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इजरायल में सेना में न शामिल होने पर कारावास का आदेश (Jail sentence for not joining army in Israel)

Samsul Ansari December 30, 2023 04:56 269 0

संदर्भ

हाल ही में इजरायल के ताल मितनिक (Tal Mitnick) नामक युवा द्वारा अपनी अंतरात्मा की आवाज का हवाला देते हुए इजरायली सेना में शामिल होने से इनकार करने के कारण उसे कारावास की सजा सुनाई गई है।

संबंधित तथ्य

  • इजरायली कानून अनिवार्य सैन्य सेवा [जिसे कॉन्स्क्रिप्शन (Conscription) भी कहा जाता है] का प्रावधान करता है, जिसके तहत सभी नागरिकों को एक निश्चित अवधि के लिए सैन्य सेवा में अपना योगदान देना होता है।
  • इजरायली सेना में शामिल होने से इनकार करने के कारण ताल मितनिक को 30 दिन जेल में बिताने होंगे।
  • उन्होंने ‘नरसंहार, नरसंहार का समाधान नहीं हो सकता’ (Slaughter cannot solve Slaughter) के वैचारिक आधार पर सेना में सेवा देने से इनकार कर दिया है और इजरायल में अनिवार्य सैन्य सेवा के विरुद्ध अंतरात्मा की आवाज उठाने वाले नवीनतम व्यक्ति बन गए हैं।

भारत में अनिवार्य सैन्य सेवा

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद-23 राज्य को सार्वजनिक कार्यों के लिए अनिवार्य सेवा लागू करने की अनुमति देता है। 
  • इसलिए, भारत में अनिवार्य सैन्य सेवा का संवैधानिक आधार मौजूद है, हालाँकि, इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।

अंतरात्मा की आवाज

  • सैन्य क्षेत्र में अंतरात्मा की आवाज उठाने वाला व्यक्ति वह व्यक्ति होता है, जो अक्सर वैचारिक और धार्मिक कारणों से अपनी अंतरात्मा की आवाज के आधार पर सैन्य सेवा करने से इनकार करता है।
    • पहला उदाहरण : सबसे पहले दर्ज किया गया विवेकपूर्ण आपत्ति करने वाला व्यक्ति 21 वर्षीय मैक्सिमिलियनस (Maximilianmus) था, जिसने 295 ईसवी में रोमन सेना में एक सैनिक के रूप में सेवा करने से इनकार कर दिया था।
  • अन्य उदाहरण
    • मुहम्मद अली: वर्ष 1967 में, विश्व हैवीवेट चैंपियन रहते हुए, अली ने वियतनाम युद्ध को कुरान की शिक्षाओं के खिलाफ मानते हुए सेना में शामिल होने से इनकार कर दिया।
    • अली को सजा: उन्हें उनकी हैवीवेट चैंपियनशिप से वंचित कर दिया गया, मुक्केबाजी से निलंबित कर दिया गया, $10,000 का जुर्माना और पाँच वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई थी।
  • अंतरराष्ट्रीय मान्यता: वर्ष 1948 में अपनाए गए मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र ने अंतरराष्ट्रीय कानून में “अंतरात्मा” के अधिकार को अपनाया। इसने विवेकपूर्ण आपत्ति करने वालों के लिए कानूनी आधार प्रदान किया है।

अंतरात्मा का संकट (Crisis of Conscience)

  • परिभाषा: अंतरात्मा का संकट उस स्थिति को संदर्भित करता है, जिसमें किसी व्यक्ति की मान्यताएँ या मूल्य उनके कार्यों या निर्णयों के साथ संघर्ष करते हैं।
    • यह एक नैतिक दुविधा है, जो तब उत्पन्न होती है जब किसी को ऐसे विकल्प का सामना करना पड़ता है, जो उनके विवेक के विरुद्ध होता है।
    • यह तब प्रकट हो सकती है, जब किसी व्यक्ति को किसी ऐसे निर्णय या कार्य का सामना करना पड़ता है, जो उनकी मान्यताओं या मूल्यों के विरुद्ध जाता है।

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