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IPBES रिपोर्ट

Lokesh Pal December 23, 2024 02:49 10 0

संदर्भ

IPBES की 11वीं पूर्ण बैठक ने जैव विविधता कार्रवाई में तेजी लाने और जैव विविधता के लिए विजन 2050 को प्राप्त करने के लिए 2 रिपोर्टों, अर्थात् ‘IPBES  परिवर्तनकारी परिवर्तन आकलन रिपोर्ट’ और ‘नेक्सस रिपोर्ट’ (Nexus Report) जारी करने को मंजूरी दी है।

‘नेक्सस रिपोर्ट’ के मुख्य बिंदु

  • पूर्ण नाम: ‘जैव विविधता, जल, खाद्य और स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंधों पर मूल्यांकन रिपोर्ट’ (Assessment Report on the Interlinkages Among Biodiversity, Water, Food and Health)।
  • यह रिपोर्ट मानवता के सामने आने वाली 5 प्रमुख चुनौतियों के बीच जटिल अंतर्संबंधों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करती है और सह-लाभों को अधिकतम करने के लिए विशिष्ट प्रतिक्रिया विकल्पों की खोज करती है।
  • नेक्सस तत्त्व: नीचे दी गई 5 वैश्विक चुनौतियाँ एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करती हैं और एक-दूसरे पर इस तरह से प्रभाव डालती हैं कि उन्हें संबोधित करने के लिए अलग-अलग प्रयास अप्रभावी एवं अनुत्पादक हो जाते हैं।
    • उदाहरण: जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता की हानि, खाद्य असुरक्षा, जल की कमी और स्वास्थ्य जोखिम।
  • जैव विविधता हानि: पिछले आधी सदी से जैव विविधता औसतन प्रत्येक दशक में लगभग 2-6 प्रतिशत की दर से घट रही है।
    • जैव-विविधता हानि के कारण
      • प्रत्यक्ष कारक: इनमें भूमि और समुद्र के उपयोग में परिवर्तन, असंवहनीय शोषण, आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ और प्रदूषण शामिल हैं।
      • अप्रत्यक्ष सामाजिक-आर्थिक चालक: इनमें बढ़ता अपशिष्ट, अति उपभोग और जनसंख्या वृद्धि शामिल हैं।
  • उपेक्षा की आर्थिक लागत: रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का आधे से अधिक हिस्सा, लगभग 58 ट्रिलियन डॉलर प्रतिवर्ष, प्रकृति पर निर्भर करता है तथा सामान्य परिदृश्य में जैव विविधता की उपेक्षा के कारण होने वाली लागत कम-से-कम 10-25 ट्रिलियन डॉलर प्रतिवर्ष होने का अनुमान है।
    • जैव विविधता लक्ष्यों पर कार्रवाई में देरी: कार्रवाई में एक दशक की भी देरी करने से अब कार्रवाई की लागत दोगुनी हो सकती है, साथ ही प्रति वर्ष कम-से-कम 500 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त लागत आएगी।
    • पारिस्थितिक अर्थव्यवस्था: हालाँकि जैव विविधता संकट को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई से बड़े पैमाने पर व्यापार और नवाचार के अवसर खुलेंगे, जिससे वर्ष 2030 तक दुनिया भर में 10 ट्रिलियन डॉलर का सृजन होगा और 395 मिलियन नौकरियों का समर्थन होगा।
  • असमानता: रिपोर्ट के अनुसार, 41% लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ वर्ष 2000 और वर्ष 2010 के बीच जैव विविधता में अत्यधिक गिरावट देखी गई, 9% लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ स्वास्थ्य संबंधी बहुत अधिक बोझ है और 5% लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ कुपोषण का स्तर बहुत अधिक है।
  • सहक्रियात्मक दृष्टिकोण: रिपोर्ट में 70 से अधिक प्रतिक्रिया विकल्पों की पहचान की गई है, जो सभी पाँच तत्त्वों में सकारात्मक परिणाम देते हैं।
    • उदाहरण: वन, मृदा और मैंग्रोव जैसे कार्बन समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्रों को बहाल करना, पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए जैव विविधता का प्रभावी प्रबंधन, सतत् स्वस्थ आहार को बढ़ावा देना और प्रकृति-आधारित समाधानों पर निर्भरता।

