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जापान का मून लैंडिंग मिशन (SLIM) (Japan’s Moon Landing Mission (SLIM))

Samsul Ansari December 30, 2023 10:58 319 0

संदर्भ

जापान के स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) अंतरिक्ष यान की सफलता या असफलता, भारत के आगामी चंद्रयान-4 मिशन को प्रभावित करेगी।

संबंधित तथ्य

  • इस वर्ष, SLIM चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला जापान का दूसरा लैंडर होगा।
    • पहला HAKUTO-R M1 लैंडर, अप्रैल 2023 के अंत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया क्योंकि लैंडिंग के दौरान इसके इंजन बहुत जल्दी बंद हो गए थे।

SLIM के बारे में

  • SLIM एक छोटे पैमाने का अन्वेषण लैंडर है, जिसे चंद्रमा की सतह पर पिनपॉइंट लैंडिंग (सटिक लैंडिंग) के लिए डिजाइन किया गया है।
  • यह चंद्रमा पर लैंडिंग में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के आकार और वजन में कमी की प्रभावशीलता का परीक्षण करेगा, और चंद्रमा की उत्पत्ति की जाँच करेगा।
    • लॉन्च के समय इसका वजन 590 किलोग्राम था।
  • इसे जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) द्वारा तैयार किया गया।
  • SLIM को H-2A रॉकेट पर अगली पीढ़ी के एक्स-रे अंतरिक्ष दूरबीन XRISM के साथ लॉन्च किया गया था।

SLIM मिशन चंद्रयान-4 को कैसे प्रभावित करेगा

  • SLIM के निष्कर्ष, चंद्रयान-4 के प्रक्षेप पथ और प्रौद्योगिकी का मार्गदर्शन करने में मदद करेंगे।
  • यदि कम वजन वाला यह मिशन सफल साबित होता है तो भारत JAXA के साथ साझेदारी द्वारा इन प्रौद्योगिकियों को अपना सकता है।

चंद्रयान-4

  • उद्देश्य: चंद्रयान-4 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की यात्रा करेगा, उस पर उतरेगा, नमूने एकत्र करेगा और फिर अंतरिक्ष में दूसरे मॉड्यूल से जुड़ेगा।
    •  इसके बाद मॉड्यूल पृथ्वी की कक्षा में वापस आ जाएगा।
    • जैसे ही दोनों मॉड्यूल पृथ्वी के पास आएँगे, वे अलग हो जाएँगे, एक हिस्सा पृथ्वी पर लौट आएगा और दूसरा हिस्सा ग्रह की परिक्रमा करता रहेगा।
  • चंद्रयान-4 द्वारा चंद्रमा पर अधिक वजनी रोवर( 350 किलोग्राम)  उतारने की योजना है।
    • जबकि चंद्रयान-3 रोवर का वजन केवल 30 किलोग्राम ही था।
  • इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के किनारे (Moon’s Rim), एक अज्ञात क्षेत्र (Unexplored Region) पर एक चुनौतीपूर्ण लैंडिंग करना है।
    • यह रोवर, चंद्रयान-3 के 500 मीटर x 500 मीटर की तुलना में 1000 मीटर x 1000 मीटर के बड़े क्षेत्र का भी पता लगाएगा।
  • LUPEX (Lunar Polar Exploration Mission) चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र का पता लगाने के लिए भारत-जापान संयुक्त उद्यम के रूप में कार्य करेंगे (हालाँकि, JAXA ने LUPEX को मंजूरी दे दी है, भारत ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है)।
    • इसे वर्ष 2026 में लाँच किया जायेगा।
    • JAXA, SLIM के लिए जिन प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करेगा, जैसे- फीचर-मिलान (Feature-Matching) एल्गोरिदम और नेविगेशन सिस्टम, वो LUPEX के लिए भी महत्त्वपूर्ण होंगे।
  • यह चंद्रयान-3 की तुलना में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का और बारीकी से पता लगाएगा।

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