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ईरान का परमाणु कार्यक्रम

Lokesh Pal June 04, 2025 03:20 97 0

संदर्भ

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान ने वेपन्स-ग्रेड यूरेनियम (Weapons-grade Uranium) एकत्रित कर लिया है और IAEA ने ईरान से इसे समाप्त करने का आह्वान किया है।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में

  • IAEA ने चेतावनी दी है कि ईरान ऐसा “एकमात्र परमाणु-हथियार रहित देश है, जो ऐसी सामग्री का उत्पादन कर रहा है”, IAEA ने इस स्थिति को “गंभीर चिंता” का विषय बताया है।
  • IAEA की रिपोर्ट पुष्टि करती है कि ईरान ने तीन स्थलों पर परमाणु सामग्री और गतिविधियों की घोषणा नहीं की है:
    • लाविसन-शियान (Lavisan-Shian)
    • वरामिन (Varamin )
    • तुर्कुजाबाद (Turquzabad )
  • ये स्थान 2000 के दशक की शुरुआत तक सक्रिय अघोषित परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा थे।
  • यह रिपोर्ट संभावित परमाणु समझौते पर संचालित अमेरिकी-ईरान वार्ता के बीच आई है।

यूरेनियम संवर्द्धन (Uranium Enrichment)

  • यूरेनियम संवर्द्धन प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-235 (U-235) समस्थानिक की सांद्रता बढ़ाने की प्रक्रिया है।
  • इसे परमाणु रिएक्टरों में ईंधन के रूप में या उच्च संवर्द्धन स्तर पर परमाणु हथियारों में प्रयोग हेतु उपयुक्त बनाने के लिए किया जाता है।
  • प्राकृतिक यूरेनियम संरचना: प्राकृतिक यूरेनियम में अधिकतर U-238 (99.3%) होता है तथा केवल 0.7% U-235 होता है।
    • U-235 विखंडनीय है, अर्थात् यह परमाणु शृंखला अभिक्रिया पर आधारित है, जबकि U-238 विखंडनीय नहीं है।
  • संवर्द्धन स्तर (Enrichment Levels)  
    • कम समृद्ध यूरेनियम (LEU): 3-5% U-235 (अधिकांश परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में उपयोग किया जाता है)।
    •  वेपन्स-ग्रेड यूरेनियम (Weapons-grade Uranium): 90% या उससे अधिक U-235 (परमाणु बमों में उपयोग किया जाता है)।
  • अप्रसार संबंधी चिंताएँ: यूरेनियम संवर्द्धन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, क्योंकि इसका उपयोग शांतिपूर्ण (ऊर्जा) और सैन्य (हथियार) दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बारे में

  • स्थापना और उद्देश्य: परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और हथियारों के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए वर्ष 1957 में स्थापित।
    • परमाणु अप्रसार के लिए वैश्विक निगरानी संस्था के रूप में कार्य करती है।
  • मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।
  • कुल सदस्य: 180 (15 नवंबर, 2024 तक)
    • भारत वर्ष 1957 में अपनी स्थापना के बाद से IAEA का सदस्य रहा है।
  • कार्य
    • परमाणु गतिविधियों की निगरानी के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौतों को लागू करता है।
    • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए निरीक्षण करता है।
    • परमाणु सुरक्षा (जैसे- बिजली संयंत्र, विकिरण सुरक्षा) के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
    • रेडियोधर्मी सामग्रियों को सुरक्षित करके परमाणु आतंकवाद को रोकने में मदद करता है।
  • पुरस्कार: परमाणु सैन्य उपयोग को रोकने के प्रयासों के लिए वर्ष 2005 का नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • प्रमुख संधियाँ: NPT (अप्रसार संधि) और व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT)।

परमाणु अप्रसार संधि (NPT) 

  • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य है:
    • परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना।
    • परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना।
    • वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण को आगे बढ़ाना।

  • NPT पर हस्ताक्षर वर्ष 1968 में किए गए और यह वर्ष 1970 में लागू हुई।
  • NPT पाँच आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देशों को मान्यता देता है:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • रूस (पूर्व में USSR)
    • यूनाइटेड किंगडम
    • फ्राँस
    • चीन
  • इन देशों ने 1 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियार बनाए और उनका परीक्षण किया था।
  • भारत, पाकिस्तान और इजरायल ने कभी भी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए और उनके पास परमाणु हथियार हैं।
  • उत्तर कोरिया ने वर्ष 2003 में NPT से स्वयं को अलग कर लिया और कथित तौर पर उसने परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं।

व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT)

  • CTBT एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है, चाहे वे सैन्य या शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हों।
  • वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया, लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हुआ है।
  • प्रमुख प्रावधान
    • परमाणु परीक्षण विस्फोटों (भूमिगत, वायुमंडल में और अंतरिक्ष में) पर पूर्ण प्रतिबंध।
    • संदिग्ध घटनाओं की जाँच के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी प्रणाली (IMS) और ऑन-साइट निरीक्षण सहित सत्यापन व्यवस्था स्थापित करता है।
  • यह लागू नहीं है क्योंकि 8 प्रमुख देशों (अनुलग्नक 2 में सूचीबद्ध) ने इसकी पुष्टि नहीं की है:
    • अमेरिका, चीन, इजरायल, मिस्र, ईरान (हस्ताक्षर किए लेकिन पुष्टि नहीं की)।
    • भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया (हस्ताक्षर नहीं किए)।

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