परिवर्तनकारी परिवर्तन मूल्यांकन रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • यह वर्ष 2019 IPBES वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें पाया गया कि वैश्विक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका परिवर्तनकारी परिवर्तन है।
  • परिभाषा: इस परिवर्तन को इस प्रकार परिभाषित किया गया है:-
    • दृष्टिकोणों में एक मौलिक प्रणाली-व्यापी बदलाव, अर्थात् सोचने, जानने और देखने के तरीके; संरचनाएँ, अर्थात् संगठित करने, विनियमित करने तथा शासन करने के तरीके; एवं प्रथाएँ, अर्थात् कार्य करने, व्यवहार करने एवं संबंध बनाने के तरीके।
  • परिवर्तनकारी परिवर्तन का मार्गदर्शन करने के सिद्धांत
    • समानता और न्याय
    • बहुलतावाद और समावेशन
    • सम्मानपूर्ण और पारस्परिक मानव-प्रकृति संबंध
    • अनुकूली शिक्षण और कार्रवाई।
  • जैव विविधता हानि के अंतर्निहित कारण
    • प्रकृति से लोगों का वियोग और प्रकृति तथा अन्य लोगों पर प्रभुत्व।
    • शक्ति और धन का असमान संकेंद्रण।
    • अल्पकालिक व्यक्तिगत और भौतिक लाभों को प्राथमिकता देना।
  • परिवर्तनकारी बदलाव की चुनौतियाँ
    • प्रकृति और लोगों पर वर्चस्व के संबंध, विशेष रूप से वे जो औपनिवेशिक युग में उभरे और प्रचारित हुए तथा समय के साथ बने रहे।
    • आर्थिक और राजनीतिक असमानताएँ।
    • अपर्याप्त नीतियाँ और अयोग्य संस्थान।
    • व्यक्तिगत आदतों और प्रथाओं सहित अस्थिर उपभोग तथा उत्पादन पैटर्न।
    • स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और असंगठित ज्ञान तथा नवाचार प्रणालियों तक सीमित पहुँच।
  • परिवर्तनकारी बदलाव के लिए सहक्रियात्मक रणनीतियाँ
    • जैव-सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने वाले मूल्यवान स्थानों का संरक्षण, पुनर्स्थापन और पुनर्जनन करना: ऐसी रणनीति अपनाना, जहाँ स्थान आधारित कार्य, जैसे कि पुनर्स्थापन गतिविधियाँ, सांस्कृतिक मूल्यों, सतत् उत्पादन और जैव-विविधता का भी समर्थन कर सकें।
      • उदाहरण: नेपाल में सामुदायिक वानिकी कार्यक्रम विकेंद्रीकृत वन नीति को स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं, विचारों और प्रथाओं में एकीकृत करता है ताकि क्षीण वनों को पुनर्स्थापित तथा प्रबंधित किया जा सके।
    • व्यवस्थित परिवर्तन को बढ़ावा देना: बहुक्रियाशील और पुनर्योजी भूमि उपयोग को बढ़ावा देकर कृषि तथा पशुधन, मत्स्यपालन, वानिकी, बुनियादी ढाँचा एवं शहरी विकास, खनन और जीवाश्म ईंधन जैसे प्रकृति की गिरावट के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार क्षेत्रों में जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना।
    • आर्थिक प्रणालियों को बदलना: वैश्विक आर्थिक प्रणालियों को इस तरह की कार्रवाइयों को अपनाकर बड़े पैमाने पर बदलने की आवश्यकता है।
      • पर्यावरणीय लागतों को आंतरिक बनाना और सही लागत लेखांकन का उपयोग करना, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले क्षेत्रों में सब्सिडी पर विचार करना, स्थिरता को एक मुख्य कर सिद्धांत के रूप में स्थापित करना तथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय आयामों को स्वीकार करने के लिए लक्ष्यों, मापदंडों और संकेतकों को पुनः परिभाषित करना।
    • समावेशी, जवाबदेह और अनुकूली शासन प्रणाली: जवाबदेह अभिकर्ताओं की अधिक भागीदारी के साथ क्षेत्र की नीतियों और निर्णय-निर्माण में जैव विविधता को एकीकृत करना शासन प्रणालियों को बदलने में महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। 
      • उदाहरण:गैलापागोस मरीन रिजर्व’ का पारिस्थितिकी तंत्र आधारित स्थानिक प्रबंधन, जो सतत् मत्स्यपालन और पर्यटन का समर्थन करता है- जो 30,000 से अधिक निवासियों और 3,00,000 वार्षिक आगंतुकों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services-IPBES)

  • IBPES एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसकी स्थापना जैव विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग तथा सतत् विकास के लिए जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए विज्ञान-नीति ‘इंटरफेस’ को मजबूत करने के लिए की गई है।
  • स्थापना: इसकी स्थापना 21 अप्रैल, 2012 को 94 सरकारों द्वारा पनामा सिटी में की गई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र की स्थिति: यह संयुक्त राष्ट्र निकाय नहीं है।
  • सचिवालय: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) IPBES को सचिवालय सेवाएँ प्रदान करता है।
  • पूर्ण: यह IPBES का शासी निकाय है और IPBES सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से बना है। यह आमतौर पर प्रति वर्ष एक बार बैठक करता है।
  • कार्य: IPBES मोटे तौर पर इन क्षेत्रों में कार्य करता है।
    • मूल्यांकन: विशिष्ट विषयों पर (‘परागणकर्ता, परागण और खाद्य उत्पादन’); पद्धतिगत मुद्दे (परिदृश्य और मॉडलिंग); और क्षेत्रीय तथा वैश्विक दोनों स्तरों पर (जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का वैश्विक मूल्यांकन)।
    • नीति समर्थन: नीति-प्रासंगिक उपकरणों और कार्यप्रणालियों की पहचान करना, उनके उपयोग को सुविधाजनक बनाना तथा उनके आगे के विकास को उत्प्रेरित करना।

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