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इंटरनेट शासन

Lokesh Pal January 24, 2025 03:35 137 0

संदर्भ

‘नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया’ (National Internet Exchange of India- NIXI) ने अपनी इंटरनेट गवर्नेंस इंटर्नशिप और क्षमता निर्माण योजना शुरू की है।

इंटरनेट गवर्नेंस इंटर्नशिप और क्षमता निर्माण योजना 

  • यह एक द्वि-वार्षिक इंटर्नशिप है, जिसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों के बीच इंटरनेट गवर्नेंस (Internet Governance-IG) के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और विशेषज्ञता विकसित करना है।
  • कार्यक्रम का उद्देश्य
    • प्रतिभागियों को वैश्विक इंटरनेट शासन प्रक्रियाओं से जुड़ने के लिए प्रशिक्षित करना।
    • अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना, जैसे-
      • इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers- ICANN)
      • इंटरनेट सोसायटी या सूचना सुरक्षा संचालन केंद्र (Information Security Operations Center- ISOC)
      • इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (Institute of Electrical and Electronics Engineers- IEEE)
      • इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (Internet Engineering Task Force- IETF)।
    • उभरते इंटरनेट शासन मुद्दों के समाधान के लिए घरेलू प्रतिभा का विकास करना।
  • छात्रवृत्ति: 20,000 रुपये प्रति माह।
    • अनिवार्य आउटरीच कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
  • मेंटरशिप: इंटर्न का मार्गदर्शन निम्नलिखित द्वारा किया जाएगा:-
    • अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विषय विशेषज्ञ।
    • विशेष रुचि समूह के सदस्य।
    • उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी।
    • मान्यता प्राप्त संस्थानों के संकाय सलाहकार।

भारतीय राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज (NIXI)

  • NIXI वर्ष 2003 में स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन है।
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य देश में इंटरनेट के बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और इंटरनेट शासन को बढ़ावा देना है।
  • NIXI भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
  • इसे वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप तटस्थ आधार पर प्रबंधित और संचालित किया जाता है।
  • NIX के तहत चार सेवाएँ
    • इंटरनेट एक्सचेंज पॉइंट बनाने के लिए इंटरनेट एक्सचेंज पॉइंट (IXPs)
    • .in डोमेन डिजिटल पहचान बनाने के लिए IN रजिस्ट्री
    • IPv4 और IPv6 पतों को अपनाने के लिए IRINN
    • डेटा स्टोरेज सेवाओं के लिए NIXI-CSC के तहत डेटा सेंटर सेवाएँ।

भारत में इंटरनेट की स्थिति

  • भारत में आम जनता के लिए इंटरनेट तक पहुँच 15 अगस्त, 1995 को शुरू हुई।
  • तब से भारत में हाल के वर्षों में इंटरनेट के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो देश के तीव्र डिजिटल परिवर्तन को दर्शाता है।
    • इंटरनेट ग्राहकों की संख्या अब 954.4 मिलियन हो गई है, जिसमें शहरी क्षेत्रों में 556.05 मिलियन और ग्रामीण क्षेत्रों में 398.35 मिलियन ग्राहक हैं।
    • 95.15% गाँवों में 3G/4G मोबाइल कनेक्टिविटी के साथ इंटरनेट की सुविधा है।
    • ट्राई (TRAI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 तक एक उपयोगकर्ता की औसत मासिक डेटा खपत 20GB तक पहुँच गई, जो वर्ष 2014-15 में केवल 0.27GB थी।
  • डिजिटल क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में भारत का तेजी से उभरना, सामर्थ्य, प्रौद्योगिकी और आकांक्षा के सम्मिलन का प्रमाण है।

