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विकास के लिए निवेश सुविधा (IFD)

Lokesh Pal December 11, 2024 05:40 44 0

संदर्भ

भारत, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और तुर्किए के साथ मिलकर जिनेवा में 16-17 दिसंबर को होने वाली विश्व व्यापार संगठन की सामान्य परिषद (WTO General Council) की बैठक से पहले चीन के नेतृत्व वाले ‘विकास के लिए निवेश सुविधा’ (Investment Facilitation for Development- IFD) समझौते का विरोध कर रहा है।

विश्व व्यापार संगठन की सामान्य परिषद (WTO General Council)

  • WTO जनरल काउंसिल (सामान्य परिषद) एक सतत निकाय है जो पूरे वर्ष नियमित रूप से बैठक करती है।
  • बैठकें: सामान्य परिषद वर्ष में कई बार औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से बैठकें करती है। औपचारिक बैठकें आमतौर पर प्रत्येक कुछ महीनों में आयोजित की जाती हैं, जबकि अनौपचारिक बैठकें अधिक बार हो सकती हैं।
  • उद्देश्य: सामान्य परिषद के प्राथमिक कार्य हैं:-
    • निर्णय लेना: जब यह सत्र सुनिश्चित नहीं होता है तो यह मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के अधिकार का प्रयोग करता है।
    • निरीक्षण: यह WTO के कार्य कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की देखरेख करता है।
    • विवाद निपटान: यह WTO सदस्यों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए विवाद निपटान निकाय (Dispute Settlement Body- DSB) के रूप में कार्य करता है।
    • व्यापार नीति समीक्षा: यह WTO सदस्यों की व्यापार नीतियों की निगरानी के लिए व्यापार नीति समीक्षा तंत्र (Trade Policy Review Mechanism- TPRM) की देखरेख करता है।
  • भागीदारी: WTO के सभी 164 सदस्य देशों का सामान्य परिषद में प्रतिनिधित्त्व है। प्रत्येक सदस्य देश बैठकों में भाग लेने के लिए अपने प्रतिनिधि भेजता है। बैठकों में आम तौर पर वरिष्ठ व्यापार अधिकारी, राजनयिक एवं विशेषज्ञ भाग लेते हैं।
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया: WTO सर्वसम्मति-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया पर कार्य करता है। इसका मतलब यह है कि निर्णय आमतौर पर सभी सदस्य देशों के बीच सामान्य सहमति से किए जाते हैं। 
    • हालाँकि, ऐसे मामलों में जहाँ आम सहमति नहीं बन पाती है, मंत्रिस्तरीय सम्मेलन एवं सामान्य परिषद के स्तर पर तीन-चौथाई बहुमत से निर्णय लिए जा सकते हैं।

संबंधित तथ्य

  • IFD समझौते को पाकिस्तान सहित WTO के 166 सदस्यों में से 128 का समर्थन प्राप्त हुआ है। 
  • भारत की स्थिति: हालाँकि, भारत और विरोधी राष्ट्रों का तर्क है कि यह कमजोर देशों की नीतिगत जगह को कमजोर करता है।
  • यह विरोध वैश्विक निवेश प्रवाह में बदलाव के साथ मेल खाता है, क्योंकि संभावित अमेरिकी-चीन व्यापार युद्ध और चीन में उपभोक्ता माँग के कमजोर होने के कारण निवेश चीन से दूर जा रहा है।
  • भारत का सुझाव: इसके अलावा, भारत ने विश्व व्यापार संगठन के ढाँचे के भीतर अत्यधिक मछली पकड़ने और अत्यधिक क्षमता के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए ‘प्रति व्यक्ति सब्सिडी वितरण’ मानदंड की वकालत की है।

विकास के लिए निवेश सुविधा (Investment Facilitation for Development- IFD) के बारे में

