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केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना

Lokesh Pal December 27, 2024 04:02 17 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में 45,000 करोड़ रुपये की केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना (Ken-Betwa River Linking Project) की आधारशिला रखी।

केन-बेतवा परियोजना 

  • केन-बेतवा परियोजना एक नदी जोड़ो पहल है, जिसे मध्य प्रदेश में केन नदी से उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी में अधिशेष जल स्थानांतरित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • एक विशेष प्रयोज्य वाहन (Special Purpose Vehicle-SPV), केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (Ken Betwa Link Project Authority- KBLPA), परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख करेगा।
  • सफल कार्यान्वयन संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति पर निर्भर करता है।

लाभ

  • सिंचाई: इस परियोजना का उद्देश्य भारत के सर्वाधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में से एक बुंदेलखंड को सिंचाई हेतु जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
    • इससे मध्य प्रदेश के कम-से-कम 10 जिलों और उत्तर प्रदेश के कई जिलों की पेयजल और सिंचाई जल आवश्यकताओं के पूर्ण होने की उम्मीद है।
  • जलविद्युत: इस परियोजना का उद्देश्य 100 मेगावाट से अधिक जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करना भी है।

केन-बेतवा परियोजना को लेकर चिंताएँ

  • पर्यावरणीय प्रभाव: IIT-बॉम्बे के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि नदी जोड़ो परियोजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर जल हस्तांतरण से सितंबर के महीने में भूमि-वायुमंडलीय अंतर्क्रियाओं में परिवर्तन के कारण औसत वर्षा में 12% तक की कमी हो सकती है।
  • पन्ना राष्ट्रीय उद्यान जलमग्न: इस परियोजना से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (Panna National Park) का लगभग 98 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा, जहाँ वर्ष 2009 में बाघ विलुप्त हो गए थे। इसके लिए 2-3 मिलियन पेड़ों को भी काटना होगा।
  • कोर टाइगर रिजर्व (Core Tiger Reserve): पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में दौधन बाँध (Daudhan Dam) के निर्माण की स्वीकृति राष्ट्रीय उद्यानों और बाघ रिजर्वों में भारी बुनियादी ढाँचे से संबंधित एक विवादास्पद उदाहरण कायम करती है।
  • वन्यजीव संबंधी चिंताएँ 
    • घड़ियाल और गिद्धों के आवास क्षेत्र: दौधन बाँध केन घड़ियाल अभयारण्य (Ken Gharial Sanctuary) और गिद्ध प्रजनन स्थलों (Vulture Nesting Sites) में घड़ियाल आबादी को खतरे में डालता है।
  • सामाजिक-आर्थिक मुद्दे: स्थानीय परिवारों का विस्थापन
    • छतरपुर जिले में 5,228 परिवारों का विस्थापन हो चुका है।
    • पन्ना जिले में 1,400 परिवार जलमग्नता और भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापन का सामना कर रहे हैं।
    • कभी-कभी होने वाले विरोध प्रदर्शन, पन्ना जिले में प्रभावित स्थानीय लोगों के लिए अपर्याप्त मुआवजे और कम लाभ संबंधी चिंताओं को उजागर करते हैं।
  • आर्थिक व्यवहार्यता: सर्वोच्च न्यायालय की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (Central Empowered Committee-CEC) ने परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता पर सवाल उठाया तथा सुझाव दिया कि पहले ऊपरी केन बेसिन में अन्य सिंचाई विधियों पर विचार किया जाना चाहिए। 

  • अभूतपूर्व निर्माण: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बाघ अभयारण्य के भीतर बुनियादी ढाँचे को मंजूरी दे दी, जबकि संरक्षित क्षेत्रों में ऐसी परियोजनाओं के लिए पहले कोई उदाहरण मौजूद नहीं था।

केन और बेतवा नदियाँ

  • उद्गम: दोनों नदियों का उद्गम मध्य प्रदेश से होता है।
    • केन नदी मध्य प्रदेश के जबलपुर में कैमूर रेंज के उत्तर-पश्चिमी ढलान से निकलती है और उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में यमुना नदी से मिलती है।
    • बेतवा नदी मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के पास विंध्य श्रेणी से निकलती है, बुंदेलखंड से होकर बहती है और उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना नदी में मिल जाती है।
  • सहायक नदियाँ: दोनों नदियाँ यमुना नदी की सहायक नदियाँ हैं।
  • बेतवा नदी पर बाँध: राजघाट, पारीछा और माताटीला बाँध बेतवा नदी पर स्थित हैं।
  • केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है।

नदी जोड़ो परियोजनाएँ

  • नदी जोड़ो परियोजनाओं में नहरों और बाँधों का निर्माण शामिल है, ताकि जल की अधिकता वाले नदी बेसिन से जल की कमी वाले बेसिन में जल का स्थानांतरण किया जा सके। यह प्रायः जल की कमी को दूर करने, सिंचाई में सुधार करने और जलविद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।
  • उदाहरण
    • रूस में वोल्गा-डॉन नहर (Volga-Don Canal): कैस्पियन और काला सागर को जोड़ने वाली यह नहर दो प्रमुख नदी घाटियों के बीच नौवहन तथा जल हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है।

नदी जोड़ो परियोजनाओं के पक्ष और विपक्ष

पक्ष 

विपक्ष

जल सुरक्षा: जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल की उपलब्धता में सुधार। पर्यावरणीय प्रभाव: पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकता है, नदी के प्रवाह को बदल सकता है तथा जैव विविधता को प्रभावित कर सकता है।
सिंचाई: जल की कमी वाले क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता बढ़ाती है। सामाजिक विस्थापन: इससे समुदायों का विस्थापन हो सकता है तथा आजीविका की हानि हो सकती है।
जलविद्युत उत्पादन: महत्त्वपूर्ण जलविद्युत उत्पादन की क्षमता। भू-वैज्ञानिक अस्थिरता: भूकंप और अन्य भू-वैज्ञानिक खतरे उत्पन्न कर सकती है।
नेविगेशन: नेविगेशन और परिवहन में सुधार कर सकता है। उच्च लागत: निर्माण और रखरखाव की लागत काफी अधिक हो सकती है।

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राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan-NPP)

  • भारत सरकार ने वर्ष 1980 में नदियों को आपस में जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan-NPP) को तैयार किया था।
  • राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (National Water Development Agency-NWDA) NPP के अंतर्गत नदियों को जोड़ने के लिए उत्तरदायी है।
  • NPP में दो घटक शामिल हैं:
    • हिमालयी नदियों का विकास घटक।
    • प्रायद्वीपीय नदियों का विकास घटक।
  • NPP के अंतर्गत कुल 30 लिंक परियोजनाओं की पहचान की गई है।
  • केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project-KBLP) NPP के अंतर्गत नदियों को आपस में जोड़ने की पहली परियोजना है और वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन है।

राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (National Water Development Agency-NWDA) 

  • राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA), जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (DoWR, RD&GR) के अंतर्गत पंजीकृत सोसायटी है, जो जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti-MoJS) के तहत कार्य करती है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1982 में जल संसाधन विकास के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) से संबंधित विस्तृत अध्ययन, सर्वेक्षण और जाँच करने के लिए की गई थी।
  • इसका एक प्रमुख कार्य प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana-PMKSY) के अंतर्गत परियोजनाओं को शुरू करना, निर्माण, मरम्मत, नवीनीकरण, पुनर्वास और कार्यान्वयन करना है।

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