इंटरनेट शासन के बारे में

  • इंटरनेट गवर्नेंस साझा सिद्धांतों, मानदंडों, नियमों और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के विकास और अनुप्रयोग को संदर्भित करता है, जो इंटरनेट के उपयोग एवं विकास को आकार देते हैं।
  • वैचारिक रूप से इंटरनेट गवर्नेंस में इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेसिंग (Internet Protocol Addressing- IP Addressing), डोमेन नेम सिस्टम (Domain Name System-DNS), रूटिंग, तकनीकी नवाचार, मानकीकरण, सुरक्षा, सार्वजनिक नीति, गोपनीयता, कानूनी मुद्दे, साइबर मानदंड, बौद्धिक संपदा और कराधान शामिल हैं।
  • इंटरनेट गवर्नेंस में निम्नलिखित परतें शामिल हैं:
    • भौतिक अवसंरचना परत
    • कोड या तार्किक परत
    • सामग्री परत
    • सुरक्षा
  • भारत में इंटरनेट प्रशासन का ध्यान समतापूर्ण पहुँच सुनिश्चित करने, डिजिटल समावेशिता को बढ़ावा देने, डेटा गोपनीयता की सुरक्षा करने तथा साइबर सुरक्षा बढ़ाने पर केंद्रित है।

भारत में इंटरनेट शासन

  • भारत इंटरनेट गवर्नेंस के मामलों में बहु-हितधारक दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में सरकार का सर्वोच्च अधिकार और नियंत्रण बना रहेगा।
  • इस क्षेत्र में भारत की सामर्थ्य इसका उद्योग और मानव संसाधन है, जिसका लाभ बहु-हितधारक दृष्टिकोण से उठाया जा सकता है।
  • बहु-हितधारक दृष्टिकोण डिजिटल इंडिया के लिए सरकार की निवेश रणनीति के साथ भी संरेखित है।

भारत के इंटरनेट शासन में प्रमुख हितधारक

  • सरकारी निकाय
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY): डिजिटल बुनियादी ढाँचे, इंटरनेट विनियमन और साइबर सुरक्षा से संबंधित नीतियों की देखरेख करता है।
    • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI): इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को विनियमित करता है और निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय संगठन
    • नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI): .IN डोमेन का प्रबंधन करता है, IPv6 अपनाने को बढ़ावा देता है, और कुशल इंटरनेट ट्रैफिक एक्सचेंज की सुविधा प्रदान करता है।
    • इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In): साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है और खतरों के संबंध में जानकारी देता है।
  • निजी क्षेत्र
    • इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) और तकनीकी कंपनियाँ बुनियादी ढाँचे और नवाचार में योगदान देती हैं।

इंटरनेट शासन की आवश्यकता

  • साइबर सुरक्षा: साइबर हमलों, डेटा उल्लंघनों और पहचान की चोरी से सुरक्षा।
  • सामग्री विनियमन: गलत सूचना, हेट स्पीच और हानिकारक ऑनलाइन सामग्री जैसे मुद्दों को संबोधित करना।
  • बौद्धिक संपदा संरक्षण: डिजिटल चोरी का मुकाबला करना और डिजिटल आईपी कानूनों को लागू करना।
  • आर्थिक विकास: नवाचार, निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा और एक संपन्न डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
  • डिजिटल समावेशन: हाशिए पर और ग्रामीण आबादी के लिए इंटरनेट तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
  • नेट न्युट्रेलिटी: ISP द्वारा भेदभाव के बिना सूचना तक समान पहुँच की गारंटी।