  • उद्देश्य: वैश्विक निवेश माहौल में सुधार करना तथा WTO सदस्यों के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को सुविधाजनक बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
    • यह सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) साधन पर आधारित है, और सभी WTO सदस्यों के लिए इसमें शामिल होना खुला है।
  • वर्ष 2017 में प्रस्तावित: चीन और चीनी निवेश पर अत्यधिक निर्भर देशों द्वारा शुरू किया गया और 11वें WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC11) में लॉन्च किया गया।
  • समर्थक: महत्वपूर्ण संप्रभु संपदा निधि वाले देशों तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करने के इच्छुक विकासशील देशों द्वारा समर्थित।
  • संभावित लाभ
    • निवेश सुविधा के लिए स्पष्ट और सुसंगत वैश्विक मानक बनाना।
    • विनियामक अनिश्चितता को कम करना, लेन-देन की लागत को कम करना और निवेशकों के लिए निवेश करना आसान बनाना।
    • साझा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में घरेलू निवेश सुविधा सुधारों को शामिल करना।
    • सर्वोत्तम निवेश सुविधा प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करना।

IFD से संबंधित चिंताएँ 

  • नीतिगत क्षेत्र के लिए खतरा: भारत और अन्य विरोधी राष्ट्रों का मानना ​​है कि यह समझौता कमजोर देशों की नीतिगत स्वायत्तता को सीमित करेगा, विशेष रूप से विदेशी निवेशों को विनियमित करने में।
  • समर्थकों के बीच गलत धारणाएँ: भारत का तर्क है कि IFD का समर्थन करने वाले कई राष्ट्र इस गलत धारणा के शिकार हैं कि इससे उन्हें सार्वभौमिक रूप से लाभ होगा।
  • संप्रभुता पर संभावित प्रभाव: विशेषज्ञों का तर्क है कि यह समझौता भारत के हितों को नुकसान पहुँचा सकता है और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर FDI पर नीतियों को लागू करने की इसकी क्षमता को सीमित कर सकता है।
  • असमान शक्ति गतिशीलता: पाकिस्तान सहित 128 देशों द्वारा समझौते का समर्थन करने और अमेरिका द्वारा इससे बाहर रहने का विकल्प चुनने के साथ, भारत वैश्विक सहमति प्राप्त करने के लिए चीन द्वारा किए जा रहे जबरदस्त दबाव को उजागर करता है।

भारत ने मत्स्य पालन सब्सिडी का आह्वान किया

  • भारत द्वारा वकालत: भारत ने WTO में अत्यंत-मछली पकड़ने और अत्यंत दोहन क्षमता के मुद्दों को संबोधित करने के लिए ‘प्रति व्यक्ति सब्सिडी वितरण’ मानदंड का प्रस्ताव दिया है।
  • सब्सिडी की तुलना
    • भारत की वार्षिक मत्स्य पालन सब्सिडी: $35 प्रति मछुआरा।
    • यूरोपीय देशों की सब्सिडी: प्रति मछुआरा $76,000।
  • दस्तावेज़ प्रस्तुत करना: भारत ने विश्व व्यापार संगठन की बैठक में चर्चा के लिए एक पेपर ‘अतिक्षमता और अतिमछली पकड़ने के लिए नियम तैयार करना: तीव्रता-आधारित सब्सिडी दृष्टिकोण का मामला’ (Designing Disciplines for the Overcapacity and Overfishing Pillar: A Case for Intensity-Based Subsidies Approach) प्रस्तुत किया।
  • सब्सिडी वितरण में निष्पक्षता: भारत ने इस बात पर जोर दिया कि वार्षिक समग्र सब्सिडी एक सटीक उपाय नहीं है, क्योंकि इसमें लाभकारी और निर्वाह दोनों तरह की सब्सिडी शामिल हैं, जो अत्यधिक मछली पकड़ने या अत्यधिक क्षमता में योगदान नहीं करती हैं।
  • प्रस्तावित समाधान: प्रति व्यक्ति मानदंड, अति मत्स्यन के प्रबंधन, आजीविका संबंधी चिंताओं के साथ स्टॉक स्थिरता को संतुलित करने के लिए अधिक निष्पक्ष और सटीक आधार प्रदान कर सकता है।

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