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INS उदयगिरि: स्टील्थ फ्रिगेट

Lokesh Pal July 03, 2025 06:01 13 0

संदर्भ 

भारतीय नौसेना को हाल ही में प्रोजेक्ट 17A का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट INS उदयगिरि प्राप्त हुआ, जिसे 37 महीनों में तैयार कर सौंपा गया, जिससे भारत की नौसैनिक क्षमताओं को मजबूती मिली है।

प्रोजेक्ट 17A के बारे में

  • प्रोजेक्ट 17A (P-17A) भारतीय नौसेना की एक उन्नत जहाज निर्माण पहल है, जिसे प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक क्लास) फ्रिगेट के उत्तराधिकारी के रूप में वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: बेहतर स्टील्थ सुविधाओं, अत्याधुनिक हथियारों, उन्नत सेंसर और परिष्कृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणालियों के साथ स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट का निर्माण करना।
  • निर्माण इकाइयाँ: मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited- MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (Garden Reach Shipbuilders & Engineers- GRSE) इन फ्रिगेट का निर्माण कर रहे हैं।
    • इस कार्यक्रम के अंतर्गत MDL चार जहाज तथा GRSE तीन जहाज निर्मित कर रही है।
  • पहला जहाज: वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया INS नीलगिरी, प्रोजेक्ट 17A के तहत पहला स्टील्थ फ्रिगेट था। 
  • महत्त्व: यह जहाज निर्माण में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाता है और स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए आधुनिक नौसैनिक बेड़े को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

स्टील्थ फ्रिगेट के बारे में

स्टील्थ फ्रिगेट एक आधुनिक नौसैनिक युद्धपोत होता है, जिसे रडार, सोनार, इन्फ्रारेड और अन्य संकेतों को न्यूनतम करने की तकनीकों से इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि वह दुश्मन की निगरानी और पहचान प्रणालियों से बच सके।

  • रडार क्रॉस-सेक्शन में कमी: स्टील्थ फ्रिगेट में विशेष रूप से डिजाइन किए गए पतवार (Hull) और सुपरस्ट्रक्चर (Superstructure) होते हैं, जो रडार तरंगों को विक्षेपित और अवशोषित करते हैं, जिससे उनकी रडार दृश्यता कम हो जाती है।
  • सिग्नेचर मैनेजमेंट: ये जहाज विद्युत चुंबकीय उत्सर्जन को प्रबंधित करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिससे दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक सेंसर द्वारा पता लगाना कम हो जाता है। 
  • कम इन्फ्रारेड और ध्वनिक सिग्नेचर: स्टील्थ फ्रिगेट इन्फ्रारेड और ध्वनिक फुटप्रिंट को कम करने के लिए ‘थर्मल मास्किंग’ सामग्री और ध्वनि कम करने वाले डिजाइन का उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें ‘हीट-सीकिंग’ और ‘सोनार सिस्टम’ द्वारा पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
  • बहु-भूमिका क्षमता: स्टील्थ फ्रिगेट एंटी-सबमरीन, एंटी-एयर, समुद्री गश्त और एस्कॉर्ट मिशनों के लिए सुसज्जित हैं, जो आधुनिक नौसैनिक युद्ध में रणनीतिक लचीलापन प्रदान करते हैं।

उदयगिरि फ्रिगेट के बारे में

  • उदयगिरि पूर्ववर्ती INS उदयगिरि (वर्ष 2007 में सेवामुक्त किया गया एक वाष्प संचालित जहाज) का आधुनिक अवतार है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • उन्नत स्टील्थ क्षमताएँ: रडार, तापीय (थर्मल) और ध्वनिक फुटप्रिंट में उल्लेखनीय कमी, जिससे शत्रु की निगरानी और पहचान प्रणालियों से बचना संभव होता है।
  • अत्याधुनिक सिस्टम: उन्नत हथियारों, सेंसर और आधुनिक युद्ध प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित।
  • बहु-मिशन क्षमता: समुद्री क्षेत्रों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों का मुकाबला कर सकता है।

उदयगिरि का महत्त्व

  • समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: भारत के समुद्री संचालन और समुद्री प्रभुत्व को बढ़ाता है।
  • आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक: उन्नत नौसेना जहाज डिजाइन और निर्माण में भारत की बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं को दर्शाता है।
  • इंजीनियरिंग उत्कृष्टता: सख्त समय-सीमा के भीतर जटिल युद्धपोतों को वितरित करने में भारतीय शिपयार्ड की प्रगति को दर्शाता है।
  • रणनीतिक मूल्य: तेजी से विवादित होते इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारतीय नौसेना के सतही युद्धपोत बेड़े को एक निर्णायक रणनीतिक क्षमता प्रदान करता है।
  • औद्योगिक सहयोग: 200 से अधिक भारतीय MSME द्वारा समर्थित, भारत के रक्षा औद्योगिक आधार की शक्ति को दर्शाता है।

ब्लू वॉटर नेवल फोर्स

  • नौसेनाओं को मोटे तौर पर ब्राउन वाटर (तटीय), ग्रीन वाटर (क्षेत्रीय) और ब्लू वाटर (वैश्विक पहुँच) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • ‘ब्लू वाटर’ नेवी एक ऐसी नौसैनिक शक्ति को दर्शाती है, जो अपने राष्ट्रीय समुद्री सीमाओं से परे, विश्व के दूरवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में दीर्घकालिक एवं स्वतंत्र संचालन की क्षमता रखती है, और जिसे बार-बार रसद पूर्ति के लिए घरेलू बंदरगाहों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
  • भारतीय समुद्री सिद्धांत (2015) के अनुसार, ऐसी नौसेनाओं को मजबूत रसद, निगरानी और स्वतंत्र रूप से दूर के संचालन को बनाए रखने की क्षमता की आवश्यकता होती है।
  • ‘ब्लू वाटर’ नेवी वैश्विक स्तर पर शक्ति का प्रदर्शन कर सकती है, समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है, व्यापार मार्गों की रक्षा कर सकती है और दूर के महासागरों में राष्ट्रीय हितों का समर्थन कर सकती है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत जैसे देशों के पास ‘ब्लू वाटर’ नेवी क्षमताएँ हैं।
    • विमानवाहक पोत और लंबी दूरी की परिचालन क्षमता वाली भारत की नौसेना को ‘ब्लू वाटर फोर्स’ के रूप में मान्यता प्राप्त है।

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