हाल ही में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम (Integrated Tribal Development Programme) शुरू किया।
एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम के बारे में
परिचय: यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों द्वारा समर्थित जनजातीय विकास के ‘वाडी प्रोजेक्ट’ पर आधारित, स्थायी जनजातीय आजीविका के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
जनजातीय विकास का वाडी प्रोजेक्ट
परिचय: वाडी प्रोजेक्ट, नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित जनजातीय विकास कार्यक्रम (TDP) है।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना और उनकी आय सुरक्षा को बढ़ाना है।
इसके अतिरिक्त, परियोजना का उद्देश्य नर्सरी प्रबंधन, वर्मीकम्पोस्टिंग, बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग और रसोई बागवानी जैसी गतिविधियों के माध्यम से आदिवासी महिलाओं के उद्यमशीलता कौशल को बढ़ाना है।
वित्तपोषण: इस कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजनाओं को जनजातीय विकास कोष (Tribal Development Fund) से वित्तपोषण प्राप्त होता है।
उद्देश्य
सतत् आजीविका परिवर्तन (Sustainable Livelihood Transformation): इसका उद्देश्य पाँच वर्षों के भीतर आदिवासी परिवारों की आजीविका में सुधार करना है।
कृषि विविधता संवर्द्धन (Agricultural Diversity Promotion): विभिन्न फसलों की खेती पर ध्यान केंद्रित किया जाता है: काली मिर्च, सुपारी, नारियल, अदरक, थाई अदरक, हल्दी और केला।
गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा: इसमें बकरीपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन और चारा उत्पादन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
जनजातीय विकास निधि के उद्देश्य
एकीकृत विकास मॉडल (Integrated Development Models): क्षेत्र की क्षमता और जनजातीय आवश्यकताओं के अनुरूप सतत् आय-उत्पादक गतिविधियाँ विकसित करना, जनजातीय परिवारों के लिए एकीकृत विकास के अनुकरणीय मॉडल स्थापित करना।
संस्था सुदृढ़ीकरण: नीति निर्माण, कार्यक्रम क्रियान्वयन में सामुदायिक भागीदारी को सक्षम बनाने तथा उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के लिए जनजातीय संस्थाओं का निर्माण और सशक्तीकरण करना।
उत्पादक संगठन (Producers Organizations): जनजातीय समुदायों के भीतर उत्पादक संगठनों का विकास और सुदृढ़ीकरण करना।
कार्यक्रम के घटक
आजीविका सहायता: ऋण, प्रशिक्षण और बाजार संपर्क तक पहुँच के माध्यम से कृषि, बागवानी, पशुपालन और गैर-कृषि उद्यमों को बढ़ावा देना।
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: भूमि, जल और वनों का सतत् प्रबंधन, जिसमें मृदा और जल संरक्षण, कृषि वानिकी और सतत् वन उत्पाद संग्रहण जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
सामुदायिक सशक्तीकरण: विकासात्मक आवश्यकताओं को सामूहिक रूप से पूरा करने और सरकारी योजनाओं तक पहुँच बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों और उत्पादक समूहों जैसे समुदाय आधारित संगठनों को मजबूत करना।
बुनियादी ढाँचे का विकास: जनजातीय समुदायों में जीवन स्तर में सुधार के लिए सड़कें, पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं जैसे आवश्यक बुनियादी ढाँचे में निवेश करना।
सरकारी योजना अभिसरण: व्यापक विकास को बढ़ावा देने और उसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं तथा कार्यक्रमों का लाभ उठाना एवं समन्वय करना।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)
परिचय:राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत वर्ष 1982 में स्थापित, सतत् कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए यह भारत की ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली में प्राथमिक नियामक निकाय के रूप में कार्य करता है।
उद्देश्य: वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेप, प्रौद्योगिकी और संस्थागत विकास के माध्यम से कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना।
गतिविधियाँ: अन्य गतिविधियों के अलावा पुनर्वित्त सहायता प्रदान करना, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks- RRB) और सहकारी बैंकों का पर्यवेक्षण करना।
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