ली गई है।
    • यदि नाॅमिनल GDP के 10.1% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, तो इसका अर्थ है कि मौद्रिक रूप में समग्र आर्थिक गतिविधियाँ उतनी ही बढ़ रही है।
    • इसके बाद सरकार इस मान्यता के अनुरूप कर राजस्व का अनुमान लगाती है।
    • मुद्रास्फीति कम होने के कारण, इस वर्ष अब तक नाॅमिनल GDP वृद्धि अनुमान से कम रही है।
  • नाॅमिनल GDP दर को प्राप्त करना दो प्रमुख संकेतकों के लिए महत्त्वपूर्ण है: राजकोषीय घाटा और केंद्र सरकार का ऋण, दोनों को नाॅमिनल GDP के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है।
    • जब तक नाॅमिनल GDP दर प्राप्त हो जाती है, तब तक 4.4 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा लक्ष्य और 56.1 प्रतिशत का ऋण-GDP अनुपात अनुमान पूरा हो जाएगा (यह मानते हुए कि राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से अधिक नहीं है)।
  • राजस्व प्रभाव: जीएसटी, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर सहित कर संग्रह, केवल उत्पादन की भौतिक मात्रा के बजाय लेन-देन के मूल्य पर निर्भर करते हैं।
    • अप्रैल और जुलाई 2025 के बीच, सकल कर राजस्व में वर्ष-दर-वर्ष केवल 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि शुद्ध कर राजस्व पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.5 प्रतिशत कम हुआ।

क्या कम मुद्रास्फीति खराब स्थिति को दर्शाती है?

कम मुद्रास्फीति को आमतौर पर उपभोक्ताओं के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि यह क्रय शक्ति की रक्षा करती है। हालाँकि, इसका प्रभाव अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है।

  • सकारात्मक पक्ष
    • उपभोक्ता लाभ: परिवारों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कम कीमतों का सामना करना पड़ता है।
    • मौद्रिक स्थिरता: पूर्वानुमानित और स्थिर कीमतें वित्तीय नियोजन में अनिश्चितता को कम करती हैं।
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: यदि उत्पादन लागत कम रहती है, तो निर्यातकों को लाभ हो सकता है।
  • नकारात्मक पक्ष (जब बहुत कम हो)
    • नाॅमिनल GDP वृद्धि पर प्रभाव: कम मुद्रास्फीति नाॅमिनल GDP वृद्धि को कम करती है, जिससे कर राजस्व अनुमान कमजोर होते हैं।
    • राजकोषीय तनाव: कम नाॅमिनल वृद्धि राजकोषीय घाटे और ऋण-GDP लक्ष्यों को प्रभावित करती है।
    • कॉरपोरेट निवेश की कमजोरी: यदि कम मुद्रास्फीति कमजोर माँग के कारण है, तो कंपनियाँ उच्च लाभ के बावजूद निवेश करने में संकोच कर सकती हैं।
    • अपस्फीति का जोखिम: लगातार कम मुद्रास्फीति अपस्फीति को बढ़ावा दे सकती है, जिससे उपभोग और विकास प्रक्रिया हतोत्साहित हो सकती है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.