गोवा और कर्नाटक के बीच कलसा-बंडूरी परियोजना को लेकर एक बार पुनः टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई है।
संबंधित तथ्य
महादयी नदी के केंद्रीय प्राधिकरण, प्रगतिशील नदी जल और सद्भाव प्राधिकरण (PRAWAH) की एक टीम ने 7 जुलाई, 2024 को बेलगावी जिले का दौरा किया, जो उन तीन राज्यों के दौरे का हिस्सा था, जिनसे होकर नदी बहती है: गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र।
इस यात्रा ने कर्नाटक और गोवा के बीच नदी बँटवारे को लेकर चार दशक पुराने विवाद पर वार्ता को फिर से शुरू कर दिया है।
विवाद की पृष्ठभूमि
वर्ष 1985 में, कर्नाटक ने शुरू में महादयी (जिसे मंडोवी या महादेई के नाम से भी जाना जाता है) नदी के आधे जल को सिंचाई के लिए मोड़ने हेतु 350 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना की जाँच की थी।
गोवा ने लंबे समय से ‘जल मोड़ योजना’ का विरोध किया है, यह बताते हुए कि निचले तटवर्ती राज्य की जल सुरक्षा को अपूरणीय क्षति होगी।
अगस्त 2018 में न्यायाधिकरण के फैसले ने गोवा को 24 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (पहले से इस्तेमाल हो रहे 9.395 हजार मिलियन क्यूबिक फीट को छोड़कर), कर्नाटक को 5.4 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (बेसिन के बाहर निर्यात के लिए 3.9 टीएमसीएफटी सहित) और महाराष्ट्र को उपभोग के लिए 1.33 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी इस्तेमाल करने की अनुमति दी।
इसके बाद कर्नाटक ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और दावा किया कि जल का आवंटन अनुचित था।
27 फरवरी, 2020 को केंद्र सरकार ने एक गजट अधिसूचना जारी की, जिसमें कर्नाटक को महादयी नदी से 13.42 हजार मिलियन क्यूबिक फीट जल ग्रहण की अनुमति दी गई, जिसमें से 8 हजार मिलियन क्यूबिक फीट जल बिजली उत्पादन के लिए निर्धारित किया गया।
गोवा का पक्ष
कर्नाटक सरकार ने वन्यजीव, पर्यावरण और वन विभाग की अनुमति के बिना जल बँटवारे की परियोजना पर कार्य शुरू कर दिया था और इस यात्रा से किए गए कार्य की सीमा का पता चलेगा।
गोवा ने नदी निगरानी समिति के समक्ष कर्नाटक की कार्रवाइयों को प्रस्तुत करने का इरादा भी जताया है।
कलसा-बंडूरी परियोजना
कर्नाटक सरकार द्वारा शुरू की गई विवादास्पद कलसा-बंडूरी परियोजना हेतु निविदाओं को वन और पर्यावरण मंजूरी के अभाव के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कलसा-बंडूरी परियोजना का लक्ष्य कर्नाटक के बेलगावी, धारवाड़, बागलकोट एवं गडग जिलों में पेयजल आपूर्ति में सुधार करना है।
इसमें मालप्रभा नदी (कृष्णा नदी की एक सहायक नदी) से जोड़ने हेतु महादयी नदी की दो सहायक नदियों कलसा और बंडूरी पर बैराज बनाना शामिल है।
महादयी या म्हादेई पश्चिम की ओर बहने वाली नदी कर्नाटक के बेलगावी जिले के भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (पश्चिमी घाट) से निकलती है।
महादयी नदी
यह नदी गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के जिलों से होकर प्रवाहित होती है।
महादयी नदी को गोवा राज्य की जीवन रेखा नदी के रूप में माना जाता है।
गोवा की राजधानी पणजी इसी नदी के किनारे अवस्थित है।
उद्गम: यह नदी भारत की सबसे छोटी नदियों में से एक है तथा इस नदी का उद्गम कर्नाटक के बेलगाम जिले के खानपुर नामक स्थान होता है और यह उत्तरी गोवा के सतारी नामक स्थल में प्रवेश करती है।
गोवा में प्रवेश करने के बाद इसमें कई धाराएँ आकर मिलती हैं, जिसके बाद यह मंडोवी के नाम से जानी जाती है।
लंबाई: लगभग 111 किलोमीटर लंबी इस नदी का दो-तिहाई भाग गोवा में है।
महत्त्व: चूँकि गोवा की अन्य नदियाँ लवणीय जल युक्त हैं, वहीं मंडोवी जो एक मीठे जल का स्रोत होने के साथ -साथ जल सुरक्षा, पारिस्थिकी और मछली पालन का भी एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
मंडोवी नदी बेसिन अपनी सहायक नदियों के साथ गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में जलापूर्ति करती है।
हालाँकि, कई निर्वाचित अधिकारियों ने आरोपों से इनकार किया है। इन आरोपों के बावजूद, कर्नाटक इस मुद्दे पर चुप रहा है, जिससे क्षेत्र के स्थानीय लोगों में निराशा है।
गोवा ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना के कारण लगभग 500 हेक्टेयर वनों की कटाई होगी।
गोवा ने यह भी दावा किया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, कनकुंबी जंगल में बाघों की मौजूदगी का कोई सुबूत नहीं होने के बावजूद परियोजना बाघ संरक्षण को प्रभावित करेगी।
कर्नाटक का पक्ष
कर्नाटक करीब 50 वर्ष से जल बँटवारे के लिए समझौते की माँग कर रहा है।
कर्नाटक सरकार के अनुसार, नदी बेसिन में करीब 188 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (अर्थात् 75 प्रतिशत) जल उपलब्ध है।
गोवा और कर्नाटक के बीच विवाद को सुलझाने के लिए अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम के तहत महादयी जल न्यायाधिकरण की स्थापना की गई।
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