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इसरो का ‘डिस्ट्रेस अलर्ट ट्रांसमीटर’ (ISRO’s ‘distress alert transmitter’)

Samsul Ansari January 20, 2024 05:49 297 0

संदर्भ 

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मछली पकड़ने वाली नौकाओं से आपातकालीन संदेश भेजने के लिए समुद्र में मछुआरों के लिए एक सुधारित ‘डिस्ट्रेस अलर्ट ट्रांसमीटर’ (Distress Alert Transmitter- DAT) विकसित किया है।

संबंधित तथ्य

  • इसरो ने दूसरी पीढ़ी के DAT (DAT-SG) में विकसित होने वाली उन्नत क्षमताओं और सुविधाओं में सुधार किया है।
    • DAT का पहला संस्करण वर्ष 2010 से परिचालन में है।

  • दूसरी पीढ़ी के DAT की सेवाओं को 24 x 7 आधार पर परिचालित घोषित कर दिया गया है, अब तक 20,000 से अधिक DATs  का उपयोग किया जा चुका है।

  • दूसरी पीढ़ी के ‘डिस्ट्रेस अलर्ट ट्रांसमीटर’ की विशेषताएँ: 
    • संदेश प्राप्त करना: समुद्र से संकटकालीन संकेत प्रसारित करने के अलावा, DAT-SG में नियंत्रण केंद्रों से संदेश प्राप्त करने की क्षमता है।
      • इसके प्रयोग से खराब मौसम, चक्रवात सुनामी या कोई अन्य आपात स्थिति के दौरान समुद्र में मछुआरों को अग्रिम चेतावनी संदेश भेजे जा सकते हैं।
    • संभावित मत्स्यन क्षेत्र (PFZ) से संबंधित जानकारी: DAT-SG का उपयोग करके मछुआरों को PFZs के बारे में नियमित अंतराल पर जानकारी प्रेषित की जाती है। इससे मछुआरों को मछली पकड़ने में अच्छी उपज प्राप्त करने में मदद मिलती है और समय एवं ईंधन की बचत होती है।
    • ब्लूटूथ कनेक्टिविटी: DAT-SG को ब्लूटूथ इंटरफेस का उपयोग करके मोबाइल फोन से जोड़ा जा सकता है।
    • भाषागत बाधा से निपटना: DAT-SG द्वारा प्राप्त संदेशों को मोबाइल पर एक ऐप का उपयोग करके मूल भाषा में पढ़ा जा सकता है।

डिस्ट्रेस अलर्ट ट्रांसमीटर (DAT) की कार्यप्रणाली

  • DAT का उपयोग करते हुए, संदेश एक संचार उपग्रह के माध्यम से भेजे जाते हैं और एक केंद्रीय नियंत्रण स्टेशन (INMCC: भारतीय मिशन नियंत्रण केंद्र) पर प्राप्त किए जाते हैं, जहाँ मछली पकड़ने वाली नाव की पहचान और स्थान संबंधी जानकारी के लिए चेतावनी संबंधी संकेतों को डिकोड किया जाता है।
  • प्राप्त की गई जानकारी को फिर भारतीय तट रक्षक (ICG) के तहत समुद्री बचाव समन्वय केंद्रों (MRCCs) को भेज दिया जाता है।
  • इस जानकारी का उपयोग करते हुए MRCC बिना किसी देरी के संकट में फँसे मछुआरों को बचाने के लिए खोज और बचाव अभियान संचालित करने हेतु समन्वय करता है।
  • सागरमित्र (Sagarmitra): केंद्रीय नियंत्रण केंद्र ((INMCC) में सागरमित्र नामक एक वेब आधारित नेटवर्क प्रबंधन प्रणाली है, जो पंजीकृत DAT-SGs का डेटाबेस बनाए रखती है और MRCCs को नाव के बारे में जानकारी तक पहुँचने, संकट में नाव में उपस्थित व्यक्तियों के साथ समन्वय करने में मदद करती है।

News Source: DH

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