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अल्कोहल से जेट ईंधन (jet fuel from alcohol)

Samsul Ansari January 23, 2024 03:32 249 0

संदर्भ 

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री द्वारा पुणे में अल्कोहल से जेट ईंधन बनाने वाली पहली पायलट प्रौद्योगिकी परियोजना का उद्घाटन किया गया।

संबंधित तथ्य 

  • इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) तथा प्राज इंडस्ट्रीज पुणे द्वारा अल्कोहल से जेट ईंधन बनाने के लिए ‘सतत् विमानन ईंधन’ की उत्पादन इकाई स्थापित की जा रही है।
  • वर्ष 2023 में अल्कोहल से बने जैव विमानन ईंधन द्वारा पुणे से दिल्ली तक की उड़ान पूरी की गई।

सतत् विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel) 

  • सतत् विमानन ईंधन (SAF), जिसे बायो-जेट ईंधन के रूप में भी जाना जाता है, को खाद्य तेल तथा तेल में समृद्ध बीजों का उपयोग करके घरेलू स्तर पर बनाया जाता है।
  • इसका उत्पादन कई स्रोतों से किया जा सकता है, जिसमें अपशिष्ट तेल, वसा, जैव अपशिष्ट तथा गैर-खाद्य फसलें जैसे पाम स्टीयरिन, सैपियम तेल, शैवाल तेल, करंज और जेट्रोफा शामिल हैं।

SAF के उत्पादन की विधियाँ

  • जल के उपयोग से बना एस्टर तथा वसायुक्त अम्ल: खाद्य तेलों को जेट ईंधन के रूप में परिवर्तित करने के लिए वनस्पति तेलों एवं वसा के साथ हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।
  • अल्कोहल से जेट ईंधन (AtJ): जेट ईंधन का उत्पादन करने के लिए गन्ने तथा सिरप से प्राप्त अल्कोहल (एथेनॉल और आइसो-ब्यूटेनॉल) का उपयोग किया जाता है।
  • गैसीकरण या फिशर-ट्रॉप्स (GAS-FT): इसमें घरेलू ठोस अपशिष्टों और कृषि अवशेषों का उपयोग करके गैस का उत्पादन किया जाता है, जिसे तरल ईंधन के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है।
  • पॉवर-टू-लिक्विड (PtL): रसायन, इस्पात और सीमेंट उद्योग में उपयोग के लिए हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी द्वारा द्रवीय हाइड्रोकार्बन का उत्पादन किया जाता है।

आवश्यकता 

  • ‘अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)’ की अंतरराष्ट्रीय विमानन के लिए कार्बन ऑफसेटिंग और न्यूनीकरण योजना (CORSIA): यह संस्था विमानों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में वृद्धि (वर्ष 2020 के स्तर की तुलना में) पर निगरानी के लिए बनाई गई है, जो सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लागू होगी। इस योजना को वर्ष 2027 से अनिवार्य रूप में लागू किया जाएगा तथा भारत को भी इसका अनुपालन करना होगा।
  • लक्ष्य: राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) और SAF के मिश्रण का प्रारंभिक लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • वर्ष 2027 तक 1% SAF के सम्मिश्रण का लक्ष्य (पहले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए) तथा  वर्ष 2028 तक 2% SAF के सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है।
  • SAF की आवश्यकता: जेट ईंधन में 1 प्रतिशत SAF मिश्रण के लिए प्रति वर्ष 14 करोड़ लीटर SAF की आवश्यकता होगी।

लाभ 

  • कार्बन उत्सर्जन की  वर्तमान खपत को 70% तक सीमित किया जा सकता है तथा भविष्य में SAF के उपयोग को बढ़ाकर विमानन के कार्बन उत्सर्जन में अतिरिक्त कमी की जा सकती है।
  • किसानों के लिए अतिरिक्त आय: कृषि अवशेष की बिक्री से किसानों को 160 डॉलर प्रति हेक्टेयर का अतिरिक्त लाभ हो सकता है, जिससे किसानों की आय में 15% की अनुमानित वृद्धि होगी।
  • वायु प्रदूषण में कमी: SAF के निरंतर उपयोग से वायु प्रदूषण भी कम होगा तथा GHG उत्सर्जन में 78% तक की कमी आएगी।
  • प्रदूषण-मुक्त अवसर: उत्पादन संयंत्रों तथा संग्रह प्रणालियों से संबंधित आपूर्ति शृंखलाओं में 1,20,000 से अधिक नई नौकरियाँ पैदा होंगी।
  • ऊर्जा सुरक्षा: जीवाश्म जेट ईंधन में SAF के मिश्रण से निर्यात के अवसर बढ़ेंगे (SAF के 10% मिश्रण से 210 मिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत होगी) तथा आयात कम होगा।
  • कुशल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उत्प्रेरक: कचरे का प्रबंधन करके डंपिंग क्षेत्र को उल्लेखनीय रूप से कम किया जा सकता है।

चुनौतियाँ

  • आर्थिक चुनौती: SAF के उत्पादन की लागत पारंपरिक जेट ईंधन की लागत से अधिक है, इस कारण SAF के उत्पादन में निवेश करना आर्थिक रूप से चुनौती है।
  • अपर्याप्त क्षमता: SAF के उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिए बुनियादी ढाँचा पर्याप्त नहीं है, जिससे SAF के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाना कठिन हो जाता है।
  • सीमित भंडारण: खाद्य और कृषि क्षेत्रों जैसे अन्य उद्योगों से संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्द्धा के साथ ही SAF का सीमित भंडार उपलब्ध है।
  • मानक और प्रमाणन: SAF के लिए प्रमाणन प्रक्रिया बहुत जटिल है तथा SAF उत्पादन के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकृत मानकों का अभाव है।

आगे की राह 

  • नीतिगत हस्तक्षेप: SAF के व्यावसायीकरण के लिए आवश्यक ढाँचा के निर्माण हेतु राष्ट्रीय, क्षेत्रीय (जैसे EU) और अंतरराष्ट्रीय स्तर (UN) पर नीति-निर्माण की आवश्यकता है।
    • जैव ईंधन से संबंधित राष्ट्रीय नीति में SAF लक्ष्यों को शामिल किया जाना चाहिए।
  • व्यापारिक बाधा: लागत-प्रतिस्पर्द्धी SAF की बाजार में आने वाली बाधाओं को दूर करना होगा।
  • एकल वैश्विक मानक: वैश्विक स्तर पर SAF के लिए निश्चित मानदंडों को तय करना होगा।
  • तकनीकी जागरूकता: उत्पादकों में तकनीकी प्रमाणन प्रक्रिया (ASTM D1655 प्रमाणन) संबंधित जागरूकता फैलाना तथा उनका समर्थन करना।
  • प्रदर्शनियाँ और सम्मेलन: SAF के आपूर्तिकर्ताओं एवं उपभोक्ताओं के बीच जानकारियों के आदान-प्रदान तथा उनके व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने हेतु मंच स्थापित करना। उदाहरण के लिए सतत् विमानन ईंधन संगोष्ठी।

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