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भारत के शहरों में ‘पार्टिकुलेट पॉल्यूशन’ में मौजूद ‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’

Lokesh Pal December 18, 2025 03:55 14 0

संदर्भ

हाल ही में एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित एक अध्ययन में पहली बार भारत के चार शहरों में ‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (Inhalable microplastics- iMPs) की जाँच की गई है।

‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (iMPs) के बारे में

  • ‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (iMPs) 10 माइक्रोमीटर (माइक्रोन) से कम आकार के प्लास्टिक कण होते हैं।
  • वर्तमान में इन्हें मानक वायु गुणवत्ता सूचकांकों (जैसे- PM2.5 के लिए AQI) द्वारा मापा या नियंत्रित नहीं किया जाता है, इसलिए इनका खतरा मौजूद है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इनकी निगरानी नहीं की जाती है।

‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (iMPs) के स्रोत

  • प्राथमिक स्रोत (प्रत्यक्ष रूप से जारी)
    • सिंथेटिक वस्त्र: पॉलिएस्टर, नायलॉन, ऐक्रिलिक कपड़ों से निकलने वाले रेशे
    • टायर का घिसना: वाहन के टायरों से ड्राइविंग के दौरान निकलने वाले कण
    • व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद: सौंदर्य प्रसाधनों में पाए जाने वाले माइक्रोबीड्स (हालाँकि कई जगहों पर प्रतिबंधित)।
    • औद्योगिक पेलेट्स: उत्पादन से पहले उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक सामग्री।
  • द्वितीयक स्रोत (विवरण से)
    • प्लास्टिक पैकेजिंग: बैग, रैपर और कंटेनर का क्षरण
    • निर्माण सामग्री: इन्सुलेशन, पेंट, कोटिंग
    • जूते: चलने के दौरान जूतों का घिसना
    • कचरा जलाना: प्लास्टिक अपशिष्ट को खुले में जलाना।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित एक अध्ययन में चार प्रमुख शहरों के व्यस्त बाजारों में जमीन से 1.5 मीटर की ऊँचाई तक वायु की गुणवत्ता की निगरानी की गई।
  • औसत सांद्रता: दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 8.8 माइक्रोग्राम/मी³।
  • दैनिक सेवन: एक औसत शहरी निवासी प्रतिदिन लगभग 132 माइक्रोग्राम माइक्रोप्लास्टिक साँस लेता है।
    • एक औसत शहरी निवासी अपने जीवनकाल में लगभग 2.9 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक सांस के साथ अंदर ले सकता है, जो लगभग एक छोटी प्लास्टिक की बोतल के वजन के बराबर है।
  • साँस लेने से खतरा: इनके छोटे आकार के कारण ये शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को भेदकर फेफड़ों के ऊतकों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं, जिससे गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा होता है।
  • वायु प्रदूषण में योगदान: भारतीय शहरों में PM10 और PM2.5 में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा 5% तक होती है।

‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (iMPs) खतरनाक क्यों होते हैं?

  • फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश: इनका छोटा आकार (<10 µm) इन्हें शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली (जैसे-नाक के बाल और बलगम) को भेदकर फेफड़ों के ऊतकों और एल्वियोलाई में गहराई तक जमने देता है।
  • ‘ट्रोजन हॉर्स’ प्रभाव: ये अन्य हानिकारक प्रदूषकों के वाहक के रूप में कार्य करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • विषाक्त रसायन: भारी धातुएँ (सीसा, कैडमियम) और हार्मोन-बाधित करने वाले पदार्थ (थैलेट, BPA), जो इनकी सतह पर चिपक जाते हैं।
    • रोगजनक: हानिकारक बैक्टीरिया और कवक (कुछ एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी), जो इनके साथ प्रवेश कर सकते हैं।
  • दीर्घकालिक सूजन: एक बार जम जाने के बाद, शरीर इन्हें बाहरी मानता है, जिससे दीर्घकालिक सूजन उत्पन्न होती है, जो विभिन्न रोगों से जुड़ी होती है।
  • रक्तप्रवाह में प्रवेश करने की क्षमता: सबसे छोटे कण (<1 µm) फेफड़ों से रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, और संभावित रूप से हृदय, मस्तिष्क और प्लेसेंटा जैसे अंगों तक पहुँचकर उन्हें प्रभावित कर सकते हैं।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: प्लास्टिक का विघटन अत्यंत धीमी गति से होता है, जिसका अर्थ है कि वे शरीर और पर्यावरण में जमा होते रहते हैं, जिससे निरंतर और दीर्घकालिक संपर्क बना रहता है।

‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (iMPs) से निपटने के लिए सिफारिशें

  • आधिकारिक मान्यता और निगरानी: राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों में ‘इनहेलबल माइक्रोप्लास्टिक्स’ (iMPs) को शामिल करना और PM2.5 के साथ-साथ इनका नियमित मापन करना।
  • प्लास्टिक विनियमन को मजबूत करना: एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू करना और अधिक मात्रा में प्लास्टिक उत्सर्जित करने वाले सिंथेटिक वस्त्रों के निर्माण पर सीमा निर्धारित करना।
  • अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार: प्लास्टिक अपशिष्ट को खुले में जलाने पर रोक लगाना और पृथक्करण एवं पुनर्चक्रण प्रणालियों को बेहतर बनाना।
  • जन जागरूकता और व्यक्तिगत विकल्प: प्राकृतिक रेशों से निर्मित कपड़े चुनने, वाशिंग मशीन फिल्टर का उपयोग करने और प्लास्टिक का उपयोग कम करने को प्रोत्साहित करना।
  • सुभेद्य समूहों के लिए लक्षित सुरक्षा: ट्रैफिक पुलिस और अपशिष्ट प्रबंधन कर्मियों जैसे बाहरी कामगारों के लिए सुरक्षा उपकरण (जैसे- N95 मास्क) और जोखिम संबंधी दिशा-निर्देश प्रदान करना।
  • शहरी और नीतिगत कार्रवाई: भीड़भाड़ वाले बाजारों में वाहन-मुक्त क्षेत्र बनाएँ और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में उच्च दक्षता वाले वायु निस्पंदन उपकरण स्थापित करना।

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