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Lokesh Pal
July 22, 2024 01:32
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भारत के राजकोषीय संघवाद (Fiscal Federalism) में राज्यों को केंद्रीय कर राजस्व का हस्तांतरण महत्त्वपूर्ण है।
इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जिम्मेदारियों और संसाधनों का विभाजन शामिल है, जिसमें वित्त आयोग कर आय वितरण की सिफारिश करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राजकोषीय संघवाद से जुड़े तीन मुख्य व्यापक सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
सोलहवें वित्त आयोग ने अपना कार्य शुरू कर दिया है, जिसका गठन पिछले वर्ष दिसंबर में किया गया था और उम्मीद है कि यह अक्टूबर 2025 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा, जो 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होकर पाँच वर्ष के लिए वैध होंगी।
वित्तीय हस्तांतरण से तात्पर्य वित्तीय संसाधनों और निर्णय लेने की शक्तियों को केंद्र सरकार से राज्यों को हस्तांतरित करने से है।
सामान्यतः, अंतर-पीढ़ीगत समानता प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर और परिणाम प्रदान करने का सिद्धांत है।
यह एक ही पीढ़ी के भीतर विभिन्न राज्यों के बीच संसाधनों के न्यायसंगत वितरण पर केंद्रित है।
भारत में वर्तमान संघीय वित्त से जुड़ी चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित उपायों पर विचार किया जाना आवश्यक है:
अंतर-पीढ़ीगत और अंतः पीढ़ीगत समानता दोनों को संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है और यह राज्यों को कर हस्तांतरण के वितरण सूत्र में समानता तथा दक्षता को संतुलित करने की आवश्यकता को दोहराता है। यह पूरी तरह से वित्त आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है कि वह परस्पर विरोधी समानता के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक निष्पक्ष तंत्र बनाए।
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