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कंब रामायण

Lokesh Pal March 21, 2025 03:55 71 0

संदर्भ 

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (South Zone Cultural Centre-SZCC) ने तमिलनाडु में कंब रामायण (Kamba Ramayana) पाठ को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक पहल शुरू की है।

संबंधित तथ्य

  • उद्घाटन: इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री द्वारा 18 मार्च, 2025 को श्रीरंगम मंदिर, त्रिची में किया जाएगा।

  • उद्देश्य
    • कंब रामायण के वाचन की मौखिक परंपरा को पुनर्जीवित करना।
    • इसके संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए युवा पीढ़ी को शामिल करना।
    • प्रदर्शनों, संगोष्ठियों और शैक्षिक प्रतियोगिताओं के संयुक्तीकरण से एक राज्यव्यापी कार्यक्रम स्थापित करना।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण
    • वार्षिक महोत्सव: कंब रामायण महोत्सव को वार्षिक आयोजन बनाना।
  • कंबर मेदु में संग्रहालय: कंबर और उनके कार्यों को समर्पित एक संग्रहालय की स्थापना करना।
    • सांस्कृतिक विरासत: सुनिश्चित करना कि महाकाव्य की विरासत भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित है।

दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (South Zone Cultural Centre-SZCC) के बारे में

  • केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (SZCC) दक्षिणी भारत में क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत के संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए समर्पित है।

कंब रामायण के बारे में

  • कंब रामायण, जिसे रामावतारम् के नाम से भी जाना जाता है, कवि कंबर द्वारा 12वीं सदी का तमिल महाकाव्य है, जो वाल्मिकी की संस्कृत रामायण पर आधारित है।
  • संरक्षण: थिरुवेन्नई नल्लूर सदायप्पा वल्लाल द्वारा संरक्षण प्राप्त, जिनका नाम कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में हर 1,000 छंद में आता है।
  • विशेषताएँ
    • कलात्मक संशोधनों के साथ वाल्मीकि रामायण का तमिल रूपांतरण।
    • तमिल साहित्य में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक।

कंबर के बारे में

  • कविचक्रवर्ती कंबन (कवियों के सम्राट) के नाम से भी जाने जाते हैं।
  • प्रसिद्ध कृति: रामावतारम (Ramavataram) या कंब रामायण (Kamba Ramayana)।
  • युग: कुलोतुंग तृतीय के शासनकाल के दौरान चोल साम्राज्य में रहते थे।
  • मान्यता: शाही मान्यता और कवि चक्रवर्ती की उपाधि प्राप्त की।
  • रामानुज से संबंध: वैष्णव दार्शनिक रामानुज के बाद रहते थे; उनकी रचनाओं में रामानुज का उल्लेख है।

कंबर की अन्य कृतियाँ

  • तिरुक्कई वल्लक्कम (Tirukkai Valakkam): अच्छे आचरण और धार्मिकता के सिद्धांतों पर केंद्रित नैतिक छंद।
  • एरेलुपतु और सिलाई अलुपतु (Erelupatu and Silai Elupatu): कंबर की भक्ति और नैतिक दर्शन को दर्शाती आध्यात्मिक रचनाएँ।
  • कांगई पुराणम (Kangai Puranam): मंदिर की किंवदंतियों और कहानियों पर आधारित एक पौराणिक कथा, जो तमिल धार्मिक साहित्य में योगदान देती है।

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