भारत में इंटरनेट शासन की चुनौतियाँ

  • डिजिटल डिवाइड: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच इंटरनेट एक्सेस में महत्त्वपूर्ण अंतर मौजूद है।
    • डिजिटल साक्षरता का निम्न स्तर, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, ऑनलाइन सेवाओं को अपनाने में बाधा डालता है।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: निजी संस्थाओं द्वारा बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह और अपर्याप्त नियामक ढाँचे उपयोगकर्ता की गोपनीयता से समझौता करते हैं।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: फिशिंग, रैनसमवेयर और अन्य साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाएँ मौजूदा बुनियादी ढाँचे पर दबाव डालती हैं।
    • भारत वर्ष 2023 में 5.3 मिलियन लीक हुई खातों की जानकारी के साथ सर्वाधिक उल्लंघन वाले देशों की सूची में 5वें स्थान पर है।
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की कमजोरी: बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा और विद्युत ग्रिड जैसे क्षेत्र साइबर अपराधियों द्वारा तेजी से लक्षित किए जा रहे हैं।
    • AIIMS दिल्ली रैनसमवेयर हमले ने दो सप्ताह तक सेवाओं को बाधित किया।
  • गलत सूचना और फर्जी खबरें: सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना का प्रसार सामाजिक सद्भाव के लिए चुनौतीपूर्ण है।
  • हेट स्पीच और हानिकारक सामग्री: ऑनलाइन दुर्व्यवहार, हेट स्पीच और चरमपंथी सामग्री के मुद्दों को संबोधित करने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
  • खंडित कानूनी और नीतिगत ढाँचा: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) AI और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को संबोधित करने के लिए अपर्याप्त है।
    • कई नियामक निकाय अक्सर अलग-अलग कार्य करते हैं, जिससे शासन में अक्षमता आती है।
      • साइबर सुरक्षा के लिए CERT-In
      • दूरसंचार के लिए TRAI
      • डिजिटल भुगतान के लिए RBI
      • इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस के लिए MEITY
  • विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता: बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के लिए वैश्विक तकनीकी दिग्गजों पर भारी निर्भरता संप्रभुता से समझौता करती है।
  • बुनियादी ढाँचे में अंतर: इंटरनेट एक्सचेंज पॉइंट्स (IXPs) का असमान वितरण डेटा रूटिंग की दक्षता को प्रभावित करता है।

आगे की राह

  • इंटरनेट एक्सेस का विस्तार करना: भारतनेट जैसी पहलों के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड बुनियादी ढाँचे की भूमिका को बढ़ाना।
  • डिजिटल साक्षरता बढ़ाना: हाशिए पर स्थित और ग्रामीण समुदायों के लिए लक्षित जागरूकता तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को मजबूत करना: गोपनीयता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाले व्यापक डेटा सुरक्षा नियमों के अधिनियमन में तेजी लाना।
  • डेटा संप्रभुता को बढ़ावा देना: नियमों के तहत महत्त्वपूर्ण डेटा के स्थानीयकरण को अनिवार्य करना और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
  • साइबर लचीलापन बनाना: उभरते खतरों से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को नियमित रूप से अद्यतित करना।
    • साइबर हमलों पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए CERT-In क्षमताओं को मजबूत करना।
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करना: स्वास्थ्य सेवा, वित्त और बिजली जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए नियमित ऑडिट आयोजित करना और उन्नत सुरक्षा उपायों को लागू करना।
  • गलत सूचना और हानिकारक सामग्री का निपटान: गलत सूचना और हानिकारक सामग्री के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ सहयोग करना।
    • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हुए हेट स्पीच और फर्जी खबरें फैलाने वालों के लिए दंड लागू करना।

भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In)

  • CERT-IN भारत में साइबर सुरक्षा घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है।
  • देश में सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढाँचे की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्ष 2004 में इसकी स्थापना की गई थी।
  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत कार्य करता है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)

  • TRAI भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना 20 फरवरी, 1997 को देश में दूरसंचार के विकास के लिए परिस्थितियाँ बनाने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
  • यह भारत में दूरसंचार क्षेत्र के लिए नियम, दिशा-निर्देश और नीतियाँ बनाने के लिए उत्तरदायी है।
    • इसमें टैरिफ, सेवा की गुणवत्ता और स्पेक्ट्रम के आवंटन से संबंधित नियम निर्धारित करना शामिल है।
  • मुख्यालय: TRAI का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • सदस्य: TRAI में एक अध्यक्ष और अधिकतम दो पूर्णकालिक सदस्य और अधिकतम दो अंशकालिक सदस्य होते हैं।

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